मध्य प्रदेश हाईकोर्ट
पति ने झूठे व्यभिचार के आरोप लगाने में पत्नी की "क्रूरता" के कारण तलाक मांगा: एमपी हाईकोर्ट ने कथित प्रेमी को 'आवश्यक पक्ष' नहीं माना
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की जबलपुर बेंच ने महिला की याचिका खारिज करने के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार किया, जिसमें उसने अपने पति द्वारा शुरू की गई तलाक की कार्यवाही में अपने कथित प्रेमी को पक्षकार बनाने की मांग की थी। कोर्ट ने कहा कि कथित प्रेमी आवश्यक पक्ष नहीं है।पति ने हिंदू विवाह अधिनियम (Hindu Marriage Act) के तहत क्रूरता के आधार पर अपनी पत्नी से तलाक मांगा; इसके बाद पत्नी ने मामले में अपने कथित प्रेमी को पक्षकार बनाने की मांग करते हुए याचिका दायर की, जिसे फैमिली कोर्ट ने 17 मार्च, 2021 के...
नियुक्ति प्राधिकारी के पास नैतिक पतन के अपराधों में शामिल व्यक्तियों को नियुक्त/अस्वीकार करने का विवेकाधिकार, भले ही वे बरी हो जाएं: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने कहा है कि नियुक्ति प्राधिकारी के पास नैतिक पतन से संबंधित अपराध में शामिल व्यक्ति को नियुक्त करने या न करने का "संपूर्ण विवेकाधिकार" है, भले ही वह व्यक्ति बरी हो गया हो। हाईकोर्ट ने कहा कि बरी होने से ऐसे व्यक्ति को स्वतः ही रोजगार का अधिकार नहीं मिल जाता। न्यायालय ने कहा कि उसके समक्ष मामले में संबंधित प्राधिकारी ने याचिकाकर्ता - हत्या के प्रयास के आरोपी - की उचित सुनवाई की थी और यह नहीं कहा जा सकता कि प्राधिकारी ने याचिकाकर्ता की उम्मीदवारी को खारिज करके कोई गलती की...
सेंट्रल जेल जबलपुर में कैदियों के लिए पीने के पानी की क्षमता, भंडारण और आपूर्ति की जांच करें: हाईकोर्ट ने जेल अधीक्षक को निर्देश दिया
जबलपुर में सेंट्रल जेल के कैदियों के लिए कथित रूप से अस्वास्थ्यकर पेयजल की स्थिति को उजागर करने वाली जनहित याचिका (PIL) याचिका पर सुनवाई करते हुए मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने जेल अधीक्षक को पीने के पानी की क्षमता की जांच करने और यह इंगित करने का निर्देश दिया कि इसे कैसे संग्रहीत किया जाता है और कैदियों को आपूर्ति की जाती है।जनहित याचिका पर नोटिस जारी करते हुए जस्टिस संजीव सचदेवा (जो मामले के सूचीबद्ध होने के समय एक्टिंग चीफ जस्टिस थे) और जस्टिस विनय सराफ की खंडपीठ ने 23 सितंबर के अपने आदेश में...
राज्य के अधिकारी किसी व्यक्ति को उसकी संपत्ति से बेदखल करके और फिर कोई मुआवज़ा न देकर 'गुंडों' की तरह काम नहीं कर सकते: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट
भूमि पर कब्जे से संबंधित मामले की सुनवाई करते हुए मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने कहा कि राज्य के अधिकारी गुंडों की तरह काम नहीं कर सकते और किसी व्यक्ति को उसकी संपत्ति से बेदखल करके यह दावा नहीं कर सकते कि वे "अवैध रूप से बेदखल" व्यक्ति को कोई मुआवज़ा/किराया/मासिक लाभ नहीं देंगे।ऐसा कहते हुए न्यायालय ने फिर से पुष्टि की कि किसी को भी उसकी संपत्ति के अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता, जो न केवल एक संवैधानिक अधिकार है, बल्कि मानवाधिकार भी है, यह देखते हुए कि वर्तमान मामले में महिला को उसकी स्वामित्व वाली...
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने पुलिस थानों में CCTV कैमरों के रखरखाव का आह्वान किया
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए पुलिस थानों में लगे CCTV कैमरों के उचित रखरखाव का आह्वान किया।जस्टिस सुबोध अभ्यंकर की एकल पीठ ने कहा कि अब से पुलिस थानों में CCTV कैमरों के फुटेज उपलब्ध न कराने पर संबंधित थाना प्रभारी और CCTV के रखरखाव में शामिल अन्य व्यक्तियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।यह घटनाक्रम ऐसे मामले में सामने आया, जिसमें आवेदक ने अनुचित हिरासत का दावा किया था, लेकिन संबंधित समय का CCTV फुटेज पेश नहीं किया जा सका। न्यायालय ने सीनियर पुलिस...
कार्यबल को संगठित करने के लिए नियोक्ता सर्वश्रेष्ठ जज, ट्रांसफर सामान्यतः न्यायिक पुनर्विचार के अधीन नहीं, जब तक कि मनमाना न हो: एमपी हाईकोर्ट
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने हाल ही में अपनी ग्वालियर पीठ में कहा कि नियोक्ता अपने कार्यबल को संगठित करने के लिए सर्वश्रेष्ठ जज है और ट्रांसफर आदेश की न्यायिक पुनर्विचार तब तक नहीं की जा सकती, जब तक कि यह दुर्भावनापूर्ण या शक्तियों के मनमाने प्रयोग से प्रभावित न पाया जाए। इसके अलावा, भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 के तहत समानता की अवधारणा ट्रांसफर के मामलों में लागू नहीं होती है।अपीलकर्ता नवंबर 2011 से एमपी आवास एवं अधोसंरचना विकास बोर्ड में असिस्टेंट इंजीनियर के रूप में काम कर रही थी। वह इस...
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट से जनहित याचिका में जमानत और सजा के निलंबन की याचिकाओं पर निर्णय लेने में अनावश्यक देरी से बचने के लिए निर्देश देने की मांग
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में जनहित याचिका (PIL) याचिका दायर की गई, जिसमें राज्य के अधिकारियों को आरोपी व्यक्तियों की जमानत याचिकाओं और दोषियों की सजा के निलंबन की याचिकाओं पर निर्णय लेने में अनावश्यक देरी से बचने के लिए निर्देश देने की मांग की गई।याचिका में कहा गया कि यह इन व्यक्तियों के शीघ्र न्याय के अधिकार का उल्लंघन करता है, जिसकी गारंटी भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत दी गई।याचिकाकर्ता एडवोकेट अमिताभ गुप्ता ने अपनी याचिका में न्यायालय का ध्यान अभियोक्ताओं द्वारा अभियुक्त व्यक्तियों के...
आरोपी समाज के निचले तबके से ताल्लुक रखता है, वह सुप्रीम कोर्ट में पैरवी करने के लिए वित्तीय रूप से सक्षम नही: एमपी हाईकोर्ट ने धोखाधड़ी मामले में 'बलि का बकरा' बनाए गए व्यक्ति को रिहा किया
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता के पिता को रिहा करने का आदेश दिया है, जिन्हें वित्तीय धोखाधड़ी के आरोपी कंपनी के निदेशक होने के लिए आईपीसी के तहत आरोपों से जोड़ने के बिना लगभग एक साल तक जेल में रखा गया था।अदालत ने चर्चा की कि याचिकाकर्ता या तो 226 के तहत उपाय का लाभ उठा सकता था या सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकता था, लेकिन समाज के निचले तबके से संबंधित होने के कारण, उसके पास सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने के लिए कोई वित्त नहीं था "वर्तमान मामले में भी, याचिकाकर्ता सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा...
[MP Public Trusts Act] ट्रस्ट संपत्ति के ट्रांसफर के मामले को सिविल कोर्ट में भेजने के लिए रजिस्ट्रार पर कोई अधिदेश नहीं: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने लोक न्यास रजिस्ट्रार का आदेश खारिज कर दिया, जिसमें एक ही व्यक्ति के स्वामित्व वाली अचल संपत्तियों को ट्रस्ट से दूसरे ट्रस्ट में ट्रांसफर करने की अनुमति देने से इनकार किया गया था।न्यायालय की अध्यक्षता जस्टिस सुबोध अभ्यंकर ने की और मध्य प्रदेश लोक न्यास अधिनियम 1951 की धारा 14 पर चर्चा की, जिसमें कहा गया कि रजिस्ट्रार द्वारा लेनदेन को मंजूरी देने से इनकार केवल इस आधार पर होना चाहिए कि क्या ट्रांसफर सार्वजनिक ट्रस्ट के लिए हानिकारक होगा। न्यायालय ने माना कि रजिस्ट्रार...
सरकारी कर्मचारी की पेंशन या रिटायरमेंट लाभ केवल तभी रोके जा सकते हैं, जब रिटायरमेंट से पहले पुलिस रिपोर्ट पर संज्ञान लिया गया हो: एमपी हाईकोर्ट
मध्य प्रदेश के हाईकोर्ट ने माना कि रिटायरमेंट की तारीख से पहले सरकारी कर्मचारी के खिलाफ केवल शिकायत या रिपोर्ट के आधार पर उसे पेंशन या अन्य रिटायरमेंट बकाया के अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता। रिटायरमेंट की तारीख पर पुलिस अधिकारी की शिकायत या रिपोर्ट का संज्ञान होना चाहिए।याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया कि पेंशन नियम 1976 के नियम 9 के तहत पूरी पेंशन और ग्रेच्युटी रोकना गैरकानूनी और मनमाना है। उन्होंने आगे तर्क दिया कि नियम 9 के उप-नियम 6(बी)(आई) के अनुसार, पेंशन नियम, 1976 के नियम 9 के...
तबादले के खिलाफ शिकायत लंबित रहने से सरकारी कर्मचारी की तैनाती के स्थान पर शामिल होने में विफलता, ड्यूटी से अनुपस्थिति का औचित्य नहीं: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट
हाल ही में एक फैसले में, मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने एकल न्यायाधीश की पीठ के एक फैसले को रद्द कर दिया, जिसने एक सरकारी कर्मचारी की ड्यूटी से अनुपस्थिति को मान्य किया था, जबकि उसके स्थानांतरण के खिलाफ शिकायत प्राधिकरण के समक्ष लंबित थी।मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की खंडपीठ ने कहा कि अनुपस्थिति के कारण के रूप में लंबित शिकायत का हवाला देते हुए ड्यूटी से अनुपस्थित रहना, एक उचित बहाना नहीं है और कर्मचारी "काम नहीं, वेतन नहीं" सिद्धांत के अनुसार उक्त अवधि के लिए वेतन का हकदार नहीं है। जस्टिस सुश्रुत अरविंद...
CCL को केवल निगरानी के लिए पुरुष पारिवारिक सदस्य की अनुपस्थिति के कारण जमानत से वंचित नहीं किया जा सकता: एमपी हाईकोर्ट
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने किशोर न्याय अधिनियम (JJ Act) के तहत अपील में अपीलकर्ता को जमानत प्रदान करते हुए कहा कि आवेदक की निगरानी के लिए किसी पुरुष पारिवारिक सदस्य की अनुपस्थिति जमानत से इनकार करने या सजा के निलंबन का एकमात्र कारण नहीं हो सकती।न्यायालय की अध्यक्षता जस्टिस विजय कुमार शुक्ला ने की, जिन्होंने कहा,"यह न्यायालय प्रथम दृष्टया जमानत देने का मामला पाता है, क्योंकि अपीलकर्ता की आयु 21 वर्ष से अधिक है। उसे केवल इस आधार पर जमानत/सजा के निलंबन से वंचित नहीं किया जा सकता कि परिवार में कोई...
बलात्कार के आरोप में गिरफ्तार सरपंच को मप्र पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज अधिनियम 1993 के तहत 'कदाचार' के लिए सेवा से बर्खास्त नहीं किया जा सकता: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर पीठ ने हाल ही में माना कि पंचायत पदाधिकारियों को "कदाचार" के लिए हटाने और बलात्कार जैसे अपराधों के लिए आरोपित होने पर उनके निलंबन के बीच अंतर है, जो राज्य पंचायत कानून के अलग-अलग प्रावधानों के तहत हैं। ऐसा कहते हुए, न्यायालय ने बलात्कार की प्राथमिकी में दर्ज पंचायत सरपंच को हटाने की मांग करने वाली याचिका से संबंधित एकल न्यायाधीश पीठ के आदेश के खिलाफ अपील को खारिज कर दिया।विधायी मंशा स्पष्ट, धारा 39 और 40 अलग-अलग क्षेत्रों मेंजस्टिस आनंद पाठक और जस्टिस हिरदेश की...
"हमारे देश में महिलाओं की गरिमा की पूजा की जाती है": एमपी हाईकोर्ट ने समझौता होने पर बलात्कार का मामला रद्द करने से इनकार किया
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने एक मामले में बलात्कार और आपराधिक धमकी के आरोपों के लिए सीआरपीसी की धारा 482 के तहत दर्ज एफआईआर को रद्द करने की मांग करने वाली याचिका को खारिज कर दिया, जबकि दोनों पक्षों के बीच समझौता हो चुका था। जस्टिस प्रेम नारायण सिंह ने कहा कि बलात्कार जैसे अपराधों के सामाजिक निहितार्थ होते हैं, उन्हें केवल आरोपी और पीड़ित के बीच समझौते के आधार पर रद्द नहीं किया जा सकता।जस्टिस प्रेम नारायण सिंह ने कहा कि “केवल समझौता करने से, आरोपों को कम या रद्द नहीं किया जा सकता क्योंकि अपराध...
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने इंस्टाग्राम पर धार्मिक मान्यताओं का अपमान करने वाली पोस्ट पर अभद्र भाषा के आरोप में दर्ज FIR खारिज करने से किया इनकार
अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर कथित रूप से आपत्तिजनक सामग्री अपलोड करने के लिए धारा 153A आईपीसी के तहत दर्ज FIR रद्द करने की याचिका खारिज करते हुए मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने कहा कि व्यक्ति का यह बचाव कि पोस्ट उसके अकाउंट को हैक करके अपलोड की गई थी, इस स्तर पर विचार नहीं किया जा सकता।संदर्भ के लिए आईपीसी की धारा 153ए धर्म, जाति, जन्म स्थान, निवास, भाषा आदि के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने और सद्भाव बनाए रखने के लिए हानिकारक कार्य करने से संबंधित है।जस्टिस जी.एस. अहलूवालिया की एकल...
विशेष न्यायाधीश, लोक अभियोजक प्रथम दृष्टया POCSO मामले में लापरवाही के दोषी: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने मामले को DNA रिपोर्ट पर विचार करने के लिए वापस भेजा
यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण अधिनियम (POCSO Act) के एक मामले की सुनवाई करते हुए, जहां DNA रिपोर्ट पर साक्ष्य नहीं लिया गया था, मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की जबलपुर पीठ ने कहा कि ट्रायल कोर्ट और अतिरिक्त जिला लोक अभियोजक (ADPO) दोनों ही प्रथम दृष्टया लापरवाही और कर्तव्य में लापरवाही के दोषी हैं।जस्टिस विवेक अग्रवाल और जस्टिस देवनारायण मिश्रा की खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा,"हमने पाया कि राज्य के लिए मुकदमा चलाने वाले ADPO ने हमें ज्ञात नहीं कारणों से DNA रिपोर्ट प्रदर्शित न करने का विकल्प चुना, जो...
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने ट्रेड यूनियन का नाम बदलकर एमपी वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन जैसा दिखने वाला रजिस्ट्रार का आदेश रद्द किया
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने हाल ही में ट्रेड यूनियन रजिस्ट्रार के एक आदेश को रद्द कर दिया, जिसने मध्य प्रदेश श्रमजीवी पत्रकार संघ द्वारा एक याचिका दायर करने के बाद एक ट्रेड यूनियन को अपना नाम बदलने की अनुमति दी थी।ऐसा करते हुए अदालत ने कहा कि ट्रेड यूनियन अधिनियम की धारा 25 (2) के तहत रजिस्ट्रार को यह सत्यापित करना होगा कि एक ट्रेड यूनियन का नाम दूसरे के नाम से इतना मिलता-जुलता नहीं है कि यह जनता को धोखा दे सकता है, यह कहते हुए कि वर्तमान मामले में रजिस्ट्रार का आदेश "तर्कहीन" था। जस्टिस जीएस...
जीएसटी अधिनियम के दंडात्मक प्रावधानों को लागू किए बिना आईपीसी प्रावधानों को सीधे लागू नहीं किया जा सकता: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने कहा कि जीएसटी अधिकारी जीएसटी अधिनियम के दंडात्मक प्रावधानों को लागू किए बिना सीधे आईपीसी प्रावधानों को लागू करके जीएसटी अधिनियम के तहत प्रक्रियात्मक सुरक्षा उपायों को दरकिनार नहीं कर सकते। जस्टिस सुश्रुत अरविंद धर्माधिकारी और जस्टिस दुप्पाला वेंकट रमना की खंडपीठ ने कहा कि “जीएसटी अधिनियम, 2017 एक विशेष कानून है जो जीएसटी से संबंधित प्रक्रिया, दंड और अपराधों से समग्र रूप से निपटता है और दोहराव की कीमत पर यह अदालत इस बात पर अधिक जोर नहीं दे सकती कि जीएसटी अधिकारियों को...
किशोर यौन उत्पीड़न के आरोपी की जमानत याचिका पर सुनवाई करते समय अपराध की गंभीरता पर विचार नहीं किया जाना चाहिए: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने IPC की धारा 376(AB) और POCSO Act के तहत यौन उत्पीड़न के आरोपी 14 वर्षीय किशोर को जमानत दी।जस्टिस संजीव एस. कलगांवकर ने मामले की अध्यक्षता की और कहा कि किशोर न्याय अधिनियम (JJ Act) की धारा 3 के अनुसार बच्चों की देखभाल और सुरक्षा के मूल सिद्धांतों में मासूमियत, गरिमा और मूल्य, सर्वोत्तम हित और पारिवारिक जिम्मेदारी की धारणा शामिल है। अदालत ने दोहराया कि अपराध की गंभीरता किशोर को जमानत देने से इनकार करने का एकमात्र मानदंड नहीं होना चाहिए।न्यायालय ने कहा,"बच्चे को संदर्भित...
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने बलात्कार के मामले में आरोपी को पुलिस के समर्थन पर हैरानी जताई
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने बलात्कार के मामले पर हैरानी व्यक्त की, जहां जांच के दौरान पुलिस के आचरण ने आरोपी को समर्थन दिखाया।जस्टिस जी.एस. अहलूवालिया की पीठ ने सामूहिक बलात्कार और अन्य आरोपों में शामिल एक आरोपी की अग्रिम जमानत याचिका पर विचार करते हुए कहा,"यह वास्तव में चौंकाने वाला है कि एक तरफ लड़की के साथ बलात्कार न केवल जघन्य अपराध है बल्कि यह अभियोक्ता की भावनाओं और आत्मसम्मान पर भी हमला है। साथ ही पुलिस आरोपी व्यक्तियों का समर्थन करने के लिए पूरी तरह से तैयार है। समय आ गया है, जब पुलिस को...














