SC के ताज़ा फैसले
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, पीड़िता को यौन संबंधों की आदत होना, रेप के आरोप में बचाव का वैध आधार नहीं
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि बलात्कार की शिकार महिला को सेक्स की आदत है, तो भी ये तथ्य बलात्कार के कृत्य के लिए वैध बचाव नहीं हो सकता है। मामले में रिजवान पर एक नाबालिग लड़की से बलात्कार का आरोप था। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आरोपी द्वारा दायर जमानत याचिका को अनुमति देने के लिए उस मेडिकल जांच रिपोर्ट पर गौर किया, जिसमें कहा गया था कि अभियोजन पक्ष ने पीड़िता को कोई आंतरिक या बाहरी चोट नहीं पहुंचाई और उसे सेक्स करने की आदत थी। उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ की गई अपील में भारत के मुख्य न्यायाधीश...
ज़मानत के गैर-ज़िम्मेदाराना आदेशों से अंदेशा होता है कि कोर्ट ने दिमाग का इस्तेमाल नहीं कियाः सुप्रीम कोर्ट
बेंच ने कहा कि हाईकोर्ट द्वारा पास किए गए ऑर्डर से लगता है कि वह भौतिक तथ्यों पर गौर करने में विफल रहा और अपराध की गंभीरता और पूर्व में संदर्भित परिस्थितियों, जिन्हें ध्यान में रखाना चाहिए, उन पर दिमाग नहीं लगाया गया।
किराया क़ानून के लिए धार्मिक संस्थानों की परिसंपत्ति का अलग वर्गीकरण अनुच्छेद 14 का उल्लंघन नहीं : सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब धार्मिक परिसर और भूमि (बेदखली और किराया वसूली) अधिनियम को संवैधानिक रूप से वैध ठहराते हुए कहा कि धार्मिक संस्थानों की परिसंपत्तियों का किराया क़ानून के लिए अलग से वर्गीकरण संविधान के अनुच्छेद 14 के खिलाफ नहीं है। न्यायमूर्ति एनवी रमना, न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी की पीठ हरभजन सिंह बनाम पंजाब राज्य मामले में पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में इस दलील को ठुकरा दिया था कि धार्मिक...
Cr.PC की धारा 482: हाईकोर्ट को उपलब्ध साक्ष्यों की वैधता की जांच की शुरुआत नहीं करनी चाहिए : सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने दोहराया है कि शिकायत या आरोप को रद्द करने के लिए Cr.PC की धारा 482 के तहत शक्तियों का आह्वान करते हुए उच्च न्यायालय को उपलब्ध साक्ष्य की वैधता की जांच की शुरुआत नहीं करनी चाहिए। एम जयंती बनाम केआर मीनाक्षी मामले में एक महिला ने मजिस्ट्रेट के समक्ष एक शिकायत की जिसमें आरोप लगाया गया कि उसके पति ने दूसरी महिला से शादी करके द्विविवाह (आईपीसी की धारा 494) का अपराध किया है।आरोपी पति द्वारा सीआरपीसी की धारा 482 के तहत दायर याचिका पर उच्च न्यायालय ने शिकायत को मुख्य रूप से इस आधार पर...
सुप्रीम कोर्ट ने उस मजिस्ट्रेट की बर्ख़ास्तगी को जायज़ ठहराया जिसने एक महिला वक़ील के पक्ष में फ़ैसला दिया था, पढ़िए फैसला
एक क्लाइंट और एक महिला वक़ील के रिश्तेदारों के पक्ष में फ़ैसला देने के आरोप में नौकरी से हटाए गए मजिस्ट्रेट को कोई भी राहत देने से सुप्रीम कोर्ट ने इंकार कर दिया। ऐसा माना जाता है कि इस महिला के साथ उनका कथित रूप से नज़दीकी संबंध था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सार्वजनिक और निजी जीवन में एक न्यायिक मजिस्ट्रेट की ईमानदारी संदेह से परे होनी चाहिए। मजिस्ट्रेट की अपील को ख़ारिज करते हुए न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और अनिरुद्ध बोस की पीठ ने कहा कि 'परितोषण' का मतलब सिर्फ़ मौद्रिक परितोषण ही नहीं होता है...