मध्य प्रदेश हाईकोर्ट

पुनर्वास की कोई गुंजाइश न होने के बावजूद तलाक का विरोध करना और इससे संतुष्टि पाना क्रूरता: मध्यप्रदेश हाईकोर्ट
पुनर्वास की कोई गुंजाइश न होने के बावजूद तलाक का विरोध करना और इससे संतुष्टि पाना क्रूरता: मध्यप्रदेश हाईकोर्ट

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने एक पत्नी द्वारा फैमिली कोर्ट के तलाक न देने के आदेश को चुनौती देने वाली अपील पर सुनवाई करते हुए कहा कि अगर एक पति या पत्नी साथ रहने की कोई संभावना न होने के बावजूद तलाक का विरोध करता है तो दूसरे पक्ष के लगातार दुख और तनाव से संतुष्टि पाने का ऐसा व्यवहार अपने आप में क्रूरता माना जा सकता है।जस्टिस विशाल धागट और जस्टिस बीपी शर्मा की डिवीजन बेंच ने कहा,"दूसरा पक्ष तलाक की अर्जी का विरोध करता है, जबकि उनके साथ रहने की कोई संभावना नहीं है। दूसरे पक्ष की मुश्किलों और तनाव से...

छोड़कर जाने के लिए शादी के रिश्ते को हमेशा के लिए खत्म करने का इरादा होना चाहिए: एमपी हाईकोर्ट ने पति को तलाक देने से इनकार करने का फैसला सही ठहराया
छोड़कर जाने के लिए शादी के रिश्ते को हमेशा के लिए खत्म करने का इरादा होना चाहिए: एमपी हाईकोर्ट ने पति को तलाक देने से इनकार करने का फैसला सही ठहराया

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने पति द्वारा दायर अपील पर सुनवाई करते हुए, जिसमें उसने क्रूरता और छोड़कर जाने के आधार पर फैमिली कोर्ट द्वारा अपनी तलाक की याचिका खारिज करने को चुनौती दी थी, यह कहा कि छोड़कर जाने के आधार को लागू करने के लिए शादी के रिश्ते को हमेशा के लिए खत्म करने का इरादा साबित होना चाहिए।जस्टिस विशाल धागट और जस्टिस बीपी शर्मा की डिवीजन बेंच ने कहा,"अपीलकर्ता यह साबित नहीं कर पाया कि प्रतिवादी का इरादा हमेशा के लिए अलग होने का था या वह इस पक्के इरादे से ससुराल छोड़कर गई कि वह वापस नहीं...

एमपी हाईकोर्ट ने हाईवे से 500 मीटर के अंदर शराब की दुकानें हटाने की मांग वाली PIL पर जारी किया नोटिस
एमपी हाईकोर्ट ने हाईवे से 500 मीटर के अंदर शराब की दुकानें हटाने की मांग वाली PIL पर जारी किया नोटिस

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने सोमवार (17 नवंबर) को एक पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन पर राज्य और केंद्र सरकारों को नोटिस जारी किया, जिसमें नेशनल और स्टेट हाईवे से 500 मीटर के अंदर स्थित सभी शराब की दुकानों को बंद करने या हटाने के सुप्रीम कोर्ट के निर्देश का सख्ती से पालन करने की मांग की गई।चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सर्राफ की डिवीजन बेंच ने निर्देश दिया,"नोटिस जारी करें। प्रतिवादी नंबर 2 और 3 की ओर से पेश हुए वकील ने नोटिस स्वीकार किया और निर्देश लेने के लिए समय मांगा है। दो हफ्ते बाद लिस्ट...

कोर्ट नोटिस भेजने में नाकामी पर मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने डाक विभाग को फटकार लगाई
कोर्ट नोटिस भेजने में नाकामी पर मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने डाक विभाग को फटकार लगाई

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने डाक विभाग द्वारा एक माह से अधिक समय बीत जाने के बाद भी कोर्ट द्वारा जारी नोटिस को प्रेषित न किए जाने पर कड़ी नाराज़गी व्यक्त की है। न्यायालय ने इस स्थिति को “चौंकाने वाला” बताया और रजिस्ट्री को निर्देश दिया कि नए तारीख़ के साथ ताज़ा नोटिस जारी किए जाएँ।समीक्षा याचिका की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पाया कि 14 अक्टूबर 2025 को प्रतिवादी को जारी नोटिस न तो वापस आया और न ही संबंधित पक्ष को सेवा हुआ। गौरतलब है कि आधिकारिक ट्रैकिंग सिस्टम में भी 'नो बुकिंग इन्फ़ॉर्मेशन' दिख रहा...

शिकायतकर्ता की गैरमौजूदगी में पुलिस जब्त किए गए गहनों को अनिश्चित काल तक अपने पास नहीं रख सकती: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट
शिकायतकर्ता की गैरमौजूदगी में पुलिस जब्त किए गए गहनों को अनिश्चित काल तक अपने पास नहीं रख सकती: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने मंगलवार (18 नवंबर) को कहा कि चोरी के आरोपी एक व्यक्ति से जब्त किए गए गहने, जिनके बिल पहली नज़र में वेरिफाइड हैं, उन्हें इस उम्मीद में पुलिस की कस्टडी में अनिश्चित काल तक नहीं रखा जा सकता कि कोई अनजान शिकायतकर्ता आकर उन पर अपना हक जताएगा।यह याचिका चोरी के आरोपी व्यक्ति ने दायर की थी, जिसमें उसने जब्त किए गए गहनों को छोड़ने के लिए उसकी अर्जी खारिज करने वाले सेशंस कोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी।तथ्यों के अनुसार सब इंस्पेक्टर ने बोडा पुलिस स्टेशन में रिपोर्ट किया कि...

पक्षपात एडमिनिस्ट्रेटिव कार्रवाई को खराब करता: MP हाईकोर्ट ने सीनियरिटी न देने का आदेश रद्द किया, जूनियर्स के बराबर रेगुलराइज़ेशन का निर्देश दिया
'पक्षपात एडमिनिस्ट्रेटिव कार्रवाई को खराब करता': MP हाईकोर्ट ने सीनियरिटी न देने का आदेश रद्द किया, जूनियर्स के बराबर रेगुलराइज़ेशन का निर्देश दिया

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने एडमिनिस्ट्रेटिव आदेश रद्द किया, जिसमें एक डेली रेट कर्मचारी को सीनियरिटी और रेगुलराइज़ेशन से मना कर दिया गया। कोर्ट ने कहा कि अधिकारियों ने गलत और भेदभावपूर्ण तरीके से काम किया, जो बराबरी (आर्टिकल 14) और सरकारी नौकरी में बराबर मौके (आर्टिकल 16) के संवैधानिक अधिकारों के खिलाफ है।पिटीशनर श्याम वर्मा को 9 अप्रैल, 1990 को डेली रेट कर्मचारी के तौर पर नियुक्त किया गया, जबकि दो प्राइवेट रेस्पोंडेंट्स को भी 24 जुलाई, 1991 को डेली वेजर्स के तौर पर नियुक्त किया गया।जूनियर होने के...

सामान्य श्रेणी के यात्रियों को प्रीमियम श्रेणी में यात्रा करने वालों के समान सुरक्षा मानकों का अधिकार: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने रेलवे से कहा
सामान्य श्रेणी के यात्रियों को प्रीमियम श्रेणी में यात्रा करने वालों के समान सुरक्षा मानकों का अधिकार: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने रेलवे से कहा

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने इस बात पर ज़ोर दिया कि प्रत्येक यात्री, चाहे वह किसी भी श्रेणी में यात्रा कर रहा हो, रेल प्रशासन से सुरक्षा, देखभाल और सतर्कता के समान मानकों का हकदार है।जस्टिस हिमांशु जोशी की पीठ ने एक यात्री के भीड़भाड़ वाली ट्रेन से गिरने के कारण अपने दोनों पैर गंवाने के बाद सुरक्षित यात्रा की स्थिति सुनिश्चित करने में विफल रहने के लिए रेलवे को उत्तरदायी ठहराया।पीठ ने कहा,"यह न्यायालय यह टिप्पणी करने के लिए बाध्य है कि रेल प्रशासन को सामान्य श्रेणी में यात्रा करने वाले यात्रियों के...

संरक्षित वन्यजीवों के शिकार से पारिस्थितिक संतुलन पर गंभीर असर, सख्ती से निपटना ज़रूरी: एमपी हाईकोर्ट ने आरोपी की ज़मानत याचिका खारिज की
संरक्षित वन्यजीवों के शिकार से पारिस्थितिक संतुलन पर गंभीर असर, सख्ती से निपटना ज़रूरी: एमपी हाईकोर्ट ने आरोपी की ज़मानत याचिका खारिज की

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने शुक्रवार, 14 नवंबर को सोन चिड़िया अभयारण्य, घटियागांव में अवैध शिकार के आरोप में गिरफ्तार एक व्यक्ति की ज़मानत याचिका खारिज की। अदालत ने कहा कि संरक्षित वन्यजीवों का शिकार न केवल कानून का गंभीर उल्लंघन है बल्कि जैव विविधता और पर्यावरणीय संतुलन पर भी गहरा प्रभाव डालता है। इसलिए ऐसे अपराधों से कठोरता से निपटना आवश्यक है।जस्टिस मिलिंद रमेश फडके की सिंगल बेंच ने टिप्पणी की कि आरोपित कृत्य संरक्षण कानूनों के तहत संरक्षित प्रजाति के अवैध शिकार से संबंधित हैं। इस तरह के अपराध...

बिना ठोस सबूत के निर्वासन व्यक्तिगत स्वतंत्रता का उल्लंघन: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने डीएम का आदेश रद्द किया
बिना ठोस सबूत के निर्वासन व्यक्तिगत स्वतंत्रता का उल्लंघन: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने डीएम का आदेश रद्द किया

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने कहा कि मध्य प्रदेश राज्य सुरक्षा अधिनियम, 1990 के तहत निर्वासन आदेश यंत्रवत् पारित नहीं किया जा सकता, क्योंकि यह किसी भी व्यक्ति के मौलिक अधिकारों और व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर गंभीर प्रतिबंध लगाता है।ऐसा करते हुए चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की खंडपीठ ने निर्वासन आदेश यह देखते हुए रद्द कर दिया कि अपराध में अपराधी की तत्काल संलिप्तता दर्शाने वाले कोई साक्ष्य उपलब्ध नहीं हैं।खंडपीठ ने कहा;"अभिलेख में पर्याप्त साक्ष्य उपलब्ध नहीं थे, जो यह दर्शाते हों कि अपराध...

नाबालिग को बिना लाइसेंस वाहन चलाने देना बीमा पॉलिसी का मूल उल्लंघन: मध्यप्रदेश हाईकोर्ट
नाबालिग को बिना लाइसेंस वाहन चलाने देना बीमा पॉलिसी का मूल उल्लंघन: मध्यप्रदेश हाईकोर्ट

मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि यदि वाहन मालिक लापरवाही बरतते हुए किसी नाबालिग को बिना वैध ड्राइविंग लाइसेंस के वाहन चलाने की अनुमति देता है या ऐसा होने देता है तो यह बीमा पॉलिसी की मूल शर्तों का गंभीर उल्लंघन माना जाएगा।जस्टिस हिमांशु जोशी की एकल पीठ ने कहा कि यह बड़ों का दायित्व है कि नाबालिगों को उन रास्तों पर जाने से रोका जाए, जो उनकी उम्र के अनुकूल नहीं हैं विशेष रूप से वाहन चलाने जैसे कार्य जिसके लिए परिपक्वता और कानूनी अनुमति दोनों आवश्यक हैं।यह टिप्पणी उस अपील की सुनवाई के दौरान की...

नई सड़कें कुछ ही दिनों में टूट जाती हैं, जान को खतरा: इस्तेमाल की गई सामग्री की गुणवत्ता जांच को लेकर मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में याचिका, नोटिस जारी
'नई सड़कें कुछ ही दिनों में टूट जाती हैं, जान को खतरा': इस्तेमाल की गई सामग्री की गुणवत्ता जांच को लेकर मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में याचिका, नोटिस जारी

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने सोमवार (10 नवंबर) को जनहित याचिका पर नोटिस जारी किया, जिसमें राज्य भर में सड़कों की भयावह स्थिति पर प्रकाश डाला गया। सड़कों में गड्ढे, दरारें और संरचनात्मक खामियां हैं, जिससे नागरिकों के लिए "नियमित यात्रा जानलेवा कष्टदायक" हो गई।राजेंद्र सिंह द्वारा दायर याचिका में संबंधित अधिकारियों को राज्य भर में सड़कों के निर्माण और मरम्मत में ठेकेदारों द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली सामग्री की गुणवत्ता, परीक्षण और प्रमाणन के संबंध में सख्त दिशानिर्देश बनाने और लागू करने के निर्देश...

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने अपील दाखिल करने में राज्य सरकार के सुस्त रवैये पर फटकार लगाई, 400 दिनों की देरी माफ करने से इनकार
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने अपील दाखिल करने में राज्य सरकार के 'सुस्त रवैये' पर फटकार लगाई, 400 दिनों की देरी माफ करने से इनकार

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य सरकार की वह अपील खारिज कर दी जिसमें 400 से अधिक दिनों की देरी को माफ (condone) करने की मांग की गई थी। अदालत ने कहा कि राज्य सरकार अपने अधिकारियों के सुस्त और गैर-जिम्मेदार रवैये के प्रति बिल्कुल भी गंभीर नहीं है और उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर रही।जस्टिस जी.एस. अहलूवालिया और जस्टिस पुष्पेंद्र यादव की खंडपीठ ने कहा — “वर्तमान देरी माफी आवेदन में भी राज्य सरकार की ओर से ऐसा कोई संकेत नहीं है जिससे लगे कि वे अपने अधिकारियों के सुस्त और लापरवाह रवैये के प्रति गंभीर...

मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने प्रत्यारोपित 253 पेड़ों की जीपीएस-टैग वाली तस्वीरें मांगी, कहा- तस्वीरें दिखाती हैं कि पेड़ पूरी तरह काटे गए, लगाए नहीं गए
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने प्रत्यारोपित 253 पेड़ों की जीपीएस-टैग वाली तस्वीरें मांगी, कहा- तस्वीरें दिखाती हैं कि पेड़ 'पूरी तरह काटे गए, लगाए नहीं गए

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने कथित रूप से 'प्रत्यारोपित किए गए 253 पेड़ों की जीपीएस लोकेशन के साथ तस्वीरें पेश करने का निर्देश राज्य सरकार को दिया है। न्यायालय ने कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि रिकॉर्ड पर मौजूद मौजूदा तस्वीरों से पता चलता है कि इनमें से किसी भी पेड़ को प्रत्यारोपित नहीं किया गया है,बल्कि उन्हें पूरी तरह से काट दिया गया है।चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की खंडपीठ ने यह आदेश तब पारित किया जब वह एक समाचार रिपोर्ट पर लिए गए स्वत: संज्ञान के मामले की सुनवाई कर रही थी। इस...

वकीलों के सामूहिक बहिष्कार पर मद्रास हाईकोर्ट का कड़ा रुख: कहा- बार एसोसिएशन ट्रेड यूनियन नहीं, किसी के प्रतिनिधित्व पर रोक असंवैधानिक
वकीलों के सामूहिक बहिष्कार पर मद्रास हाईकोर्ट का कड़ा रुख: कहा- बार एसोसिएशन ट्रेड यूनियन नहीं, किसी के प्रतिनिधित्व पर रोक असंवैधानिक

मद्रास हाईकोर्ट ने बार एसोसिएशनों द्वारा सामूहिक बहिष्कार और किसी पक्ष को कानूनी प्रतिनिधित्व से वंचित करने की प्रथा पर सख्त टिप्पणी की। जस्टिस बी. पुगालेंधी ने स्पष्ट किया कि कोई भी बार एसोसिएशन या वकीलों का समूह यह तय नहीं कर सकता कि अदालत में किसे बचाया या पेश किया जाए। अदालत ने कहा कि किसी व्यक्ति को न्यायालय में प्रतिनिधित्व का अधिकार कोई विशेष अनुग्रह नहीं बल्कि यह संविधान द्वारा प्रदत्त एक मौलिक गारंटी है और इस अधिकार में हस्तक्षेप कानून के शासन की जड़ पर प्रहार है।जस्टिस पुगालेंधी ने...