जम्मू और कश्मीर और लद्दाख हाईकोर्ट
कोर्ट द्वारा बनाई गई कमेटियां सहायक काम सौंप सकती हैं, मुख्य फैसले लेने का काम नहीं: जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट
जम्मू-कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने मंगलवार (16 दिसंबर) को कहा कि कानून ज़रूरी फैसले लेने की ज़िम्मेदारी सौंपने पर रोक लगाता है, न कि सहायक काम सौंपने पर।जस्टिस वसीम सादिक नरगल की सिंगल जज बेंच ने कहा कि एक बार जब किसी कमेटी को न्यायिक आदेश से कोई खास काम सौंपा जाता है तो कानून उस काम को प्रभावी ढंग से पूरा करने के लिए ज़रूरी सभी उचित सहायक तरीकों को अपनाने की इजाज़त देता है, बशर्ते कि मुख्य फैसले लेने का अधिकार कमेटी के पास ही रहे।कोर्ट ने यह बात जम्मू-कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट के आदेश द्वारा...
ज़रूरी तथ्य छिपाने या फिर कोर्ट को गुमराह करने की कोशिश करने वाला मुकदमेबाज़ मेरिट के आधार पर सुनवाई का अधिकार खो देता है: जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट
जम्मू-कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने सोमवार (15 दिसंबर) को कहा कि जो मुक़दमेबाज़ कोर्ट में आते समय ज़रूरी तथ्यों को छिपाता है या दबाता है, वह मेरिट के आधार पर सुनवाई का अधिकार खो देता है। साथ ही संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत कोई भी न्यायसंगत या विवेकाधीन राहत नहीं मांग सकता।जस्टिस वसीम सादिक नरगल की सिंगल जज बेंच ने दो संबंधित रिट याचिकाओं को खारिज करते हुए यह टिप्पणी की, जिनमें श्रीनगर के शेख बाग में नज़ूल ज़मीन पर मालिकाना हक देने और पब्लिक प्रेमिसेस एक्ट के तहत शुरू की गई बेदखली की कार्यवाही...
न्याय कोई औपचारिक रस्म नहीं: नाबालिग लड़की की मौत की लापरवाह जांच पर जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट सख्त, CBI जांच के आदेश
जम्मू-कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने 13 वर्षीय नाबालिग लड़की की संदिग्ध मौत के मामले में पुलिस जांच के तरीके पर गहरी नाराज़गी जताते हुए मामले की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) को सौंपने का आदेश दिया। अदालत ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि न्याय को केवल औपचारिक प्रक्रिया बनाकर नहीं छोड़ा जा सकता। इस तरह की संवेदनशील घटनाओं में देरी व लापरवाही से न केवल अहम सबूत नष्ट होते हैं बल्कि पीड़ित परिवार को भी न्याय से वंचित किया जाता है।यह आदेश जस्टिस राहुल भारती ने गांव जंडियाल, जम्मू निवासी मुख्तियार अली...
BSF Rules | जांच कोर्ट शुरुआती तथ्य खोजने की प्रक्रिया, न कि अनुशासनात्मक ट्रायल: जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट
जम्मू-कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने कहा कि ऐसी जांच सिर्फ़ एक तथ्य खोजने का तरीका है, जिसका मकसद अधिकारियों को भविष्य की कार्रवाई तय करने में मदद करना है। यह विभागीय कार्यवाही शुरू करने जैसा नहीं है।जस्टिस संजीव कुमार और जस्टिस संजय परिहार की डिवीजन बेंच ने इस बात पर ज़ोर दिया कि जांच कोर्ट के नतीजे "शुरुआती रिपोर्ट" के रूप में होंगे। सिर्फ़ ऐसी जांच का आदेश देने या संबंधित अधिकारी को पेश होने और अपना बयान दर्ज कराने के लिए कहने से उसे किसी भी तरह से नुकसान नहीं होगा।कोर्ट ने टिप्पणी की,"...जांच...
योग्यता पूरी होने के बाद प्रवासी दर्जा पदोन्नति में बाधा नहीं बन सकता: जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट
जम्मू-कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा कि एक बार वैधानिक नियमों के तहत पदोन्नति की पात्रता पूरी हो जाने के बाद किसी कर्मचारी का प्रवासी दर्जा उसके करियर की प्रगति को कमजोर करने का आधार नहीं बन सकता। अदालत ने यह भी दोहराया कि समान परिस्थितियों में कार्यरत व्यक्तियों के साथ अलग-अलग व्यवहार नहीं किया जा सकता।चीफ जस्टिस अरुण पल्ली और जस्टिस राजनेश ओसवाल की खंडपीठ ने शेर-ए-कश्मीर कृषि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (SKUAST), कश्मीर द्वारा दायर अपील खारिज करते हुए प्रवासी...
उमादेवी फैसले को स्थायी अस्थायी रोज़गार के लिए ढाल के तौर पर इस्तेमाल नहीं किया जा सकता: जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट
जम्मू एंड कश्मीर हाईकोर्ट की चीफ जस्टिस अरुण पल्ली और जस्टिस रजनेश ओसवाल की डिवीजन बेंच ने फैसला सुनाया कि 31-03-1994 से पहले काम पर रखे गए और दशकों से लगातार काम कर रहे दिहाड़ी मज़दूर को कैज़ुअल लेबरर होने के बहाने SRO-64 के तहत रेगुलराइज़ेशन से मना नहीं किया जा सकता। इसके अलावा, स्थायी काम के लिए स्थायी अस्थायी रोज़गार को सही ठहराने के लिए उमादेवी फैसले का हवाला नहीं दिया जा सकता।पृष्ठभूमि तथ्यप्रतिवादी को पब्लिक हेल्थ इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट में दिहाड़ी मज़दूर के तौर पर काम पर रखा गया। उसने...
फेसबुक पर 'राष्ट्र-विरोधी' पोस्ट: J&K&L हाईकोर्ट ने निवारक हिरासत सही बताई, बंदी की याचिका खारिज
जम्मू और कश्मीर हाईकोर्ट ने फेसबुक पर सुरक्षा चिंताओं को बढ़ाने वाली सामग्रियाँ पोस्ट करने के आरोप में हिरासत में लिए गए व्यक्ति के खिलाफ पारित निवारक हिरासत आदेश को बरकरार रखा है। अदालत ने माना कि निरोधक प्राधिकार का यह निर्णय यांत्रिक नहीं था, बल्कि ऐसे समुचित सामग्री पर आधारित था जिससे यह संतोषजनक रूप से निष्कर्ष निकाला जा सकता था कि व्यक्ति को भविष्य में हानि पहुँचाने वाली गतिविधियों से रोकने के लिए उसकी हिरासत आवश्यक है।जस्टिस संजय धर ने दर्ज किया कि अधिकारियों ने detenue की फेसबुक...
NDPS मामलों में ट्रायल पेंडिंग रहने तक जमानत देने के 'रीजनेबल ग्राउंड्स' को BSA के तहत 'प्रूफ' नहीं माना जा सकता: जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट
जमानत आवेदन के मामले में 'रीजनेबल ग्राउंड्स' की बैलेंस्ड व्याख्या के महत्व पर ज़ोर देते हुए जम्मू-कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने इस बात पर ज़ोर दिया कि ऐसे ग्राउंड्स सिर्फ़ शक से आगे जाने चाहिए, लेकिन पक्के सबूत से कम होने चाहिए।जस्टिस मोहम्मद यूसुफ वानी की बेंच ने आगे कहा,“'रीजनेबल ग्राउंड्स' शब्दों का मतलब 'भारतीय साक्ष्य अधिनियम' में इस्तेमाल किए गए साबित होने के तौर पर नहीं पढ़ा जा सकता। मेरी राय में ऐसी व्याख्या कोर्ट को ट्रायल पेंडिंग रहने तक बेल देने की मिली शक्ति को खत्म कर देगी। 'रीजनेबल...
सिविल कोर्ट एग्रीकल्चरल रिजम्पशन केस में दखल नहीं दे सकते, सिर्फ़ रेवेन्यू अथॉरिटीज़ के पास अधिकार क्षेत्र: जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट
जम्मू-कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने कहा, “एग्रीकल्चरल रिफॉर्म्स एक्ट से जुड़े मामले, खासकर रिजम्पशन की कार्रवाई, सिर्फ़ रेवेन्यू अथॉरिटीज़ के अधिकार क्षेत्र में आते हैं। सिविल कोर्ट के पास दखल देने का अधिकार क्षेत्र नहीं है, यहां तक कि इंजंक्शन स्टेज पर भी।” यह फैसला दो केस करने वालों की याचिका खारिज करते हुए सुनाया गया, जिसमें ट्रायल कोर्ट के एक साथ दिए गए फैसलों को चुनौती दी गई।जम्मू-कश्मीर एग्रीकल्चरल रिफॉर्म्स एक्ट, 1976 की धारा 25 के तहत बनाए गए कानूनी अधिकार क्षेत्र पर रोक की पुष्टि करते...
मजिस्ट्रेट इकोनॉमिक ऑफेंस विंग को कस्टोडियल टॉर्चर के आरोपों की जांच करने का निर्देश नहीं दे सकते: जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट
जम्मू-कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने माना कि इकोनॉमिक ऑफेंस विंग, श्रीनगर के पास लागू नोटिफिकेशन के तहत कस्टोडियल टॉर्चर और हत्या से जुड़े आरोपों की जांच करने का कोई अधिकार नहीं है।कोर्ट ने कहा कि एक मजिस्ट्रेट को सिर्फ़ उस एजेंसी को जांच करने का निर्देश देने का अधिकार है, जिसके पास कथित अपराध का अधिकार क्षेत्र हो।कोर्ट, इकोनॉमिक ऑफेंस विंग, कश्मीर के सीनियर सुपरिटेंडेंट ऑफ़ पुलिस की याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें कस्टोडियल टॉर्चर और मौत के आरोपों के संबंध में FIR दर्ज करने और उक्त विंग...
जम्मू-कश्मीर के डिप्टी सीएम ने आपत्तिजनक कंटेंट हटाने के लिए दिल्ली हाईकोर्ट में दायर किया मानहानि मामला
जम्मू- कश्मीर के डिप्टी चीफ मिनिस्टर सुरिंदर कुमार चौधरी ने सोशल मीडिया पर अपने खिलाफ आपत्तिजनक कंटेंट को हटाने के लिए दिल्ली हाईकोर्ट में मानहानि का केस दायर किया।इस मामले की सुनवाई मंगलवार (2 दिसंबर) को जस्टिस अमित बंसल ने की, जिन्होंने चौधरी से कहा कि वे अपने केस में कंटेंट अपलोड करने वालों को भी डिफेंडेंट बनाएं।चौधरी के वकील ने कोर्ट को बताया कि एक महिला के साथ उनके रिश्ते के आरोपों को लेकर सोशल मीडिया पर सेक्सुअल बातें वाला आपत्तिजनक कंटेंट अपलोड किया गया।कोर्ट को बताया गया कि ज़्यादातर...
पासपोर्ट पाना संवैधानिक अधिकार, नागरिकों को विदेश यात्रा के लिए 'ज़रूरत' साबित करने की ज़रूरत नहीं: जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट
इस बात पर ज़ोर देते हुए कि पासपोर्ट रखने का अधिकार सीधे तौर पर एक नागरिक के निजी आज़ादी के बुनियादी अधिकार से आता है, जम्मू-कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने कहा कि किसी भी व्यक्ति को पासपोर्ट या नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (NOC) पाने के लिए विदेश यात्रा की कोई ज़रूरी या अर्जेंट ज़रूरत दिखाने की ज़रूरत नहीं है।जस्टिस संजय धर ने यह ज़रूरी बात एंटीकरप्शन, अनंतनाग के स्पेशल जज का आदेश रद्द करते हुए कही, जिसमें उन्होंने NOC जारी करने की एप्लीकेशन को इस आधार पर खारिज कर दिया था कि एप्लीकेंट ने विदेश यात्रा...
कर्मचारी सिर्फ़ इसलिए ऊंचे पद की सैलरी का दावा नहीं कर सकता, क्योंकि वह ऐसे काम करने के काबिल है: जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट
जम्मू-कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने कहा कि कोई कर्मचारी सिर्फ़ इसलिए ऊंचे पद की सैलरी का दावा नहीं कर सकता, क्योंकि वह उस पद से जुड़े काम करने के काबिल या सक्षम है।कोर्ट ने साफ़ किया कि सैलरी पद से जुड़ी होती है, कर्मचारी की क्वालिफ़िकेशन से नहीं।कोर्ट एक पिटीशन पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें "स्किल्ड" कैटेगरी के तहत सैलरी के दावे को खारिज करने को चुनौती दी गई, जबकि याचिकाकर्ता ने कहा कि वह कंप्यूटर ऑपरेटर का काम कर रहा था।जस्टिस संजय धर की बेंच ने यह देखते हुए कि याचिकाकर्ता ने कंप्यूटर-लिटरेट...
घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत शिकायत आपराधिक कार्यवाही नहीं; मजिस्ट्रेट को समन वापस लेने का अधिकार: हाईकोर्ट
जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया है कि घरेलू हिंसा अधिनियम, 2005 की धारा 12 के तहत की गई कार्यवाही को फौजदारी शिकायत दर्ज करने या आपराधिक मुकदमा शुरू करने के बराबर नहीं माना जा सकता। कोर्ट ने कहा कि ट्रायल मजिस्ट्रेट, जब पति या उसके संबंधियों से जवाब प्राप्त कर लेता है, तो वह चाहें तो समन वापस ले सकता है या अगर पाता है कि पक्षकारों को बिना कारण शामिल किया गया है, तो पूरी कार्यवाही भी ख़त्म कर सकता है।यह मामला धारा 12 के तहत शुरू हुई कार्यवाही और मजिस्ट्रेट द्वारा पत्नी एवं नाबालिग...
नाबालिग अवस्था में किए गए कृत्य आधार बनकर नहीं ठहर सकते: जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने पीएसए के तहत हिरासत आदेश रद्द किया
जम्मू-कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा कि किसी व्यक्ति द्वारा नाबालिग रहते हुए किए गए अवैध कृत्य उसके विरुद्ध बाद में लगाई गई जन-रक्षा अधिनियम (Public Safety Act - PSA) की निरोधात्मक कार्रवाई का आधार नहीं बन सकते। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि किशोरावस्था में दर्ज किसी भी आपराधिक गतिविधि से उसके भविष्य को कलंकित नहीं किया जा सकता और इसे किसी भी प्रकार के निरोधात्मक आदेश का औचित्य नहीं बनाया जा सकता।यह निर्णय एक 20 वर्षीय युवक की पीएसए के तहत गिरफ्तारी के विरुद्ध दायर हैबियस...
डिसिप्लिनरी जांच पर रोक सिर्फ़ भेदभाव रोकने के लिए, यह अनिश्चितकालीन देरी का आधार नहीं हो सकता: जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट
इस बात पर ज़ोर देते हुए कि डिपार्टमेंटल कार्रवाई में बेवजह देरी नहीं होनी चाहिए, जम्मू-कश्मीर एंड लद्दाख हाई कोर्ट ने कहा कि सिर्फ़ इसलिए डिसिप्लिनरी जांच को अनिश्चितकालीन समय के लिए रोका नहीं जा सकता, क्योंकि उन्हीं तथ्यों से जुड़ा कोई क्रिमिनल केस पेंडिंग है।जस्टिस संजय धर ने इस बात पर ज़ोर दिया कि विभागीय कार्रवाई पर रोक लगाने का एकमात्र मकसद दोषी कर्मचारी के साथ भेदभाव से बचना है, क्योंकि एक साथ होने वाली कार्रवाई उसे समय से पहले अपना बचाव बताने के लिए मजबूर कर सकती है। कोर्ट ने इस बात पर...
जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला: पार्ट-टाइम या गेस्ट फैकल्टी से फुल टाइम की असिस्टेंट प्रोफेसर की जगह नहीं भर सकती यूनिवर्सिटी
जम्मू-कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि पार्ट-टाइम या गेस्ट फैकल्टी को उन विषयों के लिए स्थायी समाधान की तरह उपयोग नहीं किया जा सकता, जिनके लिए संपूर्ण समय (फुल-टाइम) असिस्टेंट प्रोफेसर की आवश्यकता होती है।कोर्ट ने कहा कि यूनिवर्सिटी विशेष अथवा नए विषयों के लिए विशेषज्ञों को अतिथि शिक्षक के रूप में बुला सकते हैं लेकिन इससे पूर्णकालिक शिक्षकों की अनिवार्यता समाप्त नहीं होती।यह निर्णय उस समय दिया गया, जब कश्मीर यूनिवर्सिटी की ओर से दायर कई अपीलों पर सुनवाई की जा रही थी। इन अपीलों में...
J&K Arms Licence Scam: MHA का कहा- IAS अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंज़ूरी पर अभी विचार चल रहा है, हाईकोर्ट ने सुनवाई स्थगित की
जम्मू-कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट की निगरानी में चल रहे आर्म्स लाइसेंस स्कैम में नए डेवलपमेंट में केंद्र सरकार ने गुरुवार को डिवीजन बेंच को बताया कि कई IAS अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंज़ूरी देने का सवाल गृह मंत्रालय (MHA) के विचाराधीन है और जल्द ही इस पर औपचारिक फैसला होने की संभावना है।यह साफ बयान दर्ज करते हुए बेंच में शामिल चीफ जस्टिस अरुण पल्ली और जस्टिस राजेश ओसवाल ने राहत देते हुए मामला 30 दिसंबर 2025 के लिए पोस्ट कर दिया।इससे पहले जब मामले की सुनवाई हुई तो डिप्टी सॉलिसिटर जनरल...
ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट | तीन साल तक की सज़ा वाले अपराध विशेष रूप से अधिकृत मजिस्ट्रेट ही सुनेंगे : जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट
जम्मू-कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट के तहत ऐसे अपराध जिनकी अधिकतम सज़ा तीन वर्ष तक है, उनका ट्रायल सरकार द्वारा विशेष रूप से अधिकृत प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट कर सकते हैं। कोर्ट ने कहा कि भले ही ऐसा अपराध अध्याय IV के अंतर्गत आता हो, फिर भी यदि सज़ा तीन वर्ष से अधिक नहीं है तो मामला अधिकृत मजिस्ट्रेट के समक्ष ही सुनवाई योग्य होगा।मामला उस याचिका से जुड़ा था, जिसमें आरोपी दवा निर्माता कंपनी ने यह आपत्ति उठाई कि धारा 18(a)(i) और 27(d) के तहत दायर...
जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट: बिना किसी आपराधिक इरादे के जोर से खींचने पर महिलाओं का सिर ढकने वाला कपड़ा गिरना 'शरम-भंग' नहीं
जम्मू-कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में स्पष्ट किया कि किसी महिला का सिर ढकने वाला कपड़ा (हिजाब/दुपट्टा/ओढ़नी) महज़ जोर लगने के कारण गिर जाना तब तक 'शरम-भंग' (Section 354 IPC) के अपराध की श्रेणी में नहीं आता, जब तक आरोपी का स्पष्ट इरादा महिला की मर्यादा भंग करने का न हो। अदालत ने कहा कि महिला के साथ किसी भी प्रकार का बल प्रयोग या हमला तभी दंडनीय है, जब उसके पीछे महिला की गरिमा को ठेस पहुँचाने का उद्देश्य या ऐसी संभावना का ज्ञान मौजूद हो।जस्टिस संजय धर एक याचिका पर सुनवाई कर...











