राज�थान हाईकोट

भर्ती प्रक्रिया शुरू होने के बाद उत्पन्न होने वाली अतिरिक्त रिक्तियों को संबंधित सेवा नियमों की आड़ में दो अंशों में विभाजित करना अवैध: राजस्थान हाईकोर्ट
भर्ती प्रक्रिया शुरू होने के बाद उत्पन्न होने वाली अतिरिक्त रिक्तियों को संबंधित सेवा नियमों की आड़ में "दो अंशों" में विभाजित करना अवैध: राजस्थान हाईकोर्ट

राजस्थान हाईकोर्ट ने आयुष विभाग में कंपाउंडर या नर्सों की भर्ती से संबंधित एक मामले में कहा कि प्रक्रिया शुरू होने के बाद उत्पन्न होने वाली अतिरिक्त रिक्तियों को संबंधित सेवा नियमों की आड़ में "दो अंशों" में विभाजित करना अवैध है और उम्मीदवारों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है।हाईकोर्ट ने आगे कहा कि राजस्थान आयुर्वेदिक, यूनानी, होम्योपैथी और प्राकृतिक चिकित्सा अधीनस्थ सेवा नियमों का नियम 16 राज्य प्राधिकरणों को केवल एक शॉर्टकट बनाने के लिए नए अर्जित / बाद में सूचित किए गए पदों को विभाजित या...

बलात्कार के मामले में DNA प्रोफाइलिंग के न्यायालय के आदेश के बाद आरोपी ब्लड का सैंपल देने से मना कर सकता है: राजस्थान हाईकोर्ट
बलात्कार के मामले में DNA प्रोफाइलिंग के न्यायालय के आदेश के बाद आरोपी ब्लड का सैंपल देने से मना कर सकता है: राजस्थान हाईकोर्ट

राजस्थान हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया कि बलात्कार के मामले में आरोपी की DNA प्रोफाइलिंग की अनुमति देने वाला न्यायिक आदेश अनुच्छेद 20(3) के तहत आत्म-दोष के खिलाफ संवैधानिक संरक्षण का उल्लंघन नहीं करता, क्योंकि न्यायालय द्वारा ऐसा आदेश पारित करने के बाद भी ब्लड का सैंपल देने से मना करने का विकल्प आरोपी के पास होगा।जस्टिस अरुण मोंगा की एकल पीठ ने कहा,"याचिकाकर्ता के पास यह विकल्प है कि वह विचाराधीन DNA test के लिए अपना ब्लड सैंपल दे या नहीं। यदि वह विचाराधीन DNA टेस्ट के लिए अपना ब्लड सैंपल नहीं देना...

मुख्य गवाह की गवाही दर्ज करने में देरी से इसकी विश्वसनीयता पर संदेह पैदा होता है: राजस्थान हाईकोर्ट ने दोहराया
मुख्य गवाह की गवाही दर्ज करने में देरी से इसकी विश्वसनीयता पर संदेह पैदा होता है: राजस्थान हाईकोर्ट ने दोहराया

एक मामले की सुनवाई करते हुए जिसमें गवाह ने एक साल बाद गवाही दी थी, जिसमें उसने दावा किया कि उसने हत्या के लिए गिरफ्तार किए गए लोगों को देखा था, राजस्थान हाईकोर्ट की जोधपुर पीठ ने दोहराया कि महत्वपूर्ण साक्ष्य प्रदान करने में देरी से मुख्य गवाह की गवाही की सत्यता पर संदेह पैदा होता है।यह देखते हुए कि कोई प्रत्यक्ष चश्मदीद गवाह नहीं था और न ही कथित हमलावरों की तुरंत पहचान की गई थी, अदालत ने कहा कि मुख्य साक्ष्य जो परिस्थितिजन्य था, उसे आसानी से चुनौती दी जा सकती है।जस्टिस राजेंद्र प्रकाश सोनी की...

ड्राइविंग स्कूल लाइसेंस धारक की मृत्यु पर स्वतः रद्द होने का कोई प्रावधान नहीं, राज्य को उत्तराधिकारी को हस्तांतरण की अनुमति देनी चाहिए: राजस्थान हाईकोर्ट
ड्राइविंग स्कूल लाइसेंस धारक की मृत्यु पर स्वतः रद्द होने का कोई प्रावधान नहीं, राज्य को उत्तराधिकारी को हस्तांतरण की अनुमति देनी चाहिए: राजस्थान हाईकोर्ट

राजस्थान हाईकोर्ट ने एक फैसले में कहा कि लाइसेंसधारी की मृत्यु पर मोटर ड्राइविंग स्कूल चलाने के लिए लाइसेंस को स्वतः रद्द करने की अनुमति नहीं दी जा सकती, क्योंकि इसके लिए कोई वैधानिक प्रावधान नहीं है। इसलिए न्यायमूर्ति रेखा बोराना की पीठ ने इस आशय के आदेश को रद्द कर दिया और परिवहन विभाग को निर्देश दिया कि वह मृतक की पत्नी (याचिकाकर्ता) की योग्यता का आकलन लागू कानूनों के तहत करे, ताकि उसे ऐसा लाइसेंस दिया जा सके और यदि वह योग्य पाई जाती है, तो उसके पति का लाइसेंस उसके नाम पर स्थानांतरित कर दिया...

अवैध रूप से प्रतिबंधित पदार्थ ले जा रहे वाहन का स्वामित्व मात्र NDPS Act के तहत अपराध में संलिप्तता का संकेत नहीं देता: राजस्थान हाईकोर्ट
अवैध रूप से प्रतिबंधित पदार्थ ले जा रहे वाहन का स्वामित्व मात्र NDPS Act के तहत अपराध में संलिप्तता का संकेत नहीं देता: राजस्थान हाईकोर्ट

964 किलोग्राम पोस्ता भूसा के संबंध में NDPS Act के तहत आरोपित आरोपी को जमानत देते हुए राजस्थान हाईकोर्ट में जस्टिस राजेंद्र प्रकाश सोनी की पीठ ने फैसला सुनाया कि जिस वाहन से प्रतिबंधित पदार्थ बरामद किया गया, उसके स्वामित्व या उससे संबंध मात्र से यह संकेत नहीं मिलता कि आरोपी को अपराध की जानकारी थी या वह वास्तव में उसमें संलिप्त था।मामले के तथ्य यह थे कि पुलिस को चौराहे पर वाहन खड़ा मिला, जिसका टायर पंक्चर था> चालक की तरफ के दरवाजे पर गोली के निशान थे और चालक की सीट पर खून लगा था। जब उसकी तलाशी...

राजस्थान हाईकोर्ट ने बलात्कार के आरोपी चाचा को जमानत देने से किया इनकार
राजस्थान हाईकोर्ट ने बलात्कार के आरोपी चाचा को जमानत देने से किया इनकार

राजस्थान हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया कि नाबालिग पीड़िता के बयानों में कुछ विरोधाभास, खासकर यौन शोषण के मामले में ऐसी घटनाओं की दर्दनाक प्रकृति के कारण हो सकते हैं। पीड़िता की गवाही में ऐसी मामूली असंगतताएं आरोपी को जमानत देने के लिए पर्याप्त नहीं हैं जब आरोपों की समग्र विश्वसनीयता बरकरार है।जस्टिस राजेंद्र प्रकाश सोनी की पीठ ने यह भी कहा कि यौन अपराधों की गंभीरता, खासकर पारिवारिक संबंधों से जुड़े अपराध, अपराध को और गंभीर बनाते हैं और इस पर सख्त विचार की आवश्यकता है।अदालत ऐसे मामले में जमानत याचिका...

राजस्थान हाईकोर्ट ने अनावश्यक वित्तीय बोझ के कारण अभियुक्त को जेल से वर्चुअली ट्रायल में शामिल होने की अनुमति दी
राजस्थान हाईकोर्ट ने अनावश्यक वित्तीय बोझ के कारण अभियुक्त को जेल से वर्चुअली ट्रायल में शामिल होने की अनुमति दी

राजस्थान हाईकोर्ट ने अभियुक्त की ट्रायल कोर्ट के समक्ष शारीरिक रूप से उपस्थित होने से छूट की याचिका स्वीकार की और उसे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से गवाहों के बयान दर्ज करने सहित कार्यवाही में शामिल होने की अनुमति दी। कोर्ट ने उक्त अनुमित इस आधार पर दी कि अभियुक्त को यात्रा के दौरान दुश्मन गिरोहों से सुरक्षा को खतरा होने की आशंका है।“यह उचित माना जाता है कि याचिकाकर्ता की शारीरिक उपस्थिति को ट्रायल कोर्ट द्वारा केवल तभी निर्देशित किया जाए, जब यह आवश्यक हो कारणों को दर्ज करके अन्य सुनवाई में...

राजस्थान हाईकोर्ट ने नगर निगम बोर्ड के अध्यक्ष की पत्नी की भूमि के बगल में जिला अस्पताल स्थापित करने का आरोप लगाने वाली याचिका खारिज की
राजस्थान हाईकोर्ट ने नगर निगम बोर्ड के अध्यक्ष की पत्नी की भूमि के बगल में जिला अस्पताल स्थापित करने का आरोप लगाने वाली याचिका खारिज की

राजस्थान हाईकोर्ट ने याचिका खारिज की, जिसमें आरोप लगाया गया कि देवली में जिला अस्पताल नगर निगम बोर्ड के अध्यक्ष की पत्नी की भूमि के बगल में स्थापित किया जा रहा है, जिससे उसकी भूमि का मूल्य बढ़ाया जा सके।जस्टिस अवनीश झिंगन की पीठ ने फैसला सुनाया कि अस्पताल स्थापित करना नीतिगत निर्णय है और न्यायालय इस पर अपील नहीं कर सकता।याचिकाकर्ता का मामला यह था कि अस्पताल को केवल इसलिए निर्दिष्ट भूमि पर स्थापित किया जा रहा है, क्योंकि वह भूमि नगर निगम बोर्ड के अध्यक्ष की पत्नी की भूमि से सटी हुई है।यह तर्क...

आपराधिक कानून का उपयोग करके पारिवारिक विवादों को सुलझाना कानूनी प्रक्रियाओं का दुरुपयोग: राजस्थान हाईकोर्ट ने संपत्ति विवाद पर भतीजे की FIR खारिज की
आपराधिक कानून का उपयोग करके पारिवारिक विवादों को सुलझाना कानूनी प्रक्रियाओं का दुरुपयोग: राजस्थान हाईकोर्ट ने संपत्ति विवाद पर भतीजे की FIR खारिज की

धोखाधड़ी और जालसाजी के अपराधों के लिए अपने चाचा के खिलाफ भतीजे की FIR खारिज करते हुए राजस्थान हाईकोर्ट ने दोहराया कि पारिवारिक संपत्ति के मुद्दों को निपटाने के लिए आपराधिक न्याय प्रणाली का उपयोग करना कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग है, जब तक कि आपराधिक इरादे का स्पष्ट प्रथम दृष्टया सबूत न हो।शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि याचिकाकर्ता ने अपने पिता की संपत्ति पर कब्जा करने के लिए उसके कागजात जाली बनाए और शिकायतकर्ता को उसके पिता की मृत्यु के बाद संपत्ति खाली करने की धमकी दे रहा था।दूसरी ओर, याचिकाकर्ता...

राजस्थान हाईकोर्ट ने नामांकन में हुई चूक के बावजूद अनपढ़ विधवा को पारिवारिक पेंशन जारी करने का आदेश दिया, रेलवे पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया
राजस्थान हाईकोर्ट ने नामांकन में हुई चूक के बावजूद 'अनपढ़' विधवा को पारिवारिक पेंशन जारी करने का आदेश दिया, रेलवे पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया

राजस्थान हाईकोर्ट ने बीमा योजना के लिए नामांकन फॉर्म में नाम न होने के बावजूद रेलवे विभाग को मृतक कर्मचारी की 'अशिक्षित' विधवा और बेटियों को पारिवारिक पेंशन देने का निर्देश दिया। कोर्ट ने कहा कि प्रक्रियागत खामियों के कारण किसी नागरिक के मौलिक अधिकार को अस्वीकार नहीं किया जा सकता, खासकर तब जब पीड़ित व्यक्ति अशिक्षित हो। कोर्ट ने कहा, “कानून की यह स्थापित स्थिति है कि ऐसे मामलों में जहां पीड़ित व्यक्ति अशिक्षित है या कानूनी औपचारिकताओं के बारे में उसे कोई जानकारी नहीं है, उसे कानून की तकनीकी और...

वाहक चेक के फिजिकल कब्जे में व्यक्ति को इसका लाभार्थी माना जाता है, जब तक साबित न हो जाए: राजस्थान हाईकोर्ट ने धोखाधड़ी की FIR खारिज की
वाहक चेक के फिजिकल कब्जे में व्यक्ति को इसका लाभार्थी माना जाता है, जब तक साबित न हो जाए: राजस्थान हाईकोर्ट ने धोखाधड़ी की FIR खारिज की

राजस्थान हाईकोर्ट की जोधपुर पीठ ने धोखाधड़ी और जालसाजी के लिए दर्ज तीन लोगों के खिलाफ़ दर्ज की गई FIR खारिज की। शिकायतकर्ता ने दावा किया कि पूर्व ने गलत तरीके से एक खाली हस्ताक्षरित चेक का इस्तेमाल किया, जो उसके साहूकार को सुरक्षा के रूप में दिया गया था और नकली मूल्य भरकर इसे किसी और को दे दिया।जस्टिस अरुण मोंगा की एकल पीठ ने फैसला सुनाया कि वाहक चेक परक्राम्य साधन हैं, जो व्यक्ति इन चेकों के फिजिकल कब्जे में था। उसे इसके लाभार्थी मालिक माना जाता है, जब तक कि साबित न हो जाए।शिकायतकर्ता ने दावा...

जाति-आधारित भेदभाव: राजस्थान हाईकोर्ट ने मंदिर में प्रवेश करने वाली महिला के खिलाफ़ दर्ज की गई FIR खारिज की
जाति-आधारित भेदभाव: राजस्थान हाईकोर्ट ने मंदिर में प्रवेश करने वाली महिला के खिलाफ़ दर्ज की गई FIR खारिज की

राजस्थान हाईकोर्ट ने महाकालेश्वर महादेव जी सिद्ध धाम मंदिर में जबरन मंदिर का ताला तोड़कर प्रवेश करने का प्रयास करके अराजकता पैदा करने के कथित अपराध के लिए हाशिए के समुदाय की महिला के खिलाफ़ दर्ज की गई FIR खारिज की।जस्टिस अरुण मोंगा की पीठ ने कहा कि कथित अपराध के लिए याचिकाकर्ता की ओर से आपराधिक इरादे को दर्शाने वाले किसी भी सबूत की पृष्ठभूमि में FIR गलत इरादों से शुरू की गई कानून का दुरुपयोग है। खासकर याचिकाकर्ता की एससी/एसटी पृष्ठभूमि के मद्देनजर जिससे मंदिर के ट्रस्टियों के बीच कुछ असहजता पैदा...

लोडिंग के लिए काम पर रखे गए मजदूर, माल न होने पर भी मालिक के अधिकृत प्रतिनिधि होते हैं: राजस्थान हाईकोर्ट ने मोटर वाहन अधिनियम के तहत राहत दी
लोडिंग के लिए काम पर रखे गए मजदूर, माल न होने पर भी मालिक के अधिकृत प्रतिनिधि होते हैं: राजस्थान हाईकोर्ट ने मोटर वाहन अधिनियम के तहत राहत दी

राजस्थान हाईकोर्ट ने मोटर दुर्घटना दावे में दिए गए मुआवजे में एक लाख रुपए की वृद्धि करते हुए एक ऐसे मामले में बीमा कंपनी की देयता की पुष्टि की, जिसमें मृतक को वाहन से माल उतारने और चढ़ाने के लिए काम पर रखा गया था, लेकिन जब वाहन माल उतारने के बाद वापस आ रहा था, तो वह दुर्घटनाग्रस्त हो गया।जस्टिस नुपुर भाटी की एकल पीठ ने फैसला सुनाया कि माल उतारने और चढ़ाने के लिए काम पर रखे गए मजदूर को, यात्रा के दौरान, माल उतारने के बाद वापस लौटते समय भी, माल के मालिक का अधिकृत प्रतिनिधि माना जाएगा, यदि वह उसी...

राजस्थान हाईकोर्ट ने 30 साल से अतिरिक्त वेतन ले रहे सरकारी कर्मचारी के खिलाफ वसूली का मामला खारिज किया, कहा- गलती विभाग ने की
राजस्थान हाईकोर्ट ने 30 साल से 'अतिरिक्त' वेतन ले रहे सरकारी कर्मचारी के खिलाफ वसूली का मामला खारिज किया, कहा- गलती विभाग ने की

राजस्थान हाईकोर्ट की जोधपुर पीठ ने एक सरकारी कर्मचारी के खिलाफ जारी वसूली आदेश को रद्द कर दिया, जिसे राज्य के वित्त विभाग ने जारी किया था। कर्मचार विभाग की ओर से की गई एक गलती के कारण लगभग 30 वर्षों से अधिक वेतन प्राप्त कर रहा था। ऐसा करते हुए, हाईकोर्ट ने पाया कि कर्मचारी ने अधिक वेतन पाने के लिए विभाग को गुमराह नहीं किया था और वास्तव में गलती विभाग ने की थी।पंजाब राज्य और अन्य बनाम रफीक मसीह (व्हाइट वॉशर) और अन्य (2015) में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का हवाला देते हुए, न्यायमूर्ति विनीत कुमार...

साप्ताहिक, राष्ट्रीय अवकाश कार्य अनुभव की अवधि से बाहर नहीं: राजस्थान हाईकोर्ट ने बोनस अंक मांगने वाले लैब तकनीशियन के मामले में दोहराया
साप्ताहिक, राष्ट्रीय अवकाश कार्य अनुभव की अवधि से बाहर नहीं: राजस्थान हाईकोर्ट ने बोनस अंक मांगने वाले लैब तकनीशियन के मामले में दोहराया

राज्य सरकार द्वारा रविवार/राष्ट्रीय अवकाश को छोड़े बिना महिला लैब तकनीशियन को उसके वास्तविक कार्य अनुभव के अनुसार "बोनस अंक" देने पर विचार करने के लिए कहने वाले आदेश के खिलाफ याचिका खारिज करते हुए राजस्थान हाईकोर्ट की जोधपुर पीठ ने दोहराया कि जब तक लैब तकनीशियन/असिस्टेंट लैब में काम करते हैं, तब तक उनके द्वारा प्राप्त "अनुभव" को गिना जाना चाहिए।ऐसा करते हुए खंडपीठ ने एकल न्यायाधीश की पीठ के निर्णय को बरकरार रखा, जिसने संविदा लैब तकनीशियन की याचिका स्वीकार करते हुए कहा था कि लैब तकनीशियन या लैब...

नियोक्ता द्वारा कर्मचारी के अंशदान को PF में जमा करने की अंतिम तिथि Income Tax Act की धारा 43बी के अंतर्गत नहीं आती: राजस्थान हाईकोर्ट ने दोहराया
नियोक्ता द्वारा कर्मचारी के अंशदान को PF में जमा करने की अंतिम तिथि Income Tax Act की धारा 43बी के अंतर्गत नहीं आती: राजस्थान हाईकोर्ट ने दोहराया

राजस्थान हाईकोर्ट ने दोहराया कि नियोक्ता द्वारा भविष्य निधि में कर्मचारी के हिस्से की कटौती, EPF Act और ESI Act द्वारा निर्धारित अंतिम तिथि के अनुसार जमा की जानी चाहिए, न कि आयकर अधिनियम, 1961 (Income Tax Act) की धारा 43बी के अनुसार।कर्मचारी भविष्य निधि और विविध प्रावधान अधिनियम, 1952 (EPF Act) के तहत बनाई गई योजना में प्रावधान है कि कर्मचारी का अंशदान “प्रत्येक माह की समाप्ति के पंद्रह दिनों के भीतर” केंद्र सरकार के पास जमा किया जाएगा।इसी प्रकार, कर्मचारी राज्य बीमा अधिनियम, 1948 (ESI Act) के...

राजस्थान हाईकोर्ट ने कहा, बलात्कार के मामले में डीएनए प्रोफाइलिंग के आदेश के बाद भी आरोपी ब्लड सैंपल देने से मना कर सकता है
राजस्थान हाईकोर्ट ने कहा, बलात्कार के मामले में डीएनए प्रोफाइलिंग के आदेश के बाद भी आरोपी ब्लड सैंपल देने से मना कर सकता है

राजस्थान हाईकोर्ट ने एक फैसले में कहा कि बलात्कार के मामले में अभियुक्त की डीएनए प्रोफाइलिंग की अनुमति देने वाला न्यायिक आदेश अनुच्छेद 20(3) के तहत आत्म-दोष के खिलाफ संवैधानिक संरक्षण का उल्लंघन नहीं करता, क्योंकि न्यायालय की ओर से ऐसा आदेश पारित करने के बाद भी, रक्त का नमूना देने से इनकार करने का विकल्प अभियुक्त के पास होगा। जस्टिस अरुण मोंगा की एकल पीठ ने कहा,"...विकल्प/च्वाइस याचिकाकर्ता के पास है कि वह विचाराधीन डीएनए परीक्षण के लिए अपना रक्त नमूना दे या नहीं। यदि वह विचाराधीन डीएनए परीक्षण...

एससी/एसटी एक्ट के तहत जानबूझकर अपमान, धमकी को सार्वजनिक किया जाना चाहिए: राजस्थान हाईकोर्ट ने मैकेनिकल संज्ञान आदेश को रद्द किया
एससी/एसटी एक्ट के तहत जानबूझकर अपमान, धमकी को सार्वजनिक किया जाना चाहिए: राजस्थान हाईकोर्ट ने "मैकेनिकल" संज्ञान आदेश को रद्द किया

राजस्थान हाईकोर्ट ने एससी/एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम की धारा 3(1)(x) के तहत अपराध का संज्ञान लेने वाले आदेश को रद्द करते हुए कहा कि प्रावधान के अनुसार जानबूझकर अपमान या धमकी अन्य लोगों की उपस्थिति में सार्वजनिक रूप से होनी चाहिए। ऐसा कहते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि वर्तमान मामले में, शिकायतकर्ता ही याचिकाकर्ता (आरोपी) से मिलने ऐसे स्थान पर गया था जो सार्वजनिक स्थान नहीं था और सार्वजनिक रूप से की गई टिप्पणियों का कोई सबूत नहीं था, और ट्रायल कोर्ट और विशेष न्यायाधीश इस तत्व को नोट करने में विफल...