छत्तीसगढ़ शराब घोटाला: सुप्रीम कोर्ट ने आबकारी अधिकारियों को दी गई अंतरिम गिरफ्तारी सुरक्षा को किया स्थायी

Amir Ahmad

12 Nov 2025 4:20 PM IST

  • छत्तीसगढ़ शराब घोटाला: सुप्रीम कोर्ट ने आबकारी अधिकारियों को दी गई अंतरिम गिरफ्तारी सुरक्षा को किया स्थायी

    सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को छत्तीसगढ़ के चर्चित शराब घोटाला मामले में आबकारी विभाग के अधिकारियों को दी गई अंतरिम गिरफ्तारी सुरक्षा को स्थायी कर दिया।

    कोर्ट ने यह आदेश आरोपित अधिकारियों के विरुद्ध दर्ज मनी लॉन्ड्रिंग और भ्रष्टाचार के मामलों में सुनवाई के दौरान पारित किया।

    जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमल्या बागची की पीठ ने यह आदेश सीनियर एडवोकेट एस. नागमुथु और सिद्धार्थ अग्रवाल (याचिकाकर्ताओं की ओर से) तथा सीनियर एडवोकेट महेश जेठमलानी और एएसजी एस.डी. संजय (राज्य एवं प्रवर्तन निदेशालय की ओर से) की दलीलें सुनने के बाद सुनाया।

    कोर्ट ने राहत देते हुए साफ किया कि याचिकाकर्ता जांच में पूरा सहयोग करेंगे और किसी भी स्थिति में गवाहों को प्रभावित करने या सबूतों से छेड़छाड़ करने का प्रयास नहीं करेंगे।

    उन्हें अपने पासपोर्ट दो सप्ताह के भीतर ट्रायल कोर्ट में जमा करने होंगे और राज्य की सीमाओं से बाहर जाने के लिए ट्रायल कोर्ट की अनुमति लेनी होगी। साथ ही अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि वे किसी सुनवाई में अनुपस्थित रहते हैं तो इसे जमानत की शर्तों के दुरुपयोग के रूप में माना जाएगा।

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आरोपियों को जांच अधिकारी के समक्ष आवश्यकतानुसार उपस्थित होना होगा। यदि जांच के दौरान कोई अतिरिक्त चार्जशीट दाखिल करनी हो तो उसमें सहयोग देना अनिवार्य होगा।

    इसके अलावा, सभी आरोपियों को अपने मोबाइल नंबर जांच अधिकारी को उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया है ताकि जरूरत पड़ने पर उनसे संपर्क किया जा सके।

    मामले से जुड़े अन्य प्रवर्तन निदेशालय (ED) केस जिसमें पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा भी आरोपी हैं, उसको कोर्ट ने दो सप्ताह के लिए स्थगित कर दिया।

    यह मामला वर्ष 2019 से 2022 के बीच छत्तीसगढ़ में अवैध शराब बिक्री से जुड़े कथित घोटाले से संबंधित है। आरोप है कि आबकारी विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने एक सिंडिकेट के साथ मिलीभगत कर अवैध रूप से शराब की बिक्री कराई और इस प्रक्रिया में भारी कमीशन वसूला। जांच एजेंसियों के अनुसार इस घोटाले का मूल्य लगभग 3200 करोड़ तक बताया गया।

    इससे पहले स्पेशल कोर्ट और हाईकोर्ट ने इन अधिकारियों की अग्रिम जमानत याचिकाएं यह कहते हुए खारिज कर दी थीं कि मामला गंभीर वित्तीय अनियमितताओं और भ्रष्टाचार से जुड़ा है।

    इसके बाद याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया, जहां उन्हें गिरफ्तारी से अंतरिम राहत मिली थी। अदालत ने उस समय उन्हें ट्रायल कोर्ट में आत्मसमर्पण कर जमानत बांड जमा करने का निर्देश दिया।

    कोर्ट के ताजा आदेश के साथ अब इन अधिकारियों को मिली अंतरिम सुरक्षा स्थायी हो गई। हालांकि उन पर लगाए गए कड़े प्रतिबंध और निगरानी शर्तें लागू रहेंगी।

    सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय छत्तीसगढ़ शराब घोटाले की जांच प्रक्रिया में एक अहम कानूनी मोड़ के रूप में देखा जा रहा है।

    Next Story