जम्मू और कश्मीर और लद्दाख हाईकोर्ट

अदालतों की वैधता तर्कों के आधार पर स्थापित होनी चाहिए: जेएंडके हाईकोर्ट ने अनुचित आदेश पर न्यायिक अधिकारी के लिए रिफ्रेशर कोर्स की सिफारिश की
अदालतों की वैधता तर्कों के आधार पर स्थापित होनी चाहिए: जेएंडके हाईकोर्ट ने अनुचित आदेश पर न्यायिक अधिकारी के लिए रिफ्रेशर कोर्स की सिफारिश की

न्यायिक वैधता तर्कसंगत निर्णय लेने से उत्पन्न होने वाले मौलिक सिद्धांत पर जोर देते हुए, जम्मू एंड कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने सिविल प्रक्रिया संहिता (सीपीसी) की धारा 151 के तहत एक रहस्यमय, अतार्किक आदेश पारित करने के लिए ट्रायल कोर्ट के न्यायाधीश पर कड़ी फटकार लगाई है। जस्टिस विनोद चटर्जी कौल ने न केवल विवादित आदेश को खारिज कर दिया, बल्कि यह भी निर्देश दिया कि संबंधित पीठासीन अधिकारी को जम्मू-कश्मीर न्यायिक अकादमी के माध्यम से रिफ्रेशमेंट कोर्स के लिए प्रतिनियुक्त किया जाए।न्यायालय ने इस बात...

एक साथ यात्रा कर रहे अभियुक्तों से व्यक्तिगत रूप से बरामद किए गए प्रतिबंधित पदार्थ को जमानत के चरण में अलग से विचार किया जाना चाहिए: जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट
एक साथ यात्रा कर रहे अभियुक्तों से व्यक्तिगत रूप से बरामद किए गए प्रतिबंधित पदार्थ को जमानत के चरण में अलग से विचार किया जाना चाहिए: जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट

जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने कहा कि अभियुक्तों से व्यक्तिगत रूप से बरामद किए गए प्रतिबंधित पदार्थ भले ही वे एक साथ यात्रा कर रहे हों को जमानत के उद्देश्य से प्रत्येक अभियुक्त के लिए अलग से विचार किया जाना चाहिए।अभियोजन पक्ष का मामला यह था कि प्रतिबंधित प्रतिबंधित पदार्थ ले जा रहे दोनों अभियुक्तों ने अपराध करने के लिए समान इरादे से काम किया था और एक साथ बरामद की गई मात्रा कमर्शियल मात्रा थी, जिसके कारण जमानत की कठोरता लागू होती है।जस्टिस सिंधु शर्मा की पीठ ने माना कि प्रतिबंधित पदार्थ की बरामदगी पर...

किसी शारीरिक या मानसिक असामान्यता से पीड़ित न होने वाली बेटी पिता से भरण-पोषण का दावा नहीं कर सकती: जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट
किसी शारीरिक या मानसिक असामान्यता से पीड़ित न होने वाली बेटी पिता से भरण-पोषण का दावा नहीं कर सकती: जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट

जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने एक पिता पर पूर्व जम्मू-कश्मीर CrPC Act की धारा 488 के तहत पारित भरण-पोषण आदेश के आधार पर लगाए गए दायित्व को कम कर दिया, जिसमें ट्रायल मजिस्ट्रेट ने उसे छह साल पहले अपनी वयस्क सक्षम बेटियों को भरण-पोषण देने का आदेश दिया।न्यायालय ने कहा कि दो अविवाहित वयस्क बेटियां जो सक्षम थीं और किसी भी शारीरिक या मानसिक विकलांगता से पीड़ित नहीं थीं, वे किसी भी दावे या तर्क के आधार पर CrPC की धारा 488 का हवाला देकर भरण-पोषण प्राप्त करने की हकदार नहीं थीं।जस्टिस राहुल भारती की पीठ ने कहा...

पुलिस अधीक्षक को तथ्यों का अधूरा खुलासा CrPC की धारा 154 का सख्त अनुपालन नहीं: जम्मू एंड कश्मीर हाईकोर्ट
पुलिस अधीक्षक को तथ्यों का अधूरा खुलासा CrPC की धारा 154 का सख्त अनुपालन नहीं: जम्मू एंड कश्मीर हाईकोर्ट

जम्मू एंड कश्मीर हाईकोर्ट ने माना कि पुलिस अधीक्षक को तथ्यात्मक जानकारी न देना या मौखिक शिकायत करने वाले व्यक्ति का विधिवत शपथ-पत्र संलग्न न करना, धारा 156(3) सीआरपीसी के तहत न्यायालय के अधिकार क्षेत्र का उपयोग करने के उद्देश्य से धारा 154 सीआरपीसी का कड़ाई से अनुपालन प्रदर्शित नहीं करता है। याचिकाकर्ता ने सत्र न्यायालय द्वारा धारा 156(3) के तहत एफआईआर दर्ज करने के आदेश को इस आधार पर चुनौती दी थी कि यह आदेश धारा 154 सीआरपीसी के तहत आदेश का कड़ाई से पालन किए बिना पारित किया गया था।ज‌स्टिस संजय...

अगर कार्यवाही दुर्भावनापूर्ण नहीं है तो आपराधिक कार्यवाही को रद्द करने का औचित्य यह नहीं हो सकता कि ‌शिकायतकर्ता के पास सिविल उपचार मौजूद हैः जेएंडके हाईकोर्ट
अगर कार्यवाही दुर्भावनापूर्ण नहीं है तो आपराधिक कार्यवाही को रद्द करने का औचित्य यह नहीं हो सकता कि ‌शिकायतकर्ता के पास सिविल उपचार मौजूद हैः जेएंडके हाईकोर्ट

जम्मू एंड कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने हाल ही में दोहराया कि जब तक शिकायत में लगाए गए आरोप अपराध का खुलासा करने में विफल हों या कार्यवाही दुर्भावनापूर्ण न पाई जाए, आपराधिक कार्यवाही को रद्द करने का औचित्य यह नहीं हो सकता कि ‌शिकायतकर्ता के पास सिविल उपचार मौजूद है।जस्टिस संजय धर ने कहा,“.. केवल यह तथ्य कि शिकायत किसी वाणिज्यिक लेनदेन या अनुबंध के उल्लंघन से संबंधित है, जिसके लिए सिविल उपाय उपलब्ध है, अपने आप में आपराधिक कार्यवाही को रद्द करने का आधार नहीं है। यह केवल तभी रद्द किया जा सकता है जब...

बुनियादी ढांचा परियोजना तकनीकी रूप से व्यवहार्य होगी या व्यापक जनहित में काम आएगी, इस पर सवाल न्यायिक पुनर्विचार के दायरे से बाहर: जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट
बुनियादी ढांचा परियोजना तकनीकी रूप से व्यवहार्य होगी या व्यापक जनहित में काम आएगी, इस पर सवाल न्यायिक पुनर्विचार के दायरे से बाहर: जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट

जम्मू एंड कश्मीर हाईकोर्ट ने माना कि सरकार द्वारा बुनियादी ढांचा परियोजना की व्यवहार्यता के बारे में याचिकाकर्ता द्वारा उठाए गए तर्क के गुण-दोष पर इस न्यायालय द्वारा विचार नहीं किया जा सकता है, क्योंकि यह परियोजना लागत, प्रवेश/निकास बिंदुओं के लिए प्रावधान, सुरक्षा, परियोजना की तकनीकी व्यवहार्यता और संबंधित पहलुओं के बारे में विशेषज्ञ निर्णयों पर अपीलीय प्राधिकारी नहीं है। याचिकाकर्ता ने अधिकारियों द्वारा शुरू किए गए कार्य के दायरे में प्रस्तावित परिवर्तन को इस आधार पर चुनौती दी थी कि यह तकनीकी...

जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने अदालती कार्यवाही में देरी को खत्म करने के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग (न्याय श्रुति) नियम 2025 अधिसूचित किया
जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने अदालती कार्यवाही में देरी को खत्म करने के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग (न्याय श्रुति) नियम 2025 अधिसूचित किया

न्यायिक प्रक्रिया को डिजिटल बनाने की दिशा में एक बड़ी छलांग लगाते हुए जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के हाईकोर्ट ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग (न्याय श्रुति) नियम, 2025 अधिसूचित किया, जिससे केंद्र शासित प्रदेशों में ट्रायल, पूछताछ और अन्य न्यायिक कार्यवाही के तरीके में क्रांतिकारी बदलाव आएगा।हाईकोर्ट द्वारा अपने रजिस्ट्रार जनरल शहजाद अज़ीम के माध्यम से जारी की गई अधिसूचना, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 (BNSS) के प्रावधानों के साथ संरेखित करते हुए जिला न्यायपालिका में इलेक्ट्रॉनिक और ऑडियो-विजुअल संचार के...

आरोप पत्र में दस्तावेजों की सूची दाखिल करना CrPC की धारा 294 का पर्याप्त अनुपालन नहीं: जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट
आरोप पत्र में दस्तावेजों की सूची दाखिल करना CrPC की धारा 294 का पर्याप्त अनुपालन नहीं: जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट

जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने माना कि केवल दस्तावेजों की सूची दाखिल करना सीआरपीसी की धारा 294 का पर्याप्त अनुपालन नहीं है।न्यायालय ने माना कि प्रतिकूल पक्ष को उन दस्तावेजों की सूची प्रदान करके नोटिस देना आवश्यक है, जिन्हें BNSS की धारा 330 के अनुसार प्रतिकूल पक्ष द्वारा स्वीकार या अस्वीकार किया जाना है, जो CrPC की धारा 294 के समतुल्य है, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि पक्ष को उन दस्तावेजों के बारे में पता हैस जिन्हें स्वीकार या अस्वीकार करने के लिए उक्त पक्ष को कहा गया।न्यायालय को यह निर्धारित...

नए पते की जानकारी दिए बिना बटालियन छोड़ने पर अनिवार्य रिटायरमेंट वैध, नियोक्ता कर्मचारी की तलाश नहीं कर सकता: जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट
नए पते की जानकारी दिए बिना बटालियन छोड़ने पर अनिवार्य रिटायरमेंट वैध, नियोक्ता कर्मचारी की तलाश नहीं कर सकता: जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट

जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने 326 दिनों की अवधि के लिए छुट्टी के दौरान बिना अनुमति के बटालियन से लगातार अनुपस्थित रहने के कारण याचिकाकर्ता पर लगाए गए सेवा से अनिवार्य रिटायरमेंट (Compulsory Retirement) का आदेश बरकरार रखा।याचिकाकर्ता CRPF कांस्टेबल है। उसने तर्क दिया कि प्रतिवादी नंबर 3 द्वारा जारी आदेश एकपक्षीय जांच पर आधारित है और याचिकाकर्ता को सुनवाई का अवसर नहीं दिया गया। प्राधिकारी द्वारा जो भी नोटिस भेजा गया, वह प्राप्त नहीं हो सका, क्योंकि उसने अपनी बीमारी के कारण अपना आवासीय पता बदल लिया...

अभियुक्त को इस आधार पर निरोधात्मक हिरासत में नहीं रखा जा सकता कि उसे जमानत पर रिहा करने से जनता का विश्वास प्रभावित होता है: जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट
अभियुक्त को इस आधार पर निरोधात्मक हिरासत में नहीं रखा जा सकता कि उसे जमानत पर रिहा करने से जनता का विश्वास प्रभावित होता है: जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट

जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने कहा कि केवल इस तथ्य के आधार पर कि किसी व्यक्ति को न्यायालय से जमानत मिल गई, निरोधात्मक हिरासत लगाने का आधार नहीं हो सकता कि उसे जमानत पर रिहा करने से जनता के विश्वास पर प्रभाव पड़ेगा।प्रतिवादियों ने तर्क दिया कि चूंकि उक्त मामले में निरोधक हिरासत में लिया गया व्यक्ति जमानत पाने में “सफल” रहा, इसलिए सामान्य कानून अपर्याप्त साबित हुआ।जस्टिस राजेश सेखरी की पीठ ने कहा कि किसी अपराध में शामिल अभियुक्त को सक्षम न्यायालय से जमानत पर रिहा करने का अधिकार है। यदि वह जमानत के लिए...

अधिकारी पिछले वर्षों के खाली पदों के आधार पर सीनियरिटी का दावा नहीं कर सकते: जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट
अधिकारी पिछले वर्षों के खाली पदों के आधार पर सीनियरिटी का दावा नहीं कर सकते: जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट

जम्मू-कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने यह स्पष्ट करते हुए महत्वपूर्ण फैसला सुनाया कि प्रशासनिक अधिकारी पिछली वर्षों की खाली पड़ी पदों के आधार पर वरिष्ठता (Seniority) का दावा नहीं कर सकते। सेवा में पदोन्नति की वास्तविक तिथि ही पदक्रम (Hierarchy) निर्धारित करने का एकमात्र मान्य आधार है।जस्टिस रजनेश ओसवाल और जस्टिस संजय धर की खंडपीठ ने 1992 और 1999 बैच के जम्मू और कश्मीर प्रशासनिक सेवा (JKAS) अधिकारियों से जुड़ी वरिष्ठता संबंधी याचिकाओं को खारिज करते हुए केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण (CAT) के फैसले को...

कर्मचारी को गलत तरीके से दिए गए SRO लाभ की वसूली वेतन से राशि निकालकर नहीं की जा सकती: जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट
कर्मचारी को गलत तरीके से दिए गए SRO लाभ की वसूली वेतन से राशि निकालकर नहीं की जा सकती: जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट

जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने कहा कि यदि विभाग द्वारा स्व-नियामक संगठन (SRO) योजना के तहत कर्मचारी को बिना किसी धोखाधड़ी या गलत बयानी के गलत तरीके से लाभ दिया जाता है तो विभाग को किसी भी समय कर्मचारी या पेंशनभोगी के वेतन से इसे वसूलने की स्वतंत्रता नहीं है।प्रतिवादी की रिटायरमेंट के बाद सेवा पुस्तिका देखने पर अपीलकर्ता विभाग को पता चला कि उसे SRO 149/1973 के तहत गलत तरीके से लाभ दिया गया, जिसे निरस्त कर दिया गया और विभाग ने उसके वेतन से इसे वसूलना शुरू कर दिया।चीफ जस्टिस ताशी राबस्तान, जस्टिस एमए...

क्षेत्रीय भाषा में अनिवार्य सूचना दिए बिना केवल अंग्रेजी समाचार पत्र में सूचना प्रकाशित करना भूमि अधिग्रहण की कार्यवाही को गलत ठहराता है: जम्मू एंड कश्मीर हाईकोर्ट
क्षेत्रीय भाषा में अनिवार्य सूचना दिए बिना केवल अंग्रेजी समाचार पत्र में सूचना प्रकाशित करना भूमि अधिग्रहण की कार्यवाही को गलत ठहराता है: जम्मू एंड कश्मीर हाईकोर्ट

जम्मू एंड कश्मीर हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया कि भूमि अधिग्रहण अधिनियम के तहत भूमि के अधिभोगियों के लाभ के लिए स्थानीय भाषा में नोटिस प्रकाशित न करके, प्रमुख स्थानों पर नोटिस प्रकाशित करना, संपूर्ण अधिग्रहण कार्यवाही को दूषित करता है। याचिकाकर्ता ने सार्वजनिक उद्देश्यों के लिए सरकार द्वारा भूमि अधिग्रहण को चुनौती दी थी, जिसमें कहा गया था कि उन्हें अधिग्रहण कार्यवाही के बारे में कोई जानकारी नहीं थी, क्योंकि सरकार द्वारा इस बारे में कोई नोटिस या सूचना प्रकाशित नहीं की गई थी, जो अधिनियम के कई अनिवार्य...

अनिवार्य पूर्व-विवाद मध्यस्थता को उचित आधार के बिना तत्काल अंतरिम राहत मांगकर दरकिनार करने का पूर्ण अधिकार नहीं: जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट
अनिवार्य पूर्व-विवाद मध्यस्थता को उचित आधार के बिना तत्काल अंतरिम राहत मांगकर दरकिनार करने का पूर्ण अधिकार नहीं: जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट

जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने माना कि कामर्शियल कोर्ट एक्ट के तहत किसी पक्षकार को यह पूर्ण स्वतंत्रता नहीं है कि वह बिना उचित कारण बताए केवल अंतरिम राहत की मांग कर कानूनी रूप से अनिवार्य पूर्व-विवाद मध्यस्थता की प्रक्रिया को दरकिनार कर सके।अदालत एक ऐसी याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें अधिनियम की धारा 12-A के तहत मध्यस्थता प्रक्रिया से छूट की मांग की गई थी। याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि प्रतिवादियों ने महत्वपूर्ण तथ्यों को छुपाकर धोखाधड़ी से उसे अनुबंध करने के लिए मजबूर किया था और प्रतिवादियों द्वारा...

S.482 CrPC | न्यायालयों का कर्तव्य है कि वे आपराधिक मामलों में दुर्भावनापूर्ण इरादे की जांच करने के लिए समग्र परिस्थितियों की जांच करें: जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट
S.482 CrPC | न्यायालयों का कर्तव्य है कि वे आपराधिक मामलों में दुर्भावनापूर्ण इरादे की जांच करने के लिए समग्र परिस्थितियों की जांच करें: जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट

जम्मू-कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने माना कि दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 482 के तहत अपनी अंतर्निहित शक्ति का प्रयोग करते हुए न्यायालय का कर्तव्य है कि वह FIR या शिकायत में केवल आरोपों से परे जाकर यह निर्धारित करने के लिए उपस्थित परिस्थितियों का आकलन करे कि क्या आपराधिक कार्यवाही दुर्भावनापूर्ण तरीके से शुरू की गई है।जस्टिस संजय धर ने इस बात पर जोर दिया कि यदि ऐसा प्रतीत होता है कि आपराधिक कानून का इस्तेमाल व्यक्तिगत प्रतिशोध के लिए हथियार के रूप में किया जा रहा है तो न्यायालय को न्यायिक...

बड़े पैमाने के भ्रष्टाचार के मामलों से उत्पन्न जमानत याचिकाओं में अलग दृष्टिकोण अपनाया जाना चाहिए: जेएंडके हाईकोर्ट ने मुख्य अभियंता को जमानत देने से इनकार किया
बड़े पैमाने के भ्रष्टाचार के मामलों से उत्पन्न जमानत याचिकाओं में अलग दृष्टिकोण अपनाया जाना चाहिए: जेएंडके हाईकोर्ट ने मुख्य अभियंता को जमानत देने से इनकार किया

जम्मू एंड कश्मीर हाईकोर्ट ने कहा कि जमानत आवेदन पर निर्णय लेते समय, सजा की गंभीरता एक महत्वपूर्ण कारक है, लेकिन एकमात्र कारक नहीं; न्यायालय को आवेदक पर लगाए गए अपराध की प्रकृति और गंभीरता पर भी विचार करना चाहिए। न्यायालय ने कहा कि आरोप सामान्य प्रकार के नहीं थे और एक अलग श्रेणी के अंतर्गत आते हैं। यह मामला उधमपुर-श्रीनगर-बारामुल्ला रेल लिंक (USBRL) परियोजना के संबंध में अवैध रूप से रिश्वत प्राप्त करने के लिए कोंकण रेलवे कॉर्पोरेशन लिमिटेड के मुख्य अभियंता के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों से जुड़ा...

पंजीकरण अधिकारी दस्तावेज़ में स्वामित्व या अनियमितता का मूल्यांकन नहीं कर सकता: जेएंडके हाईकोर्ट
पंजीकरण अधिकारी दस्तावेज़ में स्वामित्व या अनियमितता का मूल्यांकन नहीं कर सकता: जेएंडके हाईकोर्ट

जम्मू एंड कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया है कि पंजीकरण अधिकारी की भूमिका पूरी तरह से प्रशासनिक है और यह दस्तावेज़ के निष्पादक के स्वामित्व को निर्धारित करने तक विस्तारित नहीं है। जस्टिस वसीम सादिक नरगल ने जोर देकर कहा कि पंजीकरण अधिनियम और नियमों के अनुसार, पंजीकरण अधिकारी को केवल सहायक दस्तावेजों के साथ दस्तावेजों को पंजीकृत करने की आवश्यकता होती है और स्वामित्व अनियमितताओं का मूल्यांकन करने का कोई अधिकार नहीं है।अधिनियम के तहत पंजीकरण प्राधिकरण के अधिदेश और भूमिका पर प्रकाश डालते...

हिरासत में लिए गए व्यक्ति के प्रतिनिधित्व पर विचार करने में 3 महीने से अधिक की देरी वैधानिक आवश्यकताओं का उल्लंघन है, हिरासत को अवैध बनाती है: जे एंड के हाईकोर्ट
हिरासत में लिए गए व्यक्ति के प्रतिनिधित्व पर विचार करने में 3 महीने से अधिक की देरी वैधानिक आवश्यकताओं का उल्लंघन है, हिरासत को अवैध बनाती है: जे एंड के हाईकोर्ट

जम्मू एंड कश्मीर हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया कि हिरासत में लिए गए व्यक्ति के अभ्यावेदन पर विचार करने में तीन महीने से अधिक की देरी जम्मू-कश्मीर सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम की धारा 13 के तहत वैधानिक आवश्यकताओं का उल्लंघन है, जो हिरासत को अमान्य बनाती है। अदालत ने कहा कि हिरासत में रखने वाले अधिकारियों ने माना है कि हिरासत में लिए गए व्यक्ति द्वारा दायर अभ्यावेदन को 3 महीने के समय के बाद खारिज कर दिया गया, जो पीएसए के तहत निहित प्रावधानों के अनुसार हिरासत में लिए गए व्यक्ति के मूल्यवान अधिकार का...

दुर्घटना के मामलों में आरोपी को अपराधी वाहन से जोड़ने वाले प्रथम दृष्टया साक्ष्य IPC की धारा 304a के तहत आरोप तय करने के लिए आवश्यक: जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट
दुर्घटना के मामलों में आरोपी को अपराधी वाहन से जोड़ने वाले प्रथम दृष्टया साक्ष्य IPC की धारा 304a के तहत आरोप तय करने के लिए आवश्यक: जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट

जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने माना कि आरोपी के खिलाफ प्रथम दृष्टया मामला बनता है या नहीं, इस बारे में राय बनाने के सीमित उद्देश्य से रिकॉर्ड पर एकत्रित सामग्री की छानबीन किए बिना ट्रायल मजिस्ट्रेट के लिए किसी आरोपी के खिलाफ आरोप तय करना संभव नहीं है।अदालत एक दुर्घटना के मामले की सुनवाई कर रही थी, जिसमें एक पैदल यात्री की कथित तौर पर आरोपी/याचिकाकर्ता द्वारा चलाए जा रहे वाहन की वजह से लगी चोटों के कारण मौत हो गई।अदालत ने माना कि रिकॉर्ड पर ऐसा कोई सबूत नहीं है, जो आरोपी व्यक्ति को उस वाहन से जोड़ता हो...

निर्धारित कट-ऑफ तिथि के बाद रिटायर कर्मचारियों तक पेंशन लाभ सीमित करना अवैध नहीं: जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट
निर्धारित कट-ऑफ तिथि के बाद रिटायर कर्मचारियों तक पेंशन लाभ सीमित करना अवैध नहीं: जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट

जम्मू एंड कश्मीर हाईकोर्ट ने फैसला दिया कि नियोक्ता को किसी नई पेंशन योजना को लागू करने या किसी मौजूदा योजना को समाप्त करने के लिए वैध रूप से कट-ऑफ तिथि निर्धारित करने का पूरा अधिकार है, और यह अनुच्छेद 14 का उल्लंघन नहीं करता।जस्टिस संजीव कुमार और जस्टिस पुनीत गुप्ता की खंडपीठ ने कहा कि सरकार ने एक नीति निर्णय लिया, जिसके तहत 2014 के बाद रिटायर होने वाले कर्मचारियों को नई पेंशन योजना के लाभ दिए गए, जबकि 2014 से पहले रिटायर होने वाले कर्मचारियों को इससे बाहर रखा गया।अदालत ने माना कि अनुच्छेद 14...