विशेष प्राधिकरण के बिना वकील द्वारा दायर पंचायत चुनाव याचिका अमान्य मानी जाएगी: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट
Amir Ahmad
30 April 2025 4:34 PM IST

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने अपील पर सुनवाई करते हुए कहा कि राज्य पंचायत (चुनाव याचिका भ्रष्ट आचरण एवं सदस्यता के लिए अयोग्यता) नियमों के तहत यदि कोई वकील बिना विशेष प्राधिकरण के चुनाव याचिका प्रस्तुत करता है तो वह वैध प्रतिनिधित्व नहीं माना जाएगा।
जस्टिस विजय कुमार शुक्ला और जस्टिस प्रणय वर्मा की खंडपीठ ने कहा,
"नियम 3 के उपनियम (1) की भाषा स्पष्ट है कि चुनाव याचिका उस व्यक्ति द्वारा या उस व्यक्ति द्वारा लिखित रूप से अधिकृत व्यक्ति द्वारा कार्यालय समय में संबंधित अधिकारी को प्रस्तुत की जानी चाहिए। नियम 3 में वकील शब्द का प्रयोग नहीं किया गया। अतः किसी अधिवक्ता को तब तक अधिकृत व्यक्ति नहीं माना जा सकता, जब तक कि उसे विशेष रूप से उस कार्य के लिए लिखित प्राधिकरण न दिया गया हो।"
मामला
अपीलकर्ता और प्रतिवादी नंबर 1 से 3 ने ग्राम पंचायत के सरपंच पद के लिए पंचायत चुनाव लड़ा था। परिणाम घोषित होने के बाद अपीलकर्ता को विजेता घोषित किया गया। इसके बाद प्रतिवादी नंबर 1 ने अपीलकर्ता की जीत को भ्रष्ट आचरण के आधार पर चुनौती देते हुए उपखंड अधिकारी के समक्ष चुनाव याचिका दायर की।
अपीलकर्ता ने नियम 8 के तहत आवेदन देकर यह कहते हुए चुनाव याचिका खारिज करने की मांग की कि याचिका का न तो सही तरीके से प्रस्तुतिकरण किया गया और न ही सुरक्षा राशि समय पर जमा की गई। इस आवेदन को खारिज कर दिया गया।
एकल जज द्वारा आवेदन खारिज किए जाने के खिलाफ अपीलकर्ता ने खंडपीठ के समक्ष अपील दायर की।
प्रमुख मुद्दे व कोर्ट के निष्कर्ष:
कोर्ट ने पाया कि याचिका स्वयं चुनाव याचिकाकर्ता द्वारा या उसके विशेष रूप से अधिकृत प्रतिनिधि द्वारा प्रस्तुत नहीं की गई। आदेश पत्रक में कहीं यह उल्लेख नहीं था कि याचिकाकर्ता उस समय उपस्थित था या उसने हस्ताक्षर किए। याचिका केवल अधिवक्ता द्वारा प्रस्तुत की गई और वकील के वकालतनामे में भी चुनाव याचिका प्रस्तुत करने का विशेष प्राधिकरण नहीं था।
कोर्ट ने पाया कि याचिका के साथ रुपये 500 की सुरक्षा राशि की रसीद संलग्न थी, जो याचिका दाखिल करते समय या उससे पहले जमा हो सकती है। इस आधार पर अपीलकर्ता की यह दलील खारिज कर दी गई।
कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि जब चुनाव याचिका दायर करने के लिए विशेष नियम बने हैं, तब उनका सख्ती से पालन जरूरी है। इन नियमों को लचीले रूप से नहीं लिया जा सकता। वकील द्वारा बिना स्पष्ट प्राधिकरण के दायर की गई याचिका अमान्य मानी जाएगी।
अंततः खंडपीठ ने एकल न्यायाधीश का आदेश स्थगित कर दिया और चुनाव याचिका को नियम 3 के उल्लंघन के कारण खारिज कर दिया।
केस टाइटल: कमलाबाई बनाम राजेन्द्र सिंह एवं अन्य, रिट अपील संख्या 2165/2023

