सुप्रीम कोर्ट
BREAKING| जिला जज के पदों पर न्यायिक अधिकारियों के लिए कोई कोटा नहीं: सुप्रीम कोर्ट ने जारी किए दिशानिर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को जिला जजों के पदों पर पदोन्नत जजों के लिए किसी स्पेशल कोटा/वेटेज की संभावना को खारिज कर दिया। साथ ही कहा कि उच्च न्यायिक सेवा में सीधी भर्ती के असमान प्रतिनिधित्व का कोई राष्ट्रव्यापी पैटर्न नहीं है।कोर्ट ने कहा कि न्यायिक अधिकारियों के बीच "नाराजगी" की भावना उच्च न्यायिक सेवा (HJS) संवर्ग के भीतर किसी भी कृत्रिम वर्गीकरण को उचित नहीं ठहरा सकती। विभिन्न स्रोतों (नियमित पदोन्नति, सीमित विभागीय प्रतियोगी परीक्षा और सीधी भर्ती) से एक सामान्य संवर्ग में प्रवेश और वार्षिक...
Delhi Riots UAPA Case | उमर खालिद ज़मानत पाने वाले अन्य आरोपियों के साथ समानता का दावा नहीं कर सकते: सुप्रीम कोर्ट में बोली दिल्ली पुलिस
दिल्ली पुलिस ने सोमवार (18 नवंबर) को सुप्रीम कोर्ट में दलील दी कि उमर खालिद, दिल्ली दंगों की व्यापक साजिश मामले में सह-आरोपी देवांगना कलिता, नताशा नरवाल और आसिफ इकबाल तन्हा के साथ समानता का दावा नहीं कर सकते, क्योंकि दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा उन्हें ज़मानत देने का 2021 का आदेश गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) की गलत व्याख्या पर आधारित था।पुलिस की ओर से पेश हुए एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने दलील दी कि तीनों के पक्ष में दिल्ली हाईकोर्ट के 2021 के ज़मानत फैसले में यह गलत धारणा दी गई कि...
जाली डिग्री सर्टिफिकेट के आधार पर नियुक्ति पाना अक्षम्य: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब किसी अभ्यर्थी की नियुक्ति जाली शैक्षिक प्रमाण पत्र के आधार पर होती है तो यह कृत्य "अक्षम्य" है और केवल इसलिए बर्खास्तगी को अमान्य नहीं माना जाएगा, क्योंकि पूरी विभागीय जांच नहीं की गई।जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की खंडपीठ ने दिल्ली पुलिस कांस्टेबल की बर्खास्तगी को बहाल करते हुए कहा कि जब जालसाजी के मूल आरोप का खंडन नहीं किया जाता है तो औपचारिक जांच का अभाव बर्खास्तगी आदेश को अमान्य नहीं करता।कोर्ट ने कहा,"यह भी स्वीकार किया जाता है कि...
गलत ट्रेन में चढ़ने को आधार बनाकर मुआवजा से इनकार नहीं कर सकता रेलवे: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण निर्णय में मृतक युवक के माता-पिता को 8 लाख रुपये का मुआवजा, 9% ब्याज सहित, देने का आदेश दिया है। युवक की मौत उस समय हुई थी जब वह गलती से गलत ट्रेन में चढ़ गया था और रेलवे ने इस आधार पर मुआवजा देने से इनकार कर दिया था।रेलवे ने अपने बचाव में दावा किया था कि मृतक के पास सतना से मैहर तक का वैध टिकट था, लेकिन वह गलती से ऐसी ट्रेन में चढ़ गया जो मैहर स्टेशन पर नहीं रुकती थी। रेलवे के अनुसार, जब मृतक को अपनी गलती का एहसास हुआ तो उसने चलती ट्रेन से उतरने की...
BREAKING| सुप्रीम कोर्ट ने विभिन्न राज्य बार काउंसिल चुनावों के लिए संशोधित कार्यक्रम निर्धारित किया, निगरानी के लिए समितियां गठित कीं
सुप्रीम कोर्ट ने 16 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में राज्य बार काउंसिल के चुनाव कराने की समय-सारिणी में संशोधन किया और आदेश दिया कि ये चुनाव 31 जनवरी, 2026 से 30 अप्रैल, 2026 के बीच पांच चरणों में कराए जाएं।चुनावों को सुगम बनाने के लिए कोर्ट ने क्षेत्रीय स्तर पर उच्चाधिकार प्राप्त चुनाव निगरानी समितियों (HPEMC) के साथ-साथ उच्चाधिकार प्राप्त पर्यवेक्षी समिति (जिसकी अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट के एक पूर्व जज करेंगे) का गठन किया। समितियों के सदस्यों को कोर्ट द्वारा अपलोड किए गए अपने आदेश में सूचित...
BREAKING| सुप्रीम कोर्ट ने 'वनशक्ति' मामले में कार्योत्तर पर्यावरणीय मंज़ूरी देने पर रोक लगाने वाला फैसला वापस लिया, जस्टिस भुयान ने जताई असहमति
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (18 नवंबर) को 2:1 के बहुमत से वनशक्ति मामले में अपने उस फैसले को वापस ले लिया, जिसमें केंद्र सरकार को कार्योत्तर पर्यावरणीय मंज़ूरी देने से रोक दिया गया था।वनशक्ति बनाम भारत संघ मामले में जस्टिस अभय एस. ओक और जस्टिस उज्ज्वल भुयान की खंडपीठ ने 15 मई को दिए गए अपने फैसले में केंद्र सरकार को भविष्य में "कार्योत्तर" पर्यावरणीय मंज़ूरी (EC) देने से रोक दिया और खनन परियोजनाओं के लिए कार्योत्तर पर्यावरणीय मंज़ूरी देने की अनुमति देने वाले पिछले कार्यालय ज्ञापनों और अधिसूचनाओं को...
कुछ अपराध समझौते के आधार पर रद्द कर दिए जाते हैं तो उसी लेन-देन से संबंधित अन्य अपराधों के लिए FIR कायम नहीं रखी जा सकती: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (17 नवंबर) को बॉम्बे हाईकोर्ट की औरंगाबाद पीठ के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें कुछ आरोपों को हटाकर FIR आंशिक रूप से रद्द कर दी गई थी, जबकि डकैती के आरोप को बरकरार रखा गया था, जबकि सभी कथित अपराध एक ही लेन-देन से उत्पन्न हुए थे और एक ही घटना का परिणाम थे।कोर्ट ने कहा,"एक बार जब हाईकोर्ट ने प्रतिवादी नंबर 2-शिकायतकर्ता के स्वैच्छिक हलफनामे के आधार पर BNS की धारा 115(2), 351(2), 351(3) और 352 [IPC की धारा 326, 506 और 504] के तहत दंडनीय अपराधों के संबंध में FIR रद्द करने के...
गवाहों से वर्चुअल माध्यम से पूछताछ की जाती है तो उनके पूर्व बयान उन्हें इलेक्ट्रॉनिक रूप से प्रेषित किए जाने चाहिए: सुप्रीम कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट से कहा
सोमवार (17 नवंबर) को एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने वर्चुअल ट्रायल में महत्वपूर्ण प्रक्रियात्मक कमी को दूर करने के लिए बाध्यकारी निर्देश जारी किया।जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की खंडपीठ ने आदेश दिया कि सभी कार्यवाहियों में जहां किसी गवाह से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पूछताछ की जाती है, ट्रायल कोर्ट को गवाह के पूर्व बयानों को इलेक्ट्रॉनिक रूप से प्रेषित करने की सुविधा प्रदान करनी चाहिए।अदालत ने कहा कि यह उपाय उस "प्रक्रियात्मक अनियमितता" को दूर करता है, जिससे...
Maharashtra Local Body Elections | 'आरक्षण 50 प्रतिशत से अधिक नहीं हो सकता, अधिकारियों ने हमारे आदेश को गलत समझा': सुप्रीम कोर्ट
महाराष्ट्र स्थानीय निकाय चुनाव मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मौखिक रूप से कहा कि कुल आरक्षण 50 प्रतिशत से अधिक नहीं हो सकता और राज्य के अधिकारियों ने उसके आदेश को गलत समझा।जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई की।जस्टिस कांत ने सुनवाई के दौरान इस बात पर ज़ोर देते हुए कि न्यायालय ने आरक्षण को 50% से अधिक करने की अनुमति देने वाला कोई आदेश पारित नहीं किया, कहा,"हम इस मामले में बिल्कुल स्पष्ट हैं। जब हमने कहा कि चुनाव मौजूदा क़ानून के अनुसार ही होने चाहिए तो क़ानून...
गवाह को TIP से पहले अभियुक्त को देखने का अवसर मिला था तो आइडेंटिफिकेशन टेस्ट की कार्यवाही विश्वसनीय नहीं: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (17 नवंबर) को डकैती के दौरान एक वृद्ध व्यक्ति की हत्या के आरोपी व्यक्ति को बरी कर दिया। न्यायालय ने घटना के लगभग आठ साल बाद एकमात्र प्रत्यक्षदर्शी द्वारा की गई अभियुक्त की पहचान यह देखते हुए खारिज की कि उसकी कमज़ोर दृष्टि और बाद में गवाही में हुए सुधार के कारण यह विश्वास पैदा नहीं कर सकती।जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की खंडपीठ ने कहा,"एक बार जब अभियुक्त-अपीलकर्ता की न्यायालय में की गई पहचान खारिज कर दी जाती है तो अभियुक्त को अपराध से जोड़ने के लिए कोई ठोस सबूत...
सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों को मानव-वन्यजीव संघर्ष को 'प्राकृतिक आपदा' मानने पर विचार करने का निर्देश दिया, पीड़ितों को 10 लाख रुपये देने का आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों को मानव-वन्यजीव संघर्ष को "प्राकृतिक आपदा" के रूप में वर्गीकृत करने पर सक्रिय रूप से विचार करने और ऐसी घटनाओं में हुई प्रत्येक मानव मृत्यु के लिए 10 लाख रुपये की अनुग्रह राशि का भुगतान सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है। न्यायालय ने कहा कि यह एकसमान मुआवज़ा अनिवार्य है, जैसा कि पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा वन्यजीव आवासों के एकीकृत विकास की सीएसएस योजना के तहत निर्धारित किया गया है।चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) बीआर गवई, जस्टिस एजी मसीह और जस्टिस एएस...
कॉर्बेट टाइगर रिज़र्व में हुई पारिस्थितिक तबाही की भरपाई करें, अवैध निर्माण गिराएं : सुप्रीम कोर्ट का उत्तराखंड सरकार को सख्त आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को उत्तराखंड सरकार को कॉर्बेट टाइगर रिज़र्व में अवैध पेड़ कटान और अनधिकृत निर्माणों से हुई व्यापक पारिस्थितिक क्षति की तत्काल भरपाई करने और सभी अवैध संरचनाओं को गिराने के सख्त निर्देश दिए।ये आदेश मार्च 2024 के उस फैसले के अनुपालन में जारी किए गए, जिसमें रिज़र्व क्षेत्र में बड़े पैमाने पर नियमों के उल्लंघन की पुष्टि हुई थी।चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) बी आर गवई, जस्टिस के. विनोद चंद्रन और जस्टिस एन.वी. अंजारिया की पीठ ने अपने विस्तृत निर्देशों में कहा कि कॉर्बेट में अनधिकृत...
ज़मानत याचिका खारिज होने के बाद हिरासत में लिए गए अभियुक्तों की रिहाई के लिए बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका जारी नहीं की जा सकती: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें एक अभियुक्त को उसकी लगातार चार ज़मानत याचिकाएं खारिज होने के बाद बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका के माध्यम से रिहा करने का निर्देश दिया गया। जस्टिस राजेश बिंदल और जस्टिस मनमोहन की खंडपीठ ने हाईकोर्ट के दृष्टिकोण को "कानून की दृष्टि से पूरी तरह से अज्ञात" और "इस न्यायालय की अंतरात्मा को झकझोरने वाला" बताते हुए राज्य की अपील स्वीकार कर ली।यह मामला भोपाल में 2021 में दर्ज धोखाधड़ी और आपराधिक विश्वासघात के एक मामले में आरोपी...
आरोपी के पापों का भार उसके परिवार के सदस्यों पर नहीं डाला जा सकता: सुप्रीम कोर्ट
एक आरोपी के भाई द्वारा दिया गया वचन खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक आदेश में कहा कि आरोपी के पापों का भार उसके परिवार के सदस्यों पर नहीं डाला जा सकता।जस्टिस मनमोहन और जस्टिस एनवी अंजारिया की खंडपीठ ने लगभग 2.91 करोड़ रुपये मूल्य के 731.075 किलोग्राम गांजा रखने के आरोपी व्यक्ति की जमानत रद्द करते हुए यह टिप्पणी की।सुप्रीम कोर्ट के समक्ष, प्रतिवादी के वकील ने दलील दी कि आरोपी के भाई, जो भारतीय सेना में सिपाही है, ने वचन दिया कि आरोपी फरार नहीं होगा।इस दलील को खारिज करते हुए कोर्ट ने...
रिट कार्यवाही का लंबित रहना वैकल्पिक वैधानिक उपायों का लाभ न उठाने का कोई आधार नहीं: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि रिट याचिका के लंबित रहने मात्र से वादियों को विशेष कानूनों के तहत प्रदान किए गए वैकल्पिक समयबद्ध उपायों का उपयोग करने के उनके दायित्व से मुक्ति नहीं मिलती।जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस विपुल एम. पंचोली की खंडपीठ ने एक वादी द्वारा दायर अपील खारिज की, जिसने अपनी संपत्ति की नीलामी को चुनौती देने के लिए तमिलनाडु राजस्व वसूली अधिनियम, 1864 के तहत वैकल्पिक वैधानिक उपाय होने के बावजूद, एक रिट याचिका के माध्यम से मद्रास हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने का विकल्प चुना। अपीलकर्ता ने...
केंद्र सरकार को बेनामी अधिनियम के मामलों की समीक्षा की अनुमति देने वाला 2024 का आदेश 'गणपति डीलकॉम' के आधार पर लिया गया निर्णय गलत: सुप्रीम कोर्ट
यह देखते हुए कि किसी पूर्व उदाहरण को बाद में खारिज करना समीक्षा का आधार नहीं है, सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में केंद्र सरकार द्वारा दायर याचिका खारिज की, जिसमें गणपति डीलकॉम मामले में 2022 के फैसले के आधार पर पारित आदेश की समीक्षा की मांग की गई थी, जिसमें बेनामी लेनदेन (निषेध) अधिनियम 1988 के कुछ प्रावधानों को रद्द कर दिया गया था।2022 के फैसले को बाद में अक्टूबर, 2024 में भारत संघ बनाम मेसर्स गणपति डीलकॉम प्राइवेट लिमिटेड (आर.पी.(सी) संख्या 359/2023) मामले में तीन जजों की पीठ द्वारा समीक्षा के लिए...
समय सीमा बढ़ाने के लिए ट्रायल जज सीधे सुप्रीम कोर्ट को न लिखें: सुप्रीम कोर्ट ने फिर दोहराया निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक बार फिर उस प्रथा पर असंतोष जताया, जिसमें ट्रायल कोर्ट के जज सीधे सुप्रीम कोर्ट को पत्र भेजकर ट्रायल पूरी करने के लिए निर्धारित समय सीमा बढ़ाने का अनुरोध करते हैं। कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि ऐसी सभी संचार प्रक्रियाएँ हाईकोर्ट के माध्यम से ही भेजी जानी चाहिए।जस्टिस जे.के. महेश्वरी और जस्टिस के. विनोद चंद्रन की खंडपीठ को बताया गया कि ट्रायल कोर्ट के जज ने समय विस्तार मांगते हुए एक आवेदन दाखिल किया है, लेकिन उसमें आवश्यक विवरण नहीं दिए गए थे। इस पर जस्टिस महेश्वरी ने...
S.138 NI Act | चेक बाउंस मामलों के निपटारे के लिए लगने वाले खर्च पर 'दामोदर प्रभु फैसले' में दिशानिर्देश बाध्यकारी नहीं: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट, 1881 (NI Act) की धारा 138 के तहत दोषी ठहराए गए व्यक्ति पर बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा लगाया गया जुर्माना रद्द कर दिया। कोर्ट ने यह भी कहा कि शिकायतकर्ता को समझौते पर कोई आपत्ति नहीं थी और अपीलकर्ता राशि का भुगतान करने में असमर्थ था।जस्टिस एम.एम. सुंदरेश और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की खंडपीठ ने कहा कि दामोदर एस. प्रभु बनाम सैयद बाबालाल एच. फैसले में दिए गए दिशानिर्देश, जो NI Act में मामले के निपटारे के चरण के आधार पर जुर्माने लगाने का प्रावधान...
दक्षता और लाभ बढ़ाने के लिए सॉफ़्टवेयर ख़रीदने वाली कंपनी उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत "उपभोक्ता" नहीं: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (13 नवंबर) को फैसला सुनाया कि लाभ कमाने से जुड़े 'व्यावसायिक उद्देश्य' से उत्पाद ख़रीदने वाले व्यक्ति को उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अंतर्गत उपभोक्ता नहीं माना जा सकता।जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की खंडपीठ ने अपीलकर्ता-सॉफ़्टवेयर कंपनी द्वारा प्रतिवादी-विक्रेता के विरुद्ध दायर उपभोक्ता शिकायत खारिज करने का फ़ैसला बरकरार रखा, जिसमें अपीलकर्ता द्वारा अपनी व्यावसायिक प्रक्रियाओं के स्वचालन के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले दोषपूर्ण सॉफ़्टवेयर लाइसेंस को...
NDPS Act - वाणिज्यिक मात्रा में मादक पदार्थों के मामलों में धारा 37 की शर्तें पूरी न होने पर लंबी हिरासत और ट्रायल में देरी ज़मानत का आधार नहीं: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि NDPS Act की धारा 37 के तहत अनिवार्य दोहरी शर्तों के पूरा न होने पर, मादक पदार्थों की वाणिज्यिक मात्रा से जुड़े मामलों में मुकदमे में देरी या लंबी कैद अपने आप में ज़मानत देने का औचित्य नहीं ठहरा सकती। कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट के दो आदेशों को रद्द कर दिया, जिनमें राजस्व खुफिया निदेशालय (DRI) द्वारा जांच की गई कोकीन और मेथामफेटामाइन की बड़ी ज़ब्ती के आरोपी विगिन के. वर्गीस को ज़मानत दी गई।जस्टिस अरविंद कुमार और जस्टिस एन. वी. अंजारिया की खंडपीठ ने मामले को नए सिरे...




















