राज�थान हाईकोट

राजस्‍थान हाईकोर्ट ने कहा, लुक आउट सर्कुलर की प्रारंभिक वैधता 4 सप्ताह से अधिक नहीं हो सकती, मूल एजेंसी को विस्तार मांगने के लिए कारण बताना होगा; दिशा-निर्देश जारी किए
राजस्‍थान हाईकोर्ट ने कहा, लुक आउट सर्कुलर की प्रारंभिक वैधता 4 सप्ताह से अधिक नहीं हो सकती, मूल एजेंसी को विस्तार मांगने के लिए कारण बताना होगा; दिशा-निर्देश जारी किए

राजस्‍थान हाईकोर्ट ने लुक आउट सर्कुलर (एलओसी) जारी करने/जारी रखने के लिए संबंधित अधिकारियों/एजेंसियों द्वारा पालन किए जाने वाले दिशा-निर्देशों को निर्धारित करते हुए, कहा कि एलओसी जारी करने वाली मूल एजेंसी द्वारा पारित आदेश में "विशेष रूप से" यह उल्लेख होना चाहिए कि यह केवल चार सप्ताह के लिए वैध है। अदालत ने रेखांकित किया कि एलओसी का विस्तार केवल तभी अनुमत है जब मूल एजेंसी लिखित में कारण बताए। जस्टिस अरुण मोंगा ने वैवाहिक विवाद में एफआईआर दर्ज करने के अनुसरण में पुलिस अधिकारियों (श्रीगंगानगर,...

एक साल बाद अस्थायी कुर्की समाप्त: राजस्थान हाईकोर्ट ने निर्धारिती को बैंक खाता संचालित करने की अनुमति दी
एक साल बाद अस्थायी कुर्की समाप्त: राजस्थान हाईकोर्ट ने निर्धारिती को बैंक खाता संचालित करने की अनुमति दी

राजस्थान हाईकोर्ट ने कहा कि CGST Act की धारा 83 के तहत अस्थायी कुर्की एक वर्ष के बाद समाप्त हो जाती है और नए कारण बताए बिना इसे फिर से कुर्क नहीं किया जा सकता है।चीफ़ जस्टिस मणींद्र मोहन श्रीवास्तव और जस्टिस आशुतोष कुमार की खंडपीठ एक ऐसे मामले से निपट रही थी, जिसमें निर्धारिती ने विभाग के अपने बैंक खाते की कुर्की को इस आधार पर चुनौती दी थी कि, CGST Act की धारा 83 (2) के अनुसार, बैंक खाते की अनंतिम कुर्की एक वर्ष के बाद प्रभावी नहीं होती है। आक्षेपित आदेश 26.06.2023 को जारी किया गया था, लेकिन...

राज्य को राजस्थान हाउसिंग बोर्ड अधिनियम की धारा 27 के तहत निर्माण पर रोक लगाने के बाद उचित समय में भूमि अधिग्रहण का काम पूरा करना होगा: हाईकोर्ट
राज्य को राजस्थान हाउसिंग बोर्ड अधिनियम की धारा 27 के तहत निर्माण पर रोक लगाने के बाद उचित समय में भूमि अधिग्रहण का काम पूरा करना होगा: हाईकोर्ट

राजस्थान हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया कि राजस्थान हाउसिंग बोर्ड अधिनियम 1970 की धारा 27 के तहत किसी भी भूमि पर निर्माण पर रोक लगाने वाली अधिसूचना अवैध है। प्रस्तावित योजना क्षेत्र में भूमि मालिकों के संपत्ति के उपभोग के अधिकार पर असर पड़ता है, इसलिए उसे अनिश्चित काल के लिए संपत्ति को अवरुद्ध करने की अनुमति नहीं दी जा सकती।जस्टिस मनिंद्र मोहन श्रीवास्तव और जस्टिस मुन्नुरी लक्ष्मण की खंडपीठ ने कहा कि अधिसूचना जारी करने के बाद आवास बोर्ड और राज्य सरकार भूमि अधिग्रहण की कार्यवाही को तेजी से आगे बढ़ाने...

राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों द्वारा अपने राजनीतिक करियर को बर्बाद करने के लिए अपने विरोधियों को मामले में घसीटना आम बात: राजस्थान हाईकोर्ट ने SP से सरपंच के खिलाफ FIR की जांच की निगरानी करने को कहा
राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों द्वारा अपने राजनीतिक करियर को बर्बाद करने के लिए अपने विरोधियों को मामले में घसीटना आम बात: राजस्थान हाईकोर्ट ने SP से सरपंच के खिलाफ FIR की जांच की निगरानी करने को कहा

सरपंच के खिलाफ दर्ज FIR रद्द करने की याचिका पर राजस्थान हाईकोर्ट की जोधपुर पीठ ने पुलिस अधीक्षक (SP) को व्यक्तिगत रूप से जांच की निगरानी करने का निर्देश दिया। न्यायालय ने कहा कि ऐसे समय में जब राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों द्वारा अपने विरोधियों को उनके राजनीतिक करियर को नुकसान पहुंचाने के लिए मामले में घसीटना आम बात है, पुलिस को निष्पक्ष जांच करने का निर्देश देना उचित है।न्यायालय एक सरपंच द्वारा दायर की गई याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें उसके खिलाफ दर्ज FIR रद्द करने की मांग की गई, जिसमें...

गम्भीर प्रक्रियागत त्रुटि की अनदेखी नहीं कर सकता संवैधानिक न्यायालय: जमानत याचिका में अंतर्निहित शक्तियों का उपयोग करते हुए राजस्थान हाईकोर्ट ने कहा
गम्भीर प्रक्रियागत त्रुटि की अनदेखी नहीं कर सकता संवैधानिक न्यायालय: जमानत याचिका में अंतर्निहित शक्तियों का उपयोग करते हुए राजस्थान हाईकोर्ट ने कहा

राजस्थान हाईकोर्ट ने क्षेत्राधिकार के बिना केन्द्रीय नारकोटिक्स ब्यूरो की कार्रवाई और अभियोजन प्रक्रिया पर गंभीर सवाल उठाते हुए ब्यूरो को सम्बन्धित विशेष न्यायालय से मामले को वापस लेने और एक महीने के भीतर सक्षम न्यायालय में प्रस्तुत करने के आदेश दिए हैं।NDPS Act के तहत दर्ज एक मामले में गिरफ्तार एक आरोपी की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायालय ने पाया कि जब्ती की प्रक्रिया मध्य प्रदेश के मंदसौर में होने के बावजूद सीबीएन ने मामले राजस्थान के चित्तौडग़ढ़ में संस्थित करवाया है। जो कि निर्धारित...

कक्षा 10 की मार्कशीट एक सार्वजनिक दस्तावेज, जन्म प्रमाण के रूप में विश्वसनीय और प्रामाणिक: राजस्थान हाईकोर्ट
कक्षा 10 की मार्कशीट एक सार्वजनिक दस्तावेज, जन्म प्रमाण के रूप में विश्वसनीय और प्रामाणिक: राजस्थान हाईकोर्ट

राजस्थान हाईकोर्ट की जयपुर पीठ ने एक व्यक्ति को सरपंच पद के लिए अयोग्य ठहराने के चुनाव न्यायाधिकरण के फैसले को बरकरार रखते हुए कहा कि मैट्रिकुलेशन प्रमाण पत्र (कक्षा 10 की मार्कशीट) एक सार्वजनिक दस्तावेज है और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 35 के अनुसार विश्वसनीय और प्रामाणिक है। न्यायालय ने कहा कि यह विशेष रूप से इस तथ्य के मद्देनजर था कि कक्षा 10 की मार्कशीट में दिखाई देने वाली जन्म तिथि अंतिम हो गई थी क्योंकि उसे चुनौती नहीं दी गई थी।ज‌स्टिस अनूप कुमार ढांड की पीठ एक सरपंच द्वारा दायर याचिका...

सार्वजनिक समारोहों में बिजली आपूर्ति जैसे मामलों में एकतरफा रोक नहीं दी जानी चाहिए, अवकाश याचिका पर शीघ्र निर्णय लिया जाना चाहिए: राजस्थान हाईकोर्ट
सार्वजनिक समारोहों में बिजली आपूर्ति जैसे मामलों में एकतरफा रोक नहीं दी जानी चाहिए, अवकाश याचिका पर शीघ्र निर्णय लिया जाना चाहिए: राजस्थान हाईकोर्ट

राजस्थान हाईकोर्ट की जयपुर पीठ ने फैसला सुनाया कि राज्य में उपभोक्ताओं को बिजली जैसी सार्वजनिक सेवाओं की आपूर्ति को प्रभावित करने वाले मामलों में, आमतौर पर एकपक्षीय अंतरिम आदेश नहीं दिया जाना चाहिए, और यदि ऐसा किया भी जाता है, तो रोक हटाने के आवेदन पर शीघ्रता से विचार किया जाना चाहिए। यह टिप्पणी अवकाश न्यायाधीश के 25 जून के अंतरिम आदेश के खिलाफ दायर अपील में आई, जिसमें प्रतिवादी संख्या 1 सोमी कन्वेयर बेल्टिंग्स लिमिटेड के पक्ष में एकपक्षीय अंतरिम रोक लगाई गई थी, जिसमें अपीलकर्ता राजस्थान...

किसी मुकदमे का मूल्यांकन दावा की गई राहत की प्रकृति पर आधारित होता है, संपत्ति के बाजार मूल्य पर नहीं: राजस्थान हाईकोर्ट ने दोहराया
किसी मुकदमे का मूल्यांकन दावा की गई राहत की प्रकृति पर आधारित होता है, संपत्ति के बाजार मूल्य पर नहीं: राजस्थान हाईकोर्ट ने दोहराया

एक संपत्ति की बिक्री से संबंधित विवाद की सुनवाई करते हुए, जोधपुर राजस्थान हाईकोर्ट ने दोहराया कि यह केवल दावा की गई राहत की प्रकृति और मूल्यांकन था जिसके आधार पर सूट का मूल्यांकन और अदालत शुल्क निर्धारित किया गया था और किसी भी संपत्ति का बाजार मूल्य नहीं था।जस्टिस रेखा बोराना अतिरिक्त जिला न्यायाधीश के एक आदेश के खिलाफ एक याचिका पर सुनवाई कर रही थीं, जिसमें भले ही मुकदमा खारिज करने के लिए एक आवेदन खारिज कर दिया गया था, लेकिन याचिकाकर्ताओं को मुकदमे का पुनर्मूल्यांकन करने और अदालत की फीस का...

REET | यदि राज्य सरकार की एक एजेंसी उम्मीदवार को योग्य घोषित करती है तो दूसरी सरकारी एजेंसी उसे अयोग्य घोषित नहीं कर सकती: राजस्थान हाईकोर्ट
REET | यदि राज्य सरकार की एक एजेंसी उम्मीदवार को योग्य घोषित करती है तो दूसरी सरकारी एजेंसी उसे अयोग्य घोषित नहीं कर सकती: राजस्थान हाईकोर्ट

राजस्थान हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया है कि एक बार राज्य सरकार की एक एजेंसी यानी शिक्षा बोर्ड ने किसी अभ्यर्थी को REET लेवल-I परीक्षा उत्तीर्ण प्रमाणित कर दिया, तो दूसरी एजेंसी यानी शिक्षा विभाग के लिए यह अधिकार नहीं है कि वह यह कहकर उसकी उम्मीदवारी खारिज कर दे कि उसने परीक्षा उत्तीर्ण नहीं की है। जस्टिस फरजंद अली की पीठ राज्य शिक्षा विभाग द्वारा आयोजित सहायक अध्यापक लेवल-I की भर्ती के एक अभ्यर्थी द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसकी उम्मीदवारी इस आधार पर खारिज कर दी गई थी कि उसके 82/150...

आपराधिक मामले में सम्मानजनक बरी न होने पर अवसर से वंचित करना समाज में पुनः एकीकरण के सिद्धांत के विरुद्ध: राजस्थान हाईकोर्ट
आपराधिक मामले में 'सम्मानजनक' बरी न होने पर अवसर से वंचित करना समाज में पुनः एकीकरण के सिद्धांत के विरुद्ध: राजस्थान हाईकोर्ट

राजस्थान हाईकोर्ट ने पुलिस अधीक्षक के उस आदेश को खारिज कर दिया है, जिसमें याचिकाकर्ता की कांस्टेबल पद के लिए उम्मीदवारी को इस आधार पर खारिज कर दिया गया था कि उसके खिलाफ दर्ज एफआईआर में उसे बरी करना सम्मानजनक नहीं था, बल्कि सबूतों के अभाव में ऐसा किया गया था। जस्टिस अरुण मोंगा की पीठ ने फैसला सुनाया कि बरी होना, चाहे किसी भी आधार पर हो, बरी होना ही है, जिससे याचिकाकर्ता की कानून का पालन करने वाले नागरिक के रूप में स्थिति बहाल होती है। यह माना गया कि केवल एफआईआर के आधार पर याचिकाकर्ता को नियुक्ति...

38 साल के बेदाग रिकॉर्ड वाले कांस्टेबल को जाली मार्कशीट जमा करने के लिए सेवा से हटाया जाना अनुपातहीन: राजस्थान हाईकोर्ट
38 साल के बेदाग रिकॉर्ड वाले कांस्टेबल को जाली मार्कशीट जमा करने के लिए सेवा से हटाया जाना अनुपातहीन: राजस्थान हाईकोर्ट

राजस्थान हाईकोर्ट ने कांस्टेबल के खिलाफ सेवा से हटाने की सजा खारिज की, जिस पर सेवा में प्रवेश के समय जाली मार्कशीट जमा करने का आरोप लगाया गया यह फैसला देते हुए कि याचिकाकर्ता के 38 साल के बेदाग सेवा रिकॉर्ड और कदाचार की प्रकृति को देखते हुए सजा अनुपातहीन और अत्यधिक थी।जस्टिस विनीत कुमार माथुर की पीठ पुलिस अधीक्षक भ्रष्टाचार निरोधक बोर्ड (ACB) के आदेश के खिलाफ याचिकाकर्ता द्वारा दायर रिट याचिका पर सुनवाई कर रही, जिसमें याचिकाकर्ता को सेवा से हटाने और रिटायरमेंट की वास्तविक तिथि के बाद उसे दिए गए...

3 साल से अधिक की देरी के बाद कलेक्टर का संदर्भ अमान्य: राजस्थान हाईकोर्ट
3 साल से अधिक की देरी के बाद कलेक्टर का संदर्भ अमान्य: राजस्थान हाईकोर्ट

राजस्थान हाईकोर्ट की जोधपुर पीठ ने एक भूमि पार्सल से संबंधित कलेक्टर के 20 साल पुराने संदर्भ आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें कहा गया था कि चूंकि भूमि एक देवता डोली मंडित श्री ठाकुर जी पुरोहित की थी, इसलिए इसे मूल मालिक के नाम पर दर्ज नहीं किया जा सकता था, जिससे याचिकाकर्ताओं ने बाद में जमीन खरीदी थी।इसने राजस्व बोर्ड के आदेश को भी रद्द कर दिया, जिसने याचिकाकर्ताओं से संबंधित भूमि की म्यूटेशन प्रविष्टियों को रद्द कर दिया, जिन्होंने मूल मालिक के बेटे से जमीन खरीदी थी, जबकि कलेक्टर का संदर्भ लंबित था।...

राजस्थान हाईकोर्ट ने दुर्घटना में वाहन के उधारकर्ता की मृत्यु पर मुआवज़ा देने का आदेश दिया, कहा- वह मालिक की जगह पर था और बीमा द्वारा कवर किया गया
राजस्थान हाईकोर्ट ने दुर्घटना में वाहन के उधारकर्ता की मृत्यु पर मुआवज़ा देने का आदेश दिया, कहा- वह मालिक की जगह पर था और बीमा द्वारा कवर किया गया

सुप्रीम कोर्ट के परस्पर विरोधी निर्णयों का सामना करते हुए राजस्थान हाईकोर्ट ने मृतक के दावेदारों को मुआवज़ा देते हुए पुष्टि की कि ऐसे मामलों में जहां मृतक उधार लिए गए वाहन को चला रहा था, वह मालिक की जगह पर था और इस प्रकार बीमा अनुबंध के अनुसार व्यक्तिगत दुर्घटना कवर के लिए मुआवज़े का हकदार होगा, यदि व्यक्तिगत दुर्घटना कवर के लिए मालिक से प्रीमियम लिया गया ।जस्टिस नुपुर भाटी की पीठ मोटर दुर्घटना दावा ट्रिब्यूनल के निर्णय के विरुद्ध मृतक के दावेदारों द्वारा दायर अपील पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें...

मुकदमे के कम मूल्यांकन या अपर्याप्त फीस कोर्ट के आधार पर दायर मुकदमा खारिज करने का आवेदन खारिज करने में कोई गलती नहीं: राजस्थान हाईकोर्ट
मुकदमे के कम मूल्यांकन या अपर्याप्त फीस कोर्ट के आधार पर दायर मुकदमा खारिज करने का आवेदन खारिज करने में कोई गलती नहीं: राजस्थान हाईकोर्ट

राजस्थान हाईकोर्ट ने सिविल जज द्वारा आदेश 7 नियम 11 CPC के तहत मुकदमा खारिज करने के उनका आवेदन खारिज करने के आदेश को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ता की चुनौती खारिज की, जो इस आधार पर दायर की गई थी कि मुकदमे का मूल्यांकन कम किया गया और अपर्याप्त फीस कोर्ट का भुगतान करने के बाद दायर किया गया।जस्टिस मनोज कुमार गर्ग की पीठ ने फैसला सुनाया कि भले ही कम मूल्यांकन या अपर्याप्त फीस कोर्ट का भुगतान किया गया हो, ट्रायल कोर्ट मुकदमे के अंतिम चरण में इस आपत्ति पर विचार कर सकता है। इसलिए सिविल जज द्वारा...

यह मानना ​​बेतुका है कि जज आदेश पारित करते समय गलती नहीं कर सकते: राजस्थान हाईकोर्ट ने 9 साल बाद एडीजे की अनिवार्य सेवानिवृत्ति को खारिज किया
यह मानना ​​बेतुका है कि जज आदेश पारित करते समय गलती नहीं कर सकते: राजस्थान हाईकोर्ट ने 9 साल बाद एडीजे की अनिवार्य सेवानिवृत्ति को खारिज किया

राजस्थान हाईकोर्ट ने अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश पर 2015 में लगाई गई अनिवार्य सेवानिवृत्ति की सजा को खारिज कर दिया है। न्यायाधीश ने हत्या के आरोपी की दूसरी जमानत याचिका को स्वीकार कर लिया था, जबकि उन्हें इस बात की जानकारी थी कि पहली जमानत याचिका हाईकोर्ट द्वारा खारिज कर दी गई थी और हाईकोर्ट के समक्ष स्थानांतरण याचिका लंबित थी। जस्टिस श्री चंद्रशेखर और जस्टिस कुलदीप माथुर की खंडपीठ ने कहा कि जांच न्यायाधीश को इस निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए कोई सामग्री नहीं मिली कि दूसरी जमानत याचिका में...

कलेक्टर भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के अभियोजन स्वीकृति के मसौदे को साइक्लोस्टाइल नहीं कर सकते, उन्हें स्वतंत्र विचार रखना चाहिए: राजस्थान हाईकोर्ट
कलेक्टर भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के अभियोजन स्वीकृति के मसौदे को साइक्लोस्टाइल नहीं कर सकते, उन्हें स्वतंत्र विचार रखना चाहिए: राजस्थान हाईकोर्ट

राजस्थान हाईकोर्ट ने दोहराया कि अभियोजन स्वीकृति प्रदान करना महज औपचारिकता नहीं है और स्वीकृति देने वाले प्राधिकारी को मामले के तथ्यों की पूरी जानकारी होने के बाद ही अपना कर्तव्य निभाना चाहिए।जस्टिस चंद्रशेखर और जस्टिस रेखा बोराणा की खंडपीठ ने आगे कहा कि स्वीकृति का पालन पूरी सख्ती के साथ किया जाना चाहिए, जिसमें जनहित और जिस आरोपी के खिलाफ स्वीकृति मांगी गई। उसे उपलब्ध सुरक्षा को ध्यान में रखा जाना चाहिए।न्यायालय एकल जज के आदेश के खिलाफ दायर विशेष अपील पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें कलेक्टर द्वारा...

राजस्थान हाईकोर्ट ने अतिक्रमण मामले में तत्कालीन जोधपुर कलेक्टर, एसडीओ, तहसीलदार को पक्ष बनाया
राजस्थान हाईकोर्ट ने अतिक्रमण मामले में तत्कालीन जोधपुर कलेक्टर, एसडीओ, तहसीलदार को पक्ष बनाया

भूमि पर अतिक्रमण से संबंधित अवमानना ​​मामले में राजस्थान हाईकोर्ट की जोधपुर पीठ ने याचिकाकर्ता को तत्कालीन संबंधित कलेक्टर, उपखंड अधिकारी और तहसीलदार को पक्ष बनाने का निर्देश दिया, जिससे उनका पक्ष जाना जा सके साथ ही उन्हें चेतावनी दी कि यदि वे न्यायालय के आदेशों का पालन नहीं करते हैं तो उन्हें जेल की सजा सहित दंड दिया जा सकता है।चीफ जस्टिस मनिंद्र मोहन श्रीवास्तव और जस्टिस मुन्नुरी लक्ष्मण की खंडपीठ याचिकाकर्ता द्वारा दायर अवमानना ​​याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें जिला कलेक्टर, जोधपुर द्वारा...

मध्यस्थता खंड के तहत मध्यस्थ की नियुक्ति प्रत्यक्ष रूप से वैध न होने पर धारा 11(6) के तहत न्यायालय के अधिकार क्षेत्र को रोका नहीं जा सकता: राजस्थान हाईकोर्ट
मध्यस्थता खंड के तहत मध्यस्थ की नियुक्ति प्रत्यक्ष रूप से वैध न होने पर धारा 11(6) के तहत न्यायालय के अधिकार क्षेत्र को रोका नहीं जा सकता: राजस्थान हाईकोर्ट

राजस्थान हाईकोर्ट के जस्टिस सुदेश बंसल की पीठ ने पुष्टि की कि जब तक मध्यस्थ की नियुक्ति प्रत्यक्ष रूप से वैध न हो और ऐसी नियुक्ति मध्यस्थता अधिनियम की धारा 11(6) के तहत अधिकार क्षेत्र का प्रयोग करने वाले न्यायालय को संतुष्ट न करे, तब तक धारा 11(6) के तहत अधिकार क्षेत्र को रोकने के लिए ऐसी नियुक्ति को तथ्य के रूप में स्वीकार करना कानून में मान्य नहीं हो सकता।संक्षिप्त तथ्यआवेदक द्वारा मध्यस्थता एवं सुलह अधिनियम, 1996 (A&C Act) की धारा 11(5) एवं (6) के अंतर्गत 'श्री माहेश्वरी समाज' के संविधान...

[राजस्थान पुलिस सेवा नियम] वरिष्ठता-सह-योग्यता मानदंड, वहां निंदा दंड पदोन्नति में बाधा नहीं बन सकता: हाईकोर्ट
[राजस्थान पुलिस सेवा नियम] वरिष्ठता-सह-योग्यता मानदंड, वहां निंदा दंड पदोन्नति में बाधा नहीं बन सकता: हाईकोर्ट

राजस्थान हाईकोर्ट ने फिर से पुष्टि की कि जहां पद के लिए चयन मानदंड केवल योग्यता पर आधारित नहीं है बल्कि इसमें वरिष्ठता का भी एक घटक है, वहां निंदा दंड पदोन्नति में बाधा नहीं है।जस्टिस फरजंद अली की पीठ सेवानिवृत्त अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (ASP) द्वारा दायर रिट याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें राज्य सरकार को 2015-16 की रिक्ति के बजाय 2008-09 की रिक्ति के विरुद्ध पुलिस अधीक्षक के पद पर उनकी पदोन्नति पर विचार करने का निर्देश देने की मांग की गई।याचिकाकर्ता का मामला यह था कि उसे 2005 में पदोन्नति की...