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CJI बी.आर. गवई ने जूता फेंकने की घटना पर कहा, “हमारे लिए यह एक भूला हुआ अध्याय”
चीफ़ जस्टिस बी.आर. गवई ने बुधवार को उस घटना पर बात की, जब इस सप्ताह की शुरुआत में एक वकील ने सुप्रीम कोर्ट में उनके ऊपर जूता फेंकने की कोशिश की। CJI ने इसे “भुला हुआ अध्याय” बताया।CJI ने कहा, “हम दोनों को सोमवार की घटना देखकर बहुत आश्चर्य हुआ… हमारे लिए यह अब एक भुला हुआ अध्याय है।” साथ ही सीनियर एडवोकेट गोपाल संकरनारायणन ने दशक पहले हुई एक ऐसी ही घटना को याद किया। उन्होंने कहा कि 10 साल पहले पड़ोसी कोर्ट में भी कुछ ऐसा हुआ था और वहां के जजों ने अवमानना (Contempt) की प्रक्रिया को अलग तरीके से...
बॉम्बे हाईकोर्ट का फैसला: गाली-गलौज ही IPC की धारा 294 के तहत अपराध नहीं
बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में स्पष्ट किया कि केवल अपमानजनक, अश्लील या मानहानिकारक भाषा का उपयोग करना भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 294 के तहत अपराध नहीं है, जब तक कि वह कार्य अश्लील न हो और किसी सार्वजनिक स्थान पर या उसके पास किसी अन्य व्यक्ति को झुंझलाहट न पहुंचाए।जस्टिस एम. एम. नेरलिकर ने दोहराया कि अपराध साबित करने के लिए झुंझलाहट और अश्लीलता दोनों ही अनिवार्य तत्व हैं। इन्हें साक्ष्य के माध्यम से विशेष रूप से स्थापित किया जाना चाहिए।याचिकाकर्ता पर सरकारी कॉलेज के प्रिंसिपल के...
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट का पर्यावरण-हितैषी निर्देश: याचिका बहाली के लिए 25 पौधे लगाओ
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने फैक्ट्री मालिक को उसकी याचिका (writ petition) बहाल करने के लिए एक अनूठी शर्त रखी है। न्यायालय ने फैक्ट्री के प्रोप्राइटर को आदेश दिया कि वह अपने परिसर में 25 देशी पौधे/पेड़ लगाए और इसका प्रमाण प्रस्तुत करे।बता दें, यह याचिका पहले एक अनिवार्य आदेश का पालन न करने यानी याचिका में मौजूद खामियों को दूर न करने के कारण खारिज कर दी गई थी।जस्टिस विवेक रूसिया और जस्टिस बिनोद कुमार द्विवेदी की खंडपीठ ने पाया कि याचिकाकर्ता को पर्याप्त समय दिया गया लेकिन वह खामियों को सुधारने में...
जिला जजों की सीधी भर्ती में केवल वकीलों का विशेष कोटा नहीं हो सकता: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने आज यह फैसला दिया कि जिला न्यायाधीशों के पदों पर सीधी भर्ती के लिए निर्धारित 25% कोटा केवल वकीलों (बार के उम्मीदवारों) के लिए आरक्षित नहीं है।चीफ़ जस्टिस बी.आर. गवई, जस्टिस एम.एम. सुंदरेश, जस्टिस अरविंद कुमार, जस्टिस एस.सी. शर्मा और जस्टिस के. विनोद चंद्रन की खंडपीठ ने कहा — “हम प्रतिवादियों की इस दलील से सहमत नहीं हैं कि 25% सीधी भर्ती का कोटा केवल प्रैक्टिस करने वाले अधिवक्ताओं के लिए आरक्षित है। यदि इस तर्क को स्वीकार किया जाए तो यह सात वर्ष की प्रैक्टिस वाले...
सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने वक्फ पंजीकरण की समयसीमा बढ़ाने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया
लोकसभा सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 को चुनौती देने के मामले में सुप्रीम कोर्ट में एक स्पष्टीकरण याचिका दायर की है। ओवैसी ने सरकारी पोर्टल पर वक्फ की पंजीकरण प्रक्रिया के लिए समय सीमा बढ़ाने की मांग की है।यह मामला चीफ़ जस्टिस बी.आर. गवई, जस्टिस उज्जल भुइयां और जस्टिस के. विनोद चंद्रन की खंडपीठ के समक्ष एडवोकेट निज़ाम पशा ने उल्लेख किया। उन्होंने कहा, “कानून में छह महीने का समय दिया गया था, जिसमें से पाँच महीने निर्णय आने में बीत गए, अब केवल एक महीना बचा है।” स्थिति की...
साक्ष्य के अभाव में मौत की सज़ा पर हाईकोर्ट ने जताई हैरानी, आरोपी को किया बरी
राजस्थान हाईकोर्ट ने चौंकाने वाले फैसले में दो भाई-बहनों की हत्या और बहन के साथ कथित बलात्कार के मामले में दोषी ठहराए गए व्यक्ति को बरी कर दिया।कोर्ट ने इस मामले में निचली अदालत द्वारा दिए गए मृत्युदंड के फैसले पर गहरा आश्चर्य व्यक्त करते हुए राज्य द्वारा दायर मृत्युदंड संदर्भ को भी अस्वीकार कर दिया।जस्टिस विनीत कुमार माथुर और जस्टिस अनूप सिंघी की खंडपीठ ने टिप्पणी की कि यह अविश्वसनीय है कि जिस मामले में न्यायालय को अभियोजन पक्ष के दावे का समर्थन करने वाले साक्ष्य का कोई निशान नहीं मिल रहा है,...
दिल्ली हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: आयु निर्धारण का वरीयता वाला दस्तावेज़ 'ईश्वरीय सत्य' नहीं, अगर उसकी सामग्री अविश्वसनीय हो
दिल्ली हाईकोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए कहा है कि किशोर न्याय अधिनियम (Juvenile Justice Act - JJ Act) के तहत किसी पीड़िता की आयु निर्धारित करने के लिए जिन दस्तावेज़ों को वरीयता क्रम में ऊपर रखा जाता है, उन्हें तब ईश्वरीय सत्य नहीं माना जा सकता, जब उनकी सामग्री अस्थिर संदिग्ध या झूठी साबित होती हो।जस्टिस विवेक चौधरी और जस्टिस मनोज जैन की खंडपीठ ने कहा,"कोई पूर्ण नियम नहीं है कि जेजे अधिनियम के तहत बच्चे की उम्र निर्धारित करने के लिए उच्च वरीयता वाले दस्तावेज़ को ईश्वरीय सत्य' माना जाए भले...
सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: सरोगेसी एक्ट की आयु सीमा उन दंपतियों पर लागू नहीं, जिन्होंने कानून आने से पहले भ्रूण जमा किए
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए कहा कि सरोगेसी (विनियमन) अधिनियम, 2021 लागू होने से पहले ही सरोगेसी की प्रक्रिया शुरू कर चुके दंपतियों पर इस कानून में निर्धारित आयु सीमा लागू नहीं होगी, भले ही वे अब वैधानिक आयु सीमा से अधिक क्यों न हो गए हों। यह कानून महिला के लिए 23 से 50 वर्ष और पुरुष के लिए 26 से 55 वर्ष की आयु सीमा अनिवार्य करता है।जस्टिस बी.वी. नागरत्ना और जस्टिस के.वी. विश्वनाथन की खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि ऐसे दंपतियों का सरोगेसी का अधिकार जिसे प्रजनन स्वायत्तता...
लखीमपुर खीरी मामला: UP Police ने गवाह को डराने के आरोप में FIR दर्ज की, सुप्रीम कोर्ट ने आशीष मिश्रा को दिवाली के लिए घर जाने की इजाजत दी
लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में जिसमें पूर्व केंद्रीय मंत्री के बेटे आशीष मिश्रा आरोपी हैं, सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया गया कि एक गवाह ने पुष्टि की है कि उसे गवाही न देने की धमकी दी गई और वह कानूनी कार्रवाई चाहता है।राज्य के वकील ने कोर्ट को बताया कि गवाह का बयान दर्ज कर लिया गया और IPC की धारा 195ए, 506 और 120बी के तहत एक FIR दर्ज की गई।उन्होंने कहा,"हमने उप सचिव को नियुक्त किया, जिसने गवाह का बयान दर्ज किया और उसने पुष्टि की कि उस पर किसी तरह का दबाव था।"जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्य बागची...
CJI गवई का अपमान करने और दलितों की भावनाएं आहत करने पर सोशल मीडिया यूजर्स के खिलाफ महाराष्ट्र में FIR दर्ज
महाराष्ट्र के नवीन पनवेल पुलिस स्टेशन में एक वकील ने सोशल मीडिया उपयोगकर्ता के खिलाफ़ FIR दर्ज कराई, जिसने कथित तौर पर भारत के चीफ जस्टिस (CJI) भूषण गवई का एक 'आपत्तिजनक' वीडियो बनाकर 'एक्स' (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट किया।नवी मुंबई के न्यू पनवेल पुलिस स्टेशन में दर्ज FIR के अनुसार, सोशल मीडिया यूजर किक्की सिंह ने एक वीडियो बनाया, जिसमें CJI गवई को गले में मटका (मिट्टी का बर्तन) चेहरे पर नीला रंग लगा हुआ दिखाया गया और एक अज्ञात व्यक्ति उनके चेहरे पर जूतों से मारता हुआ दिख रहा है।FIR के अनुसार...
CJI बीआर गवई पर हमला करने वाले वकील की SCBA सदस्यता तत्काल प्रभाव से समाप्त
सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) ने एडवोकेट राकेश किशोर की अस्थायी सदस्यता को तत्काल प्रभाव से समाप्त कर दिया है।राकेश किशोर ने 6 अक्टूबर को अदालत की कार्यवाही के दौरान चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) बीआर गवई पर जूता फेंकने का प्रयास किया था।SCBA की कार्यकारिणी समिति ने सर्वसम्मति से यह फैसला लेते हुए प्रस्ताव पारित किया, जिसमें वकील के इस गंभीर कदाचार का संज्ञान लिया गया।प्रस्ताव में कहा गया,"ऐसा निंदनीय, अव्यवस्थित और असभ्य व्यवहार अदालत के एक अधिकारी के लिए पूरी तरह से अशोभनीय है। यह व्यावसायिक...
वृन्दावन के श्री बांके बिहारी मंदिर के दर्शन समय में बदलाव के खिलाफ हाईकोर्ट में अवमानना याचिका
वृन्दावन के श्री बांके बिहारी मंदिर के दर्शन के समय में बदलाव के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट में अवमानना याचिका दायर की गई।याचिकाकर्ता एडवोकेट गौरव गोस्वामी ने 11 सितंबर, 2025 को उच्चाधिकार प्राप्त समिति द्वारा दर्शन के समय को बदलने के निर्णय को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट का रुख किया।याचिका में यह तर्क दिया गया कि समिति ने कोर्ट द्वारा सौंपे गए अपने जनादेश का अतिक्रमण किया।ज्ञात हो कि सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के मथुरा, वृन्दावन स्थित बांके बिहारी जी महाराज मंदिर के दिन-प्रतिदिन के कामकाज की...
ग़लत तथ्यों पर दी गई ज़मानत को समानता का आधार नहीं बनाया जा सकता: इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया कि यदि ज़मानत देने के लिए भरोसा किया गया आदेश ग़लत तथ्यों पर आधारित है तो समानता के सिद्धांत का पालन करते हुए ज़मानत नहीं दी जानी चाहिए।जस्टिस संजय कुमार सिंह ने यह मत व्यक्त किया,"यदि ज़मानत देने वाले आदेश में ग़लत तथ्य शामिल हैं तो कोई जज समानता के आधार पर आरोपी को ज़मानत देने के लिए बाध्य नहीं है। यदि कोई अवैधता न्यायालय के संज्ञान में लाई जाती है तो उसे जारी रखने की अनुमति नहीं दी जाएगी।"यह फैसला भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 396 (डकैती के साथ हत्या), 412...
CJI बीआर गवई पर आपत्तिजनक सोशल मीडिया पोस्ट के चलते पंजाब पुलिस ने दर्ज कीं कई FIR
सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) बी.आर. गवई पर वकील द्वारा जूते फेंकने की घटना के बाद पंजाब पुलिस ने सोशल मीडिया पर CJI के खिलाफ़ आपत्तिजनक और जातिवादी टिप्पणियां पोस्ट करने वाले व्यक्तियों के खिलाफ़ कई FIR दर्ज की हैं।पंजाब पुलिस के अनुसार राज्य के कई जिलों में 100 से अधिक सोशल मीडिया हैंडल के खिलाफ़ शिकायतें प्राप्त हुईं, जिन्होंने चीफ जस्टिस के खिलाफ़ जातिवादी और घृणित सामग्री पोस्ट की थी।पंजाब पुलिस के प्रवक्ता ने बताया कि सोशल मीडिया पोस्ट की सामग्री में हिंसा भड़काने और...
BREAKING | आवेदन की तिथि पर 7 वर्षों का संयुक्त अनुभव रखने वाले न्यायिक अधिकारी जिला जज के रूप में सीधी नियुक्ति के पात्र: सुप्रीम कोर्ट
एक महत्वपूर्ण फैसले में, सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने आज कहा कि एक न्यायिक अधिकारी, जिसके पास न्यायिक अधिकारी और वकील के रूप में संयुक्त रूप से सात वर्षों का अनुभव है, जिला न्यायाधीश के रूप में सीधी नियुक्ति के लिए आवेदन करने के पात्र हैं। पात्रता आवेदन की तिथि के अनुसार देखी जाएगी।समान अवसर सुनिश्चित करने के लिए, न्यायालय ने कहा कि जिला न्यायाधीशों की सीधी भर्ती के लिए आवेदन करने वाले सेवारत उम्मीदवारों की न्यूनतम आयु 35 वर्ष होनी चाहिए।न्यायालय ने कहा कि राज्य सरकारों को सेवारत उम्मीदवारों...
यौन शिक्षा को छोटी उम्र से ही स्कूली कोर्स में शामिल किया जाना चाहिए, न कि कक्षा 9 से 12 तक सीमित: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार (8 अक्टूबर) को कहा कि यौन शिक्षा को छोटी उम्र से ही स्कूली कोर्स में शामिल किया जाना चाहिए, न कि कक्षा 9 से 12 तक।अदालत ने कहा,"हमारा मानना है कि बच्चों को यौन शिक्षा छोटी उम्र से ही दी जानी चाहिए, न कि कक्षा 9 से आगे।"जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस आलोक अराधे की खंडपीठ ने यह टिप्पणी उस किशोर की ज़मानत याचिका पर सुनवाई करते हुए की, जिसने भारतीय दंड संहिता, 1860 (IPC) की धारा 376 (बलात्कार) और 506 (आपराधिक धमकी) के साथ यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम, 2012 (POCSO...
सीजेआई बीआर गवई पर हमला करने के आरोप में बेंगलुरु पुलिस ने वकील राकेश किशोर के खिलाफ दर्ज की FIR
बेंगलुरु पुलिस ने इस हफ्ते की शुरुआत में सुप्रीम कोर्ट के अंदर चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) बीआर गवई पर जूता फेंकने की कोशिश करने के आरोप में वकील राकेश किशोर के खिलाफ FIR दर्ज की।बेंगलुरु सिटी विधान सौधा पुलिस स्टेशन ने "ज़ीरो FIR" के रूप में FIR दर्ज की। ज़ीरो FIR अपराध स्थल के अधिकार क्षेत्र वाले पुलिस स्टेशन में स्थानांतरित करने के लिए दर्ज की जाती है।FIR में भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 132 और 133 के तहत अपराध दर्ज किए गए, जो क्रमशः किसी लोक सेवक को कर्तव्य निर्वहन से रोकने के लिए...
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने ट्रायल जज को 5 साल के कार्यकाल की सतर्कता जांच का आदेश दिया, सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के उस आदेश पर रोक लगाई, जिसमें स्पेशल पॉक्सो जज के खिलाफ प्रतिकूल टिप्पणी की गई और उनके आचरण को 'बौद्धिक बेईमानी' बताया था और उनके 5 साल के न्यायिक कार्य की जांच का निर्देश दिया।चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) बीआर गवई और जस्टिस के विनोद चंद्रन की खंडपीठ आपराधिक मामले में न्यायिक अधिकारी के खिलाफ मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की प्रतिकूल टिप्पणियों के खिलाफ एक चुनौती पर सुनवाई कर रही थी।इस मामले में नोटिस जारी करते हुए खंडपीठ ने हाईकोर्ट द्वारा न्यायिक...
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने धन की हेराफेरी के आरोप में बर्खास्त किए गए बैंक कर्मचारी की विधवा को ग्रेच्युटी जारी करने का आदेश दिया, कहा- दोषसिद्धि के बिना राशि जब्त नहीं
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने सोमवार (6 अक्टूबर) को बैंक कर्मचारी की विधवा को ग्रेच्युटी जारी करने का आदेश दिया, जिसे शाखा के कैश चेस्ट से ₹1 लाख की हेराफेरी के आरोप में बर्खास्त कर दिया गया था। अदालत ने कहा कि चूँकि कोई आपराधिक मुकदमा नहीं चल रहा है, इसलिए बैंक ग्रेच्युटी जब्त नहीं कर सकता।मामले के तथ्यों के अनुसार, कर्मचारी ने बर्खास्तगी के बाद विभागीय अपील दायर की थी, जिसे खारिज कर दिया गया। इसके तुरंत बाद कर्मचारी की मृत्यु हो गई और उसकी विधवा ने ग्रेच्युटी जारी करने के लिए आवेदन किया।हालांकि,...
सीनियरिटी का पुनर्मूल्यांकन किए बिना आरक्षित वर्ग को लगातार पदोन्नति का लाभ देना समानता के अधिकार का उल्लंघन: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 में निहित समानता का सिद्धांत निष्पक्ष एवं न्यायपूर्ण शासन की आधारशिला है।अदालत ने कहा कि सेवा पदोन्नति के संदर्भ में यह सिद्धांत यह अनिवार्य करता है कि किसी भी कर्मचारी को - चाहे वह आरक्षित वर्ग का हो या सामान्य वर्ग का - पद में समानता प्राप्त होने के बाद स्थायी रूप से लाभ या हानि की स्थिति में नहीं रखा जाना चाहिए।वर्तमान मामले में एक कर्मचारी 13 वर्ष की आयु प्राप्त करने के बाद रिटायर हुआ। अदालत ने हरियाणा सरकार को उसके वेतन में...




















