विवाहेतर संबंध अपराध नहीं, जोसेफ शाइन फैसला पूर्व प्रभाव से लागू: राजस्थान हाईकोर्ट

Amir Ahmad

12 Nov 2025 12:41 PM IST

  • विवाहेतर संबंध अपराध नहीं, जोसेफ शाइन फैसला पूर्व प्रभाव से लागू: राजस्थान हाईकोर्ट

    राजस्थान हाईकोर्ट ने एक अहम निर्णय में कहा कि विवाहेतर संबंध (Adultery) को अपराध की श्रेणी से बाहर करने वाला सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला जोसेफ शाइन बनाम भारत संघ केवल भविष्य के मामलों पर ही नहीं बल्कि पहले से लंबित सभी मामलों पर भी लागू होगा। अदालत ने स्पष्ट किया कि जब भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 497 को असंवैधानिक घोषित कर दिया गया तो वह प्रारंभ से ही (void ab initio) अमान्य हो गई और उस पर आधारित कोई भी अभियोजन अब जारी नहीं रह सकता।

    जस्टिस आनंद शर्मा की सिंगल ने कहा,

    “सुप्रीम कोर्ट द्वारा IPC की धारा 497 को असंवैधानिक ठहराए जाने की घोषणा पूर्व प्रभाव से लागू होती है। इस कारण, उस प्रावधान पर आधारित सभी लंबित मुकदमों को शून्य माना जाएगा। हालांकि जिन मामलों में फैसला पहले ही सुनाया जा चुका है उन्हें दोबारा नहीं खोला जा सकता।”

    मामला एक ऐसे व्यक्ति से संबंधित था जिस पर आरोप था कि उसने शिकायतकर्ता की पत्नी से शारीरिक संबंध बनाए जो स्वयं उसकी शिक्षिका थी। इस शिकायत पर महानगर मजिस्ट्रेट की अदालत ने IPC की धारा 497 के तहत संज्ञान लिया। आरोपी ने इस आदेश को चुनौती दी लेकिन इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने जोसेफ शाइन मामले में विवाहेतर संबंध को अपराध से मुक्त घोषित कर दिया।

    इसके बावजूद एडिशनल सेशन जज ने मजिस्ट्रेट का आदेश बरकरार रखा जिसके बाद याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया।

    राज्य की ओर से सरकारी वकील ने तर्क दिया कि जोसेफ शाइन निर्णय का प्रभाव केवल भविष्य के मामलों पर लागू होता है पूर्व प्रभाव से नहीं। अदालत ने इस तर्क को अस्वीकार करते हुए कहा कि जब किसी प्रावधान को असंवैधानिक घोषित कर दिया जाता है तो वह कानून शुरू से ही शून्य माना जाता है और उस पर आधारित कोई भी अभियोजन जारी नहीं रह सकता।

    अदालत ने कहा,

    “संविधान प्रदत्त समानता, गरिमा और निजता के अधिकारों की रक्षा के लिए यह आवश्यक है कि ऐसे असंवैधानिक प्रावधानों को न केवल भविष्य के लिए बल्कि अतीत और वर्तमान लंबित मामलों में भी निरस्त माना जाए।”

    हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि मामले की जांच में निगेटिव फाइनल रिपोर्ट दी गई, जिससे यह स्पष्ट था कि आरोप केवल संदेह पर आधारित थे और सबूतों का कोई ठोस आधार नहीं था। ऐसे में उस प्रावधान के तहत कार्यवाही जारी रखना, जो पहले ही असंवैधानिक घोषित हो चुका है, न्याय प्रक्रिया का दुरुपयोग और गंभीर अन्याय होगा।

    अदालत ने तेलंगाना, पंजाब-हरियाणा, बॉम्बे, पटना और दिल्ली हाईकोर्ट के समान निर्णयों का भी उल्लेख करते हुए कहा कि इन सभी न्यायालयों ने भी यही सिद्धांत अपनाया है कि जोसेफ शाइन फैसला पूर्व प्रभाव से लागू होता है।

    अंततः राजस्थान हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता के खिलाफ चल रही कार्यवाही रद्द करते हुए कहा कि विवाहेतर संबंध अब आपराधिक अपराध नहीं है। ऐसे सभी लंबित मुकदमे स्वतः समाप्त माने जाएंगे।

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