मुस्लिम समुदाय के कब्रिस्तान को लेकर याचिका पर एमपी हाईकोर्ट का यथास्थिति बनाए रखने का आदेश
Amir Ahmad
26 Dec 2025 12:36 PM IST

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने कटनी जिले के स्लीमनाबाद स्थित एक कब्रिस्तान से जुड़े विवाद में अहम अंतरिम आदेश पारित करते हुए राज्य अधिकारियों को यथास्थिति बनाए रखने के निर्देश दिए। अदालत मुस्लिम समुदाय के लिए उक्त भूमि को विशेष कब्रिस्तान घोषित किए जाने और दफन के अधिकारों की सुरक्षा से संबंधित जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की खंडपीठ ने नोटिस जारी करते हुए कहा कि अगली सुनवाई 8 जनवरी, 2026 को होगी और तब तक संबंधित भूमि, जो कब्रिस्तान के रूप में उपयोग में है, उसकी वर्तमान स्थिति में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा। राज्य की ओर से पेश वकील ने नोटिस स्वीकार कर लिया।
-याचिका स्थानीय मस्जिद के कैशियर द्वारा दायर की गई, जिसमें कहा गया कि मुस्लिम समुदाय पिछले 300 से 350 वर्षों से इस कब्रिस्तान का उपयोग करता आ रहा है। याचिका के अनुसार, मुख्य भूमि (खसरा नंबर 53) में पहले से कब्रें भरी होने के कारण उससे सटी भूमि (खसरा नंबर 54) को पिछले लगभग 150 वर्षों से दफन के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। खसरा नंबर 54 का कुल क्षेत्रफल करीब 7 एकड़ बताया गया, जिसमें से लगभग 3 एकड़ क्षेत्र में कम से कम एक हजार मुस्लिम कब्रें मौजूद हैं।
याचिका में यह भी उल्लेख किया गया कि इस भूमि की सीमाएं पहले कांटेदार झाड़ियों से सुरक्षित की गईं। बाद में लगभग 30–40 वर्ष पूर्व उस पर तारबंदी कर दी गई। वर्ष 2000 की पटवारी रिपोर्ट में भी इस तारबंदी का उल्लेख दर्ज है।
आरोप लगाया गया कि 14 सितंबर को कुछ असामाजिक तत्वों ने भूमि की सीमा को नुकसान पहुंचाया, जिसकी शिकायत स्लीमनाबाद थाने में की गई। इसके बाद याचिकाकर्ताओं के खिलाफ ही तीन शिकायतें दर्ज की गईं। जब समुदाय के लोग सीमा की मरम्मत कर रहे थे तब उन्हें बताया गया कि तहसीलदार द्वारा 3 सितंबर, 2025 को रोक आदेश पारित किया गया, जबकि इससे पहले उन्हें कोई सुनवाई का अवसर नहीं दिया गया।
याचिका में कहा गया कि स्लीमनाबाद में मुस्लिम समुदाय के पास इस विवादित भूमि के अलावा कोई अन्य कब्रिस्तान नहीं है और वे एक राजस्व प्राधिकरण से दूसरे प्राधिकरण के बीच “शटलकॉक” बनकर रह गए हैं।
इसी आधार पर हाईकोर्ट से यह मांग की गई कि राज्य सरकार को निर्देश दिए जाएं कि स्लीमनाबाद के मुसलमानों को अपने मृतकों के सम्मानजनक दफन के लिए स्थायी कब्रिस्तान उपलब्ध कराया जाए और खसरा नंबर 54 को मुस्लिम समुदाय की विशेष कब्रिस्तान भूमि घोषित किया जाए। अदालत अब इस मामले में अगली सुनवाई पर राज्य का विस्तृत जवाब प्राप्त होने के बाद आगे की कार्यवाही करेगी।

