पीएम मोदी की डिग्री विवाद: दिल्ली हाईकोर्ट ने DU से अपील दाखिल में देरी पर आपत्तियां दाखिल करने को कहा, फिलहाल नोटिस जारी नहीं

Amir Ahmad

12 Nov 2025 12:28 PM IST

  • पीएम मोदी की डिग्री विवाद: दिल्ली हाईकोर्ट ने DU से अपील दाखिल में देरी पर आपत्तियां दाखिल करने को कहा, फिलहाल नोटिस जारी नहीं

    दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की स्नातक डिग्री से संबंधित सूचना के खुलासे को लेकर दायर अपीलों के मामले में दिल्ली यूनिवर्सिटी (DU) को अपील दाखिल में हुई देरी पर अपनी आपत्तियां दर्ज करने का निर्देश दिया।

    चीफ जस्टिस देवेंद्र कुमार उपाध्याय और जस्टिस तुषार राव गेडेला की खंडपीठ ने हालांकि फिलहाल मामले में नोटिस जारी नहीं किया।

    अदालत ने आदेश दिया,

    “SGA तुषार मेहता प्रतिवादी की ओर से उपस्थित हैं। देरी माफ करने के आवेदन पर आपत्ति तीन सप्ताह में दाखिल की जाए। याचिकाकर्ता दो सप्ताह में उस पर जवाब दाखिल करें। मामला 16 जनवरी को सूचीबद्ध किया जाए।”

    ये अपीलें RTI एक्टिविस्ट नीरज, आम आदमी पार्टी (AAP) के नेता संजय सिंह और एडवोकेट मोहम्मद इरशाद द्वारा दाखिल की गईं।

    सीनियर एडवोकेट शादन फरासत ने अपीलकर्ताओं की ओर से पेश होकर कहा कि सिंगल बेंच ने अपने आदेश में दो बुनियादी गलती कीं।

    वहीं सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दिल्ली यूनिवर्सिटी की ओर से उपस्थित होकर कहा,

    “नोटिस जारी करने की बजाय मैं पहले से उपस्थित हूं। मैं अपनी तरफ से जवाब दाखिल कर दूंगा। नोटिस तो मेरी उपस्थिति के लिए ही होता है।”

    जब पीठ ने पाया कि अपीलें दाखिल करने में देरी हुई है, तो उसने मेहता से उस पर आपत्तियां दाखिल करने को कहा।

    मेहता ने कहा,

    “मुझे देरी की जानकारी नहीं थी। मैं देख लूंगा। मुझे मुख्य मामले पर भी बहस करने में कोई आपत्ति नहीं है।”

    अपीलकर्ताओं ने 25 अगस्त को पारित सिंगल बेंच के आदेश को चुनौती दी है, जिसमें केंद्रीय सूचना आयोग (CIC) के उस आदेश को निरस्त कर दिया गया, जिसने दिल्ली यूनिवर्सिटी को सूचना देने का निर्देश दिया था।

    सिंगल बेंच ने 2017 में DU की याचिका स्वीकार करते हुए कहा कि किसी व्यक्ति की शैक्षणिक योग्यता, अंकपत्र या डिग्री से संबंधित सूचना व्यक्तिगत जानकारी के दायरे में आती है और इसे RTI कानून के तहत सार्वजनिक नहीं किया जा सकता।

    अदालत ने यह भी कहा कि किसी व्यक्ति का सार्वजनिक पद पर होना अपने आप में उसकी सभी निजी सूचनाओं को सार्वजनिक करने का आधार नहीं बनता।

    विवाद की पृष्ठभूमि

    RTI एक्टिविस्ट नीरज कुमार ने वर्ष 1978 में बीए की परीक्षा देने वाले सभी विद्यार्थियों के नाम, रोल नंबर, अंक और परिणाम (पास या फेल) से संबंधित सूचना मांगी थी।

    दिल्ली यूनिवर्सिटी के केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी (CPIO) ने यह कहते हुए सूचना देने से इनकार कर दिया कि यह थर्ड पार्टी सूचना है। इसके बाद आरटीआई कार्यकर्ता ने केंद्रीय सूचना आयोग (CIC) में अपील दायर की।

    CIC ने 2016 में पारित अपने आदेश में कहा था,

    “कानून और पूर्व के निर्णयों का अध्ययन करने के बाद आयोग का मत है कि विद्यार्थियों की शिक्षा से संबंधित मामले सार्वजनिक क्षेत्र के अंतर्गत आते हैं। इसीलिए संबंधित सार्वजनिक प्राधिकरण को जानकारी साझा करनी चाहिए।”

    आयोग ने यह भी कहा था कि हर यूनिवर्सिटी एक सार्वजनिक संस्था है और डिग्री से संबंधित सूचनाएं उसके निजी रजिस्टर में दर्ज होती हैं, जो कि एक सार्वजनिक दस्तावेज है।

    बाद में DU द्वारा दायर अपील पर 24 जनवरी, 2017 को CIC के आदेश पर रोक लगा दी गई।

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