जम्मू और कश्मीर और लद्दाख हाईकोर्ट
FSL रिपोर्ट गायब, मात्रा के कॉमर्शियल होने पर संदेह: जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने NDPS मामले में दी जमानत
जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने NDPS Act के तहत आरोपी को जमानत दी, जिसमें कहा गया कि अभियोजन पक्ष जांच में अंतराल और महत्वपूर्ण FSL रिपोर्ट की अनुपस्थिति के कारण कॉमर्शियल मात्रा में प्रतिबंधित दवाओं के कब्जे को प्रथम दृष्टया साबित करने में विफल रहा।जस्टिस संजय धर की पीठ ने जमानत याचिका को यह देखते हुए स्वीकार कर लिया कि आरोपी से जब्त कथित कोडीन सिरप की 11 बोतलों में से केवल 3 को ही रासायनिक विश्लेषण के लिए भेजा गया था, जिससे इस बात पर गंभीर संदेह पैदा होता है कि क्या शेष बोतलों में कोई प्रतिबंधित...
बलात्कार के लिए दोषी ठहराने के लिए केवल यौन संभोग का मेडिकल साक्ष्य अपर्याप्त, आरोपी को कृत्य से जोड़ता प्रत्यक्ष साक्ष्य होना चाहिए: J&K हाईकोर्ट
जम्मू एंड कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया है कि केवल यौन संबंध की पुष्टि करने वाले चिकित्सा साक्ष्य, POCSO अधिनियम या बलात्कार के आरोपों के तहत दोष सिद्ध करने के लिए पर्याप्त नहीं हैं। जस्टिस संजय धर ने दो नाबालिग लड़कियों के अपहरण और यौन उत्पीड़न के आरोपी बासित बशीर के खिलाफ आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि आरोपी को इस कृत्य से जोड़ने वाले प्रत्यक्ष या परिस्थितिजन्य साक्ष्य होने चाहिए। न्यायालय ने इस बात पर जोर दिया कि अभियोजन पक्ष याचिकाकर्ता को कथित अपराधों से जोड़ने में विफल रहा,...
प्रयोग से वक़्फ़ के रूप में मानी जाने वाली ज़ियारत को वक़्फ़ घोषित करने के लिए औपचारिक अधिसूचना की आवश्यकता नहीं: जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट
जम्मू-कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया कि कोई ज़ियारत (दरगाह), दरगाह या अन्य धार्मिक संपत्ति जो जम्मू और कश्मीर वक़्फ़ अधिनियम, 1978 की धारा 3(ड)(i) के तहत प्रयोग से वक़्फ़ (Wakaf by user) के रूप में योग्य हो, उसे वक़्फ़ के रूप में मान्यता देने के लिए किसी औपचारिक घोषणा या अधिसूचना की आवश्यकता नहीं है।जस्टिस संजीव कुमार और जस्टिस संजय परिहार की खंडपीठ ने ज़ियारत को लेकर जम्मू-कश्मीर वक़्फ़ बोर्ड द्वारा किए गए अधिग्रहण को चुनौती देने वाली याचिका खारिज की। अदालत ने कहा कि प्रयोग आधारित...
अपराध शाखा की मंजूरी के लिए सेवानिवृत्ति लाभ नहीं रोक सकते: जम्मू एंड कश्मीर हाईकोर्ट
जम्मू एंड कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट के जस्टिस राजेश सेखरी की एकल पीठ ने कहा कि केवल अपराध शाखा से मंजूरी लंबित होने के आधार पर सेवानिवृत्ति लाभ नहीं रोका जा सकता, खासकर तब जब एफआईआर को 'सिद्ध नहीं' के रूप में बंद कर दिया गया हो। न्यायालय ने फैसला सुनाया कि भले ही एफआईआर की जांच लंबित हो, लेकिन यह 'न्यायिक कार्यवाही' नहीं है, और इस प्रकार, इसका उपयोग सेवानिवृत्ति लाभ से इनकार करने के लिए नहीं किया जा सकता है। इस प्रकार, न्यायालय ने नियोक्ता को ब्याज सहित सभी सेवानिवृत्ति लाभ प्रदान करने का...
5 साल से पूरा नहीं हुआ ट्रायल, के.ए. नजीब मामले में सुप्रीम कोर्ट का अनुपात लागू नहीं होगा: जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने UAPA मामले में जमानत देने से किया इनकार
जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत दायर जमानत याचिकाओं को खारिज करते हुए फैसला सुनाया कि विस्फोटक पदार्थों की बरामदगी और आतंकवादी मॉड्यूल से संबंध से जुड़े आरोप इतने गंभीर हैं कि मुकदमे के इस चरण में रिहाई की गारंटी नहीं दी जा सकती।जस्टिस राजेश ओसवाल और जस्टिस संजय परिहार की खंडपीठ ने कहा कि मुकदमा पहले से ही दर्ज किए गए भौतिक साक्ष्यों के साथ चल रहा है और देरी, यदि कोई हो, के.ए. नजीब में निर्धारित सिद्धांत को लागू करने के लिए पर्याप्त नहीं है।अदालत ने कहा...
जब पद के लिए आवश्यक अनुभव का योग्यता से कोई संबंध ना हो तो इसे योग्यता पाने से पहले या बाद में पाय जा सकता है: J&K हाईकोर्ट
जम्मू एंड कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने भर्ती पात्रता मानदंड की व्याख्या को स्पष्ट करते हुए माना है कि जहां किसी पद के लिए आवश्यक अनुभव का निर्धारित शैक्षणिक योग्यता से कोई सीधा संबंध नहीं है, ऐसे अनुभव को योग्यता प्राप्त करने से पहले या बाद में वैध रूप से प्राप्त किया जा सकता है। अदालत ने कहा,“.. हालांकि, जहां निर्धारित अनुभव किसी विशेष शैक्षणिक योग्यता के बिना भी प्राप्त किया जा सकता है, ऐसी स्थिति में शैक्षणिक/पेशेवर योग्यता प्राप्त करने से पहले प्राप्त अनुभव मान्य हो सकता है”जस्टिस संजीव...
IPC | महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाने की मानसिक स्थिति धारा 354 के तहत मामला दर्ज करने के लिए जरूरी, सिर्फ आपराधिक बल काफी नहीं: जेएंडके हाईकोर्ट
श्रीनगर स्थित जम्मू एंड कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने भारतीय दंड संहिता की धारा 354 और 447 के तहत दर्ज एक एफआईआर को खारिज करते हुए कहा कि किसी महिला पर हमला या आपराधिक बल का प्रयोग, जो ऐसी महिला की शील भंग करने की मनःस्थिति में न हो, उसे भारतीय दंड संहिता की धारा 354 के तहत अपराध नहीं कहा जा सकता। जस्टिस संजय धर की पीठ ने जोर देकर कहा,“.. पीड़ित महिला की शील भंग करने की मंशा या यह जानना कि आरोपी द्वारा किए गए इस कृत्य से पीड़ित महिला की शील भंग होगी, भारतीय दंड संहिता की धारा 354 के तहत अपराध...
बेदखली एक सिविल मामला, पुलिस मकान मालिक-किरायेदार विवाद में हस्तक्षेप नहीं कर सकती: जेएंड के हाईकोर्ट
कानून के एक मूलभूत सिद्धांत को दोहराते हुए, जम्मू एंड कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने माना कि पुलिस को उन विवादों में हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है जो पूरी तरह से दीवानी प्रकृति के हैं, जिसमें मकान मालिक और किराएदार के बीच उत्पन्न होने वाले विवाद भी शामिल हैं। न्यायालय ने कहा कि ऐसे मामले विशेष रूप से सक्षम दीवानी न्यायालयों के अधिकार क्षेत्र में आते हैं और आपराधिक कानून प्रवर्तन एजेंसियों के दायरे से बाहर हैं। जस्टिस वसीम सादिक नरगल ने श्रीनगर निवासी अब्दुल मजीद डार द्वारा दायर एक रिट...
[Food Safety Act] अभियोजन के लिए मंजूरी देने की सिफारिश करने की समयसीमा अनिवार्य, गैर-अनुपालन इसे अस्थिर बनाता है: जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट
जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने कहा कि अभियुक्तों के विरुद्ध अभियोजन के लिए मंजूरी प्रदान करने के लिए खाद्य सुरक्षा आयुक्त को समय-सीमा के भीतर सिफारिश करने के लिए नामित अधिकारी की आवश्यकता वाले प्रावधान का गैर-अनुपालन अभियोजन को अस्थिर बनाता है।याचिकाकर्ता ने अपराध के घटित होने के एक वर्ष की अवधि के पश्चात न्यायालय द्वारा संज्ञान लिए जाने तथा कानून के तहत प्रदान किए गए प्रक्रियात्मक सुरक्षा उपायों का अनुपालन न किए जाने को चुनौती दी थी।जस्टिस संजय धर की पीठ ने कहा कि खाद्य विश्लेषक से खाद्य को असुरक्षित...
झलेरी माता मंदिर के सरकारी अधिग्रहण पर रोक लगाई, अंतरिम प्रशासक नियुक्त किया
केंद्रशासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में हिंदू धार्मिक स्थलों के संचालन से संबंधित मामले में जम्मू एवं कश्मीर हाईकोर्ट ने एक आदेश पर रोक लगा दी है, जिसके माध्यम से डिविजनल कमिश्नर ने नव दुर्गा झलेरी माता मंदिर को शिव खोड़ी श्राइन बोर्ड के प्रशासन के अधीन लाने की पहल की थी जब तक कि कोई नया कानून लागू नहीं हो जाता।यह मामला उस ट्रस्ट द्वारा दायर रिट याचिका के संबंध में था, जो रियासी ज़िले के कटरा तहसील के पंगल गांव स्थित इस मंदिर की सेवा का दावा करता है।याचिकाकर्ता ट्रस्ट ने इसे एक शत्रुतापूर्ण...
रिट याचिकाएं मनमाने ढंग से वापस नहीं ली जा सकतीं: J&K हाईकोर्ट ने अमरनाथ लंगर विवाद में नए सिरे से याचिका दायर करने के चैरिटेबल ट्रस्ट के आवेदन को खारिज किया
संवैधानिक मुकदमेबाजी की पवित्रता को रेखांकित करने वाले एक सख्त फैसले में, जम्मू एंड कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने नए सिरे से दायर करने की स्वतंत्रता के साथ एक रिट याचिका को वापस लेने की मांग करने वाले एक आवेदन को खारिज करते हुए कहा कि संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत प्रयोग किए जाने वाले अधिकार क्षेत्र में प्रक्रियात्मक तकनीकीताओं का बंधन नहीं है, लेकिन न ही यह अटकलों या अनुचित मुकदमेबाजी के लिए एक अनियमित स्थान है। जस्टिस मोहम्मद यूसुफ वानी ने भोले भंडारी चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा दायर वापसी याचिका...
बिना आरोप पत्र के पासपोर्ट जब्त करना मौलिक अधिकारों का उल्लंघन, केवल FIR दर्ज करना 'लंबित कार्यवाही' नहीं: J&K हाईकोर्ट
जम्मू एंड कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने संवैधानिक अधिकारों की पवित्रता की पुष्टि करते हुए, फैसला सुनाया कि केवल आपराधिक मामला दर्ज करना पासपोर्ट अधिनियम की धारा 10(3) के खंड (ई) के तहत निर्धारित कार्यवाही नहीं है।जस्टिस सिंधु शर्मा ने कहा कि आपराधिक न्यायालय के समक्ष कार्यवाही को लंबित मानने के लिए, केवल एफआईआर नहीं बल्कि आरोप पत्र दायर किया जाना चाहिए।ये टिप्पणियां सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी सज्जाद अहमद खान द्वारा दायर एक रिट याचिका में आईं, जिसमें विशेष न्यायाधीश, भ्रष्टाचार निरोधक (सीबीआई...
UAPA की धारा 13 के तहत जमानत देने पर वैधानिक रोक नहीं क्योंकि धारा 43-डी(5) के तहत प्रतिबंध लागू नहीं होते: जेएंके हाईकोर्ट
जम्मू एंड कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1967 की रूपरेखा पर प्रकाश डालते हुए माना कि यूएपीए की धारा 13 के तहत जमानत देने पर कोई वैधानिक प्रतिबंध नहीं है, क्योंकि अधिनियम की धारा 43-डी (5) के तहत लगाए गए कड़े प्रतिबंध अध्याय IV और VI के बाहर आने वाले अपराधों पर लागू नहीं होते हैं। जस्टिस संजीव कुमार और जस्टिस संजय परिहार की खंडपीठ ने फैसले में कहा, “.. हालांकि धारा 13 के तहत अपराध धारा 43-डी (5) के दायरे में नहीं आता है, फिर भी, जमानत देने के लिए उठने...
जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने 1944 का भूमि विनिमय आदेश बरकरार रखा, कहा- निहित अधिकारों को प्रशासनिक जड़ता से समाप्त नहीं किया जा सकता
लंबे समय से चले आ रहे प्रशासनिक निर्णयों और निहित अधिकारों की पवित्रता की रक्षा करते हुए जम्मू-कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने 1944 के सरकारी आदेश संख्या 60-सी की प्रवर्तनीयता को बरकरार रखा। साथ ही अधिकारियों को उक्त आदेश के तहत भूमि विनिमय के लिए निर्माण की अनुमति की प्रक्रिया करने का निर्देश दिया, बशर्ते कि ऐसी भूमि घने वृक्षारोपण के अंतर्गत न हो और पहलगाम मास्टर प्लान 2032 के तहत अन्यथा अनुमेय हो।सरकारी आदेश 1944 को बरकरार रखते हुए, जिसके तहत सरकार ने पहलगाम में संरक्षण और पर्यटन विकास के लिए...
मजिस्ट्रेट CrPC की धारा 84 के तहत तीसरे पक्ष के स्वामित्व संबंधी आपत्तियों पर निर्णय को कुर्की होने तक स्थगित नहीं कर सकते: J&K हाईकोर्ट
जम्मू एंड कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने माना कि दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 84 के तहत तीसरे पक्ष द्वारा दायर आपत्तियों पर निर्णय लेना मजिस्ट्रेट के लिए कानूनी रूप से बाध्य है, इससे पहले कि धारा 83 सीआरपीसी के तहत कुर्की आदेश लागू किया जाए। भौतिक कुर्की या अनुपालन रिपोर्ट प्राप्त होने तक इस तरह के निर्णय को स्थगित करना कानून के विपरीत है, न्यायालय ने फैसला सुनाया। जस्टिस संजय धर ने श्रीनगर के प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट (उप-पंजीयक) के एक आदेश को रद्द करते हुए ये टिप्पणियां कीं,...
J&K हाईकोर्ट ने कश्मीर घाटी में रहने वाले गैर-कश्मीरियों के खिलाफ हिंसा का आह्वान करने वाले सोशल मीडिया पोस्ट पर FIR के खिलाफ व्यक्ति की याचिका खारिज की
जम्मू एंड कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने मुबीन अहमद शाह नामक व्यक्ति के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया है, जिस पर फेसबुक पर कई पोस्ट अपलोड करने का आरोप था, जिसमें कथित तौर पर सांप्रदायिक तनाव भड़काने और राष्ट्रीय अखंडता को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया गया था। जस्टिस संजय धर ने याचिका को खारिज करते हुए याचिकाकर्ता की ऑनलाइन गतिविधि की प्रकृति और प्रभाव के बारे में कड़ी टिप्पणियां कीं, जिसमें कहा गया कि "पोस्ट विभिन्न समुदायों के बीच सद्भाव बनाए रखने के लिए...
पाकिस्तानी महिला से शादी करने पर सेवा से बर्खास्त CRPF जवान की याचिका पर जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने जारी किया नोटिस
जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने CRPF जवान की याचिका पर केंद्र सरकार और संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी किया, जिसमें जवान ने पाकिस्तानी महिला से शादी करने के कारण अपनी सेवा से बर्खास्तगी को चुनौती दी।जस्टिस जावेद इकबाल वानी की एकल पीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए CRPF के महानिदेशक, 41 बटालियन (बैंगरसिया, भोपाल) और 72 बटालियन (सोडरा, सुंदरबनी, राजौरी) के कमांडेंट्स को नोटिस जारी किया और उनसे अगली सुनवाई की तारीख 30 जून 2025 तक अपना पक्ष रखने को कहा है।याचिकाकर्ता ने बताया कि वह वर्ष 2017 में CRPF में...
CPC | आदेश 23 नियम 1(3)(बी) के तहत “पर्याप्त आधार” अदालत को मुकदमा वापस लेने और नया मुकदमा दायर करने की अनुमति देने के लिए व्यापक विवेक प्रदान करता है: जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट
सिविल प्रक्रिया संहिता (सीपीसी) के आदेश 23 नियम 1(3)(बी) के तहत "पर्याप्त आधार" के दायरे को स्पष्ट करते हुए, जम्मू एंड कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने माना कि यह अभिव्यक्ति ट्रायल कोर्ट को एक मुकदमा वापस लेने की अनुमति देने के लिए व्यापक न्यायिक विवेक प्रदान करती है, साथ ही एक नया मुकदमा शुरू करने की स्वतंत्रता भी देती है। जस्टिस संजय धर ने रेखांकित किया,"... इस अभिव्यक्ति को व्यापक अर्थ दिया जाना चाहिए और इसे प्रतिबंधात्मक अर्थ नहीं दिया जा सकता है ताकि योग्यता के आधार पर निष्पक्ष सुनवाई को रोका...
प्रबंधक द्वारा प्रत्ययी विश्वास का उल्लंघन हल्के में नहीं लिया जा सकता: जम्मू एंड कश्मीर हाईकोर्ट ने 71 लाख रुपये के गबन मामले में जमानत खारिज की
जम्मू एंड कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने कथित तौर पर विश्वास के दुरुपयोग पर कड़ी आपत्ति जताते हुए, अपने नियोक्ता से 71 लाख रुपये से अधिक की धोखाधड़ी करने के आरोपी पेट्रोल पंप प्रबंधक को अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया है। जस्टिस संजय धर ने कहा कि जब कोई प्रबंधक अपने नियोक्ता द्वारा उस पर किए गए विश्वास का लाभ उठाते हुए, ऐसे विश्वास का उल्लंघन करता है, तो अपराध गंभीर आयाम ग्रहण कर लेता है और इसे हल्के में नहीं लिया जा सकता। उन्होंने आगे टिप्पणी की कि याचिकाकर्ता के खिलाफ आरोप "आर्थिक अपराध"...
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 14 के तहत उपभोक्ता क्षतिपूर्ति या प्रतिस्थापन के लिए दोषपूर्ण सेवा का निर्णायक सबूत आवश्यक: जेएंडके हाईकोर्ट
जम्मू एंड कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने उपभोक्ता कानून के तहत एक महत्वपूर्ण सिद्धांत को मजबूत करते हुए, माना कि उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 की धारा 14 के तहत मुआवजे या सामान के प्रतिस्थापन के लिए, यह निर्णायक रूप से स्थापित होना चाहिए कि सेवा प्रदाता ने सेवा में लापरवाही या कमी की है। जस्टिस सिंधु शर्मा और जस्टिस विनोद चटर्जी कौल की खंडपीठ ने जिला उपभोक्ता विवाद निवारण फोरम, जम्मू और जम्मू-कश्मीर राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग द्वारा पारित आदेशों को रद्द कर दिया, जिसमें एक कार को बदलने और...