सुप्रीम कोर्ट
BREAKING| गिरफ्तार व्यक्तियों के अधिकारों पर BNSS/CrPC प्रावधान GST & Customs Acts पर भी लागू: सुप्रीम कोर्ट: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने GST & Customs Acts के तहत गिरफ्तारी की शक्तियों पर एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया।कोर्ट ने माना कि अभियुक्त व्यक्तियों के अधिकारों पर दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) अब भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS)) के प्रावधान GST & Customs Acts दोनों के तहत की गई गिरफ्तारियों पर समान रूप से लागू होते हैं।अरविंद केजरीवाल मामले में यह कथन कि धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत गिरफ्तारी तभी की जानी चाहिए जब "विश्वास करने के लिए कारण" हों, GST & Customs गिरफ्तारियों के संदर्भ में भी...
अभियुक्त के खुलासे के आधार पर बरामदगी साबित नहीं होती तो साक्ष्य अधिनियम की धारा 27 अभियोजन पक्ष की सहायता नहीं कर सकती : सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने हत्या के अपराध में दोषी ठहराए गए दो व्यक्तियों को बरी करते हुए कहा कि मृतक के शव की खोज के लिए जिम्मेदार परिस्थितियां अपीलकर्ता के विरुद्ध सभी उचित संदेह से परे साबित नहीं हुई थीं। यह अवलोकन साक्ष्य अधिनियम की धारा 27 के संबंध में किया गया था, जो अभियुक्त से प्राप्त जानकारी के बारे में बात करती है जिसे साबित किया जा सकता है।यदि खोज को इकबालिया बयान के आगे साबित नहीं किया गया था, तो इकबालिया बयान को साक्ष्य अधिनियम की धारा 27 के अनुसार स्वीकार नहीं किया जा सकता है।जस्टिस अभय एस...
अनुपस्थिति को असाधारण अवकाश के रूप में नियमित किया गया तो कर्मचारी को 'सेवा में व्यवधान' का हवाला देकर पेंशन से वंचित नहीं किया जा सकता : सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि रिटायर सरकारी कर्मचारी को पेंशन लाभ से वंचित नहीं किया जा सकता, जिसकी ड्यूटी से अनधिकृत अनुपस्थिति को असाधारण अवकाश माना गया, जिससे उसकी सेवा नियमित हो गई।कोर्ट ने कहा कि यदि कर्मचारी के सेवा से लंबे समय तक अनुपस्थित रहने के बावजूद, उसकी अनुपस्थिति को असाधारण अवकाश मानकर उसकी सेवा को नियमित किया जाता है तो पेंशन लाभ से वंचित करने के लिए अनुपस्थिति को 'सेवा में व्यवधान' नहीं माना जा सकता।कोर्ट ने कहा,"हमारे विचार से असाधारण अवकाश देकर अनुपस्थिति की अवधि के दौरान एक बार...
किरायेदार मकान मालिक को दूसरी संपत्ति खाली कराने का आदेश नहीं दे सकता: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मकान मालिक या संपत्ति का मालिक सबसे अच्छा न्यायाधीश है कि किराए के परिसर के किस हिस्से को उनकी विशिष्ट जरूरतों को पूरा करने के लिए खाली किया जाना चाहिए, और किरायेदार केवल इस आधार पर बेदखली का विरोध नहीं कर सकता है कि मकान मालिक अन्य संपत्तियों का मालिक है।अदालत ने कहा, मकान मालिक की वास्तविक जरूरत के आधार पर वाद परिसर से किरायेदार को बेदखल करने के संबंध में कानून अच्छी तरह से तय है। परिसर को खाली कराने की इच्छा के बजाय आवश्यकता वास्तविक होनी चाहिए। मकान मालिक यह तय करने...
केंद्र ने दोषी राजनेताओं पर आजीवन प्रतिबंध लगाने की सुप्रीम कोर्ट में याचिका का विरोध किया, कहा- मामला पूरी तरह से संसदीय क्षेत्राधिकार में
केंद्र सरकार ने आपराधिक मामलों में दोषी ठहराए जाने पर राजनेताओं को चुनाव लड़ने से स्थायी रूप से प्रतिबंधित करने की याचिका का विरोध करते हुए सुप्रीम कोर्ट में जवाबी हलफनामा दायर किया।सरकार ने कहा कि अयोग्यता की अवधि ऐसा मामला है, जो पूरी तरह से विधायी नीति के दायरे में आता है। हलफनामा 2016 में वकील अश्विनी उपाध्याय द्वारा दायर एक याचिका के जवाब में दायर किया गया, जिसमें जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 8 और 9 की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गई।धारा 8 के अनुसार निर्दिष्ट अपराधों के लिए सजा...
'भूमि को अनिश्चित काल तक अधिग्रहण के बिना आरक्षित नहीं किया जा सकता': सुप्रीम कोर्ट ने MRTP Act की धारा 127 के तहत भूमि आरक्षण को समाप्त घोषित किया
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में कहा कि महाराष्ट्र क्षेत्रीय एवं नगर नियोजन अधिनियम, 1966 की धारा 127 के अनुसार, इस अधिनियम के तहत किसी भी योजना में निर्दिष्ट किसी भी उद्देश्य के लिए आरक्षित भूमि का उपयोग निर्धारित समय-सीमा के भीतर किया जाना चाहिए। अन्यथा, आरक्षण समाप्त माना जाएगा। न्यायालय ने यह भी कहा कि अधिनियम के तहत प्रदान की गई समय-सीमा पवित्र है और इसका राज्य या राज्य के अधीन अधिकारियों द्वारा पालन किया जाना चाहिए।जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की पीठ ने कहा,"भूमि मालिक को कई...
UP Govt के अधिकारी इलाज के लिए सिर्फ सरकारी अस्पतालों में ही जाएं: सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट का उक्त निर्देश खारिज किया
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (25 फरवरी) को इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा पारित उस आदेश को खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया था कि सरकारी अधिकारियों को उत्तर प्रदेश के सरकारी अस्पतालों से ही सेवाएं लेनी चाहिए। हाईकोर्ट ने 2018 में उत्तर प्रदेश राज्य के अस्पतालों की स्थिति सुधारने के लिए कई निर्देश जारी करते हुए यह निर्देश दिया था। सीजेआई संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की पीठ ने मौखिक रूप से टिप्पणी की कि निर्देशों ने नीतिगत निर्णयों में हस्तक्षेप किया है और मरीज़ द्वारा पसंद किए जाने वाले उपचार के विकल्प...
साक्ष्य अधिनियम की धारा 106 को सावधानी से लागू किया जाना चाहिए, इसका उपयोग अभियोजन पक्ष की अक्षमता को छिपाने के लिए नहीं किया जा सकता: सुप्रीम कोर्ट ने सिद्धांतों की व्याख्या की
सप्रीम कोर्ट ने हाल ही में दोहराया कि भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 की धारा 106 को आपराधिक मामलों में तब तक लागू नहीं किया जा सकता जब तक कि अभियोजन पक्ष प्रथम दृष्टया मामला स्थापित करने में सफल न हो जाए। साक्ष्य अधिनियम की धारा 106 के अनुसार, किसी व्यक्ति के विशेष ज्ञान में मौजूद चीजों को साबित करने का भार उस व्यक्ति पर होता है। यदि कोई तथ्य अभियुक्त के विशेष ज्ञान में है, तो बचाव पक्ष के लिए ऐसे तथ्य को साबित करने का भार अभियुक्त पर आ जाता है।न्यायालय ने याद दिलाया कि साक्ष्य अधिनियम की धारा...
CrPC की धारा 197 के तहत 'मान्य स्वीकृति' की कोई अवधारणा नहीं : सुप्रीम कोर्ट
पूर्व स्वीकृति के अभाव में लोक सेवक के खिलाफ मामला खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (25 फरवरी) को कहा कि निर्धारित समय के भीतर स्वीकृति प्रदान करने में स्वीकृति देने वाले प्राधिकारी की विफलता स्वीकृति को 'मान्य स्वीकृति' नहीं बनाती, क्योंकि दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 (CrPC) की धारा 197 के तहत ऐसी कोई अवधारणा मौजूद नहीं है।जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की खंडपीठ ने कहा,"CrPC की धारा 197 में मान्य स्वीकृति की अवधारणा की परिकल्पना नहीं की गई।"शिकायतकर्ता और अभियोजन पक्ष ने...
सुप्रीम कोर्ट ने दवा निर्माण कंपनी के पूर्व निदेशक के खिलाफ उनके इस्तीफे के बाद जब्त घटिया दवाओं का मामले खारिज किया
सुप्रीम कोर्ट ने दवा निर्माण कंपनी के पूर्व निदेशक के खिलाफ औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940 के तहत मामला खारिज कर दिया, जिस पर कथित तौर पर घटिया दवा बनाने के आरोप में छापा पड़ा था, यह देखते हुए कि निदेशक ने छापेमारी से पहले कंपनी से इस्तीफा दे दिया था।कोर्ट ने माना कि निदेशक को उनके इस्तीफे के बाद उत्पन्न होने वाली कंपनी के दायित्वों के लिए उत्तरदायी नहीं ठहराया जा सकता। चूंकि निदेशक ने 2009 में इस्तीफा दे दिया था, जबकि छापेमारी और दवा जब्ती 2010 में हुई थी, इसलिए कोर्ट ने अपीलकर्ता को...
'विधायी निर्णय' न्यायिक पुनर्विचार से मुक्त नहीं; अनुच्छेद 212(1) के तहत संरक्षण केवल 'विधानमंडल में कार्यवाही' के लिए है: सुप्रीम कोर्ट
'विधायी निर्णय' और 'विधानमंडल में कार्यवाही' के बीच अंतर करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में फैसले में कहा कि 'विधानमंडल में कार्यवाही' 'प्रक्रियात्मक अनियमितताओं' के आरोप के आधार पर पुनर्विचार से मुक्त है, लेकिन 'विधायी निर्णयों' की न्यायिक समीक्षा पर कोई पूर्ण प्रतिबंध नहीं है।जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एनके सिंह की खंडपीठ ने राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ कथित अपमानजनक टिप्पणी के लिए बिहार विधान परिषद से RJD MLC सुनील कुमार सिंह के निष्कासन को खारिज करते हुए फैसले में यह टिप्पणी...
JJ Act किशोर के दोषसिद्धि रिकॉर्ड के सार्वजनिक प्रकटीकरण पर रोक लगाता है; दोषसिद्धि के कारण बच्चे को कोई अयोग्यता नहीं झेलनी पड़ेगी: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किशोर न्याय अधिनियम, 2015 (JJ Act) की धारा 24, जिसमें कहा गया कि इस अधिनियम के तहत किसी अपराध के लिए दोषी ठहराए जाने के कारण बच्चे को अयोग्यता नहीं झेलनी पड़ेगी, प्रकृति में सुरक्षात्मक है। इसलिए ऐसे मामले जहां दोषसिद्धि के विवरण सार्वजनिक या आधिकारिक दस्तावेजों में दिखाई देते रहते हैं, विधायिका द्वारा इच्छित सुरक्षा को कमजोर करते हैं।जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने टिप्पणी की,"स्पष्ट रूप से यह बताते हुए कि "किसी बच्चे को ... दोषसिद्धि से जुड़ी...
सुप्रीम कोर्ट ने बैडमिंटन खिलाड़ी लक्ष्य सेन के खिलाफ उम्र में गड़बड़ी के मामले में दंडात्मक कार्रवाई पर रोक लगाई
सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी लक्ष्य सेन की विशेष अनुमति याचिका पर नोटिस जारी किया है जिसमें उन्होंने कम उम्र के बैडमिंटन टूर्नामेंट में भाग लेने के लिए जन्म प्रमाण पत्र में फर्जीवाड़ा करने के आरोप की जांच रद्द करने की उनकी याचिका खारिज करने के कर्नाटक हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी है।जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस के. विनोद चंद्रन की खंडपीठ ने नोटिस जारी किया और उनके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई पर रोक लगा दी। मामले की अगली सुनवाई 16 अप्रैल को होगी। नागराज एमजी द्वारा की गई निजी...
'फर्जी' मुठभेड़ों की जांच पर जनहित याचिका | जांच से अधिकारियों का मनोबल गिरेगा – असम पुलिस, सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा
सुप्रीम कोर्ट ने असम में बड़े पैमाने पर "फर्जी" मुठभेड़ों के साथ-साथ पीयूसीएल बनाम महाराष्ट्र राज्य (पुलिस मुठभेड़ों की जांच से संबंधित) में जारी निर्देशों का राज्य के अधिकारियों द्वारा अनुपालन न करने का आरोप लगाने वाली याचिका पर आज आदेश सुरक्षित रखा।जस्टिस कांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई की। संक्षेप में कहें तो सुप्रीम कोर्ट के समक्ष याचिका ने गुवाहाटी हाईकोर्ट के एक आदेश को चुनौती दी, जिसके तहत याचिकाकर्ता की जनहित याचिका को खारिज कर दिया गया, क्योंकि हाईकोर्ट...
सुप्रीम कोर्ट ने टीडीपी कार्यालय और नायडू के आवास पर हमले के मामले में YSRCP नेताओं को अग्रिम जमानत दी
सुप्रीम कोर्ट ने आज (25 फरवरी) को वाईएसआर कांग्रेस पार्टी (YSRCP) के विजयवाड़ा पूर्व समन्वयक देवीनेनी अविनाश को अग्रिम जमानत दे दी। आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने अक्टूबर 2021 में वाईएसआरसीपी शासन के दौरान मंगलगिरी में तेलुगु देशम पार्टी के केंद्रीय कार्यालय एनटीआर भवन में कथित रूप से तोड़फोड़ करने के लिए उनकी अग्रिम जमानत खारिज कर दी थी। अविनाश पिछले साल सितंबर से अंतरिम संरक्षण पर हैं। याचिकाकर्ता पर भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 147, 148, 452, 427, 323, 506, 324 के साथ 149 और धारा 326, 307, 450,...
'बच्चा एक सक्षम गवाह': सुप्रीम कोर्ट ने बाल गवाह की गवाही पर कानून की समरी प्रस्तुत की
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (24 फरवरी) अपनी पत्नी की हत्या के आरोपी एक व्यक्ति को बरी करने के फैसले को पलटते हुए कहा कि उसकी सात वर्षीय बेटी की गवाही विश्वसनीय है। कोर्ट ने परिस्थितिजन्य साक्ष्य के आधार पर आरोपी को दोषी पाया और माना कि अपनी पत्नी की मौत की परिस्थितियों को स्पष्ट करने में उसकी विफलता, जो उसके घर की चारदीवारी के भीतर हुई थी और उस समय केवल उनकी बेटी मौजूद थी, साक्ष्य अधिनियम की धारा 106 के अनुसार एक प्रासंगिक परिस्थिति थी। बाल गवाह की गवाही पर बहुत अधिक भरोसा करते हुए, कोर्ट ने कहा कि...
जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने सुप्रीम कोर्ट में हलाल सर्टिफिकेशन पर केंद्र की दलीलों पर आपत्ति जताई, बताया- 'भ्रामक'
जमीयत उलेमा-ए-हिंद हलाल ट्रस्ट ने सुप्रीम कोर्ट में हलाल प्रमाणन के मुद्दे पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की ओर से दिए गए बयानों पर हलफनामा दायर की आपत्ति जताई है। ट्रस्ट ने बयानों का भ्रामक बताया है। उल्लेखनीय है कि ट्रस्ट उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से हलाल प्रमाणित उत्पादों पर प्रतिबंध लगाने के खिलाफ़ याचिकाकर्ताओं में से एक है। पिछली सुनवाई के दरमियान मेहता ने कहा था कि हलाल प्रमाणित करने वाली एजेंसियां प्रमाणन प्रक्रिया से "कुछ लाख करोड़" कमाती हैं और कोर्ट को इस बड़े मुद्दे पर विचार...
GST Act | क्या S.168A के तहत अधिसूचना द्वारा कारण बताओ नोटिस पर निर्णय लेने की समय-सीमा बढ़ाई जा सकती है? सुप्रीम कोर्ट करेगा विचार
सुप्रीम कोर्ट को यह तय करना है कि क्या GST Act की धारा 168-ए के तहत अधिसूचना जारी करके कारण बताओ नोटिस पर निर्णय लेने और आदेश पारित करने की समय-सीमा बढ़ाई जा सकती है। यह प्रावधान सरकार को अधिनियम के तहत निर्धारित समय-सीमा को बढ़ाने के लिए अधिसूचना जारी करने का अधिकार देता है, जिसका अनुपालन अनिवार्य कारणों से नहीं किया जा सकता है।जस्टिस जे.बी. पारदीवाला और जस्टिस आर. महादेवन की खंडपीठ ने टिप्पणी की,"इस न्यायालय के विचारणीय मुद्दे यह हैं कि क्या GST Act की धारा 73 और SGST Act (तेलंगाना जीएसटी...
Sambhal Mosque Case | मस्जिद के पास कुआं सार्वजनिक भूमि पर स्थित है, मस्जिद से इसका कोई संबंध नहीं: यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में बताया
मस्जिद के पास स्थित एक कुएं पर संभल शाही जामा मस्जिद समिति के दावों को नकारते हुए उत्तर प्रदेश राज्य ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि संबंधित कुआं सार्वजनिक भूमि पर स्थित है।सुप्रीम कोर्ट में दाखिल स्टेटस रिपोर्ट में राज्य ने कहा कि स्थानीय रूप से "धरणी वराह कूप" के रूप में जाना जाने वाला विषय कुआं मुगल-युग की संरचना (जिसे राज्य ने "विवादित धार्मिक संरचना" के रूप में वर्णित किया) के अंदर स्थित नहीं है। रिपोर्ट में कहा गया कि कुएं का "मस्जिद/विवादित धार्मिक स्थल" से कोई संबंध या जुड़ाव नहीं...
Challenge To Delhi HC's Senior Designations | स्थायी समिति नामों की सिफारिश नहीं कर सकती, केवल अंक दे सकती है: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संवैधानिक न्यायालय की स्थायी समिति का काम सीनियर एडवोकेट के रूप में डेजिग्नेशन के लिए उम्मीदवारों को अंक देने तक सीमित है। उसके पास सिफारिशें करने का अधिकार नहीं है।जस्टिस अभय एस ओक और जस्टिस उज्जल भुयान की खंडपीठ दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा 70 वकीलों को सीनियर एडवोकेट के रूप में नामित करने को चुनौती देने वाली रिट याचिका पर सुनवाई कर रही थी।जस्टिस ओक ने कहा,"किस कानून के तहत समिति सिफारिश कर सकती है? इंदिरा जयसिंह मामले में दिए गए फैसले में सिफारिश करने का कोई अधिकार नहीं है।...




















