इससे सभी आहत हैं: दिल्ली हाईकोर्ट ने CJI गवई पर जूता फेंकने की घटना की कड़ी निंदा की, कहा- उचित कदम उठाए जाने जरूरी
Amir Ahmad
12 Nov 2025 4:32 PM IST

दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को चीफ जस्टिसऑफ इंडिया (CJI) बी. आर. गवई पर खुले अदालत में जूता फेंके जाने की घटना की कड़ी निंदा की। अदालत ने कहा कि ऐसी घटनाएं केवल निंदनीय नहीं बल्कि इन पर प्रभावी और उचित कार्रवाई भी आवश्यक है ताकि न्यायपालिका की गरिमा और शुचिता बनी रहे।
चीफ जस्टिस डी. के. उपाध्याय और जस्टिस तुषार राव गेडेला की खंडपीठ उस जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें सोशल मीडिया पर इस घटना से जुड़ी वीडियो क्लिप्स को हटाने के निर्देश मांगे गए। यह याचिका तेजस्वी मोहन नामक व्यक्ति द्वारा दाखिल की गई।
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि घटना की वीडियो क्लिप्स अभी भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर प्रसारित की जा रही हैं।
इस पर चीफ जस्टिस ने गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा,
“हम आपकी चिंता को साझा करते हैं। शायद और अधिक तीव्रता से। इस घटना ने न केवल बार के सदस्यों, बल्कि सभी को आहत किया। यह किसी एक व्यक्ति का मामला नहीं है। ऐसी घटनाओं की निंदा के साथ-साथ आवश्यक कदम भी उठाए जाने चाहिए।”
केंद्र सरकार की ओर से अद्वितीय एडिशनल सॉलिसिटर जनरल चेतन शर्मा ने अदालत को बताया कि सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) द्वारा पहले से ही सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल की गई, जिसमें इस वकील के खिलाफ अवमानना कार्रवाई की मांग की गई।
उन्होंने कहा,
“हम याचिकाकर्ता की चिंता से सहमत हैं लेकिन यह मामला सुप्रीम कोर्ट से संबंधित है। यदि वहां इस पर सुनवाई लंबित है तो याचिकाकर्ता को वही हस्तक्षेप करना चाहिए।”
शर्मा ने यह भी बताया कि समाचार रिपोर्ट्स के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए जॉन डो आर्डर पारित करने और दिशानिर्देश जारी करने पर विचार कर रहा है।
इस पर चीफ जस्टिस उपाध्याय ने कहा,
“समाचारों के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह इस पर दिशानिर्देश जारी करने और जॉन डो आर्डर पारित करने पर विचार कर रहा है। यदि आप वहां हस्तक्षेप करते हैं तो सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय या अन्य सरकारी एजेंसियों के लिए दिशा-निर्देश तय करने का आग्रह कर सकते हैं। आप सुप्रीम कोर्ट को इस याचिका के बारे में अवगत करा सकते हैं और वहीं राहत मांग सकते हैं।”
खंडपीठ ने यह भी कहा कि समान विषय पर दो अलग-अलग अदालतों में कार्यवाही चलने से कार्यवाही का दोहराव की स्थिति उत्पन्न होगी। अदालत ने सुझाव दिया कि याचिकाकर्ता सुप्रीम कोर्ट में हस्तक्षेप याचिका दाखिल करें और वहां इस मुद्दे को उठाएं।
इसके बाद याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि वह सुप्रीम कोर्ट में हस्तक्षेप याचिका दायर करेंगे।
दिल्ली हाईकोर्ट ने याचिका को फिलहाल लंबित रखते हुए सुनवाई की अगली तारीख 4 दिसंबर तय की।
यह घटना जिसमें एक वकील ने खुले कोर्ट में चीफ जस्टिस गवई पर जूता फेंका था, पूरे देशभर में निंदा का विषय बनी हुई है। अदालतों ने इसे न्यायिक संस्था की प्रतिष्ठा पर हमला बताया और इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए कड़े कदम उठाने की जरूरत बताई।

