SC के ताज़ा फैसले
चेक बाउंस मामलों के शीघ्र निपटारे के लिए सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए रिट याचिका दर्ज की
सुप्रीम कोर्ट ने चेक बाउंस मामलों के शीघ्र निपटारे के लिए एक मैकेनिज़्म विकसित करने के लिए स्वत: संज्ञान लेते हुए एक रिट याचिका दर्ज की है। शीर्ष अदालत पंद्रह साल पहले दायर चेक अनादर की शिकायत के एक मामले पर दर्ज विशेष अनुमति याचिका पर विचार कर रही थी। मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे और न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव की पीठ ने टिप्पणी की: "एक ऐसा मामला, जिसे छह महीने में ट्रायल कोर्ट द्वारा निपटाया जाना चाहिए, इस मामले को ट्रायल कोर्ट के स्तर पर निस्तारित करने में सात साल लग गए। विभिन्न अदालतों में...
कोर्ट दस्तावेजों की प्रतियां आरटीआई कानून के बजाय, कोर्ट नियमों के तहत आवेदन करके पाई जा सकती हैंः सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि न्यायिक पक्ष में सूचनाओं की प्राप्य/ प्रमाणित प्रतियों को हाईकोर्ट नियमों के तहत प्रदान किए गए तंत्र के माध्यम से प्राप्त किया जाएगा और ऐसी सूचनाओं को पाने के लिए आरटीआई एक्ट के प्रावधानों का सहारा नहीं लिया जाएगा। जस्टिस भानुमती, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस हृषिकेश रॉय की खंडपीठ ने मुख्य सूचना आयुक्त बनाम गुजरात हाईकोर्ट व अन्य के मामले में कहा कि अदालत के दस्तावेजों की प्रमाणित प्रतियां प्राप्त करने के लिए अदालत के नियमों के तहत आवेदन करना चाहिए। मामले...
अनुच्छेद 370 : सुप्रीम कोर्ट में पांच जजों का पीठ ही करेगी सुनवाई, बड़ी पीठ को संदर्भित करने से इनकार
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि जम्मू और कश्मीर की विशेष स्थिति को निरस्त करने के लिए 5 और 6 अगस्त को अनुच्छेद 370 के तहत जारी किए गए राष्ट्रपति के आदेशों को चुनौती देने वाली याचिकाओं को बड़ी पीठ को संदर्भित करने की आवश्यकता नहीं है। पीठ ने कहा कि संविधान पीठ के दो पुराने फैसलों में कोेई विरोधाभासी टिप्पणी नहीं है और वर्तमान पीठ इस मामले की सुनवाई के लिए सक्षम है। हालांकि पीठ ने कोई तारीख सुनवाई के लिए तय नहीं की है। जस्टिस एन वी रमना, जस्टिस एस के कौल, जस्टिस आर सुभाष रेड्डी, जस्टिस बी...
वादी को वाद दायर करने का कारण हासिल हो जाता है जब उसका कोई अधिकार स्पष्ट और जाहिर तौर पर खतरे में हो : सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि वादी को वाद दायर करने का कारण तब मिल जाता है जब उसके अधिकार के स्पष्ट और जाहिर तौर पर हनन का खतरा होता है। न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा की खंडपीठ ने यह टिप्पणी हाईकोर्ट के उस फैसले को बरकरार रखते हुए की, जिसमें कहा गया था कि ज़ी टेलीफिल्म्स लिमिटेड एवं अन्य के खिलाफ वादियों के वाद निश्चित समय सीमा से प्रतिबंधित नहीं थे। इस मामले में फिल्म निर्माण, वितरण और सिनेकला प्रदर्शन के व्यवसाय से जुड़े वादियों ने बचाव पक्ष द्वारा नामित चार व्यक्तियों को...
शाहीन बाग धरना :वार्ताकार संजय हेगड़े और साधना रामचंद्रन ने सुप्रीम कोर्ट में सीलबंद रिपोर्ट दाखिल की, 26 फरवरी को सुनवाई
सीएए के विरोध में शाहीन बाग सड़क पर चल रहे प्रदर्शन को लेकर सुप्रीम कोर्ट अब 26 फरवरी को सुनवाई करेगा। सोमवार को सुप्रीम कोर्ट द्वारा वार्ताकार नियुक्त वरिष्ठ वकील संजय हेगड़े और साधना रामचंद्रन ने सील कवर में अपनी रिपोर्ट अदालत को सौंप दी। जस्टिस एस के कौल और जस्टिस के एम जोसेफ की बेंच ने कहा कि वो इस रिपोर्ट पर गौर करने के बाद सुनवाई करेंगे। अदालत ने ये भी साफ किया कि ये रिपोर्ट सिर्फ कोर्ट के लिए है और इसे रिकॉर्ड पर भी नहीं लिया गया है।17 फरवरी को शाहीन बाग विरोध प्रदर्शन के कारण सड़क...
बीमा पॉलिसी के लाभार्थी भी 'उपभोक्ता', भले ही वो पार्टी न होंः सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि बीमाधारक द्वारा ली गई बीमा पॉलिसी के लाभार्थी भी उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत 'उपभोक्ता' हैं, भले ही वे बीमा अनुबंध के पक्षकार न हों। इस मामले में, किसानों ने श्रीदेवी कोल्ड स्टोरेज नामक एक साझेदारी फर्म के तहत संचालित कोल्ड स्टोर में अपनी उपज का भंडारण किया था। कोल्ड स्टोरेज फर्म का बीमा यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड के साथ किया गया था। राज्य और राष्ट्रीय उपभोक्ता फोरम ने बीमा कंपनी द्वारा कोल्ड स्टोर के दावे को निरस्त करने के खिलाफ किसानों द्वारा दायर...
सुप्रीम कोर्ट ने फिर दोहराया, मोटर दुर्घटना के मामलों में कैसे तय करें मुआवजा
सुप्रीम कोर्ट ने एक दुर्घटना में 100 फीसदी विकलांग हो गई एक लड़की के मुआवजे को बढ़ाते हुए मोटर एक्सिडेंट क्लेम के मामलों में मुआवजे के अनुदान के कुछ सिद्धांतों को पर जोर दिया है। जस्टिस एल नागेश्वर राव और दीपक गुप्ता की पीठ ने कहा कि मोटर वाहन अधिनियम, 1988 के तहत उचित मुआवजे के भुगतान की आवश्यकता है और अदालत का यह कर्तव्य है कि वह यह सुनिश्चित करे कि पीड़ित को उचित मुआवजा दिया जाए। पीठ ने विभिन्न फैसलों का उल्लेख करते हुए कहाः "मानवीय पीड़ा और निजी क्षति को धन में बराबर रखना असंभव है।...
(धारा 216 सीआरपीसी) कोर्ट फैसले को सुरक्षित रख लिए जाने के बाद भी अतिरिक्त आरोप जोड़ने की अनुमति दे सकती हैः सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि ट्रायल कोर्ट मुकदमे में सबूतों की पेशी, दलीलों के पूरा होने और फैसले को सुरक्षित रख लिए जाने के बाद भी आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 216 के तहत आरोपों को बदलने या जोड़ने की अपनी शक्तियों का प्रयोग कर सकती है। मौजूदा मामले में आरोपी के खिलाफ आईपीसी की धारा 498 ए और दहेज निषेध अधिनियम की धारा 3 और 4 के तहत आरोप लगाया गया था। मुकदमे की सुनवाई शुरू हुई और साक्ष्यों की रिकॉर्डिंग और दलीलों के बाद मामले को निर्णय के लिए सुरक्षित रख लिया गया। उसके बाद लोक अभियोजक ने...
खुद किया गया लंबा और लगातार कब्जा विवादित कब्जा नहीं कहा जा सकताः सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने दोहराया है कि किसी संपत्ति पर लगातार और लंबे समय तक किया गया कब्जा, प्रतिकूल कब्जा नहीं कहा जा सकता है ताकि लिमिटेशन एक्ट के अनुच्छेद 65 के आशय की सीमा में उचित स्वामित्व हो। मामले में वादी ने मुकदमें में शामिल संपत्ति की खरीद के आधार पर कब्जे के लिए मुकदमा दायर किया था। प्रतिवादियों ने अपने लिखित बयान में इनकार किया कि वादी संपत्ति का मालिक है। उन्होंने दावा किया कि मुकदमें की प्रॉपर्टी पर उनका घर पिछली दो शताब्दियों से अधिक समय से मौजूद है। हाईकोर्ट ने दूसरी अपील में...
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, हैंडराटिंग एक्सपर्ट की राय दोषसिद्धि का एकमात्र आधार नहीं हो सकती
सुप्रीम कोर्ट ने दोहराया है कि स्वतंत्र और विश्वसनीय पुष्टि के बिना, हैंडराइटिंग एक्सपर्ट्स की राय को दोषसिद्घि का आधार नहीं बनाया जा सकता है। जस्टिस आर भानुमती और जस्टिस एएस बोपन्ना की बेंच ने कहा है कि हेंडराइटिंग एक्सपर्ट की राय पर काम करने से पहले, विवेक की आवश्यकता है कि कोर्ट को यह देखना होगा कि ऐसे सबूतों की अन्य सबूतों द्वारा प्रत्यक्ष पुष्टि हो रही हो या परिस्थितिजन्य साक्ष्य द्वारा पुष्टि हो रही हो। कोर्ट आईपीसी की धारा 467 और 468 के तहत अभियुक्तों की सजा के खिलाफ अपील पर विचार...
मोटर दुर्घटनाओं का दावा: सुप्रीम कोर्ट ने कहा, कानून का उल्लंघन दुर्घटना में हुई लापरवाही का कारण नहीं हो सकता
सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि मोटर दुर्घटना मामलों में दायर याचिकाओं पर विचार करते हुए, कानून का उल्लंघन, बिना किसी अन्य वस्तु के, स्वयं दुर्घटना का कारण रही लापरवाही का पता नहीं लगा सकता है। जस्टिस एनवी रमना और जस्टिस वी रामसुब्रमण्यम की बेंच ने कहा कि उल्लंघन और दुर्घटना के बीच कारण बताने वाला संबंध होना चाहिए या उल्लंघन और पीड़ित पर दुर्घटना के प्रभाव के बीच एक कारण बताने वाला संबंध होना चाहिए। इस मामले में, मृतक और एक अन्य व्यक्ति मोटर साइकिल पर पीछे बैठकर सवारी के रूप में यात्रा कर रहे...
कश्मीर मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा, इंटरनेट के माध्यम से अभिव्यक्ति की आजादी, व्यापार और वाणिज्य की स्वतंत्रता संवैधानिक अधिकार
कश्मीर लॉकडाउन पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का एक महत्वपूर्ण उपल्ब्धि उसकी यह घोषणा है कि भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता सहित इंटरनेट के माध्यम से व्यापार और वाणिज्य की स्वतंत्रता भी अनुच्छेद 19 (1) (ए) और 19 (1)(जी) के तहत संवैधानिक रूप से संरक्षित अधिकार हैं। जस्टिस एन वी रमना, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस बीआर गवई की पीठ ने अपने फैसले में कहा कि: "हम घोषणा करते हैं कि भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और किसी भी पेशे को करने की स्वतंत्रता या इंटरनेट के माध्यम से किसी भी व्यापार या व्यवसाय को...
सुप्रीम कोर्ट ने दोहराया, एनआई एक्ट की धारा 148 में पूर्वप्रभावी, जबकि 143A भावी प्रभाव की है
सुप्रीम कोर्ट ने दोहराया है कि निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट की धारा 148 पूर्वप्रभावी है, जबकि धारा 143 ए नहीं है। इस मामले में, अभियुक्त को एनआई एक्ट की धारा 138 के तहत अपराध के लिए दोषी ठहराया गया था। अपीलीय कोर्ट ने उन्हें ट्रायल कोर्ट की ओर से लगाए गए मुआवजे/ जुर्माने की 25 फीसदी राशि जमा करने को कहा। फिलहाल यह मामला सुप्रीम कोर्ट में है, जिसमें सवाल उठा है कि धारा 148 पूर्वप्रभावी है या नहीं। मई 2019 में, सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की बेंच ने कहा था कि निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट...
मध्यस्थता निर्णयों और अस्पष्ट निर्णयों में कारणों की अपर्याप्तता, एससी ने की अंतर की व्याख्या
सुप्रीम कोर्ट हाल ही में दिए एक फैसले में न्यायालयों द्वारा मध्यस्थता और सुलह अधिनियम, 1996 के तहत दिए निर्णय में कारणों की अपर्याप्तता और अस्पष्ट निर्णय के बीच अंतर पर प्रकाश डाला। जस्टिस एनवी रमना की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि आमतौर पर अबोधगम्य निर्णयों को रद्द नहीं किया जाना चाहिए, जबकि कारणों की अपर्याप्तता को चुनौती हो, उन पर तर्क की विशिष्टता के आधार पर फैसला किया जाना चाहिए, जो कि विचार के लिए आए मुद्दों की प्रकृति के संबंध में अपेक्षित हो। डायना टेक्नोलॉजीज प्रा लि बनाम क्रॉम्पटन...
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, आरोपी नशे के कारण बेहोशी की हालत में न हो तो नहीं कम होती अपराध की गंभीरता
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अगर आरोपी अत्यधिक नशे के कारण अक्षम हालात में न हो तो नशे को अपराध की गंभीरता कम करने का कारक नहीं माना जा सकता है। सूरज जगन्नाथ जाधव बनाम महाराष्ट्र राज्य के मामले में जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एमआर शाह की खंडपीठ के समक्ष विवाद था कि आरोपी ने जब अपनी पत्नी पर केरोसिन डालकर माचिस से आग लगाई थी, तब वह शराब के नशे में था। उसकी हालत ऐसी थी कि वह समझ नहीं पा रहा था कि वह क्या कर रहा है। यह दलील दी गई कि उसने मर चुकी पत्नी को बचाने की कोशिश की, उसे बचाने के लिए उस पर पानी...
[सेक्शन 197 सीआरपीसी] पद का उपयोग गैरकानूनी लाभ के लिए करने पर लोकसेवकों को अनुमोदन के संरक्षण का लाभ नहींः सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि ऐसे लोकसेवकों के लिए , जिन्होंने गैरकानूनी लाभ के लिए अपने कार्यालय का उपयोग करते हुए कुकृत्य किया है, दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 197 के तहत 'अनुमोदन का संरक्षण' उपलब्ध नहीं है। कोर्ट ने यह भी कहा है कि भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की धारा 19 के तहत किसी लोक सेवक को अनुमोदन का संरक्षण सेवानिवृत्त या त्यागपत्र के बाद उपलब्ध नहीं होगा। जस्टिस उदय उमेश ललित, जस्टिस इंदु मल्होत्रा और जस्टिस कृष्ण मुरारी की बेंच ने उच्च न्यायालय (जिसने अभियुक्त की रिहाई याचिका को...
SARFAESI: बैंकों के दावों से पहले कर्मचारियों के दावे पर गौर नहीं किया जा सकता : सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केवल केंद्रीय और राज्य कानूनों के तहत स्पष्ट रूप से बनाए गए वैधानिक प्रथम शुल्क, सिक्योरिटाइजेशन एंड रिकंस्ट्रक्शन ऑफ फाइनेंशियल एसेट्स एंड इंफोर्समेंट ऑफ सिक्योरिटी इंटरेस्ट एक्ट (SARFAESI) के तहत सिक्योर्ड लेनदारों के दावों पर पूर्ववर्ती स्थिति ले सकते हैं। मामला महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक लिमिटेड बनाम बाबूलाल लाडे के मामले की सुनवाई से संबंधित है। अदालत के समक्ष मुद्दा यह था कि SARFAESI अधिनियम के तहत कारखाने के सुरक्षित परिसंपत्तियों की बिक्री से मिली राशि में से...