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मकान बनाने के लिए दुकान बनाना जरूरी नहीं, दिल्ली नगर निगम पर 10 लाख जुर्माना: सुप्रीम कोर्ट:
मकान बनाने के लिए दुकान बनाना जरूरी नहीं, दिल्ली नगर निगम पर 10 लाख जुर्माना: सुप्रीम कोर्ट:

सुप्रीम कोर्ट ने दक्षिणी दिल्ली की नगर निकाय (अब नगर निगम दिल्ली) को निर्देश दिया है कि वह 85 वर्ष पुराने जर्जर मकान के पुनर्निर्माण की अनुमति न देने और 15 से अधिक वर्षों तक परिवार को परेशान करने के लिए 10 लाख रुपये का मुआवज़ा दे।मामला दरियागंज स्थित एक 85 साल पुराने जर्जर मकान से जुड़ा है, जिसे गिराकर नया आवासीय मकान बनाने के लिए मालिकों ने 2010 में दक्षिणी दिल्ली नगर निगम (SDMC) को नक्शा स्वीकृति हेतु आवेदन दिया था। निगम ने कोई निर्णय नहीं लिया। इसके बाद मालिकों ने दिल्ली नगर निगम अधिनियम,...

SEBI के दोहरे मापदंड पर सुप्रीम कोर्ट की फटकार; इंडियाबुल्स जांच में ढिलाई पर CBI के ठंडे रवैये पर भी सवाल
SEBI के दोहरे मापदंड पर सुप्रीम कोर्ट की फटकार; इंडियाबुल्स जांच में ढिलाई पर CBI के 'ठंडे रवैये' पर भी सवाल

सिटीज़न्स व्हिसलब्लोअर फ़ोरम की इंडियाबुल्स हाउसिंग फ़ाइनेंस लिमिटेड (अब सम्मान कैपिटल) के विरुद्ध SIT जांच की मांग वाली याचिका की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने आज SEBI की जांच को लेकर अनिच्छा पर कड़ी नाराज़गी जताई।जस्टिस सूर्यकांत ने तीखे शब्दों में कहा— “जब संपत्तियाँ कब्ज़े में लेकर बेचने की बात आती है तो आप कहते हैं कि पूरे देश में एकमात्र हमारे पास अधिकार है। लेकिन जब जांच की बात आती है? क्या आपके अधिकारियों के कुछ निहित स्वार्थ हैं? जब कोर्ट आपको अधिकार दे रहा है तो दिक्कत क्या है? हर...

भीमा कोरेगांव मामले में ज्योति जगताप को सुप्रीम कोर्ट से मिली अंतरिम ज़मानत
भीमा कोरेगांव मामले में ज्योति जगताप को सुप्रीम कोर्ट से मिली अंतरिम ज़मानत

सुप्रीम कोर्ट ने भीमा कोरेगांव-एल्गार परिषद मामले में एक्टिविस्ट और सांस्कृतिक संगठन कला कबीर मंच की सदस्य ज्योति जगताप को अगली सुनवाई, जो फरवरी 2026 में है, तक अंतरिम ज़मानत दी।जस्टिस एम.एम. सुंदरेश और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की खंडपीठ ने यह आदेश पारित किया। जगताप की ओर से सीनियर एडवोकेट अपर्णा भट्ट ने खंडपीठ को बताया कि वह पाँच साल से ज़्यादा समय से हिरासत में हैं।खंडपीठ अगली सुनवाई तक अंतरिम ज़मानत देने पर सहमत हो गई।गौरतलब है कि इसी खंडपीठ ने हाल ही में सह-आरोपी महेश राउत को भी मेडिकल आधार...

नोरी जामा मस्जिद को अब और ध्वस्त नहीं किया जाएगा: हाईकोर्ट ने दर्ज किया यूपी सरकार का आश्वासन
नोरी जामा मस्जिद को अब और ध्वस्त नहीं किया जाएगा: हाईकोर्ट ने दर्ज किया यूपी सरकार का आश्वासन

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फतेहपुर-नोरी जामा मस्जिद प्रबंध समिति की याचिका को इस आधार पर निस्तारित कर दिया कि उत्तर प्रदेश सरकार ने स्पष्ट रूप से आश्वासन दिया कि धार्मिक संरचना पर अब किसी तरह की आगे की तोड़फोड़ आवश्यक नहीं है।जस्टिस अतुल श्रीधरन और जस्टिस अनीश कुमार गुप्ता की खंडपीठ ने कहा कि जब राज्य सरकार ने साफ शब्दों में यह स्थिति स्पष्ट कर दी तो याचिकाकर्ता के अधिकार विधिक प्रक्रिया के माध्यम से पर्याप्त रूप से संरक्षित रहेंगे। अदालत ने समिति को उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता, 2006 की धारा 24 के तहत...

बिहार एक्साइज नियम | केवल शराब की मात्रा के आधार पर जब्त वाहन की रिहाई रोका जाना जनहित नहीं: हाईकोर्ट
बिहार एक्साइज नियम | केवल शराब की मात्रा के आधार पर जब्त वाहन की रिहाई रोका जाना जनहित नहीं: हाईकोर्ट

पटना हाईकोर्ट ने बिहार निषेध एवं मद्यनिषेध नियमावली, 2021 के नियम 12A(3) की अहम व्याख्या करते हुए कहा कि 'जनहित' का अर्थ कठोर, स्थिर या यांत्रिक ढंग से नहीं समझा जा सकता। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि जब्त वाहन की रिहाई से इनकार करने का आधार केवल शराब की मात्रा नहीं हो सकता, बल्कि संबंधित प्राधिकारी को पूरे वैधानिक ढाँचे के अनुरूप कई महत्वपूर्ण तथ्यों का समुचित मूल्यांकन करना आवश्यक है।जस्टिस राजीव रंजन प्रसाद और जस्टिस सौरेंद्र पांडेय की खंडपीठ उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें आयुक्त...

Transfer of Property Act | एग्रीमेंट टू सेल से संपत्ति में कोई हक़ नहीं बनता: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दोहराया सिद्धांत
Transfer of Property Act | एग्रीमेंट टू सेल से संपत्ति में कोई हक़ नहीं बनता: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दोहराया सिद्धांत

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक बार फिर स्पष्ट किया कि ट्रांसफर ऑफ प्रॉपर्टी एक्ट (Transfer of Property Act) की धारा 54 के अनुसार एग्रीमेंट टू सेल (बिक्री का समझौता) संपत्ति में कोई हक़, स्वामित्व या हित पैदा नहीं करता। अदालत ने कहा कि ऐसा समझौता केवल उस अधिकार को जन्म देता है, जिसके आधार पर भविष्य में विधिवत पंजीकृत सेल डीड हासिल की जा सकती है, लेकिन इससे संपत्ति पर कोई कानूनी स्वामित्व नहीं मिलता।जस्टिस मनोज कुमार निगम ने सुप्रीम कोर्ट के महत्वपूर्ण फैसलों स्टेट ऑफ यूपी बनाम डिस्ट्रिक्ट जज तथा रंभाई...

BREAKING| जिला जज के पदों पर न्यायिक अधिकारियों के लिए कोई कोटा नहीं: सुप्रीम कोर्ट ने जारी किए दिशानिर्देश
BREAKING| जिला जज के पदों पर न्यायिक अधिकारियों के लिए कोई कोटा नहीं: सुप्रीम कोर्ट ने जारी किए दिशानिर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को जिला जजों के पदों पर पदोन्नत जजों के लिए किसी स्पेशल कोटा/वेटेज की संभावना को खारिज कर दिया। साथ ही कहा कि उच्च न्यायिक सेवा में सीधी भर्ती के असमान प्रतिनिधित्व का कोई राष्ट्रव्यापी पैटर्न नहीं है।कोर्ट ने कहा कि न्यायिक अधिकारियों के बीच "नाराजगी" की भावना उच्च न्यायिक सेवा (HJS) संवर्ग के भीतर किसी भी कृत्रिम वर्गीकरण को उचित नहीं ठहरा सकती। विभिन्न स्रोतों (नियमित पदोन्नति, सीमित विभागीय प्रतियोगी परीक्षा और सीधी भर्ती) से एक सामान्य संवर्ग में प्रवेश और वार्षिक...

विदेशी आरोपियों द्वारा फर्जी ज़मानती देने की बढ़ती घटनाओं पर सुप्रीम कोर्ट चिंतित, जमानत सत्यापन की राष्ट्रीय प्रणाली बनाने की मांग
विदेशी आरोपियों द्वारा फर्जी ज़मानती देने की बढ़ती घटनाओं पर सुप्रीम कोर्ट चिंतित, जमानत सत्यापन की राष्ट्रीय प्रणाली बनाने की मांग

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में नारकोटिक्स मामलों में विदेशी आरोपियों द्वारा फर्जी ज़मानतदार प्रस्तुत कर ज़मानत लेकर फरार होने की चिंताजनक प्रवृत्ति पर कड़ी टिप्पणी की।जस्टिस संजय करोल और जस्टिस विपुल एम. पंचोली की खंडपीठ एक ऐसे मामले से रूबरू हुई, जिसमें NDPS Act के तहत पकड़े गए नाइजीरियाई आरोपी को ज़मानत ऐसी ज़मानतदारी पर मिली जो बाद में पूरी तरह फर्जी पाई गई।अदालत ने सवाल उठाया कि क्या ट्रायल कोर्टों के लिए राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (NIC) द्वारा तैयार किया गया ज़मानती सत्यापन मॉड्यूल प्रभावी...

केरल हाईकोर्ट के मुनम्बम भूमि वक़्फ़ नहीं वाले निष्कर्ष को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती, वक़्फ़ संगठन ने दाख़िल की विशेष अनुमति याचिका
केरल हाईकोर्ट के मुनम्बम भूमि वक़्फ़ नहीं वाले निष्कर्ष को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती, वक़्फ़ संगठन ने दाख़िल की विशेष अनुमति याचिका

केरल हाईकोर्ट के उस निष्कर्ष को चुनौती देते हुए कि मुनम्बम की 404.76 एकड़ भूमि वक़्फ़ नहीं है, केरल वक़्फ़ संरक्षण वेधि ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका (SLP) दाख़िल की है। यह याचिका 10 अक्टूबर को हाईकोर्ट की डिवीज़न बेंच द्वारा दिए गए उस फैसले के विरुद्ध है, जिसमें राज्य सरकार द्वारा भूमि की प्रकृति और सीमा की जांच के लिए एक सदस्यीय आयोग की नियुक्ति को वैध ठहराया गया।पृष्ठभूमिमुनम्बम विवाद एर्नाकुलम ज़िले की 404.76 एकड़ भूमि से जुड़ा है, जिसे 1950 में मोहम्मद सिद्दीक सैत द्वारा फ़ारूक़...

मंडोली जेल में वसूली और मारपीट पर हाईकोर्ट की गंभीर टिप्पणी, कैदी की शिकायत CBI को भेजी
मंडोली जेल में वसूली और मारपीट पर हाईकोर्ट की गंभीर टिप्पणी, कैदी की शिकायत CBI को भेजी

दिल्ली हाईकोर्ट ने मंडोली जेल में अंडरट्रायल कैदी द्वारा लगाए गए वसूली और हिरासत में मारपीट के आरोपों को अत्यंत गंभीर बताते हुए मामले को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) को भेजने का निर्देश दिया।जस्टिस संजीव नरूला ने कहा कि आरोप प्रथम दृष्टया रिकॉर्ड पर मौजूद सामग्री से समर्थित हैं, जिन्हें नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता।अदालत ने निर्देश दिया कि कैदी फरमान की याचिका को उस CBI जांच में शिकायत के रूप में शामिल किया जाए, जो इसी तरह के आरोपों को लेकर अदालत की निगरानी में पहले से चल रही है। कोर्ट ने कहा...

Delhi Air Pollution | सुप्रीम कोर्ट ने CAQM से NCR में स्कूली खेल गतिविधियों को स्थगित करने के निर्देश पर विचार करने को कहा
Delhi Air Pollution | सुप्रीम कोर्ट ने CAQM से NCR में स्कूली खेल गतिविधियों को स्थगित करने के निर्देश पर विचार करने को कहा

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार (19 नवंबर) को वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) से अनुरोध किया कि वह दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (Delhi-NCR) के स्कूलों को नवंबर-दिसंबर में होने वाले खेल और खेल प्रतियोगिताओं को वायु गुणवत्ता में सुधार के बाद सुरक्षित महीनों में स्थगित करने के निर्देश जारी करने पर विचार करे।चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) बीआर गवई और जस्टिस के विनोद चंद्रन की खंडपीठ ने यह निर्देश तब दिया, जब वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) खतरनाक स्तर तक गिर जाने के समय खेल प्रतियोगिताओं के आयोजन को लेकर...

कागज़ी बाघ बना दी गई है न्यायपालिका: बेगूसराय में ADJ का आरोप, डीएम–एसपी को बचाने के लिए केस छीने जाने पर की टिप्पणी
कागज़ी बाघ बना दी गई है न्यायपालिका: बेगूसराय में ADJ का आरोप, डीएम–एसपी को बचाने के लिए केस छीने जाने पर की टिप्पणी

बिहार के बेगूसराय ज़िले में अधीनस्थ न्यायपालिका और ज़िला प्रशासन के बीच अभूतपूर्व टकराव सामने आया। एडीशनल डिस्ट्रिक्ट एवं सेशन जज -III, ब्रजेश कुमार सिंह ने 17 नवंबर 2025 को पारित एक बेहद कड़े आदेश में स्पष्ट शब्दों में दर्ज किया कि प्रिंसिपल डिस्ट्रिक्ट एवं सेशन जज द्वारा निष्पादन वाद को अंतिम चरण में उनसे वापस लेकर अपने पास मंगाना केवल ज़िला पदाधिकारी और पुलिस अधीक्षक को अवमानना कार्यवाही से बचाने के उद्देश्य से किया गया कदम है।जज सिंह ने लिखा कि इस तरह की कार्रवाई न सिर्फ़ न्यायिक स्वतंत्रता...

ईशा फाउंडेशन के मानहानि मामले में यूट्यूबर श्याम मीरा सिंह को राहत नहीं, बलात्कार पीड़ितों का विवरण दाखिल करने की याचिका खारिज
ईशा फाउंडेशन के मानहानि मामले में यूट्यूबर श्याम मीरा सिंह को राहत नहीं, 'बलात्कार पीड़ितों' का विवरण दाखिल करने की याचिका खारिज

आध्यात्मिक गुरु सद्गुरु जग्गी वासुदेव द्वारा स्थापित ईशा फाउंडेशन द्वारा दायर मानहानि मुकदमे में अपने बचाव के लिए कथित बलात्कार पीड़ितों और उनके परिवारों से संबंधित दस्तावेज दाखिल करने की यूट्यूबर श्याम मीरा सिंह की याचिका दिल्ली हाईकोर्ट ने खारिज की।जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद ने याचिका यह कहते हुए खारिज कर दिया कि यह समय से पहले दायर की गई।सिंह द्वारा अपने यूट्यूब चैनल पर वासुदेव और फाउंडेशन के खिलाफ अपलोड किए गए कथित रूप से अपमानजनक वीडियो को लेकर मानहानि का मुकदमा दायर किया गया।आगे कहा...

दोषपूर्ण याचिकाएं दायर करने पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लगाया ₹5,000 का जुर्माना
दोषपूर्ण याचिकाएं दायर करने पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लगाया ₹5,000 का जुर्माना

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने वाले पक्षकार पर दोषपूर्ण रिट याचिका दायर करने और कानून के विपरीत प्रार्थना करने के लिए ₹5,000 का जुर्माना लगाया।याचिकाकर्ता ने अपनी संविदा नियुक्ति के विस्तार के आदेश के खिलाफ अदालत का दरवाजा खटखटाया था, उससे संबंधित मामले पर सुनवाई करते हुए जस्टिस सौरभ श्याम शमशेरी ने कहा,“कोर्ट को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने वाले याचिकाकर्ताओं के मामलों से निपटने में बार-बार कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि उनकी रिट याचिकाएं हमेशा दोषपूर्ण रहती हैं।...

निर्णयों में मेडिकल रिपोर्ट से चोटों का विवरण अनिवार्य रूप से प्रस्तुत करें: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश की निचली अदालतों को निर्देश दिया
'निर्णयों में मेडिकल रिपोर्ट से चोटों का विवरण अनिवार्य रूप से प्रस्तुत करें': इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश की निचली अदालतों को निर्देश दिया

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश राज्य के सभी ट्रायल कोर्ट के जजों को सख्त निर्देश जारी किया कि वे अपने निर्णयों में मेडिकल रिपोर्ट में दर्ज चोटों का विवरण अनिवार्य रूप से प्रस्तुत करें।जस्टिस राजीव मिश्रा और जस्टिस डॉ. अजय कुमार-द्वितीय की खंडपीठ ने कहा कि यह देखकर 'दुख' हो रहा है कि ट्रायल कोर्ट अपने आदेशों में इस महत्वपूर्ण फोरेंसिक विवरण को छोड़ रही हैं, जबकि लंबे समय से प्रशासनिक परिपत्रों में ऐसा करने की आवश्यकता थी।यह निर्देश दहेज के आरोपी पति को बरी किए जाने के खिलाफ दायर आपराधिक अपील...

फर्जी यूट्यूब चैनल के खिलाफ मुकदमे में आज तक एंकर अंजना ओम कश्यप को राहत, मिली स्थायी निषेधाज्ञा
'फर्जी' यूट्यूब चैनल के खिलाफ मुकदमे में आज तक एंकर अंजना ओम कश्यप को राहत, मिली स्थायी निषेधाज्ञा

दिल्ली हाईकोर्ट ने आजतक न्यूज चैनल की एंकर और सीनियर मैनेजिंग एडिटर अंजना ओम कश्यप के पक्ष में उनके समाचार क्लिपिंग, वीडियो और डीपफेक प्रतिरूपण का उपयोग करने वाले एक "फर्जी" यूट्यूब चैनल के खिलाफ उनके मुकदमे में स्थायी निषेधाज्ञा प्रदान की।जस्टिस तेजस करिया ने कश्यप और आजतक न्यूज़ चैनल का संचालन करने वाली कंपनी टीवी टुडे नेटवर्क लिमिटेड द्वारा दायर मुकदमे का फैसला सुनाया।मुकदमे में बौद्धिक संपदा अधिकारों के उल्लंघन, प्रतिरूपण के खिलाफ अनिवार्य प्रकटीकरण और समाचार चैनल तथा कश्यप के स्वामित्व वाले...

मानसिक पुनर्वास केंद्र के निवासी भी वोट डाल सकते हैं, जब तक किसी सक्षम अदालत ने अयोग्य घोषित न किया हो: केरल हाईकोर्ट
मानसिक पुनर्वास केंद्र के निवासी भी वोट डाल सकते हैं, जब तक किसी सक्षम अदालत ने अयोग्य घोषित न किया हो: केरल हाईकोर्ट

केरल हाईकोर्ट ने आगामी 2025 लोकसभा चुनावों में एक मानसिक स्वास्थ्य पुनर्वास केंद्र के निवासियों को मतदान का अधिकार देने का रास्ता साफ कर दिया है। अदालत ने कहा कि बिना किसी प्रमाण के यह मान लेना कि ऐसे केंद्र के सभी निवासी मानसिक रूप से अक्षम हैं और अपनी इच्छा से वोट नहीं डाल सकते, पूरी तरह गलत है।जस्टिस पी.वी. कुन्हीकृष्णन की पीठ ने एक याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें दावा किया गया था कि पुनर्वास केंद्र में रहने वाले करीब 60 लोग मानसिक रूप से चुनौतीग्रस्त हैं और वे स्वतंत्र इच्छा से मतदान नहीं कर...

डॉक्टरों को मुफ़्त उपहार | सुप्रीम कोर्ट ने फार्मास्युटिकल मार्केटिंग प्रैक्टिस कोड को वैधानिक बल देने का आह्वान किया
डॉक्टरों को मुफ़्त उपहार | सुप्रीम कोर्ट ने फार्मास्युटिकल मार्केटिंग प्रैक्टिस कोड को वैधानिक बल देने का आह्वान किया

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (18 नवंबर) को केंद्र सरकार पर दबाव डाला कि क्या वह यूनिफ़ॉर्म कोड ऑफ़ फार्मास्युटिकल मार्केटिंग प्रैक्टिस (UCPMP), 2024 को वैधानिक समर्थन देने का इरादा रखती है। कोर्ट ने कहा कि स्वैच्छिक व्यवस्था उपभोक्ताओं को नुकसान पहुंचाती है और दवा कंपनियों के कदाचार के खिलाफ कोई प्रभावी प्रवर्तन तंत्र प्रदान नहीं करती है।एडिशनल सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज ने कहा कि 2024 का UCPMP पूरी तरह से स्वैच्छिक 2015 UCPMP से अनिवार्य व्यवस्था में बदलाव है, वहीं जस्टिस मेहता ने कहा कि 2024 की...