हस्ताक्षर न करने के कारण चयन वेतनमान से वंचित पात्र सरकारी लेक्चरर को राजस्थान हाईकोर्ट से राहत
Amir Ahmad
24 April 2025 6:23 AM

राजस्थान हाईकोर्ट ने एक सरकारी लेक्चरर को चयन वेतनमान (Selection Scale) देने से इनकार करने के राज्य सरकार का निर्णय खारिज कर दिया। याचिकाकर्ता से यह लाभ केवल इसलिए छीना गया था, क्योंकि उसने आवेदन पत्र भरने के बाद उस पर हस्ताक्षर नहीं किए, जबकि शेष विवरण सही तरीके से भरे गए थे।
जस्टिस विनीत कुमार माथुर ने अपने आदेश में कहा,
"केवल इस आधार पर कि आवेदन पत्र पर हस्ताक्षर नहीं किए गए, यदि उसमें भरी गई जानकारी सही है और याचिकाकर्ता अन्यथा चयन वेतनमान के लिए पात्र है तो उसे इस लाभ से वंचित नहीं किया जा सकता।"
याचिकाकर्ता राज्य के शिक्षा विभाग में जूनियर कृषि शिक्षक के पद पर कार्यरत है और रिटायमेंट से पहले चयन वेतनमान के लिए आवेदन किया था। हालांकि, उनके रिटायरमेंट से पहले विभागीय अनुशासनात्मक कार्यवाही चली, जिसके अंत में 18.05.2022 को 10 वर्षों के लिए उनकी पेंशन में 10% कटौती का दंड दिया गया।
याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया कि याचिकाकर्ता सेवा के दौरान चयन वेतनमान के लिए पात्र था लेकिन केवल आवेदन पत्र पर हस्ताक्षर न होने के कारण वेतनमान का लाभ नहीं दिया गया। जबकि विवरण सही तरीके से भरे गए और सम्बंधित अधिकारी द्वारा उस फॉर्म को आगे बढ़ाकर चयन वेतनमान की सिफारिश भी की गई थी।
राज्य सरकार की ओर से यह तर्क दिया गया कि याचिकाकर्ता पर रिटायमेंट से पहले अनुशासनात्मक कार्रवाई हुई थी। उसमें उन्हें दंडित किया गया, इसलिए वह चयन वेतनमान पाने का हकदार नहीं है।
इस पर न्यायालय ने कहा,
"जब राज्य सरकार याचिकाकर्ता की अयोग्यता साबित नहीं कर पाई तब केवल आवेदन पत्र पर हस्ताक्षर न होना चयन वेतनमान से वंचित करने का आधार नहीं हो सकता।"
अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि दंड दिए जाने का आधार भी चयन वेतनमान से वंचित करने के लिए पर्याप्त नहीं है, यदि वह वेतनमान उस समय देय था जब अनुशासनात्मक कार्यवाही लंबित थी।
अतः अदालत ने याचिका को स्वीकृत करते हुए राज्य सरकार को निर्देश दिया कि याचिकाकर्ता को चयन वेतनमान वह तिथि मानकर दिया जाए, जब यह देय था।
टाइटल: सत्यवीर सिंह बनाम राज्य राजस्थान एवं अन्य