भरण-पोषण देने में पति के प्रति अनुचित सहानुभूति न तो पत्नी और बच्चों के हित में है और न ही न्याय के हित में: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट

Amir Ahmad

7 Dec 2024 2:54 PM IST

  • भरण-पोषण देने में पति के प्रति अनुचित सहानुभूति न तो पत्नी और बच्चों के हित में है और न ही न्याय के हित में: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट

    मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने कहा है कि भरण-पोषण देते समय पति के प्रति बिना किसी उचित कारण के अनुचित सहानुभूति न तो परित्यक्त जीवन जी रही पत्नी और बच्चों के हित में है और न ही न्याय के हित में है।

    जस्टिस गुरपाल सिंह अहलूवालिया की पीठ ने ग्वालियर फैमिली कोर्ट द्वारा पत्नी और बच्चे को दी गई अंतरिम भरण-पोषण राशि में वृद्धि करते हुए यह टिप्पणी की। एकल न्यायाधीश ने पत्नी के लिए भरण-पोषण राशि 000 रुपये प्रति माह से बढ़ाकर 10 000 रुपये कर दी; बच्चे के लिए इसे 1000 रुपये प्रति माह से बढ़ाकर 5 000 रुपये कर दिया।

    CrPC की धारा 397, 401 के साथ फैमिली कोर्ट अधिनियम की धारा 19(4) के तहत पत्नी और बच्चे द्वारा दायर पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने पाया कि फैमिली कोर्ट द्वारा शुरू में दी गई राशि प्रतिवादी के वेतन को देखते हुए चौंकाने वाली कम थी।

    अदालत ने कहा कि ट्रायल कोर्ट को यह याद रखना चाहिए कि पत्नी और बच्चों को वही दर्जा प्राप्त करने का अधिकार है जो उन्हें अन्यथा अपने पैतृक घर में मिलता।

    इस मामले में फैमिली कोर्ट ने शुरू में पत्नी (आवेदक संख्या 1) को 2,000 रुपये प्रति माह और बच्चे (आवेदक संख्या 2) को 1,000 रुपये प्रति माह का अंतरिम भरण-पोषण दिया था।

    आवेदकों ने तर्क दिया कि पति/पिता का सकल वेतन 68,228 रुपये है। उनकी वैधानिक कटौती 14,278 रुपये है; इस प्रकार, उसकी टेक-होम आय 53,950/- रुपये है।

    यह तर्क दिया गया कि प्रतिवादी ने पहले ही जो ऋण प्राप्त कर लिया था, उसे उसके टेक-होम वेतन से नहीं काटा जा सकता।

    इसके अतिरिक्त पति के इस दावे का भी खंडन किया गया कि विवाह के खर्च के लिए ऋण लिया गया। इस आधार पर कि पति/पिता की वेतन पर्ची से स्पष्ट रूप से पता चलता है कि ऋण फरवरी 2022 में लिया गया, जबकि विवाह मई 2019 में हुआ था।

    इन दलीलों की पृष्ठभूमि में न्यायालय ने कहा कि चूंकि ऋण राशि अग्रिम राशि की प्राप्ति के अलावा और कुछ नहीं है। इसलिए यह केवल स्वैच्छिक कटौती नहीं है प्रतिवादी ने पहले ही अग्रिम राशि प्राप्त कर ली है।

    न्यायालय ने आगे कहा कि टेक-होम वेतन की गणना करते समय केवल वैधानिक कटौती पर विचार किया जा सकता है, और पति के स्वैच्छिक ऋण को नजरअंदाज किया जाना चाहिए।

    न्यायालय ने कहा कि यह स्पष्ट है कि फरवरी 2024 में पति/पिता का टेक-होम वेतन 53,950 रुपये था। इन परिस्थितियों में, न्यायालय ने निष्कर्ष निकाला कि पत्नी को दिए गए 2,000 रुपये और बच्चे को दिए गए 1,000 रुपये का अंतरिम भरण-पोषण भत्ता बहुत कम था।

    इसे देखते हुए न्यायालय ने भरण-पोषण राशि बढ़ा दी और याचिका स्वीकार कर ली।

    केस टाइटल - रेखा अहिरवार और अन्य बनाम निर्मल चंद्र

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