हाईकोर्ट वीकली राउंड अप : पिछले सप्ताह के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र

Shahadat

10 March 2024 4:30 AM GMT

  • हाईकोर्ट वीकली राउंड अप : पिछले सप्ताह के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र

    देश के विभिन्न हाईकोर्ट में पिछले सप्ताह (04 मार्च, 2024 से 08 मार्च, 2024) तक क्या कुछ हुआ, जानने के लिए देखते हैं हाईकोर्ट वीकली राउंड अप। पिछले सप्ताह हाईकोर्ट के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र।

    PMLA| एफआईआर पर रोक ED को ECIR दर्ज करने से नहीं रोकती: पंजाब एंड हरियाणा हाइकोर्ट

    पंजाब एंड हरियाणा हाइकोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि किसी अपराध पर दर्ज एफआईआर पर रोक का मतलब यह नहीं कि प्रवर्तन निदेशालय (ED) मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम, 2002 (PMLA) के तहत मनी लॉन्ड्रिंग मामले के लिए प्रवर्तन मामले की सूचना रिपोर्ट (ECIR) दर्ज नहीं कर सकता। यह टिप्पणी उस याचिका के जवाब में आई, जिसमें गुरुग्राम में आवास परियोजना विकसित करने का लाइसेंस प्राप्त करने के बाद निवेशकों को धोखा देने के लिए बिल्डरों पर लगे आरोपों से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग मामले को रद्द करने की मांग की गई।

    केस टाइटल- सिकंदर सिंह बनाम प्रवर्तन निदेशालय और अन्य

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    राज्य मानवाधिकार आयोग पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए राज्य सरकार को केवल सिफारिश कर सकता है, निर्देश नहीं दे सकता: कर्नाटक हाइकोर्ट ने दोहराया

    कर्नाटक हाइकोर्ट ने दोहराया कि राज्य मानवाधिकार आयोग पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए सरकार को केवल सिफारिश कर सकता है, निर्देश पारित नहीं कर सकता। जस्टिस कृष्ण एस दीक्षित और जस्टिस सीएम पूनाचा की खंडपीठ ने पुलिस निरीक्षक के रूप में काम करने वाले सी गिरीश नाइक द्वारा दायर याचिका आंशिक रूप से स्वीकार की।

    केस टाइटल- सी गिरीश नाइक और अन्य बनाम कर्नाटक राज्य और अन्य

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    जाति व्यवस्था की उत्पत्ति, जैसा कि हम आज जानते हैं, एक सदी से भी कम पुरानी है: मद्रास हाईकोर्ट

    मद्रास हाईकोर्ट ने सनातन धर्म के खिलाफ हालिया टिप्पणियों के लिए तमिलनाडु सरकार के मंत्री उदयनिधि स्टालिन, मंत्री शेखर बाबू और सांसद ए राजा की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि सनातन धर्म एक उत्थानकारी, महान और सात्विक आचार संहिता का प्रतीक है। अदालत ने राय दी है कि मंत्रियों/सांसदों द्वारा सनातन धर्म के लिए जो विभाजनकारी अर्थ बताया गया वह गलत था। अदालत ने कहा, "सनातन धर्म वाक्यांश के लिए लगाया गया प्रतिबंधात्मक अर्थ स्पष्ट रूप से गलत है क्योंकि सनातन धर्म शाश्वत और सार्वभौमिक आचार संहिता को दर्शाता है जो उत्थानकारी, महान और सात्विक है।"

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    जे जे एक्ट | 'फॉस्टर केयर' और 'स्पॉन्‍शनशिप आफ्टरकेयर ' पर निर्णयों को छोड़कर सीडब्ल्यूसी के सभी आदेश बाल न्यायालय में अपील योग्य: इलाहाबाद हाईकोर्ट

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में एक फैसले में कहा कि बाल कल्याण समिति द्वारा पारित सभी आदेशों के खिलाफ अपील किशोर न्याय अधिनियम की धारा 101 के अनुसार बच्चों की अदालत में की जाएगी, न कि जिला मजिस्ट्रेट के पास। हालांकि फॉस्टर केयर और फॉस्टर केयर के स्पॉन्सरशिप संबंधी मामलों में ऐसा नहीं होगा।

    जस्टिस ज्योत्सना शर्मा की पीठ ने कहा कि कई मामलों में चिल्ड्रेन्स कोर्ट, जेजे एक्ट, 2015 की धारा 27 (10) (डीएम को अपील) का हवाला देकर सीडब्ल्यूसी के आदेशों को दी गई कानूनी चुनौतियों को खारिज कर देते हैं, भले ही वे ऐसी अपीलों पर विचार करने के लिए कानूनी रूप से बाध्य हों।

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    राशन कार्ड को पते या निवास का प्रमाण नहीं माना जा सकता: दिल्ली हाइकोर्ट

    दिल्ली हाइकोर्ट ने कहा कि राशन कार्ड विशेष रूप से सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत दुकानों से आवश्यक वस्तुएं प्राप्त करने के लिए जारी किया जाता है। इसे पते या निवास के प्रमाण के रूप में नहीं माना जा सकता है। जस्टिस चंद्र धारी सिंह ने कहा कि राशन कार्ड जारी करने वाले प्राधिकारी द्वारा यह सुनिश्चित करने के लिए कोई तंत्र स्थापित नहीं किया गया है कि धारक उसमें उल्लिखित पते पर रह रहा है।

    केस टाइटल- मोहम्मद हकीम और अन्य बनाम दिल्ली विकास प्राधिकरण

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    [राजस्थान उपनिवेश नियम] 'भूमिहीन श्रेणी' में पात्रता व्यक्तिगत आवेदक की जोत पर निर्भर करती है, पति या पत्नी के पास जमीन का कोई फर्क नहीं पड़ता: राजस्थान हाईकोर्ट

    राजस्थान हाईकोर्ट ने दो महिलाओं को किए गए भूमि आवंटन को रद्द करने के उपनिवेश आयुक्त और राजस्व बोर्ड के फैसले को पलटते हुए स्पष्ट किया है कि 'भूमिहीन श्रेणी' के लिए पात्रता आवेदक की व्यक्तिगत भूमि जोत पर निर्भर करती है। जोधपुर में बैठी पीठ ने कहा कि राजस्थान उपनिवेशीकरण (इंदिरा गांधी नहर कॉलोनी क्षेत्र में सरकारी भूमि का आवंटन और बिक्री), नियम, 1975 के तहत भूमि का अनुदान पतियों के स्वामित्व वाली भूमि की सीमा से प्रभावित नहीं होना चाहिए।

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    क्रॉस एग्जामिनेशन का अवसर दिए बिना आदेश पारित करना प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन: उड़ीसा हाइकोर्ट

    उड़ीसा हाइकोर्ट ने माना कि आदेश पारित करने से पहले गवाहों से क्रॉस एग्जामिनेशन के अवसर से इनकार करना प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन है। रेलवे ट्रिब्यूनल के आदेश के खिलाफ याचिकाकर्ताओं को राहत देते हुए जस्टिस डॉ. संजीव कुमार पाणिग्रही की एकल पीठ ने कहा, “न्याय न केवल किया जाना चाहिए, बल्कि होते हुए दिखना भी चाहिए। किसी प्रशासनिक अर्ध न्यायिक या न्यायिक प्राधिकारी द्वारा आदेश देने से पहले सुनवाई का उचित अवसर देने की आवश्यकता सामान्य बात है, खासकर जब ऐसे आदेश के प्रतिकूल नागरिक परिणाम हों।''

    केस टाइटल- देबराज साहू और अन्य बनाम भारत संघ

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    [MRTU & PULP Act] विशेष विशेषाधिकारों के कारण कामकाजी पत्रकारों का दर्जा नियमित कर्मियों से अलग, उन्हें कर्मचारी नहीं माना जा सकता: बॉम्बे हाईकोर्ट

    बॉम्बे हाईकोर्ट ने माना कि कामकाजी पत्रकार महाराष्ट्र ट्रेड यूनियनों की मान्यता और अनुचित श्रम प्रथाओं की रोकथाम अधिनियम 1971 (MRTU and PULP Act) के तहत कर्मचारी नहीं हैं। इसलिए उक्त अधिनियम के तहत अनुचित श्रम प्रथाओं की शिकायत दर्ज नहीं कर सकते हैं। जस्टिस नितिन जामदार और जस्टिस संदीप मार्ने की खंडपीठ ने शिकायतों पर औद्योगिक न्यायालय के आदेशों को चुनौती देने वाले कामकाजी पत्रकारों और समाचार पत्रों द्वारा दायर तीन रिट याचिकाओं में एकल न्यायाधीश के संदर्भ पर फैसला सुनाया।

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    [PMLA] प्रवर्तन निदेशालय उन व्यक्तियों की आवाजाही पर रोक नहीं लगा सकता, जिनके परिसरों की तलाशी ली जा रही है: पंजाब एंड हरियाणा हाइकोर्ट

    पंजाब एंड हरियाणा हाइकोर्ट ने स्पष्ट किया कि प्रवर्तन निदेशालय (ED) उन व्यक्तियों की गतिविधियों पर रोक नहीं लगा सकता, जिनके परिसरों की मनी लॉन्ड्रिंग मामलों में तलाशी ली जा रही है। PMLA नियम 2005 का अवलोकन करते हुए जस्टिस विकास बहल ने कहा, "ऐसा कुछ भी नहीं है, जो उन व्यक्तियों को उनके कार्यालय पर जाने सहित उनकी दैनिक दिनचर्या को पूरा करने से रोकता है, जिनके परिसरों की तलाशी ली जा रही है। अधिकारियों को उक्त व्यक्तियों की आवश्यकता का अधिकार है। किसी भी ताले, तिजोरी, अलमारी को खोलने के लिए और अनुपालन न करने की स्थिति में अधिकारियों के पास उसे तोड़ने की अतिरिक्त शक्ति है। इस प्रकार यह नहीं कहा जा सकता है कि अधिकारियों को उक्त व्यक्तियों यानी याचिकाकर्ताओं की परिसर के भीतर वर्तमान मामले में गतिविधियों पर रोक लगाने का अधिकार है।”

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    आश्रित 'विवाहित बेटियों' को अनुकंपा नियुक्ति से इनकार करना संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 16(2) का उल्लंघन: उड़ीसा हाईकोर्ट

    उड़ीसा हाईकोर्ट ने दोहराया कि सेवा के दरमियान अपने पिता की मृत्यु के बाद विवाहित बेटियों को अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति के लिए पुनर्वास सहायता योजना के तहत लाभ से वंचित नहीं किया जा सकता है। मामले में एक महिला को राहत देते हुए, जिसे आवेदन के अनुसार उसकी शादी के आधार पर अनुकंपा नियुक्ति से वंचित कर दिया गया था, डॉ जस्टिस संजीव कुमार पाणिग्रही की एकल पीठ ने कहा - “…अनुकंपा नियुक्ति का लाभ देने का पैमाना मृतक सरकारी सेवक पर आश्रितों की निर्भरता होनी चाहिए और आश्रित की वैवाहिक स्थिति अनुकंपा के आधार पर उसके विचार में बाधा नहीं होनी चाहिए..."।

    केस टाइटलः सीमारानी पांडब बनाम ओडिशा राज्य और अन्य।

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    कॉर्पोरेट देनदार की कुर्क की गई संपत्तियों को मुक्त करने के लिए ईडी को निर्देश देना एनसीएलटी के अधिकार क्षेत्र में: बंबई हाईकोर्ट

    बंबई हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा था कि एनसीएलटी के पास प्रवर्तन निदेशालय (ED) को कॉरपोरेट देनदार की कुर्क संपत्तियों को जारी करने का निर्देश देने का अधिकार है, जब एक बार समाधान योजना को मंजूरी मिल जाती है और आईबीसी, 2016 की धारा 32ए के तहत अभियोजन से छूट मिलती है। जस्टिस बीपी कोलाबावाला और जस्टिस सोमशेखर सुंदरेशन की खंडपीठ ने एनसीएलटी के उस आदेश को बरकरार रखा जिसमें ईडी को कॉरपोरेट देनदार की उन संपत्तियों को मुक्त करने का निर्देश दिया गया था जिन्हें धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 (PMLA) के तहत कुर्क किया गया था।

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    धारा 5 परिसीमा अधिनियम यूपी वैट अधिनियम की धारा 31 के तहत आदेशों के सुधार पर लागू होता है: इलाहाबाद हाईकोर्ट

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने माना है कि सीमा अधिनियम की धारा 5 उत्तर प्रदेश मूल्य वर्धित कर अधिनियम, 2008 की धारा 31 के तहत अधिकारी, प्राधिकरण, न्यायाधिकरण या हाईकोर्ट द्वारा पारित आदेशों के सुधार पर लागू होगी। उत्तर प्रदेश मूल्य वर्धित कर अधिनियम, 2008 की धारा 31 में प्रावधान है कि कोई भी अधिकारी, प्राधिकरण, अधिकरण या हाईकोर्ट अपने किसी भी आदेश में रिकॉर्ड के चेहरे पर स्पष्ट किसी भी गलती को अपने स्वयं के प्रस्ताव पर या पार्टियों द्वारा किए गए आवेदन पर सुधार सकता है।

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    पत्नी को कम गुजारा भत्ता देने के लिए पति को वेतन से 'आर्टिफ़िश्यल कटौती' नहीं करने दे सकते: कर्नाटक हाईकोर्ट

    कर्नाटक हाईकोर्ट ने माना है कि पति के वेतन से अतिरिक्त कटौती जैसे भविष्य निधि योगदान, घर का किराया वसूली, फर्नीचर बरामदगी, आदि को अलग रह रही पत्नी को दी जाने वाली रखरखाव राशि के आकलन पर विचार करते समय कटौती योग्य नहीं बनाया जा सकता है।

    जस्टिस हंछते संजीवकुमार की सिंगल जज बेंच ने एक पति द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें सीआरपीसी की धारा 125 के तहत उसकी पत्नी को 15,000 रुपये और उसकी बेटी को 10,000 रुपये का गुजारा भत्ता देने के परिवार कोर्ट के आदेश पर सवाल उठाया गया था।

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    दुर्लभ बीमारियों की दवाओं पर कस्टम ड्यूटी, चार्ज नहीं लगाया जाएगा: दिल्ली हाईकोर्ट

    दिल्ली हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि दुर्लभ बीमारियों की दवाओं, औषधियों और उपचारों पर कस्टम ड्यूटी और चार्ज नहीं लगाया जाएगा। जस्टिस प्रतिभा एम सिंह ने सीमा शुल्क अधिनियम, 1962 (Customs Act, 1962) के तहत पिछले साल 29 मार्च को केंद्रीय वित्त मंत्रालय द्वारा जारी गजट अधिसूचना पर ध्यान दिया, जिसमें दुर्लभ बीमारियों के इलाज के लिए उपयोग की जाने वाली विशेष मेडिकल प्रयोजनों के लिए दवाएं या भोजन शामिल हैं।

    केस टाइटल: मास्टर अर्नेश शॉ बनाम भारत संघ एवं अन्य।

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    जज की पोस्ट से इस्तीफा देकर राजनीतिक में प्रवेश करने जा रहे हैं जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय

    कलकत्ता हाईकोर्ट के जज जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय ने स्थानीय समाचार आउटलेट एबीपी आनंद को विशेष इंटरव्यू में बताया कि वह मंगलवार, 5 मार्च 2024 को जज के रूप में अपने पद से इस्तीफा देने की योजना बना रहे हैं। बंगाली समाचार आउटलेट के साथ अपने इंटरव्यू में जस्टिस गंगोपाध्याय ने उन्हें राजनीतिक क्षेत्र में प्रवेश करने के लिए बार-बार चुनौती देने के लिए सत्तारूढ़ दल तृणमूल कांग्रेस (TMC) को धन्यवाद दिया।

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    क्रूरता के शिकार को शिकायत के कारण आरोपी को आत्महत्या के लिए उकसाने के लिए दोषी नहीं ठहराया जा सकता: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट

    पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने कहा है कि क्रूरता की पीड़ित को आरोपी की आत्महत्या के लिए उकसाने के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है। जस्टिस हरकेश मनुजा ने कहा, ''यह स्वीकार नहीं किया जा सकता कि जब क्रूरता से पीड़ित व्यक्ति शिकायत करता है और बाद में कथित आरोपी आत्महत्या कर लेता है तो पीड़ित इस कदम के लिए जिम्मेदार हो जाता है।"

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    यौन उत्पीड़न, मानव तस्करी के कारण मनोवैज्ञानिक संकट के कारण नाबालिग की गवाही में देरी आरोपी की जमानत का आधार नहीं: दिल्ली हाईकोर्ट

    दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि यौन उत्पीड़न और मानव तस्करी की शिकार नाबालिग की निचली अदालत में गवाही में देरी आरोपी को जमानत देने का आधार नहीं हो सकती। जस्टिस स्वर्ण कांत शर्मा ने नाबालिग पीड़िता पर यौन उत्पीड़न और मानव तस्करी के 'गहरे प्रभाव की वास्तविकताओं' पर गौर किया, जो मानसिक आघात को सहन करने वाले शारीरिक नुकसान से कहीं अधिक है।

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    धारा 29A संशोधन अधिनियम 2015 से पहले शुरू हुई मध्यस्थता कार्यवाही पर लागू नहीं होगी: दिल्ली हाइकोर्ट

    दिल्ली हाइकोर्ट की एकल पीठ के जस्टिस मनोज कुमार ओहरी ने कहा कि मध्यस्थता और सुलह अधिनियम 1996 (Arbitration and Conciliation Act, 1996) की धारा 29A, जो मध्यस्थ अवार्ड जारी करने के लिए समय सीमा निर्धारित करती है, 2015 संशोधन अधिनिय से पहले शुरू की गई मध्यस्थता कार्यवाही पर लागू नहीं होगी। यह माना गया कि मध्यस्थता की कार्यवाही उस तारीख से शुरू होती है, जब प्रतिवादी को मध्यस्थता के संदर्भ के लिए अनुरोध प्राप्त होता है। धारा 29A ट्रिब्यूनल को दलीलें पूरी होने की तारीख से बारह महीने की अवधि के भीतर निर्णय देने का आदेश देती है।

    केस टाइटल- ज़िलियन इंफ्राप्रोजेक्ट्स प्रा. लिमिटेड अनंत सक्सेना बनाम फैब-टैक वर्क्स एंड कंस्ट्रक्शंस प्राइवेट लिमिटेड के माध्यम से।

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    जब तक सिविल कोर्ट में वसीयत की वास्तविकता साबित नहीं हो जाती, राजस्व अधिकारी लाभार्थियों के नाम में बदलाव नहीं कर सकते: मध्यप्रदेश हाइकोर्ट

    मध्य प्रदेश हाइकोर्ट ने मध्य प्रदेश भू-राजस्व संहिता नियम, 2018 से जुड़े विवाद का निपटारा करते हुए कहा कि बिना किसी औपचारिक सबूत के वसीयत पर राजस्व अधिकारियों द्वारा लाभार्थियों के नाम पर कार्रवाई नहीं की जा सकती।

    जस्टिस गुरपाल सिंह अहलूवालिया की एकल न्यायाधीश पीठ ने कहा कि राजस्व अधिकारी स्वामित्व के प्रश्न पर निर्णय नहीं ले सकते। अदालत ने टिप्पणी की याचिकाकर्ताओं का यह तर्क कि राजस्व अधिकारी किसी अप्रमाणित वसीयत के आधार पर किसी व्यक्ति का नाम बदल सकते हैं इसमें ज्यादा दम नहीं है।

    केस टाइटल- विजय सिंह यादव एवं अन्य बनाम कृष्णा यादव एवं अन्य।

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    बॉम्बे हाईकोर्ट ने कथित माओवादी लिंक मामले में जीएन साईबाबा और 5 अन्य को बरी किया

    बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ ने मंगलवार को गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (UAPA Act) के तहत कथित माओवादी-लिंक मामले में दिल्ली यूनिवर्सिटी के पूर्व प्रोफेसर जीएन साईबाबा और पांच अन्य की सजा रद्द कर दी। जस्टिस विनय जोशी और जस्टिस वाल्मिकी एसए मेनेजेस की खंडपीठ ने फैसला सुनाया। व्हीलचेयर पर बैठे जीएन साईबाबा और उनके सह-आरोपी माओवादी संगठनों से संबंध रखने और भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ने के आरोप में 2014 में गिरफ्तारी के बाद से हिरासत में हैं।

    केस टाइटल- महेश करीमन तिर्की एवं अन्य बनाम महाराष्ट्र राज्य

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    [दुमका में स्पेनिश पर्यटक से बलात्कार] इससे दुनिया भर में भारत की छवि धूमिल होने की संभावना: झारखंड हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया

    झारखंड हाईकोर्ट ने झारखंड में दुमका के पास अपने पति के साथ मोटरसाइकिल यात्रा पर गई 45 वर्षीय स्पेनिश पर्यटक के यौन उत्पीड़न से जुड़ी दुखद घटना का स्वत: संज्ञान लिया। स्थिति की गंभीरता पर प्रकाश डालते हुए अदालत ने ऐसे अपराधों के संभावित राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय नतीजों पर जोर दिया, खासकर भारत की छवि और पर्यटन अर्थव्यवस्था पर।

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    बिना ट्रांजिट वारंट के दूसरे राज्य के मजिस्ट्रेट के सामने आरोपी को पेश करने में देरी से गिरफ्तारी अवैध हो जाएगी: तेलंगाना हाइकोर्ट

    तेलंगाना हाइकोर्ट ने माना कि ट्रांजिट वारंट के अभाव में किसी आरोपी को दूसरे राज्य के मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश करने में देरी से गिरफ्तारी अवैध हो जाएगी। डॉ. जस्टिस जी. राधा रानी द्वारा याचिकाकर्ता-अभियुक्त द्वारा दायर आपराधिक पुनर्विचार याचिका में पारित किया गया, जिसमें मजिस्ट्रेट द्वारा रिमांड आदेश को चुनौती दी गई, जबकि आरोपी को उसकी गिरफ्तारी के 24 घंटे बाद मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया गया।

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