ED जांच के दौरान गवाह या संदिग्ध के तौर पर बुलाए गए व्यक्ति के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी नहीं किए जा सकते: दिल्ली हाईकोर्ट
Amir Ahmad
26 Dec 2025 12:24 PM IST

दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि मनी लॉन्ड्रिंग जांच में सिर्फ गवाह या संदिग्ध के तौर पर बुलाए गए व्यक्ति के खिलाफ गैर-जमानती वारंट (NBWs) जारी नहीं किए जा सकते, जब तक कि उस व्यक्ति पर गैर-जमानती अपराध का आरोप साबित न हो जाए।
जस्टिस अमित शर्मा ने मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों के सिलसिले में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा UK के बिजनेसमैन सचिन देव दुग्गल के खिलाफ जारी किए गए NBWs को रद्द कर दिया।
ED ने इस आधार पर NBWs जारी करने की मांग की थी कि याचिकाकर्ता मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम की धारा 50 के तहत जारी समन के जवाब में पेश नहीं हुआ।
दूसरी ओर, याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि वह न तो आरोपी था और न ही उसे विदेश में रहने वाले लोगों पर लागू होने वाली तय कानूनी प्रक्रिया के तहत कभी समन भेजा गया।
इस बात से सहमत होते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता को केवल पूछताछ के लिए बुलाया जा रहा था न कि किसी शेड्यूल या मनी लॉन्ड्रिंग अपराध में आरोपी के तौर पर।
कोर्ट ने कहा,
“यह सच है कि जांच से बचने वाले व्यक्ति के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किए जा सकते हैं, जिसे औपचारिक रूप से अभियोजन शिकायत में आरोपी के तौर पर शामिल नहीं किया गया हो। हालांकि ऐसे व्यक्तियों को CrPC की धारा 73 के उद्देश्य के लिए गैर-जमानती अपराध करने और गिरफ्तारी से बचने वाले व्यक्ति के तौर पर दिखाया जाना चाहिए। इस मामले के खास तथ्यों में जैसा कि पहले बताया गया है प्रतिवादी ने याचिकाकर्ता को गवाह के तौर पर दिखाया है।”
इस तरह कोर्ट ने याचिकाकर्ता के खिलाफ जारी NBWs रद्द कर दिया और साफ किया कि ED कानून के अनुसार नए सिरे से कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र होगी।
आखिर में कोर्ट ने टिप्पणी की,
“जांच में मदद के लिए गैर-जमानती वारंट जारी करने की शक्ति पर कोई विवाद नहीं है। हालांकि CrPC की धारा 73 के अनुसार गैर-जमानती वारंट जारी करने की साफ शर्तें पवित्र और अनिवार्य हैं, जिन्हें नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।”

