Lok Sabha Elections : सुप्रीम कोर्ट ने निर्दलीय उम्मीदवार का नामांकन खारिज करने को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई से किया इनकार

Shahadat

31 May 2024 8:37 AM GMT

  • Lok Sabha Elections : सुप्रीम कोर्ट ने निर्दलीय उम्मीदवार का नामांकन खारिज करने को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई से किया इनकार

    सुप्रीम कोर्ट ने अभिषेक डांगी द्वारा दायर याचिका पर विचार करने से इनकार किया। उक्त याचिका में उन्होंने लोकसभा चुनाव 2024 में निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में जहानाबाद (बिहार) निर्वाचन क्षेत्र से अपना नामांकन खारिज किए जाने को चुनौती दी थी।

    जस्टिस संजय करोल और जस्टिस अरविंद कुमार की पीठ पटना हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती देने वाली विशेष अनुमति याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें उनके द्वारा दायर रिट याचिका को खारिज कर दिया गया था।

    हाईकोर्ट के समक्ष यह तर्क दिया गया कि 15 मई, 2024 को रिटर्निंग ऑफिसर, जहानाबाद द्वारा डांगी का नामांकन अत्यधिक तकनीकी आधार पर खारिज कर दिया गया। यह देखते हुए कि इस निर्वाचन क्षेत्र के लिए मतदान की तारीख 01 जून, 2024 है, भारत के चुनाव आयोग (ECI) से उक्त नामांकन को स्वीकार करने के लिए निर्देश मांगा गया।

    जस्टिस करोल ने याचिकाकर्ता के वकील से लेटर पेटेंट अपील के माध्यम से खंडपीठ से संपर्क करने को कहा। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि वर्तमान मामले में चुनाव याचिका भी दायर की जा सकती है। तदनुसार, वकील ने याचिका वापस ले ली।

    इस प्रकार, निम्नलिखित आदेश पारित किया गया:

    “वकील संवैधानिक न्यायालय के समक्ष उपलब्ध उपाय को समाप्त करने के लिए वर्तमान याचिका को वापस लेने की अनुमति चाहता है।”

    आक्षेपित आदेश का विवरण

    गौरतलब है कि ECI ने भारत के संविधान के अनुच्छेद 329 के मद्देनजर याचिका की स्थिरता को चुनौती दी। यह भी प्रस्तुत किया गया कि अनुच्छेद में 'चुनाव' शब्द चुनाव की अधिसूचना से शुरू होने वाली और परिणाम की घोषणा में समाप्त होने वाली पूरी चुनावी प्रक्रिया को दर्शाता है। इसलिए एक बार शुरू होने के बाद चुनावी प्रक्रिया में न्यायालय द्वारा किसी भी मध्यवर्ती चरण में हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता है।

    न्यायालय ने पाया कि नामांकन पत्रों को स्वीकार या अस्वीकार करने वाले रिटर्निंग अधिकारियों के आदेश के खिलाफ जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 द्वारा कोई अपील प्रदान नहीं की गई। इसके अलावा, न्यायालय ने एन.पी. पोन्नुस्वामी बनाम रिटर्निंग अधिकारी, नमक्कल निर्वाचन क्षेत्र और अन्य के मामले का हवाला दिया। इसमें न्यायालय ने स्पष्ट रूप से माना कि अनुच्छेद 329 (बी) द्वारा बनाया गया प्रतिबंध, नामांकन पत्रों को स्वीकार या अस्वीकार करने वाले रिटर्निंग अधिकारी के आदेशों पर लागू होता है। परिणामस्वरूप, इन आदेशों को भी चुनाव याचिका में चुनौती देनी होगी, न कि अन्यथा चुनाव-पूर्व चरण में।

    तत्काल संदर्भ के लिए अनुच्छेद 329 (बी) में कहा गया,

    "संसद के किसी भी सदन या किसी राज्य के विधानमंडल के किसी भी सदन के लिए कोई भी चुनाव ऐसे प्राधिकारी को प्रस्तुत चुनाव याचिका के अलावा और ऐसे तरीके से नहीं बुलाया जाएगा, जैसा कि उपयुक्त विधानमंडल द्वारा बनाए गए किसी कानून द्वारा या उसके तहत प्रदान किया जा सकता है।"

    1951 के अधिनियम की धारा 80 द्वारा भी इसी तरह का प्रतिबंध बनाया गया, जिसमें लिखा है,

    "इस भाग के प्रावधानों के अनुसार प्रस्तुत चुनाव याचिका के अलावा किसी भी चुनाव को प्रश्नगत नहीं बुलाया जाएगा।"

    इन तथ्यों और तर्कों के आधार पर हाईकोर्ट ने कहा,

    "इसलिए केंद्रीय या राज्य विधानमंडल के चुनाव में नामांकन पत्र की स्वीकृति या अस्वीकृति को चुनौती देने वाला कोई मुकदमा, अपील या रिट याचिका सक्षम नहीं है।"

    केस टाइटल: अभिषेक डांगी बनाम भारत का चुनाव आयोग, डायरी नंबर - 25031/2024

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