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बच्ची के साथ बलात्कार और हत्या के दोषी ने अपनी दोषसिद्धि और मृत्युदंड को हाईकोर्ट में दी चुनौती
अलुवा बाल हत्या मामले के एकमात्र आरोपी असफाक आलम ने ट्रायल कोर्ट द्वारा बलात्कार और हत्या के लिए दोषसिद्धि और मृत्युदंड को चुनौती देते हुए केरल हाईकोर्ट का रुख किया।हाईकोर्ट ने अभी तक मृत्युदंड की पुष्टि नहीं की और यह डीएसआर नंबर 3/2025 के रूप में विचाराधीन है।बताया जा रहा है कि आलम बिहार का रहने वाला है और उस पर अलुवा में एक पाँच साल की बच्ची का यौन शोषण करने और उसकी हत्या करने का आरोप है। घटना के एक दिन बाद 29.07.2023 को उसे गिरफ्तार किया गया और तब से वह हिरासत में है।2023 में स्पेशल पॉक्सो...
राजस्थान हाईकोर्ट ने "फोरम शॉपिंग" के लिए वादियों की कड़ी आलोचना की, ₹1 लाख का जुर्माना लगाया
"फोरम शॉपिंग" की प्रथा को गंभीरता से लेते हुए और इसे बेहद बदनाम बताते हुए राजस्थान हाईकोर्ट ने इसके लिए कई याचिकाकर्ताओं पर ₹1 लाख का जुर्माना लगाया।अदालत उन याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा था, जिनमें कुछ संस्थानों ने शैक्षणिक सत्र 2025-26 से आगे के लिए बी.एससी. नर्सिंग कोर्स में काउंसलिंग के लिए पात्र संस्थानों की सूची में अपना नाम शामिल करने की मांग की।जस्टिस समीर जैन फोरम शॉपिंग के एक जैसे मुद्दे पर कई याचिकाओं पर सुनवाई कर रहे थे, जिनमें क्षेत्रीय अधिकार क्षेत्र न्यायालय की जयपुर पीठ के समक्ष होने...
ZP Election Rules 1994 | COVID के दौरान वर्चुअल उपस्थिति में याचिका का वर्चुअल रूप से दाखिल होना नियम 4(3) का पर्याप्त अनुपालन: इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने माना कि यदि कोई चुनाव याचिका याचिकाकर्ता द्वारा स्वयं ई-फाइल की जाती है और COVID-19 के दौरान याचिका प्रस्तुत करते समय याचिकाकर्ता अपने वकील के साथ कोर्ट के समक्ष वर्चुअल रूप से उपस्थित होता है तो यह उत्तर प्रदेश जिला पंचायत (सदस्यता से संबंधित चुनावी विवादों का निपटारा) नियम, 1994 के नियम 4(3) का 'पर्याप्त अनुपालन' माना जाएगा, जिसके अनुसार चुनाव याचिका व्यक्तिगत रूप से प्रस्तुत की जानी आवश्यक है।जस्टिस मनीष कुमार निगम की पीठ ने कहा कि यदि याचिकाकर्ता ने स्वयं अपनी ई-मेल आईडी...
सांसद चंद्रशेखर आज़ाद को व्हाट्सएप पर धमकी देने वाले व्यक्ति को हाईकोर्ट से मिली अंतरिम राहत
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में आज़ाद समाज पार्टी के सांसद चंद्रशेखर आज़ाद 'रावण' को व्हाट्सएप ग्रुप मैसेज में कथित तौर पर धमकी देने के आरोपी व्यक्ति को बलपूर्वक कार्यवाही से अंतरिम संरक्षण प्रदान किया।जस्टिस राम मनोहर नारायण मिश्रा की पीठ ने नीतीश अग्रवाल उर्फ सोना पांडे नामक व्यक्ति को राहत प्रदान की। सोना पांडे भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 351(2) (आपराधिक धमकी) के तहत दर्ज FIR के संबंध में संज्ञान और समन आदेश का सामना कर रहा है।लाइव लॉ को प्राप्त हुई FIR की कॉपी में आरोप लगाया गया कि...
DHCBA की अच्छी पहल, पीड़ित पंजाब के कामिरपुरा गाँव को लिया गोद
दिल्ली हाईकोर्ट बार एसोसिएशन (DHCBA) ने हाल ही में आई बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित पीड़ितों के पुनर्वास की बड़ी पहल के तहत पंजाब के अजनाला क्षेत्र में चक बाला/कामिरपुरा ग्राम पंचायत के अंतर्गत आने वाले मीरपुरा गाँव के समुदाय को आधिकारिक रूप से गोद लिया। DHCBA के अध्यक्ष एन. हरिहरन के नेतृत्व में चलाए गए इस राहत अभियान में कई वकीलों और अन्य लोगों ने उदारतापूर्वक योगदान दिया। इसका उद्देश्य प्रभावित निवासियों की आजीविका और घरों को बहाल करना है।अध्यक्ष एन. हरिहरन ने सभी दानदाताओं के प्रति गहरा आभार...
घरेलू हिंसा अधिनियम (DV Act) में परिवाद, नातेदार और प्रत्यर्थी का मतलब
एक मामले में मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने यह तर्क ग्रहण किया है कि अधिनियम की धारा 2 (थ) के परन्तुक में प्रयुक्त "परिवाद" पद, अधिनियम के अधीन किसी परिभाषा के अभाव में दण्ड प्रक्रिया संहिता में पारिभाषित रूप में समझा जाना होगा। न्यायाधीश के अनुसार ऐसा परिवाद किसी दाण्डिक संविधि के अधीन दण्डनीय किसी अपराध के लिए हो सकता है और चूंकि अधिनियम केवल दो अपराधों अर्थात् अधिनियम की धारा 31 के अधीन प्रत्यर्थी द्वारा संरक्षण आदेश के भंग के लिए तथा अधिनियम की धारा 33 के अधीन जैसा प्रावधानित है अपने कर्तव्य का...
घरेलू हिंसा अधिनियम (DV Act) की Section 1 के प्रावधान
इस एक्ट की धारा 1 शुरूआती धारा है जो अधिनियम के नाम लागू से संबंधित है। यह विवादित नहीं है कि घरेलू हिंसा अधिनियम, 2005 के अधीन कोई अभिव्यक्त उपबन्ध नहीं है कि यह भूतलक्षी रूप से लागू होता है जब तक कि विधायिका के आशय को दर्शित करने के लिए संविधि में पर्याप्त शब्द न हों या आवश्यक विवक्षा से भूतलक्षी प्रवर्तन न दिया गया हो, यह केवल भविष्यलक्षी समझा जाता है। भूतलक्षी विधायन कभी उपधारित नहीं किया जाता है और इसलिए विधि केवल इसके प्रवर्तन में आने की तिथि के बाद घटित होने वाले मामलों पर लागू होती है,...
सुप्रीम कोर्ट वीकली राउंड अप : सुप्रीम कोर्ट के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र
सुप्रीम कोर्ट में पिछले सप्ताह (29 सितंबर, 2025 से 03 अक्टूबर, 2025 तक) तक क्या कुछ हुआ, जानने के लिए देखते हैं सुप्रीम कोर्ट वीकली राउंड अप। पिछले सप्ताह सुप्रीम कोर्ट के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र।निर्धारित समय-सीमा समाप्त होने का हवाला देकर ट्रायल जज मामले पर फैसला सुनाने से इनकार नहीं कर सकते: सुप्रीम कोर्टसुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में ट्रायल कोर्ट को असामान्य आदेश दिया, जिसमें उसने केवल इसलिए अपने अधिकार क्षेत्र का प्रयोग करने से परहेज किया, क्योंकि ट्रायल कोर्ट ने कार्यवाही निपटाने के...
हाईकोर्ट वीकली राउंड अप : पिछले सप्ताह के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र
देश के विभिन्न हाईकोर्ट में पिछले सप्ताह (29 सितंबर, 2025 से 03 अक्टूबर, 2025) तक क्या कुछ हुआ, जानने के लिए देखते हैं हाईकोर्ट वीकली राउंड अप। पिछले सप्ताह हाईकोर्ट के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र।पिता बच्चों के वयस्क होने के बाद उन्हें दिए गए अतिरिक्त भरण-पोषण भत्ते की वापसी की मांग नहीं कर सकते: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने कहा कि पिता अपने बच्चों के वयस्क होने के बाद उन्हें दिए गए भरण-पोषण भत्ते की वापसी की मांग नहीं कर सकता, क्योंकि उनकी शिक्षा के लिए उनका समर्थन करना...
पिता बच्चों के वयस्क होने के बाद उन्हें दिए गए अतिरिक्त भरण-पोषण भत्ते की वापसी की मांग नहीं कर सकते: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने कहा कि पिता अपने बच्चों के वयस्क होने के बाद उन्हें दिए गए भरण-पोषण भत्ते की वापसी की मांग नहीं कर सकता, क्योंकि उनकी शिक्षा के लिए उनका समर्थन करना उनका नैतिक कर्तव्य है।जस्टिस विवेक सिंह ठाकुर और जस्टिस सुशील कुकरेजा की खंडपीठ ने टिप्पणी की:"...एक पिता होने के नाते भले ही उनका कोई कानूनी कर्तव्य न हो, लेकिन एक पिता के रूप में उनका नैतिक दायित्व और कर्तव्य है कि वे अपने बच्चों को भरण-पोषण सुनिश्चित करें, खासकर जब वे अपनी शिक्षा पूरी करने के कगार पर हों, क्योंकि बच्चों...
'केवल अनुबंध की जानकारी या उससे होने वाले आकस्मिक लाभों की संभावना, निजता स्थापित करने के लिए पर्याप्त नहीं': बॉम्बे हाईकोर्ट
बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा कि किसी अनुबंध या उससे होने वाले आकस्मिक लाभों की जानकारी मात्र से अनुबंध की निजता स्थापित नहीं हो सकती या तीसरे पक्ष के विरुद्ध प्रवर्तनीय अधिकार प्रदान नहीं किए जा सकते। अदालत ने निर्णय दिया कि प्रत्यक्ष संविदात्मक संबंध के अभाव में, कोई वाद-कारण उत्पन्न नहीं होता।जस्टिस कमल खता अमेय रियल्टी एंड कंस्ट्रक्शन एलएलपी (प्रतिवादी नंबर 9) द्वारा दायर अंतरिम आवेदन पर सुनवाई कर रहे थे, जिसमें श्री कंस्ट्रक्शन कंपनी (वादी) द्वारा दायर वाद को खारिज करने का अनुरोध किया गया था।...
S. 319 CrPC | अतिरिक्त अभियुक्तों को केवल मुकदमे में प्रस्तुत साक्ष्यों के आधार पर ही बुलाया जा सकता है, जांच सामग्री के आधार पर नहीं: इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि CrPC की धारा 319 के तहत अतिरिक्त अभियुक्तों को बुलाने की ट्रायल कोर्ट की शक्ति मुकदमे के दौरान उसके समक्ष प्रस्तुत साक्ष्यों तक ही सीमित है और जांच के दौरान एकत्रित सामग्री के आधार पर इसका प्रयोग नहीं किया जा सकता।जस्टिस समीर जैन की पीठ ने चंदौली के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा तीन पुनर्विचारकर्ताओं को भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 147, 148, 149, 323, 504, 506 और 427 के तहत मुकदमे का सामना करने के लिए बुलाने का आदेश रद्द करते हुए यह टिप्पणी की।संक्षेप में...
हाईकोर्ट ने विध्वंस का सामना कर रही संभल की रायन बुजुर्ग मस्जिद को अंतरिम राहत देने से किया इनकार
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्पेशल सुनवाई में संभल की रायन बुजुर्ग मस्जिद को अंतरिम राहत देने से इनकार किया, जिसे उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा जारी किए गए विध्वंस नोटिस का सामना करना पड़ रहा है।जस्टिस दिनेश पाठक की पीठ ने मस्जिद प्रबंधन द्वारा दायर उस याचिका को वापस ले लिया, जिसमें असिस्टेंट कलेक्टर प्रथम श्रेणी/तहसीलदार, संभल द्वारा उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता, 2006 की धारा 67 के तहत कार्यवाही में पारित 2 सितंबर, 2025 के आदेश को चुनौती दी गई थी।शुरुआत में याचिकाकर्ताओं के वकील ने 2 सितंबर के आदेश की...
दिल्ली हाईकोर्ट ने मादक पदार्थों की तस्करी के आरोप में गिरफ्तार विदेशी नागरिक को ज़मानत दी
दिल्ली हाईकोर्ट ने मादक पदार्थों की तस्करी के मामले में चार साल से ज़्यादा समय से जेल में बंद विदेशी नागरिक को ज़मानत दी।ऐसा करते हुए जस्टिस अरुण मोंगा ने कहा कि जांच अधिकारी ने क्रॉस एक्जामिनेशन के दौरान ख़ुद स्वीकार किया कि ज़ब्त किए गए पदार्थ को सैंपल लेने से पहले मिलाया गया, जिससे यह पता लगाना असंभव हो गया कि टेस्ट के लिए भेजे गए नमूने किस पैकेट से आए या उनका वज़न कितना था।पीठ ने कहा,"इस प्रकार, टेस्ट किए गए सैंपल्स के प्रमाण पर संदेह है, जिन्हें कुल मिलाकर व्यावसायिक मात्रा के रूप में...
S.148 NI Act | अपीलीय कोर्ट को न्यूनतम 20% मुआवज़ा राशि जमा करने का निर्देश देने का 'एकमात्र विवेकाधिकार': गुजरात हाईकोर्ट
गुजरात हाईकोर्ट ने कहा कि परक्राम्य लिखत अधिनियम (NI Act) की धारा 148 के अंतर्गत अपीलीय कोर्ट को चेक अनादर के लिए दोषसिद्धि को चुनौती देने वाले व्यक्ति को परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए मुआवज़े की राशि का 20% जमा करने का निर्देश देने का पूर्ण विवेकाधिकार है।NI Act की धारा 148 दोषसिद्धि के विरुद्ध अपील लंबित रहने तक भुगतान का आदेश देने की अपीलीय कोर्ट की शक्ति से संबंधित है। इस प्रावधान में कहा गया कि NI Act की धारा 138 के अंतर्गत चेक अनादर के लिए दोषसिद्धि को चुनौती देने वाले चेक जारीकर्ता...
धोखाधड़ी के आरोपों और DRT में लंबित कार्यवाही से मध्यस्थता पर रोक नहीं: बॉम्बे हाईकोर्ट का फ़ैसला
बॉम्बे हाईकोर्ट ने मध्यस्थता (आर्बिट्रेशन) के दायरे पर महत्वपूर्ण फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा कि केवल आपराधिक FIR दर्ज होने या ऋण वसूली न्यायाधिकरण (DRT) में कार्यवाही लंबित होने से विवादों को मध्यस्थता के लिए संदर्भित करने पर कोई रोक नहीं लगती है।जस्टिस अद्वैत एम. सेथना की पीठ ने मध्यस्थता अधिनियम, 1996 की धारा 11 के तहत दायर आवेदन स्वीकार किया और मंगल क्रेडिट एंड फिनकॉर्प लिमिटेड और उल्का चंद्रशेखर नायर के बीच ऋण विवादों के समाधान के लिए पूर्व चीफ जस्टिस नरेश एच. पाटिल को एकमात्र मध्यस्थ...
'अनधिकृत कॉलोनी' विकसित करने के लिए धोखाधड़ी की FIR दर्ज कराने वाली महिला को हाईकोर्ट से मिली अग्रिम ज़मानत
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने सागर जिले में बिना आवश्यक अनुमति के अनधिकृत कॉलोनी विकसित करने और प्लॉट बेचने की आरोपी महिला को अग्रिम ज़मानत दी।अदालत ने आवेदक को जांच एजेंसी के साथ सहयोग करने और जांच अधिकारी द्वारा निर्देशित तिथि और समय पर उपस्थित होने का निर्देश दिया। महिला पर भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 420 (धोखाधड़ी) और धारा 292-सी (अवैध कॉलोनी निर्माण) नगर निगम अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया।आवेदक के वकील ने दलील दी कि नगर निगम प्राधिकरण ने एक झूठी रिपोर्ट दर्ज कराई, जिसमें आरोप लगाया गया...
सार्वजनिक हित में दी गई अनिवार्य रिटायरमेंट दंड नहीं: गुजरात हाईकोर्ट ने न्यायिक अधिकारी की समयपूर्व रिटायरमेंट को सही ठहराया
गुजरात हाईकोर्ट ने वर्ष 2016 में न्यायिक अधिकारी को दी गई समयपूर्व रिटायरमेंट को बरकरार रखते हुए यह स्पष्ट किया कि सार्वजनिक हित या प्रशासनिक हित में दी गई अनिवार्य अथवा समयपूर्व रिटायरमेंट को दंड नहीं माना जा सकता।यह आदेश जस्टिस ए.एस. सुपेहिया और जस्टिस एल.एस. पिरजादा की खंडपीठ ने पारित किया। अदालत ने उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें पूर्व न्यायिक अधिकारी ने 2016 की अधिसूचना को चुनौती दी, जिसके तहत उन्हें 53 वर्ष की आयु में सार्वजनिक हित में सेवा से समयपूर्व रिटायरमेंट किया गया।खंडपीठ ने अपने...
छठी अनुसूची: जनजातीय स्वायत्तता की ढाल और लद्दाख की गूंजती मांग
भारत का संविधान अपनी विविधता और समावेशिता में अद्वितीय, एक जीवंत दस्तावेज है, जो देश के विभिन्न सामाजिक-सांस्कृतिक भूगोल की ज़रूरतों के अनुरूप ढलने की क्षमता रखता है। इसी समावेशी भावना की एक मजबूत अभिव्यक्ति है संविधान की छठी अनुसूची (Sixth Schedule)। यह अनुसूची मुख्यतः देश के पूर्वोत्तर राज्यों में रहने वाले जनजातीय समुदायों को स्वायत्तता प्रदान करने, उनकी सांस्कृतिक पहचान की रक्षा करने और स्थानीय संसाधनों पर उनके अधिकार को सुनिश्चित करने का एक संवैधानिक ढांचा है। यह केवल एक प्रशासनिक व्यवस्था...
घरेलू हिंसा (DV Act) का उद्देश्य
घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम, 2005 के नामित अधिनियमन के लिए उद्देश्यों और कारणों का कथन असंदिग्ध रूप से घोषणा करता है कि 1994 के वियना समझौते के सभी सहभागी राज्यों, बीजिंग घोषणा-पत्र, कार्यवाही के लिए मंच (1995), किसी भी प्रकार की विशेष रूप से परिवार के भीतर घटित होने वाली, हिंसा के विरुद्ध महिलाओं के संरक्षण की स्वीकृति देता है।घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम, 2005 के अधिनियमन के लिए उद्देश्यों एवं कारणों का कथन दर्शित करता है कि चूंकि पति या उसके नातेदार द्वारा महिला के...




















