जनहित याचिका में मांग-आधिकारिक दस्तावेजों में इलाहाबाद हाईकोर्ट का नाम बदलकर 'हाईकोर्ट ऑफ उत्तर प्रदेश' किया जाए; वकील को नसीहत-'क़ानून पर बहस करें, भावनाओं से बचें'

LiveLaw News Network

16 April 2024 4:26 PM GMT

  • जनहित याचिका में मांग-आधिकारिक दस्तावेजों में इलाहाबाद हाईकोर्ट का नाम बदलकर हाईकोर्ट ऑफ उत्तर प्रदेश किया जाए; वकील को नसीहत-क़ानून पर बहस करें, भावनाओं से बचें

    इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है, जिसमें आधिकारिक दस्तावेजों में हाईकोर्ट का नाम बदलकर "उत्तर प्रदेश हाईकोर्ट" करने की मांग की गई है।

    चीफ जस्टिस अरुण भंसाली ने मंगलवार को याचिका पर सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील से अपनी भावनाओं को एक तरफ रखते हुए केवल कानूनी दलीलें पेश करने की नसीहत दी। चीफ जस्टिस भंसाली और जस्टिस जसप्रीत सिंह की पीठ ने मौखिक रूप से कहा, "अगर आपको यही सब बोलना है तो 5 मिनट और बोलिए। अगर कानूनी दलीलें देंगे तो सुना जाएगा आपको। भावनात्मक दलीलें मत दीजिए।"

    पीठ ने यह टिप्‍पणी याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील एडवोकेट अशोक पांडे की दलीलों को सुनने के बाद दी, जिसमें उन्होंने तर्क दिया था कि 'अवध' के अंतर्गत आने वाले जिले हाईकोर्ट की लखनऊ सीट के अधिकार क्षेत्र में आते हैं, हालांकि 'अवध' शब्द की कोई निश्चित परिभाषा नहीं है। उन्होंने कहा कि रामचरितमानस के अनुसार, 'अवध' उस स्थान को संदर्भित करता है जहां भगवान राम रहते हैं।

    उल्लेखनीय है कि लखनऊ सीट को पहले चीफ कोर्ट ऑफ अवध रूप में जाना जाता था, और संयुक्त प्रांत उच्च न्यायालय (एकीकरण) आदेश, 1948 के तहत, चीफ कोर्ट ऑफ अवध (वर्तमान में लखनऊ सीट) और इलाहाबाद हाईकोर्ट का एकीकरण कर दिया गया था।

    यह देखते हुए कि याचिकाकर्ता मामले में आगे बहस करना चाहता है, खंडपीठ ने मामले को 13 मई को आगे की सुनवाई के लिए पोस्ट कर दिया। मामले को स्थगित करते हुए पीठ ने टिप्पणी की, "अगर आप और बहस करना है तो हम अगली तारीख लगाते हैं।" .

    हाईकोर्ट के समक्ष पेश जनहित याचिका में केंद्र सरकार और अन्य प्राधिकारियों को सभी अधिसूचनाओं, संचारों, निर्णयों, आदेशों और फरमानों में हाईकोर्ट 'हाईकोर्ट ऑफ उत्तर प्रदेश' के रूप में संदर्भित करने का निर्देश देने की मांग की गई है।

    मौजूदा याचिका लखनऊ स्थित एडवोकेट दीपांकर कुमार ने दायर की है, जिसमें उन्होंने हाईकोर्ट के अधिकारियों को इसके नियमों (इलाहाबाद हाईकोर्ट रूल्स, 1952) का नाम बदलकर उत्तर प्रदेश हाईकोर्ट रूल्स करने और अपने आदेशों/निर्णय, नोटिसों और अधिसूचनाओं में हाईकोर्ट के 'प्रॉपर नेम' का उल्लेख करने का निर्देश देने की भी मांग की है।

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