राज�थान हाईकोट

सीआरपीसी बलात्कार की शिकायत को जांच से पहले लंबित रखने की अनुमति नहीं देता: हाईकोर्ट ने राजस्थान पुलिस को फटकार लगाई, डीजीपी से हस्तक्षेप करने को कहा
सीआरपीसी बलात्कार की शिकायत को जांच से पहले लंबित रखने की अनुमति नहीं देता: हाईकोर्ट ने राजस्थान पुलिस को फटकार लगाई, डीजीपी से हस्तक्षेप करने को कहा

राजस्थान हाईकोर्ट ने बलात्कार के एक मामले में जांच अधिकारी के आचरण पर नाराजगी जताई है, क्योंकि उन्होंने एफआईआर दर्ज करने से पहले "पूर्व-जांच" करने के बहाने शिकायत को लगभग एक सप्ताह तक लंबित रखा। जस्टिस अनूप कुमार ढांड की पीठ ने कहा कि सीआरपीसी या आपराधिक न्यायशास्त्र में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है कि बलात्कार के अपराध या किसी अपराध की रिपोर्ट को काफी समय तक पूर्व-जांच के लिए लंबित रखा जाए।पीठ यह जानकर भी हैरान थी कि एफआईआर दर्ज करने से पहले अभियोक्ता का बयान दर्ज किया गया था। "जांच अधिकारी (आईओ),...

धारा 138 एनआई अधिनियम | कानूनी रूप से लागू करने योग्य ऋण निर्धारित करने के लिए प्रासंगिक तिथि चेक की प्रस्तुति / परिपक्वता की तारीख: राजस्थान हाईकोर्ट
धारा 138 एनआई अधिनियम | 'कानूनी रूप से लागू करने योग्य ऋण' निर्धारित करने के लिए प्रासंगिक तिथि चेक की प्रस्तुति / परिपक्वता की तारीख: राजस्थान हाईकोर्ट

राजस्थान हाईकोर्ट ने माना कि परक्राम्य लिखत अधिनियम के तहत "कानूनी रूप से लागू करने योग्य ऋण या देयता" के अस्तित्व का पता लगाने के लिए प्रासंगिक तिथि चेक की प्रस्तुति/परिपक्वता की तिथि है। जस्टिस अनिल कुमार उपमन की पीठ ने कहा कि चेक जारी करने वाला व्यक्ति यह दलील देकर चेक की राशि का भुगतान करने के अपने दायित्व से बच नहीं सकता कि जारी करने/आहरण की तिथि पर कोई कानूनी रूप से लागू करने योग्य ऋण या देयता नहीं थी।उन्होंने कहा,"यदि चेक प्रस्तुत करने की तिथि पर कोई कानूनी रूप से लागू करने योग्य ऋण या...

NDPS Act की धारा 52ए का पालन न करना प्रथम दृष्टया तलाशी और जब्ती को गलत साबित करता है: राजस्थान हाईकोर्ट ने कथित तौर पर आधा किलो हेरोइन के साथ पाए गए व्यक्ति को जमानत दी
NDPS Act की धारा 52ए का पालन न करना प्रथम दृष्टया तलाशी और जब्ती को गलत साबित करता है: राजस्थान हाईकोर्ट ने कथित तौर पर आधा किलो हेरोइन के साथ पाए गए व्यक्ति को जमानत दी

राजस्थान हाईकोर्ट ने दोहराया कि नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट (NDPS Act) की धारा 52ए अनिवार्य प्रकृति की है और प्रावधान का पालन न करना अभियोजन पक्ष के मामले को कमजोर करता है और पूरी तलाशी और जब्ती कार्यवाही को गलत साबित करता है।जस्टिस राजेंद्र प्रकाश सोनी की पीठ ने कथित तौर पर 510 ग्राम हेरोइन के कब्जे में पाए गए व्यक्ति को जमानत दे दी।न्यायालय ने कहा कि इस मामले में धारा 37 के तहत जमानत देने पर कठोरता लागू नहीं होती है, क्योंकि आरोपी-आवेदक के पास अभियोजन पक्ष से सवाल करने के...

घायल गवाह की गवाही पर भरोसा किया जा सकता है, जब तक कि उसमें कोई बड़ा विरोधाभास न हो: राजस्थान हाइकोर्ट
घायल गवाह की गवाही पर भरोसा किया जा सकता है, जब तक कि उसमें कोई बड़ा विरोधाभास न हो: राजस्थान हाइकोर्ट

राजस्थान हाइकोर्ट ने दोहराया कि किसी घायल गवाह की गवाही को केवल मामूली विसंगतियों के कारण खारिज नहीं किया जा सकता, क्योंकि वह किसी अन्य को झूठा फंसाने के लिए वास्तविक हमलावर को नहीं छोड़ेगा।जस्टिस सुदेश बंसल की पीठ ने कहा कि घायल गवाह की गवाही को कानून में विशेष दर्जा दिया गया और इसे तब तक खारिज नहीं किया जा सकता, जब तक कि इसमें कोई बड़ी विसंगति या विरोधाभास न हो।इस मामले में पीड़ित दो आरोपियों का प्रतिद्वंद्वी था और उसने आरोप लगाया कि बाद वाले ने उसे बेरहमी से चाकू मारा। सेशन कोर्ट ने भारतीय...

राजस्थान हाइकोर्ट ने हिंदू दत्तक ग्रहण एवं भरण-पोषण अधिनियम के तहत 15 वर्ष की आयु सीमा पार करने के बाद गोद लिए गए बेटे को अनुकंपा नियुक्ति देने से किया इनकार
राजस्थान हाइकोर्ट ने हिंदू दत्तक ग्रहण एवं भरण-पोषण अधिनियम के तहत 15 वर्ष की आयु सीमा पार करने के बाद गोद लिए गए बेटे को अनुकंपा नियुक्ति देने से किया इनकार

राजस्थान हाइकोर्ट ने हाल ही में सरकारी कर्मचारी के दत्तक पुत्र द्वारा दायर अनुकंपा नियुक्ति की याचिका खारिज की। उक्त याचिका में हिंदू दत्तक ग्रहण एवं भरण-पोषण अधिनियम, 1956 के तहत गोद लेने के प्रावधानों का पालन न करने का हवाला दिया गया था।याचिकाकर्ता को 18 वर्ष की आयु में गोद लिया गया था। धारा 10(iv) HAMA के अनुसार पंद्रह वर्ष की आयु पूरी कर चुके व्यक्ति को तब तक गोद नहीं दिया जा सकता, जब तक कि प्रथा लागू न हो।जस्टिस अरुण मोंगा की पीठ ने कहा कि रजिस्टर्ड दत्तक विलेख के पक्ष में अधिनियम की धारा...

राजस्थान हाईकोर्ट ने कथित अवैध किडनी प्रत्यारोपण रैकेट के संबंध में दो डॉक्टरों के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी रद्द करने से इनकार किया
राजस्थान हाईकोर्ट ने कथित अवैध किडनी प्रत्यारोपण रैकेट के संबंध में दो डॉक्टरों के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी रद्द करने से इनकार किया

राजस्थान हाईकोर्ट ने जयपुर स्थित फोर्टिस अस्पताल के दो डॉक्टरों के खिलाफ दर्ज एफआईआर को खारिज करने से इनकार कर दिया है। ये डॉक्टर मानव अंग (किडनी) के कथित अवैध प्रत्यारोपण के संबंध में पकड़े गए अंतरराष्ट्रीय रैकेट के संबंध में आरोपी हैं। जस्टिस सुदेश बंसल की पीठ ने कहा कि ऐसा नहीं है कि उनके खिलाफ कोई सबूत है।पीठ ने कहा, "जांच रिपोर्ट के अनुसार, याचिकाकर्ता नंबर एक आकाश, प्रशांत यादव और गोपाल नामक दलालों के साथ टेलीफोन पर संपर्क में पाया गया है, साथ ही गिरिराज शर्मा के साथ उसके बैंक खाते से...

[Rajasthan Municipalities Act, 2009] अधिनियम के तहत उपाय का लाभ उठाए बिना सीधे सिविल कोर्ट जाने पर कोई रोक नहीं: राजस्थान हाइकोर्ट
[Rajasthan Municipalities Act, 2009] अधिनियम के तहत उपाय का लाभ उठाए बिना सीधे सिविल कोर्ट जाने पर कोई रोक नहीं: राजस्थान हाइकोर्ट

राजस्थान हाइकोर्ट में जस्टिस बीरेंद्र कुमार की पीठ ने एक ट्रायल कोर्ट के आदेश के खिलाफ दायर पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी। उक्त याचिका में ट्रायल कोर्ट ने सीपीसी के आदेश VII नियम 11 के तहत शिकायत खारिज करने से इनकार किया था।यह याचिका राजस्थान नगर पालिका अधिनियम, 2009 के तहत वैकल्पिक उपाय के अस्तित्व के आधार पर दायर की गई थी लेकिन न्यायालय ने यह देखते हुए मामले का फैसला किया कि अधिनियम के तहत सिविल कोर्ट के अधिकार क्षेत्र पर कोई विशेष रोक नहीं है।तथ्यात्मक पृष्ठभूमिइस मामले में याचिकाकर्ता और नगर...

अपील के 30 साल बाद राजस्थान हाईकोर्ट ने कार्यवाही में देरी का हवाला देते हुए अपहरण मामले में सजा घटाकर 5 दिन की
अपील के 30 साल बाद राजस्थान हाईकोर्ट ने कार्यवाही में देरी का हवाला देते हुए अपहरण मामले में सजा घटाकर 5 दिन की

राजस्थान हाईकोर्ट ने 1992 के अपहरण मामले में दोषी की अपील पर निर्णय लेने में 30 साल की देरी का हवाला देते हुए सजा कम की।जस्टिस मनोज कुमार गर्ग की पीठ ने कहा कि अपीलकर्ता-दोषी ने "लंबे समय तक चले मुकदमे के कारण मानसिक पीड़ा और आघात झेला है।" इस प्रकार 2 साल के कठोर कारावास की सजा को घटाकर पहले से ही भुगती गई अवधि, यानी 5 दिन कर दिया।अपीलकर्ता के खिलाफ 1992 में नाबालिग लड़की की गुमशुदगी की रिपोर्ट के संबंध में आईपीसी की धारा 363 और 366-ए के तहत अपराध के लिए मामला दर्ज किया गया। अपीलकर्ता को दोषी...

राजस्थान हाइकोर्ट ने 198 पंचायत अधिकारियों के स्थानांतरण आदेश रद्द किए, स्थानीय स्वशासी निकायों की स्वायत्तता के लिए दिशा-निर्देश जारी किए
राजस्थान हाइकोर्ट ने 198 पंचायत अधिकारियों के स्थानांतरण आदेश रद्द किए, स्थानीय स्वशासी निकायों की स्वायत्तता के लिए दिशा-निर्देश जारी किए

राजस्थान हाइकोर्ट ने उल्लेखनीय निर्णय में राजस्थान पंचायती राज अधिनियम 1994 और इसके संबंधित नियमों के तहत वैधानिक प्रावधानों के गंभीर उल्लंघन का हवाला देते हुए कई पंचायत अधिकारियों के स्थानांतरण आदेशों पर रोक लगा दी।न्यायालय ने विभिन्न रैंकों के पंचायत अधिकारियों के स्थानांतरण के लिए दिशा-निर्देश जारी किए, जिसमें स्थानीय निकायों की स्वायत्तता के महत्व और जमीनी स्तर पर लोकतंत्र को मजबूत करने की आवश्यकता पर जोर दिया गया।ग्राम सेवक और ग्राम विकास अधिकारी केरा राम सहित याचिकाकर्ताओं ने राज्य सरकार...

एक बार धारा 321 सीआरपीसी के तहत आवेदन खारिज हो जाने के बाद सरकारी वकील को आरोपी को बरी करने के लिए ट्रायल कोर्ट से अनुरोध करने का कोई अधिकार नहीं: राजस्थान हाईकोर्ट
एक बार धारा 321 सीआरपीसी के तहत आवेदन खारिज हो जाने के बाद सरकारी वकील को आरोपी को बरी करने के लिए ट्रायल कोर्ट से अनुरोध करने का कोई अधिकार नहीं: राजस्थान हाईकोर्ट

राजस्थान हाईकोर्ट ने माना कि धारा 321 सीआरपीसी के तहत अभियुक्त के खिलाफ अभियोजन वापस लेने के आवेदन को संबंधित न्यायालय द्वारा खारिज कर दिए जाने के बाद लोक अभियोजक का कर्तव्य है कि वह अभियुक्त पर मुकदमा चलाए और अभियोजन के लिए मामला खोले। जस्टिस अनूप कुमार ढांड की हाईकोर्ट की पीठ अभियुक्तों/याचिकाकर्ताओं और राजस्थान राज्य द्वारा सत्र न्यायालय द्वारा उनके खिलाफ आरोप तय करने और सत्र न्यायालय द्वारा अभियुक्तों/प्रतिवादियों को आरोपमुक्त करने के खिलाफ दायर आपराधिक पुनरीक्षण याचिकाओं पर सुनवाई कर रही...

राजस्थान हाइकोर्ट ने फोर्टिस अस्पताल में कथित रूप से अवैध किडनी ट्रांसप्लांट में शामिल मेडिकल अधिकारियों के खिलाफ FIR रद्द करने से इनकार किया
राजस्थान हाइकोर्ट ने फोर्टिस अस्पताल में कथित रूप से अवैध किडनी ट्रांसप्लांट में शामिल मेडिकल अधिकारियों के खिलाफ FIR रद्द करने से इनकार किया

राजस्थान हाइकोर्ट ने जयपुर के फोर्टिस अस्पताल में अवैध किडनी ट्रांसप्लांट से जुड़े अंतरराष्ट्रीय रैकेट से संबंधित एफआईआर रद्द करने की मांग करने वाली आपराधिक विविध याचिका को खारिज कर दी।डॉ. ज्योति बंसल और डॉ. जितेंद्र गोस्वामी जो जयपुर के फोर्टिस अस्पताल में मेडिकल अधिकारी के रूप में कार्यरत हैं, उनको भारतीय दंड संहिता, 1860 (आईपीसी) की धारा 420, 419, 471 और 120-बी के तहत दर्ज एफआईआर में नामित किया गया। जांच के दौरान उनके खिलाफ धारा 370 आईपीसी के साथ-साथ मानव अंग और ऊतक प्रत्यारोपण अधिनियम 1994...

सह-अभियुक्त समानता का दावा सिर्फ इसलिए नहीं कर सकता क्योंकि दूसरे आरोपी ने तथ्य छिपाकर अवैध रूप से जमानत हासिल की है: राजस्थान हाईकोर्ट
सह-अभियुक्त समानता का दावा सिर्फ इसलिए नहीं कर सकता क्योंकि दूसरे आरोपी ने तथ्य छिपाकर अवैध रूप से जमानत हासिल की है: राजस्थान हाईकोर्ट

यह पाते हुए कि अभियुक्त ने अपने विरुद्ध भौतिक तथ्यों और साक्ष्यों को छिपाया है तथा जमानत का आदेश प्राप्त करने के लिए गलत बयानी की है, जबकि उसके साथ-साथ अन्य सह-अभियुक्तों के विरुद्ध 'अंतिम बार देखे जाने का साक्ष्य' मौजूद था, राजस्थान हाईकोर्ट (जयपुर पीठ) ने माना कि अभियुक्त ने जानबूझकर न्याय की धारा को प्रदूषित करने का प्रयास किया है तथा जमानत प्राप्त करने के लिए गंदे हाथों से न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। अतः हाईकोर्ट ने माना कि सीआरपीसी की धारा 164 के तहत दर्ज बयानों को दबाकर तथा छिपाकर...

बेसहारा अनाथ युवती के लिए राजस्थान हाईकोर्ट ने अपनाया उदार रवैया, कहा-सौतेली माता का राजकीय सेवा में होना अनाथ युवती की अनुकम्पात्मक नियुक्ति में बाधक नहीं
बेसहारा अनाथ युवती के लिए राजस्थान हाईकोर्ट ने अपनाया उदार रवैया, कहा-सौतेली माता का राजकीय सेवा में होना अनाथ युवती की अनुकम्पात्मक नियुक्ति में बाधक नहीं

राजस्थान हाईकोर्ट ने बेसहारा अनाथ युवती के लिए उदार रवैया अपनाते हुए राज्य सरकार की इस दलील को अस्वीकार कर दिया कि सौतेली माता के राजकीय सेवा में कार्यरत होने के कारण अनाथ युवती को अनुकम्पात्मक नियुक्ति नहीं दी जा सकती।जस्टिस अरुण मोंगा की एकलपीठ ने कहा कि अनाथ याचिकाकर्ता ने अपने अस्तित्व के लिए आजीविका की तलाश के लिए इस न्यायालय का रुख किया है। इसलिए यह जरूरी है कि उसके पिता के निधन के बाद उसे सहायता प्रदान करने के लिए लागू अनुकम्पा नीतियों का लाभ दिया जाए। अनुकम्पात्मक नीति का परोपकारी इरादा...

उच्च पदस्थ पुलिस अधिकारियों पर मिलीभगत की संदेहास्पद परिस्थितियों में राजस्थान हाईकोर्ट ने CBI को सौंपी जांच
उच्च पदस्थ पुलिस अधिकारियों पर मिलीभगत की संदेहास्पद परिस्थितियों में राजस्थान हाईकोर्ट ने CBI को सौंपी जांच

"मैं सत्य के पक्ष में हूं, चाहे कोई भी इसे कहे। मैं न्याय के पक्ष में हूं, चाहे वह किसी के पक्ष में हो या किसी के खिलाफ।" मैल्कम एक्स के इस प्रसिद्ध उद्धरण का उल्लेख करते हुए राजस्थान हाईकोर्ट के जस्टिस फरजंद अली ने करोड़ों रुपए की वित्तीय धोखाधड़ी से सम्बन्धित प्रकरण के अनुसंधान में उच्च पदस्थ पुलिस अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध पाए जाने पर अनुसंधान राज्य पुलिस से केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो को सौंप दिया है।जोधपुर में बैठी जस्टिस अली की एकल न्यायाधीश पीठ ने रिपोर्टेबल जजमेंट में कहा कि निष्पक्ष...

लोग कानून अपने हाथ में नहीं ले सकते: राजस्थान हाईकोर्ट ने मॉब लिंचिंग रेप के तीन आरोपियों को जमानत देने से किया इनकार
'लोग कानून अपने हाथ में नहीं ले सकते': राजस्थान हाईकोर्ट ने मॉब लिंचिंग रेप के तीन आरोपियों को जमानत देने से किया इनकार

राजस्थान हाईकोर्ट ने उनमें से एक की नाबालिग बेटी से बलात्कार के मामले में पहले आरोपी एक व्यक्ति को पीट-पीटकर मार डालने के तीन आरोपियों को जमानत देने से इनकार कर दिया है। जमानत से इनकार करते हुए, कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि बलात्कार के लिए मृतक रोहित के खिलाफ पुलिस द्वारा दर्ज प्राथमिकी को अपीलकर्ताओं/अभियुक्तों द्वारा लिंचिंग में जमानत के उद्देश्य से ढाल के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है। जस्टिस अनिल कुमार उपमान की सिंगल जज बेंच ने यह भी कहा कि किसी भी नागरिक समाज में किसी भी कीमत पर...

अस्थायी पैरोल अवधि से अधिक समय तक रहना कैदियों के नियमों के नियम 14(सी) के तहत स्थायी पैरोल दिए जाने पर रोक नहीं: राजस्थान हाइकोर्ट
अस्थायी पैरोल अवधि से अधिक समय तक रहना कैदियों के नियमों के नियम 14(सी) के तहत स्थायी पैरोल दिए जाने पर रोक नहीं: राजस्थान हाइकोर्ट

राजस्थान हाइकोर्ट ने हाल ही में माना कि अस्थायी पैरोल अवधि से अधिक समय तक रहना राजस्थान कैदी (पैरोल पर रिहाई) नियम, 1958 के नियम 14(सी) के तहत स्थायी पैरोल प्राप्त करने पर रोक नहीं लगाया जा सकता।जस्टिस इंद्रजीत सिंह और जस्टिस आशुतोष कुमार की खंडपीठ ने कहा कि पैरोल अवधि से अधिक समय तक रहना 1958 के नियमों के नियम 14(सी) में निहित प्रतिबंधों के बराबर नहीं माना जा सकता। नियम 14(सी) में कहा गया कि जेल या पुलिस हिरासत से भागने वाले या हिरासत से भागने का प्रयास करने वाले कैदियों को स्थायी पैरोल नहीं दी...

सीआरपीसी की धारा 256 के तहत मजिस्ट्रेट की शक्ति का उपयोग कम से कम किया जाना चाहिए, रैक से डॉकेट हटाने के सांख्यिकीय उद्देश्यों के लिए नहीं: राजस्थान हाईकोर्ट
सीआरपीसी की धारा 256 के तहत मजिस्ट्रेट की शक्ति का उपयोग कम से कम किया जाना चाहिए, 'रैक से डॉकेट हटाने के सांख्यिकीय उद्देश्यों' के लिए नहीं: राजस्थान हाईकोर्ट

राजस्थान हाईकोर्ट ने हाल ही में सीआरपीसी की धारा 256 के तहत मजिस्ट्रेट की शक्तियों पर विस्तार से चर्चा की, जिसका उपयोग विवेकपूर्ण तरीके से किया जाना चाहिए और निश्चित निष्कर्ष पर आधारित होना चाहिए कि शिकायतकर्ता अब आरोपी पर मुकदमा नहीं चलाना चाहता।अदालत ने कहा कि ऐसी शक्ति का उपयोग 'रैक से डॉकेट हटाने' जैसे सांख्यिकीय उद्देश्यों के लिए 'मनमाने ढंग से' और 'यांत्रिक रूप से' नहीं किया जाना चाहिए। इसने रेखांकित किया कि इस तरह के कठोर कदम न्याय के उद्देश्य को कमजोर कर देंगे।यह मामला एन.आई. एक्ट की...

मजिस्ट्रेट और सेशन कोर्ट द्वारा एक ही आरोपी के विरुद्ध विभिन्न अपराधों के लिए आंशिक संज्ञान लेना उचित नहीं: राजस्थान हाइकोर्ट
मजिस्ट्रेट और सेशन कोर्ट द्वारा एक ही आरोपी के विरुद्ध विभिन्न अपराधों के लिए आंशिक संज्ञान लेना उचित नहीं: राजस्थान हाइकोर्ट

राजस्थान हाइकोर्ट ने माना कि एक ही आरोपी के विरुद्ध विभिन्न अपराधों के लिए अलग-अलग न्यायालयों द्वारा दो बार संज्ञान नहीं लिया जा सकता।जस्टिस अनूप कुमार ढांड की सिंगल बेंच ने कहा कि अतिरिक्त सेशन जज द्वारा याचिकाकर्ता क्रमांक 1 से 3 के विरुद्ध धारा 307 और 148 के अंतर्गत नए सिरे से संज्ञान लेने का कार्य, मजिस्ट्रेट द्वारा पहले से संज्ञान लिए गए आईपीसी की धारा 323, 341, 325, 308 और 379 के अंतर्गत आने वाले अपराधों के अतिरिक्त कानून के अनुरूप नहीं है।जयपुर में बैठी पीठ ने कहा,"इसमें कोई संदेह नहीं है...