राज�थान हाईकोट

जेल सुपरिंटेंडेंट स्वास्थ्य विभाग से प्रतिनियुक्ति पर आए मेडिकल अधिकारी के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही शुरू नहीं कर सकते: राजस्थान हाईकोर्ट
जेल सुपरिंटेंडेंट स्वास्थ्य विभाग से प्रतिनियुक्ति पर आए मेडिकल अधिकारी के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही शुरू नहीं कर सकते: राजस्थान हाईकोर्ट

राजस्थान हाईकोर्ट ने माना कि केंद्रीय कारागार के सुपरिंटेंडेंट, एक अलग प्रशासनिक विभाग होने के नाते मेडिकल एवं स्वास्थ्य विभाग से प्रतिनियुक्त चिकित्सा अधिकारी के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही शुरू करने का कोई अधिकार या क्षमता नहीं रखते हैं।जस्टिस फरजंद अली की पीठ ने याचिकाकर्ता के स्थानांतरण आदेशों को रद्द करते हुए ये टिप्पणियां कीं, जिनमें राजस्थान सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण एवं अपील) नियम, 1958 ("नियम") के तहत जेल अधीक्षक को उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही शुरू करने का निर्देश भी शामिल...

राजस्थान हाईकोर्ट ने दिवंगत कांस्टेबल की विधवा को अनुग्रह राशि न देने पर राज्य सरकार को फटकार लगाई, 20 लाख रुपये देने का निर्देश
राजस्थान हाईकोर्ट ने दिवंगत कांस्टेबल की विधवा को अनुग्रह राशि न देने पर राज्य सरकार को फटकार लगाई, 20 लाख रुपये देने का निर्देश

राजस्थान हाईकोर्ट ने एक सख्त टिप्पणी में कहा कि सेवा के दौरान मृत्यु होने पर कर्मचारी के परिवार को अनुग्रह राशि से वंचित करना केवल तकनीकी आधार पर असंवेदनशील और अति-तकनीकी रवैया है, जो कल्याणकारी शासन के उद्देश्य के विपरीत है।जस्टिस फरजंद अली की एकल पीठ ने राज्य सरकार का आदेश रद्द कर दिया, जिसमें एक अशिक्षित विधवा की अनुग्रह राशि की मांग केवल आवेदन में देरी के आधार पर खारिज कर दी गई, जबकि संबंधित विभाग ने स्वयं प्रशासनिक देरी स्वीकार की थी।मामले के अनुसार याचिकाकर्ता के पति राजस्थान पुलिस में...

निजी भूमि पर धर्मशाला होने मात्र से संपत्ति दान या धर्मार्थ नहीं मानी जा सकती: राजस्थान हाईकोर्ट
निजी भूमि पर धर्मशाला होने मात्र से संपत्ति दान या धर्मार्थ नहीं मानी जा सकती: राजस्थान हाईकोर्ट

राजस्थान हाईकोर्ट ने एक महत्त्वपूर्ण निर्णय में कहा कि केवल निजी भूमि पर धर्मशाला का निर्माण हो जाने मात्र से यह नहीं माना जा सकता कि वह संपत्ति धर्मार्थ उद्देश्यों के लिए समर्पित कर दी गई या उसे हमेशा उसी प्रयोजन के लिए उपयोग में लाना आवश्यक है।जस्टिस रेखा बोराना की एकल पीठ ने यह टिप्पणी एक याचिका पर सुनवाई के दौरान की, जिसमें एक ट्रस्ट के विधिक उत्तराधिकारियों ने देवस्थान विभाग के आयुक्त के आदेश को चुनौती दी थी। उक्त आदेश में उनकी पैतृक संपत्ति को सार्वजनिक ट्रस्ट की संपत्ति घोषित कर दिया गया...

विवाहित संतान को पिता की संपत्ति पर अधिकार नहीं, बिना अनुमति रहने का हक नहीं : राजस्थान हाईकोर्ट
विवाहित संतान को पिता की संपत्ति पर अधिकार नहीं, बिना अनुमति रहने का हक नहीं : राजस्थान हाईकोर्ट

राजस्थान हाईकोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि कोई भी वयस्क और विवाहित संतान अपने पिता की स्व-अर्जित संपत्ति में उसकी अनुमति के बिना रहने का अधिकार नहीं रखती।अदालत ने स्पष्ट किया कि यदि पिता ऐसी अनुमति वापस ले लेता है तो पुत्र या पुत्री को संपत्ति खाली करनी होगी, क्योंकि इस स्थिति में उनका कब्जा केवल प्रेम और स्नेहवश दिया गया, न कि किसी कानूनी अधिकार के तहत।जस्टिस सुदेश बंसल की एकलपीठ ने यह टिप्पणी करते हुए पिता के खिलाफ मुकदमा दायर करने वाले पुत्र पर एक लाख रुपये का दंड लगाया।अदालत ने कहा कि...

राजस्थान हाईकोर्ट ने 2021 SI अभ्यर्थियों को 2025 भर्ती में शामिल करने व आयु सीमा में छूट देने पर विचार करने का आदेश दिया
राजस्थान हाईकोर्ट ने 2021 SI अभ्यर्थियों को 2025 भर्ती में शामिल करने व आयु सीमा में छूट देने पर विचार करने का आदेश दिया

राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि वह वर्ष 2021 की सब-इंस्पेक्टर भर्ती परीक्षा में शामिल हुए और वर्ष 2025 की नई भर्ती प्रक्रिया में पुनः आवेदन करने वाले उम्मीदवारों को 4 वर्ष की आयु सीमा में छूट देने पर विचार करे, जबकि विज्ञापन में केवल 3 वर्ष की छूट का प्रावधान किया गया था।जस्टिस अशोक कुमार जैन की पीठ ने कहा कि यह मामला युवाओं की वैध अपेक्षा (legitimate expectation) से जुड़ा है और ऐसे उम्मीदवारों को केवल अधिकतम आयु सीमा पार करने के कारण अयोग्य नहीं ठहराया जाना चाहिए, जब देरी...

UAPA मामलों में 90 दिन से अधिक की हिरासत बढ़ाने का अधिकार सिर्फ स्पेशल या सेशंस कोर्ट को, मजिस्ट्रेट को नहीं: राजस्थान हाईकोर्ट
UAPA मामलों में 90 दिन से अधिक की हिरासत बढ़ाने का अधिकार सिर्फ स्पेशल या सेशंस कोर्ट को, मजिस्ट्रेट को नहीं: राजस्थान हाईकोर्ट

राजस्थान हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश देते हुए मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (CJM) द्वारा UAPA आरोपी की न्यायिक हिरासत को अतिरिक्त 90 दिन बढ़ाने के आदेश को अवैध, अधिकार क्षेत्र से बाहर और विकृत मानते हुए रद्द कर दिया।अदालत ने कहा कि इस तरह की हिरासत बढ़ाने का अधिकार केवल स्पेशल कोर्ट या उसकी अनुपस्थिति में सेशंस कोर्ट के पास है। मजिस्ट्रेट कोर्ट ऐसा आदेश पारित नहीं कर सकता।जस्टिस सुदेश बंसल की एकल पीठ ने स्पष्ट किया कि UAPA के तहत दर्ज अपराध NIA Act 2008 की अनुसूची में शामिल अपराध हैं। ऐसे मामलों...

भर्ती प्रक्रिया बंद होने के लंबे समय बाद अप्रकाशित योग्यता का सहारा नहीं लिया जा सकता, भले ही रिक्तियां बची हों : राजस्थान हाईकोर्ट
भर्ती प्रक्रिया बंद होने के लंबे समय बाद अप्रकाशित योग्यता का सहारा नहीं लिया जा सकता, भले ही रिक्तियां बची हों : राजस्थान हाईकोर्ट

राजस्थान हाईकोर्ट ने सिंगल बेंच का आदेश निरस्त करते हुए स्पष्ट किया कि कोई भी अभ्यर्थी ऐसी योग्यता के आधार पर नियुक्ति नहीं मांग सकता, जो उसने भर्ती प्रक्रिया के दौरान कभी प्रस्तुत ही नहीं की हो और जिसे वह कई वर्षों बाद केवल एक याचिका में उजागर करे।जस्टिस पुष्पेंद्र सिंह भाटी और जस्टिस बिपिन गुप्ता की खंडपीठ ने यह भी कहा कि केवल इस आधार पर कि रिक्तियां बची हुई हैं, अभ्यर्थी को उन दस्तावेज़ों पर विचार करने का अधिकार नहीं दिया जा सकता, जिन्हें लम्बे समय बाद प्रस्तुत किया गया हो।मामला एक अपील का...

राजस्थान हाईकोर्ट की फटकार: दुकानों की नीलामी में बाधा डालने वाले किरायेदारों पर 50,000 जुर्माना, कहा- कपटपूर्ण आचरण अस्वीकार्य
राजस्थान हाईकोर्ट की फटकार: दुकानों की नीलामी में बाधा डालने वाले किरायेदारों पर 50,000 जुर्माना, कहा- कपटपूर्ण आचरण अस्वीकार्य

राजस्थान हाईकोर्ट ने दुकानों की नीलामी प्रक्रिया को बाधित करने और महत्त्वपूर्ण तथ्यों को छिपाकर अदालत को गुमराह करने के प्रयास के लिए दो किरायेदारों पर कुल 50,000 की लागत लगाते हुए कड़ी फटकार लगाई।जस्टिस संजीत पुरोहित की एकल पीठ ने कहा कि जब याचिकाकर्ताओं ने स्वयं पहली नीलामी प्रक्रिया में हिस्सा लिया और बोली राशि जमा न करके प्रक्रिया को असफल कर दिया तो वे बाद की नीलामी को चुनौती देने का अधिकार नहीं रखते।अदालत ने टिप्पणी की कि याचिकाकर्ताओं के आचरण से ग्राम पंचायत को गंभीर आर्थिक नुकसान हुआ और...

गंभीर चोट/हत्या के प्रयास के मामलों में सिर्फ डॉक्टर की राय पर्याप्त नहीं, रेडियोलॉजिस्ट की गवाही अनिवार्य: राजस्थान हाईकोर्ट
गंभीर चोट/हत्या के प्रयास के मामलों में सिर्फ डॉक्टर की राय पर्याप्त नहीं, रेडियोलॉजिस्ट की गवाही अनिवार्य: राजस्थान हाईकोर्ट

राजस्थान हाईकोर्ट ने एक अहम निर्णय में कहा कि गंभीर चोट (Section 326 IPC) और हत्या के प्रयास (Section 307 IPC) जैसे मामलों में केवल मेडिकल ज्यूरिस्ट की गवाही के आधार पर चोट की प्रकृति निर्धारित नहीं की जा सकती। अदालत ने स्पष्ट किया कि जिस रेडियोलॉजिस्ट के एक्स-रे रिपोर्ट पर मेडिकल ज्यूरिस्ट की राय आधारित है, उसका न्यायालय में परीक्षण आवश्यक है और एक्स-रे भी रिकॉर्ड पर प्रस्तुत किया जाना चाहिए।जस्टिस संदीप शाह की पीठ ने कहा कि जब गंभीर धाराओं में चोट की प्रकृति निर्धारित करनी हो, तब एक्स-रे तैयार...

राजस्थान हाईकोर्ट ने दिव्यांग अभ्यर्थियों के लिए 45% न्यूनतम अंक नियम बरकरार रखा, विशेष अपील खारिज
राजस्थान हाईकोर्ट ने दिव्यांग अभ्यर्थियों के लिए 45% न्यूनतम अंक नियम बरकरार रखा, विशेष अपील खारिज

राजस्थान हाईकोर्ट ने पशु चिकित्सा अधिकारी भर्ती प्रक्रिया में दिव्यांग श्रेणी के उम्मीदवारों के लिए निर्धारित 45% न्यूनतम उत्तीर्णांक को चुनौती देने वाली विशेष अपील खारिज की। अदालत ने स्पष्ट किया कि यह मानक पूर्ण आयोग द्वारा लिए गए निर्णय के बाद लागू किया गया और आयोग की वेबसाइट पर भी उपलब्ध था, इसलिए इसे नए सिरे से लागू किया गया मानना गलत है।डिवीजन बेंच डॉ. जस्टिस पुष्पेन्द्र सिंह भाटी और जस्टिस बिपिन गुप्ता ने सिंगल बेंच का निर्णय बरकरार रखा, जिसमें कहा गया कि 45% की पात्रता सीमा आयोग के...

कोई वैधानिक आधार नहीं: राजस्थान हाईकोर्ट ने प्रदूषण बोर्ड द्वारा ईंट-भट्टों पर लगाए पर्यावरण क्षतिपूर्ति आदेश रद्द किए
कोई वैधानिक आधार नहीं: राजस्थान हाईकोर्ट ने प्रदूषण बोर्ड द्वारा ईंट-भट्टों पर लगाए पर्यावरण क्षतिपूर्ति आदेश रद्द किए

राजस्थान हाईकोर्ट ने राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (RSPCB) द्वारा ईंट-भट्ठा संचालकों पर लगाई गई पर्यावरण क्षतिपूर्ति को अवैध ठहराते हुए सभी संबंधित आदेशों को रद्द कर दिया। अदालत ने स्पष्ट कहा कि जब तक विधिवत नियम और विनियम अधिसूचित नहीं किए जाते, बोर्ड के पास ऐसी क्षतिपूर्ति वसूलने का कोई वैधानिक अधिकार नहीं है।जस्टिस सुनील बेनिवाल की सिंगल बेंच ने सुप्रीम कोर्ट के D.P.C.C. बनाम लॉधी प्रॉपर्टी कंपनी लिमिटेड के फैसले पर भारी निर्भरता जताते हुए कहा कि बिना विधायी अनुमति और बिना अधिसूचित...

पत्नी-एडवोकेट के प्रभाव के कारण वकील न मिलने पर राजस्थान हाईकोर्ट ने पति का मामला जयपुर ट्रांसफर किया
पत्नी-एडवोकेट के प्रभाव के कारण वकील न मिलने पर राजस्थान हाईकोर्ट ने पति का मामला जयपुर ट्रांसफर किया

राजस्थान हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश में कहा कि यदि किसी पक्षकार को स्थानीय स्तर पर वकील नहीं मिल पा रहा है, क्योंकि उसके विरोधी पक्ष के प्रभाव के चलते बार एसोसिएशन ने उसके खिलाफ माहौल बना दिया है तो यह न्याय के बुनियादी सिद्धांतों का उल्लंघन है। इसी आधार पर अदालत ने पति-पक्ष के वैवाहिक एवं आपराधिक मामलों को सवाई माधोपुर से जयपुर स्थानांतरित करने का निर्देश दिया।जस्टिस अनुप कुमार धंड की एकलपीठ ने कहा कि न्याय पाने का अधिकार और वकील की सहायता प्राप्त करना व्यक्ति का मौलिक अधिकार है। यदि किसी...

पति की मौत के बाद अनुकंपा नियुक्ति लेकर सास-ससुर को छोड़ा: राजस्थान हाईकोर्ट का सैलरी से 20K काटने का आदेश
पति की मौत के बाद अनुकंपा नियुक्ति लेकर सास-ससुर को छोड़ा: राजस्थान हाईकोर्ट का सैलरी से 20K काटने का आदेश

राजस्थान हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह पति की मृत्यु के बाद अनुकंपा के आधार पर नियुक्त हुई विधवा के वेतन का एक हिस्सा काटे और उसे उसके आश्रित ससुर के खाते में जमा करे। न्यायालय ने पाया कि विधवा ने नियुक्ति मिलते ही अपने ससुराल का घर छोड़ दिया और सास-ससुर को त्याग दिया।जस्टिस फरजंद अली की पीठ ने यह राय व्यक्त की कि अनुकंपा नियुक्ति किसी व्यक्ति विशेष को उसकी व्यक्तिगत क्षमता में नहीं बल्कि मृतक पर आश्रित पूरे परिवार के प्रतिनिधि के रूप में दी जाती है। इसलिए...

राजस्थान हाईकोर्ट ने साइबर क्राइम आरोपी को दी सशर्त जमानत, शर्तों में टेलीग्राम और व्हाट्सएप यूज करने पर लगाई रोक
राजस्थान हाईकोर्ट ने साइबर क्राइम आरोपी को दी सशर्त जमानत, शर्तों में टेलीग्राम और व्हाट्सएप यूज करने पर लगाई रोक

राजस्थान हाईकोर्ट ने हाल ही में साइबर अपराध के एक 19 वर्षीय आरोपी को सशर्त ज़मानत दी, जिसमें टेलीग्राम और व्हाट्सएप जैसे सोशल मीडिया ऐप का इस्तेमाल करने पर रोक भी शामिल है, जमानत दी गई।जस्टिस समीर जैन ने इस तथ्य पर ध्यान दिया कि आवेदक युवा है, "जो अपनी किशोरावस्था के अंतिम चरण में है" और वह 15.07.2025 से हिरासत में है। कोर्ट ने कहा कि आरोप पत्र दायर किया जा चुका है।इस प्रकार, मामले के गुण/दोष पर टिप्पणी किए बिना इस कोर्ट ने निम्नलिखित शर्तों के अधीन ज़मानत याचिका स्वीकार कर ली:1. आवेदक अपने नाम...

राजस्थान हाईकोर्ट ने सड़क दुर्घटनाओं में बढ़ती मौतों पर स्वतः संज्ञान लिया, केंद्र और राज्य सरकारों से जन सुरक्षा उपायों पर जवाब मांगा
राजस्थान हाईकोर्ट ने सड़क दुर्घटनाओं में बढ़ती मौतों पर स्वतः संज्ञान लिया, केंद्र और राज्य सरकारों से जन सुरक्षा उपायों पर जवाब मांगा

राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य में सड़क दुर्घटनाओं में बढ़ती मौतों को उजागर करने वाली मीडिया रिपोर्टों पर स्वतः संज्ञान लिया और केंद्र तथा राज्य के विभागों को सड़क और जन सुरक्षा उपायों में सुधार के उपायों सहित अपने रुख का विवरण देते हुए जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया।कोर्ट ने कहा,"यह कोर्ट राजस्थान की सड़कों पर बार-बार हो रही मानव मृत्यु पर अत्यंत चिंतित है... इन घातक दुर्घटनाओं की बढ़ती संख्या के मद्देनजर तत्काल और समन्वित संस्थागत प्रतिक्रिया की आवश्यकता है। कोर्ट मूकदर्शक बना नहीं रह सकता......

मजिस्ट्रेट सुरक्षित संपत्ति पर कब्ज़ा करते समय पुलिस खर्च वहन करने का निर्देश सुरक्षित ऋणदाता को नहीं दे सकते: राजस्थान हाईकोर्ट
मजिस्ट्रेट सुरक्षित संपत्ति पर कब्ज़ा करते समय पुलिस खर्च वहन करने का निर्देश सुरक्षित ऋणदाता को नहीं दे सकते: राजस्थान हाईकोर्ट

राजस्थान हाईकोर्ट ने हाल ही में फैसला सुनाया कि कोई मजिस्ट्रेट वित्तीय आस्तियों के प्रतिभूतिकरण एवं पुनर्निर्माण तथा प्रतिभूति हित प्रवर्तन अधिनियम, 2002 (SARFAESI Act) की धारा 14 के तहत सुरक्षित संपत्ति पर कब्ज़ा करते समय किसी सुरक्षित ऋणदाता को पुलिस सहायता के लिए खर्च जमा करने का निर्देश नहीं दे सकता।जस्टिस आशुतोष कुमार की पीठ ने यह फैसला अलवर के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (CJM) द्वारा एक वित्तीय कंपनी और उसके ऋणदाताओं के बीच विवाद में लगाई गई शर्त को खारिज करते हुए सुनाया।न्यायालय ने...

संवेदनशीलता से निपटा जाए: आय के विवरण के अभाव में नाबालिग दुष्कर्म पीड़िता का मुआवज़ा अस्वीकार करना गलत- राजस्थान हाईकोर्ट
संवेदनशीलता से निपटा जाए: आय के विवरण के अभाव में नाबालिग दुष्कर्म पीड़िता का मुआवज़ा अस्वीकार करना गलत- राजस्थान हाईकोर्ट

राजस्थान हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट का आदेश रद्द कर दिया, जिसमें एक नाबालिग दुष्कर्म पीड़िता की मुआवज़े की याचिका इस तकनीकी आधार पर खारिज कर दिया गया कि उसने अपने स्कूल की फीस आदि के भुगतान के लिए आय के स्रोत का विवरण प्रस्तुत नहीं किया।जस्टिस अनूप कुमार ढ़ांड ने अपने आदेश में कहा कि ऐसे मामलों को अदालतों द्वारा संवेदनशीलता के साथ निपटा जाना चाहिए। चूंकि दुष्कर्म एक अमानवीय अपराध है, इसलिए पीड़िता को सांत्वना के रूप में मुआवज़ा दिया जाना चाहिए।कोर्ट ने दुष्कर्म को 'नारीत्व पर थोपी गई यातना का...

हाईकोर्ट का मानवीय फैसला - सास-ससुर के भरण-पोषण के लिए बहू के वेतन से कटेगी राशि
हाईकोर्ट का मानवीय फैसला - सास-ससुर के भरण-पोषण के लिए बहू के वेतन से कटेगी राशि

राजस्थान हाईकोर्ट जोधपुर ने एक संवेदनशील आदेश में कहा कि अनुकम्पा नियुक्ति का उद्देश्य मृत कर्मचारी के पूरे परिवार का भरण-पोषण करना है, न कि किसी एक व्यक्ति को लाभ पहुंचाना।जस्टिस फरजन्द अली की एकल पीठ ने यह आदेश देते हुए कहा कि जब कोई व्यक्ति अनुकम्पा नियुक्ति पाता है, तो उस पर यह नैतिक और कानूनी दायित्व होता है कि वह मृत कर्मचारी के सभी आश्रितों का ध्यान रखे।मामले के अनुसार अलवर निवासी भगवान सिंह सैनी के पुत्र राजेश कुमार सैनी की 2015 में नौकरी के दौरान मृत्यु हो गई थी। विभाग ने भगवान सिंह को...