इलाहाबाद हाईकोट

किसी व्यक्ति को न्यायालय जाने से धमकाना सबसे गंभीर आपराधिक अवमानना: इलाहाबाद हाईकोर्ट
किसी व्यक्ति को न्यायालय जाने से धमकाना सबसे गंभीर आपराधिक अवमानना: इलाहाबाद हाईकोर्ट

यह देखते हुए कि कोई भी व्यक्ति किसी व्यक्ति को न्यायालय जाने से नहीं धमका सकता इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस तरह के हस्तक्षेप को न्याय की प्रक्रिया को प्रभावित करने वाली सबसे बड़ी बाधा बताया और इसलिए इसे सबसे गंभीर आपराधिक अवमानना माना।जस्टिस जे.जे. मुनीर की पीठ ने यह टिप्पणी अमित सिंह परिहार द्वारा दायर जनहित याचिका (PIL) पर सुनवाई करते हुए की, जिसमें फतेहपुर जिले के एक गांव में सरकारी पेड़ों की अवैध कटाई और चोरी का आरोप लगाया गया था।मुख्यतः 31 जुलाई, 2025 को दायर पूरक हलफनामे में याचिकाकर्ता ने...

वकीलों की हड़ताल पर मामला स्थगित करना अनुशासनात्मक कार्रवाई को आमंत्रित कर सकता है: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने SDM को जारी किया कारण बताओ नोटिस
वकीलों की हड़ताल पर मामला स्थगित करना अनुशासनात्मक कार्रवाई को आमंत्रित कर सकता है: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने SDM को जारी किया कारण बताओ नोटिस

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बीते सप्ताह अलीगढ़ में एक उप-जिलाधिकारी (SDM) को उस समय फटकार लगाई, जब उन्होंने स्थानीय बार एसोसिएशन की हड़ताल के आह्वान के चलते मामले की सुनवाई स्थगित कर दी।जस्टिस जे.जे. मुनीर की एकल पीठ ने कहा कि बार एसोसिएशन के इस प्रकार के आह्वान को स्वीकार करना न्यायिक अधिकारी के आचरण में कदाचार की श्रेणी में आ सकता है। इसके चलते उस अधिकारी को पद से हटाने तक की अनुशंसा की जा सकती है।कोर्ट ने संबंधित अधिकारी को कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए पूछा कि क्यों न उनके खिलाफ उचित कार्रवाई की...

S.223 BNSS | शिकायतकर्ता और गवाहों के बयान दर्ज किए बिना अभियुक्त को नोटिस जारी नहीं किया जा सकता: इलाहाबाद हाईकोर्ट
S.223 BNSS | 'शिकायतकर्ता और गवाहों के बयान दर्ज किए बिना अभियुक्त को नोटिस जारी नहीं किया जा सकता': इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पिछले सप्ताह स्पष्ट किया कि कोई भी मजिस्ट्रेट भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) की धारा 223 के तहत किसी संभावित अभियुक्त को शिकायतकर्ता और गवाहों, यदि कोई हो, के बयान दर्ज किए बिना नोटिस जारी नहीं कर सकता।जस्टिस रजनीश कुमार की पीठ ने अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट-द्वितीय, लखनऊ द्वारा इस प्रक्रिया का उल्लंघन करते हुए अभियुक्त (आवेदक-राकेश कुमार चतुर्वेदी) को जारी किए गए नोटिस को रद्द कर दिया।न्यायालय ने पाया कि विवादित नोटिस शिकायतकर्ता या गवाहों का शपथ पत्र दर्ज किए...

गैर-जमानती अपराध से जुड़े शिकायत मामले में केवल समन जारी होने पर अग्रिम ज़मानत याचिका स्वीकार नहीं की जा सकती: इलाहाबाद हाईकोर्ट
गैर-जमानती अपराध से जुड़े शिकायत मामले में केवल समन जारी होने पर अग्रिम ज़मानत याचिका स्वीकार नहीं की जा सकती: इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) के तहत अग्रिम ज़मानत के दायरे को स्पष्ट करते हुए कहा कि गैर-ज़मानती अपराध के आरोप से जुड़े किसी शिकायत मामले में केवल समन जारी होने पर अग्रिम ज़मानत याचिका स्वीकार नहीं की जा सकती, क्योंकि ऐसे मामले में पुलिस द्वारा बिना वारंट के गिरफ़्तारी की कोई आशंका नहीं होती।जस्टिस अरुण कुमार सिंह देशवाल की पीठ ने कहा,"...जब ज़मानती वारंट जारी किया जाता है तो हालांकि अभियुक्त को ज़मानती वारंट के अनुसरण में गिरफ़्तारी का डर हो सकता है, लेकिन उसे ज़मानत...

अगर इतना काम है तो ब्रीफ स्वीकार न करें:  हाईकोर्ट  ने सुनवाई में गैरहाज़िरी पर सरकारी वकील को KDA पैनल से हटाने का दिया आदेश
अगर इतना काम है तो ब्रीफ स्वीकार न करें: हाईकोर्ट ने सुनवाई में गैरहाज़िरी पर सरकारी वकील को KDA पैनल से हटाने का दिया आदेश

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कानपुर विकास प्राधिकरण (KDA) के एक पैनल वकील को कोर्ट में उपस्थित न होने और मामले को अपने जूनियर को सौंपने के कारण पैनल से हटाने का निर्देश दिया।जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल की एकलपीठ राजस्व मामले की सुनवाई कर रही थी। कोर्ट ने पाया कि संबंधित वकील ने प्रतिवादी नंबर 1 से 3 की ओर से नोटिस स्वीकार किया था लेकिन सुनवाई के दौरान स्वयं उपस्थित नहीं हुए और उनकी जगह उनका जूनियर वकील कोर्ट में मौजूद था।इस पर नाराजगी जताते हुए कोर्ट ने टिप्पणी की,"वे कोर्ट में उपस्थित नहीं हैं और उनके...

मामूली वैवाहिक मुद्दों पर आवेश में दर्ज आपराधिक शिकायतें विवाह संस्था को कमजोर करती हैं: इलाहाबाद हाईकोर्ट
मामूली वैवाहिक मुद्दों पर आवेश में दर्ज आपराधिक शिकायतें विवाह संस्था को कमजोर करती हैं: इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि विवाह एक अत्यंत सामाजिक रूप से प्रासंगिक संस्था है और जब बिना उचित विचार-विमर्श के, क्षणिक आवेश में, मामूली वैवाहिक मुद्दों पर आपराधिक शिकायतें दर्ज की जाती हैं, तो विवाह पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। जस्टिस विक्रम डी चौहान की पीठ ने आगे कहा कि जब ऐसी शिकायत दर्ज की जाती है, तो पक्षकार इसके निहितार्थों और परिणामों की ठीक से कल्पना नहीं कर पाते, जिससे न केवल शिकायतकर्ता, अभियुक्त और उनके निकट संबंधियों को, बल्कि एक संस्था के रूप में विवाह को भी असहनीय...

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जमानत आदेश में नाम की गलती के कारण 17 दिन ज्यादा जेल में बंद व्यक्ति को रिहा करने का आदेश दिया
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जमानत आदेश में नाम की गलती के कारण 17 दिन ज्यादा जेल में बंद व्यक्ति को रिहा करने का आदेश दिया

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक व्यक्ति को तत्काल रिहा करने का निर्देश दिया है, जो ज़मानत आदेश में उसके नाम की वर्तनी में मामूली गलती के कारण ज़मानत मिलने के बाद भी 17 दिन अतिरिक्त जेल में रहा। संविधान के अनुच्छेद 21 का हवाला देते हुए, जस्टिससमीर जैन की पीठ ने ज़ोर देकर कहा कि ज़मानत आदेश में अभियुक्त के नाम की वर्तनी में मामूली गलती के आधार पर उसकी स्वतंत्रता पर प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता।एकल न्यायाधीश ने अभियुक्त द्वारा दायर एक सुधार आवेदन पर यह आदेश पारित किया, जिसमें उसने बताया कि हाईकोर्ट के 8...

आपराधिक मामला लंबित होने पर भी मृतक आश्रित को नौकरी से इनकार नहीं किया जा सकता: इलाहाबाद हाईकोर्ट
आपराधिक मामला लंबित होने पर भी मृतक आश्रित को नौकरी से इनकार नहीं किया जा सकता: इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि केवल आपराधिक मामले का लंबित होना अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति से इनकार करने का आधार नहीं हो सकता है और नियुक्ति देने के लिए नियोक्ता के विवेकाधिकार का उपयोग निष्पक्ष रूप से किया जाना चाहिए।यह आगे कहा गया कि जिला मजिस्ट्रेट द्वारा दिया गया चरित्र प्रमाण पत्र अनुकंपा नियुक्ति के लिए किसी व्यक्ति के आवेदन पर विचार करने में कुछ महत्व रखता है। अवतार सिंह बनाम भारत संघ सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को ध्यान में रखते हुए, जस्टिस अजीत कुमार ने कहा, "सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी...

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नामित पुत्रों की तुलना में अलग रह रही पत्नी का फैमिली पेंशन पाने का अधिकार बरकरार रखा
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नामित पुत्रों की तुलना में अलग रह रही पत्नी का फैमिली पेंशन पाने का अधिकार बरकरार रखा

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक अलग रह रही पत्नी के जो अपने पति से भरण-पोषण प्राप्त कर रही थी, पति द्वारा नामित पुत्रों की तुलना में उसकी मृत्यु के बाद फैमिली पेंशन पाने का अधिकार बरकरार रखा है।जस्टिस मंजू रानी चौहान ने कहा,"फैमिली पेंशन वैधानिक है और कर्मचारी के एकतरफा नियंत्रण से परे है। फैमिली पेंशन को कानूनी अधिकार माना जाता है दान नहीं।"याचिकाकर्ता के पति एक सहायक शिक्षक थे, जो 2016 में रिटायर हुए और 2019 में अपनी मृत्यु तक पेंशन प्राप्त कर रहे थे। उनकी मृत्यु के बाद याचिकाकर्ता ने फैमिली पेंशन...

नेशनल हाईवे एक्ट के तहत पुनर्वास और पुनर्स्थापन के दावों की जांच का अधिकार कलेक्टर को नहीं, सक्षम प्राधिकरण को है: इलाहाबाद हाईकोर्ट
नेशनल हाईवे एक्ट के तहत पुनर्वास और पुनर्स्थापन के दावों की जांच का अधिकार कलेक्टर को नहीं, सक्षम प्राधिकरण को है: इलाहाबाद हाईकोर्ट

रणवीर सिंह एवं 35 अन्य बनाम भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण एवं भूमि अधिग्रहण के लिए सक्षम प्राधिकारी एवं 2 अन्य मामले में समन्वय पीठ के पूर्व निर्णय से भिन्न होते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने माना कि राष्ट्रीय राजमार्ग अधिनियम 1956 की धारा 3(A) के तहत अधिग्रहित भूमि के लिए पुनर्वास एवं पुनर्स्थापन संबंधी दावों पर निर्णय कलेक्टर नहीं बल्कि सक्षम प्राधिकारी को करना चाहिए और आवर्ड घोषित करना चाहिए।जस्टिस महेश चंद्र त्रिपाठी और जस्टिस प्रशांत कुमार की खंडपीठ ने कहा,"हमने देखा कि रणवीर सिंह (सुप्रा)...

न्यायिक आदेश के बावजूद कर्मचारी का वेतन और पेंशन रोका गया: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार पर 1 लाख का जुर्माना लगाया
न्यायिक आदेश के बावजूद कर्मचारी का वेतन और पेंशन रोका गया: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार पर 1 लाख का जुर्माना लगाया

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश राज्य सरकार पर 1 लाख का जुर्माना लगाया। राज्य सरकार ने हाईकोर्ट के आदेश के अंतिम होने के बावजूद याचिकाकर्ता की मां को सेवा में बने रहने की अनुमति न देकर समन्वय पीठ के आदेशों की अवहेलना की।याचिकाकर्ता की मां ने पहले हाईकोर्ट में एक रिट याचिका दायर की, जिसमें उनकी जन्मतिथि संबंधी मुद्दे का निपटारा किया गया और उन्हें सेवा में बने रहने का निर्देश दिया गया। चूंकि उनकी मृत्यु के बाद रिटायरमेंट के बाद के देय भुगतान का भुगतान नहीं किया जा रहा था, इसलिए याचिकाकर्ता ने...

इलाहाबाद हाईकोर्ट उपमुख्यमंत्री को लिखे वकील के पत्र के आधार पर पट्टा रद्द करने पर हैरान, आदेश रद्द, पट्टा बहाल किया
इलाहाबाद हाईकोर्ट उपमुख्यमंत्री को लिखे वकील के पत्र के आधार पर पट्टा रद्द करने पर हैरान, आदेश रद्द, पट्टा बहाल किया

सोमवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस बात पर आश्चर्य व्यक्त किया कि चार व्यक्तियों (याचिकाकर्ताओं) के पक्ष में दिया गया वैध पट्टा केवल वकील द्वारा राज्य के उपमुख्यमंत्री को लिखे गए पत्र के आधार पर रद्द कर दिया गया।जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल की पीठ ने पट्टा रद्द करने के आदेश रद्द कर दिए और याचिकाकर्ताओं (राकेश और तीन अन्य) के पक्ष में पट्टा बहाल कर दिया।संक्षेप में मामलायाचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि भूमि प्रबंधन समिति द्वारा इस आशय का प्रस्ताव पारित किए जाने के बाद उन्हें 2013 में पट्टा प्रदान किया...

हाईकोर्ट के निर्देशों के बाद, यूपी सरकार ने पुलिस को विचाराधीन मामलों में पक्षकारों और वकीलों से सीधे संपर्क करने से रोकने वाला सर्कुलर जारी किया
हाईकोर्ट के निर्देशों के बाद, यूपी सरकार ने पुलिस को विचाराधीन मामलों में पक्षकारों और वकीलों से सीधे संपर्क करने से रोकने वाला सर्कुलर जारी किया

इलाहाबाद ‌हाईकोर्ट के निर्देशों के बाद, उत्तर प्रदेश सरकार ने न्यायिक मामलों में पुलिस के हस्तक्षेप को रोकने के लिए एक व्यापक, राज्यव्यापी दिशानिर्देश जारी किए हैं। ये दिशानिर्देश पुलिसकर्मियों को बिना किसी वैध प्राधिकार और सक्षम अधिकारी या न्यायालय की पूर्व अनुमति के न्यायिक मामलों से संबंधित याचिकाकर्ताओं या उनके वकीलों से संपर्क करने से सख्ती से रोकते हैं।यह घटनाक्रम इलाहाबाद ‌हाईकोर्ट में लंबित एक जनहित याचिका (पीआईएल) के मद्देनजर सामने आया है, जिसमें जौनपुर के एक 90 वर्षीय याचिकाकर्ता शामिल...

अंतरिम निषेधाज्ञा का दावा 27 साल बाद उठा: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने A&C Act की धारा 37 के तहत अपील खारिज की, अत्यधिक देरी का हवाला दिया
'अंतरिम निषेधाज्ञा का दावा 27 साल बाद उठा': इलाहाबाद हाईकोर्ट ने A&C Act की धारा 37 के तहत अपील खारिज की, अत्यधिक देरी का हवाला दिया

इलाहाबाद ‌हाईकोर्ट ने हाल ही में मध्यस्थता और सुलह अधिनियम, 1996 की धारा 37 के तहत मेसर्स लॉ पब्लिशर्स और फर्म के एक भागीदार द्वारा दायर अपील को खारिज कर दिया है। यह अपील वाणिज्यिक न्यायालय द्वारा अधिनियम की धारा 9 के तहत आवेदन को खारिज करने के खिलाफ दायर की गई थी। अपीलकर्ता ने इस आधार पर न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था कि अपीलकर्ता ने 27 साल बाद यह अपील दायर की थी।चीफ ज‌स्टिस अरुण भंसाली और जस्टिस क्षितिज शैलेंद्र की पीठ ने कहा,“जबकि यह रिकॉर्ड में स्थापित नहीं हो पाया है कि 1996 के बाद से 27...

यूपी पुलिस नियम: अपील खारिज होने के बाद दोबारा मेडिकल टेस्ट का नियम नहीं – इलाहाबाद हाईकोर्ट
यूपी पुलिस नियम: अपील खारिज होने के बाद दोबारा मेडिकल टेस्ट का नियम नहीं – इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि उत्तर प्रदेश पुलिस कांस्टेबल और हेड कांस्टेबल सेवा नियम, 2015 के तहत डिवीजनल मेडिकल बोर्ड द्वारा अपील खारिज करने के बाद पुन: मेडिकल टेस्ट का कोई प्रावधान नहीं है।जस्टिस मनोज कुमार गुप्ता और जस्टिस राम मनोहर नारायण मिश्रा की खंडपीठ ने कहा,"सेवा नियमों के तहत, इसमें कोई संदेह नहीं है कि एक उम्मीदवार को लिखित परीक्षा पास करने के बाद मेडिकल बोर्ड द्वारा मेडिकल जांच से गुजरना पड़ता है, हालांकि, डिवीजनल मेडिकल बोर्ड के समक्ष अपील खारिज होने के बाद फिर से परीक्षा का कोई...

धर्म के क्षेत्र में राज्य को प्रवेश की अनुमति नहीं: हाईकोर्ट ने बांके बिहारी मंदिर ट्रस्ट अध्यादेश पर राज्य सरकार से किया सवाल
'धर्म के क्षेत्र में राज्य को प्रवेश की अनुमति नहीं': हाईकोर्ट ने बांके बिहारी मंदिर ट्रस्ट अध्यादेश पर राज्य सरकार से किया सवाल

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मंगलवार को उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 'उत्तर प्रदेश श्री बांके बिहारी जी मंदिर ट्रस्ट अध्यादेश 2025' लाने पर कड़ी मौखिक टिप्पणियां कीं, जिसमें वृंदावन (मथुरा) स्थित ऐतिहासिक बांके बिहारी मंदिर के प्रबंधन के लिए एक वैधानिक ट्रस्ट का प्रस्ताव है।जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल की पीठ ने धार्मिक क्षेत्र में प्रवेश करने के राज्य सरकार के संवैधानिक औचित्य पर सवाल उठाया।पीठ ने मौखिक रूप से इस प्रकार टिप्पणी की:हम राज्य को धर्म में प्रवेश करने की अनुमति नहीं देंगे। मैं सरकार से पूछूंगा कि...

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पिछली अस्वीकृति छुपाकर बार बार अनुकंपा नियुक्ति याचिका दायर करने वाले याचिकाकर्ता पर ₹25,000 का जुर्माना लगाया
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पिछली अस्वीकृति छुपाकर बार बार अनुकंपा नियुक्ति याचिका दायर करने वाले याचिकाकर्ता पर ₹25,000 का जुर्माना लगाया

पिछले हफ़्ते इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक वादी पर 25,000 रुपये का जुर्माना लगाया, जो अनुकंपा नियुक्ति के लिए अपने आवेदन पर विचार के लिए बार-बार हाईकोर्ट का रुख कर रहा था, जबकि उसका दावा 2011 में खारिज कर दिया गया था और 2011 के आदेश को चुनौती नहीं दी गई थी।याचिकाकर्ता के पिता की 2007 में सेवाकाल के दौरान मृत्यु हो जाने के बाद उसने अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन किया। 2011 में उसका दावा खारिज कर दिया गया। फिर भी याचिकाकर्ता ने 2011 के आदेश का खुलासा किए बिना 2016 में अपने दावे पर विचार के लिए हाईकोर्ट...

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 17 वर्षीय पीड़िता को स्वास्थ्य जोखिम के बावजूद 31 सप्ताह की प्रेग्नेंसी टर्मिनेट कराने की अनुमति दी
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 17 वर्षीय पीड़िता को स्वास्थ्य जोखिम के बावजूद 31 सप्ताह की प्रेग्नेंसी टर्मिनेट कराने की अनुमति दी

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने साढ़े 17 वर्षीय बलात्कार पीड़िता को 31 सप्ताह का गर्भ गिराने की अनुमति देते हुए कहा कि गर्भवती महिला की इच्छा और सहमति सर्वोपरि है। हालांकि गर्भ गिराने में मां और बच्चे की जान को खतरा था।मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी की याचिका को स्वीकार करते हुए जस्टिस मनोज कुमार गुप्ता और जस्टिस राम मनोहर नारायण मिश्रा की खंडपीठ ने कहा,“इस मामले में पूरे परामर्श सत्र के बावजूद याचिकाकर्ता और उसके माता-पिता गर्भ को पूरी अवधि तक ले जाने के लिए सहमत नहीं हुए। ऐसा सामाजिक कलंक और घोर गरीबी...

मध्यस्थता समझौते में केवल स्थान का उल्लेख है तो विपरीत संकेत के अभाव में स्थल को ही सीट माना जाएगा: इलाहाबाद हाईकोर्ट
मध्यस्थता समझौते में केवल 'स्थान' का उल्लेख है तो विपरीत संकेत के अभाव में स्थल को ही सीट माना जाएगा: इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि जब मध्यस्थता समझौते में केवल एक ही स्थान का उल्लेख है। उसे स्थान कहा गया तो उसे स्थान भी माना जाएगा, जब तक कि समझौते में कुछ विपरीत उल्लेख न किया गया हो।जस्टिस जसप्रीत सिंह ने कहा,"यदि मध्यस्थता समझौते में केवल एक ही स्थान का उल्लेख है। भले ही उसे 'स्थान' कहा गया हो, तो जब तक कि कोई विपरीत संकेत न हो, 'स्थान' को 'स्थान' माना जाएगा।"आवेदक ने मध्यस्थता एवं सुलह अधिनियम 1996 की धारा 11(6) के तहत इलाहाबाद हाईकोर्ट में मध्यस्थ की नियुक्ति के लिए आवेदन दायर किया। प्रतिवादी...