मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने अंतिम निर्णय आने तक NEET-PG 2024 काउंसलिंग में NRI कोटे की सीटें भरने पर रोक लगाई
Amir Ahmad
19 Dec 2024 3:24 PM IST
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की जबलपुर पीठ ने बुधवार (18 दिसंबर) को अंतरिम आदेश में अंतिम निर्णय आने तक NEET-PG 2024 काउंसलिंग में NRI कोटे के तहत सीटें भरने पर रोक लगाई।
जस्टिस सुश्रुत अरविंद धर्माधिकारी और जस्टिस अनुराधा शुक्ला की खंडपीठ ने कहा,
"इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि मामले की सुनवाई आज की गई है और इसे सुरक्षित रखा गया है तथा अंतिम निर्णय आने में कुछ समय लग सकता है, इसलिए न्याय के हित में और तीसरे पक्ष के अधिकारों के निर्माण से बचने के उद्देश्य से हमारा यह सुविचारित मत है कि अंतिम आदेश आने तक NRI कोटे के तहत आने वाली सीटें PG पाठ्यक्रमों की आगामी काउंसलिंग में नहीं भरी जाएंगी और स्थगित रखी जाएंगी।"
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी कि प्रतिवादी काउंसलिंग प्रक्रिया को आगे बढ़ा रहे हैं और कल या उसके आसपास की तारीखों तक NRI कोटे के तहत आने वाली सीटों के भर जाने की पूरी संभावना है। इसलिए इस याचिका के लंबित रहने तक प्रतिवादियों को पीजी पाठ्यक्रमों की आगामी काउंसलिंग में NRI कोटे के तहत आने वाली सीटों को भरने से रोका जाए।
इसके विपरीत प्रतिवादियों के वकील ने याचिकाकर्ताओं द्वारा की गई दलीलों का विरोध किया।
अंतरिम आदेश डॉक्टर द्वारा दायर याचिका में पारित किया गया, जिसने अपनी MBBS परीक्षा पास कर ली थी और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम करना चाहता था। याचिकाकर्ता ने अखिल भारतीय NEET PG 2024 के लिए उपस्थित होकर परीक्षा उत्तीर्ण की।
याचिकाकर्ता द्वारा यह दावा किया गया कि जब प्रतिवादियों द्वारा PG पाठ्यक्रमों में सीटें भरने का पोर्टल खोला गया और 22 नवंबर को निजी मेडिकल कॉलेजों के लिए सीट मैट्रिक्स प्रकाशित की गई तो मध्य प्रदेश मेडिकल शिक्षा एडमिशन नियम 2018 के नियम 5 के अनुसार आपत्तियां उठाने का अवसर देने के बजाय सीधे विकल्प भरने और लॉक करने की प्रक्रिया शुरू की गई।
23-25 नवंबर से सीटों के लिए आवेदन शुरू किया गया। याचिकाकर्ता ने दावा किया कि प्रतिवादियों द्वारा अपनाई गई प्रथा अवैध और मनमानी प्रथा थी। यह आरोप लगाया गया कि प्रतिवादियों ने NRI स्टूडेंट के लिए निर्धारित 15% कोटे में हेराफेरी की है। इस प्रकार, आरक्षित और अनारक्षित श्रेणियों से संबंधित मेधावी स्टूडेंट्स को आवंटित की जाने वाली सीटों की संख्या में कमी आई है।
याचिकाकर्ताओं के अनुसार प्रतिवादियों ने आरक्षण नीति का घोर उल्लंघन किया और निजी मेडिकल कॉलेजों के लिए NRI कोटा सीटों को 22 शाखाओं के बजाय केवल 8 शाखाओं के लिए प्रकाशित किया है और इन 8 शाखाओं पर ही 15% NRI कोटा लागू किया। इस प्रथा के परिणामस्वरूप अन्य श्रेणियों के लिए निर्धारित सीटों की कमी हो गई, क्योंकि 15% NRI कोटा नियम को चुनिंदा रूप से 8 शाखाओं पर लागू करने से NRI सीटों का विकल्प चुनने वाले स्टूडेंट के लिए सीटों की संख्या बढ़ गई है। इस प्रकार, इन शाखाओं में सीटों की संख्या कम हो गई, जो एससी, एसटी, ओबीसी, ईडब्ल्यूएस और अनारक्षित सहित अन्य श्रेणियों के स्टूडेंट्स के लिए उपलब्ध होती।
यह आरोप लगाया गया कि क्लिनिकल और गैर-क्लिनिकल ब्रांच के बीच अंतर करने और 8 चुनिंदा पीजी पाठ्यक्रमों में सीटों के मनमाने वितरण की प्रथा के कारण सीटों की कमी हो रही है, जो उपलब्ध होती अगर प्रतिवादियों ने आरक्षण की नीति का अक्षरशः पालन किया होता।
केस टाइटल: डॉ. ओजस यादव बनाम मध्य प्रदेश राज्य और अन्य