जम्मू और कश्मीर और लद्दाख हाईकोर्ट
भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मंज़ूरी की ज़रूरत नहीं, जब सरकारी कर्मचारी रिटायर हो जाए या पद छोड़ दे: जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट
यह मानते हुए कि भ्रष्टाचार निवारण कानून के तहत मुक़दमे के लिए पहले से मंज़ूरी की कानूनी सुरक्षा तभी तक उपलब्ध है, जब तक कोई सरकारी कर्मचारी सेवा में रहता है, जम्मू-कश्मीर एंड लद्दाख हाई कोर्ट ने फैसला सुनाया कि एक बार जब अधिकारी पद छोड़ देता है या रिटायर हो जाता है, तो किसी मंज़ूरी की ज़रूरत नहीं होती।जस्टिस संजय धर ने भ्रष्टाचार की कार्यवाही को चुनौती देने वाली याचिका खारिज करते हुए यह बात साफ की।साथ ही कहा,"PC Act की धारा 19 के तहत सुरक्षा, जो J&K PC Act की धारा 6 के समान है, एक सरकारी...
'सुस्त न्याय' पर सख्त टिप्पणी: चालान के स्तर पर ही कमजोर मामलों को छांटें आपराधिक अदालतें- जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट का संदेश
जम्मू-कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने आपराधिक न्याय व्यवस्था की धीमी रफ्तार पर गंभीर चिंता जताते हुए कहा कि आपराधिक अदालतें पुलिस रिपोर्टों की मात्र औपचारिक स्वीकृति करने वाली संस्था नहीं हैं। अदालतों का दायित्व है कि वे चालान पेश होते ही यह परखें कि मामला ठोस और संगठित तथ्यों पर आधारित है या फिर ऐसा टूटा-फूटा अभियोजन है जो अंततः गिरने के लिए ही बना है।जस्टिस राहुल भारती ने यह टिप्पणी एक लंबे समय से लंबित आपराधिक मामले को रद्द करते हुए की। उन्होंने कहा कि इस तरह के कमजोर और तथ्यहीन मुकदमे ही...
1947 के PoJK विस्थापितों को ST दर्जा और PSP प्रमाणपत्र देने की मांग पर जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने जारी किया नोटिस
जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने वर्ष 1947 में पाकिस्तान अधिकृत जम्मू-कश्मीर (PoJK) से विस्थापित हुए लोगों को अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा और पहाड़ी भाषी समुदाय (PSP) के प्रमाणपत्र जारी किए जाने की मांग से जुड़ी जनहित याचिका पर नोटिस जारी किया।यह जनहित याचिका जम्मू-कश्मीर एक्शन कमेटी की ओर से उसके अध्यक्ष गुरदेव सिंह द्वारा दायर की गई।मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस अरुण पल्ली और जस्टिस राजनेश ओसवाल की खंडपीठ ने की।याचिका में कहा गया कि वर्ष 2024 में पहाड़ी समुदाय को अनुसूचित जनजाति में शामिल किए जाने के...
जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने हमले का जवाब देने में नाकाम रहने वाले कांस्टेबल की बर्खास्तगी बहाल की
यह मानते हुए कि सार्वजनिक सुरक्षा की ज़िम्मेदारी वाले पुलिसकर्मी आतंकवादी हिंसा का सामना करने पर अपनी ड्यूटी से पीछे नहीं हट सकते, जम्मू-कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया कि पुलिस गार्डों का आतंकवादी हमले का जवाब देने में नाकाम रहना और एक भी गोली चलाए बिना सर्विस हथियार सरेंडर करना एक गंभीर कायरता का काम है, जिससे पूरी पुलिस फोर्स को नैतिक बदनामी होती है।जस्टिस संजीव कुमार और जस्टिस संजय परिहार की डिवीजन बेंच ने रिट कोर्ट का फैसला रद्द किया और एक सिलेक्शन ग्रेड कांस्टेबल की बर्खास्तगी...
'बेबुनियाद दावों से सक्षम अधिकारियों के दस्तावेज़ों को अमान्य नहीं किया जा सकता': जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने धोखाधड़ी मामलों में खास दलीलों की ज़रूरत पर ज़ोर दिया
धोखाधड़ी का आरोप लगाते समय सटीक दलीलों की ज़रूरत पर ज़ोर देते हुए जम्मू-कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने कहा कि सक्षम अधिकारियों द्वारा जारी किए गए दस्तावेज़ों की सच्चाई के बारे में बड़े और बेबुनियाद आरोप लगाने से ऐसे दस्तावेज़ अविश्वसनीय नहीं हो जाएंगे।जस्टिस संजय धर की बेंच ने इस बात पर ज़ोर दिया कि किसी मुक़दमेबाज़ के लिए यह ज़रूरी है कि वह कथित धोखाधड़ी का पूरा ब्यौरा सबूतों के साथ दे।ये टिप्पणियां एक याचिका खारिज करते हुए की गईं, जिसमें पेट्रोलियम आउटलेट की स्थापना के लिए वैधानिक अधिकारियों...
जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने अंडरट्रायल कैदियों के ट्रांसफर पर महबूबा मुफ्ती की PIL खारिज की
जनहित याचिका की संवैधानिक सीमाओं की पुष्टि करते हुए जम्मू-कश्मीर एंड लद्दाख के हाईकोर्ट ने PDP अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती द्वारा दायर PIL खारिज की। कोर्ट ने कहा कि याचिका में "ज़रूरी दस्तावेज़ों की कमी थी और यह अस्पष्टता पर आधारित है" और यह अधूरी, अस्पष्ट और बिना सबूत वाले दावों पर टिकी है।चीफ जस्टिस अरुण पल्ली और जस्टिस रजनेश ओसवाल की डिवीजन बेंच ने रिट क्षेत्राधिकार का इस्तेमाल करने से यह देखते हुए इनकार किया कि याचिका में कोर्ट के सामने किसी भी अंडरट्रायल कैदी के एक भी विशिष्ट...
परिस्थितियों में बदलाव न होने पर भी लगातार जमानत याचिका सुनवाई योग्य: जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट
जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में स्पष्ट किया है कि यदि किसी अधीनस्थ आपराधिक अदालत द्वारा पहले जमानत याचिकाएँ खारिज की जा चुकी हों, तब भी हाईकोर्ट के समक्ष successive (लगातार) जमानत याचिका पर विचार करने के लिए परिस्थितियों में बदलाव (change of circumstances) होना अनिवार्य नहीं है।जस्टिस संजय धर ने बलात्कार के एक मामले में आरोपी को जमानत देते हुए कहा कि उच्च न्यायालय, एक वरिष्ठ (superior) अदालत होने के नाते, ऐसी तकनीकी सीमाओं से बंधा नहीं है। यह मामला धारा 376...
पूरी तरह से धार्मिक या स्वैच्छिक नहीं: जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने धर्मार्थ ट्रस्ट को इंडस्ट्रियल डिस्प्यूट्स एक्ट के तहत 'इंडस्ट्री' माना
जम्मू-कश्मीर एंड लद्दाख के हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया कि जम्मू-कश्मीर धर्मार्थ ट्रस्ट अपनी गतिविधियों के व्यवस्थित, संगठित और व्यावसायिक स्वरूप के कारण इंडस्ट्रियल डिस्प्यूट्स एक्ट, 1947 के तहत "इंडस्ट्री" की कानूनी परिभाषा को पूरा करता है।जस्टिस एम ए चौधरी ने फैसला सुनाया कि ट्रस्ट के संचालन को पूरी तरह से धार्मिक या आध्यात्मिक नहीं माना जा सकता है, जो निस्वार्थ और स्वैच्छिक तरीके से किए जाते हैं। इसलिए वे श्रम कानून सुरक्षा के अधीन हैं।यह फैसला धर्मार्थ ट्रस्ट द्वारा दायर रिट याचिका खारिज करते...
कोर्ट द्वारा बनाई गई कमेटियां सहायक काम सौंप सकती हैं, मुख्य फैसले लेने का काम नहीं: जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट
जम्मू-कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने मंगलवार (16 दिसंबर) को कहा कि कानून ज़रूरी फैसले लेने की ज़िम्मेदारी सौंपने पर रोक लगाता है, न कि सहायक काम सौंपने पर।जस्टिस वसीम सादिक नरगल की सिंगल जज बेंच ने कहा कि एक बार जब किसी कमेटी को न्यायिक आदेश से कोई खास काम सौंपा जाता है तो कानून उस काम को प्रभावी ढंग से पूरा करने के लिए ज़रूरी सभी उचित सहायक तरीकों को अपनाने की इजाज़त देता है, बशर्ते कि मुख्य फैसले लेने का अधिकार कमेटी के पास ही रहे।कोर्ट ने यह बात जम्मू-कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट के आदेश द्वारा...
ज़रूरी तथ्य छिपाने या फिर कोर्ट को गुमराह करने की कोशिश करने वाला मुकदमेबाज़ मेरिट के आधार पर सुनवाई का अधिकार खो देता है: जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट
जम्मू-कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने सोमवार (15 दिसंबर) को कहा कि जो मुक़दमेबाज़ कोर्ट में आते समय ज़रूरी तथ्यों को छिपाता है या दबाता है, वह मेरिट के आधार पर सुनवाई का अधिकार खो देता है। साथ ही संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत कोई भी न्यायसंगत या विवेकाधीन राहत नहीं मांग सकता।जस्टिस वसीम सादिक नरगल की सिंगल जज बेंच ने दो संबंधित रिट याचिकाओं को खारिज करते हुए यह टिप्पणी की, जिनमें श्रीनगर के शेख बाग में नज़ूल ज़मीन पर मालिकाना हक देने और पब्लिक प्रेमिसेस एक्ट के तहत शुरू की गई बेदखली की कार्यवाही...
न्याय कोई औपचारिक रस्म नहीं: नाबालिग लड़की की मौत की लापरवाह जांच पर जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट सख्त, CBI जांच के आदेश
जम्मू-कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने 13 वर्षीय नाबालिग लड़की की संदिग्ध मौत के मामले में पुलिस जांच के तरीके पर गहरी नाराज़गी जताते हुए मामले की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) को सौंपने का आदेश दिया। अदालत ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि न्याय को केवल औपचारिक प्रक्रिया बनाकर नहीं छोड़ा जा सकता। इस तरह की संवेदनशील घटनाओं में देरी व लापरवाही से न केवल अहम सबूत नष्ट होते हैं बल्कि पीड़ित परिवार को भी न्याय से वंचित किया जाता है।यह आदेश जस्टिस राहुल भारती ने गांव जंडियाल, जम्मू निवासी मुख्तियार अली...
BSF Rules | जांच कोर्ट शुरुआती तथ्य खोजने की प्रक्रिया, न कि अनुशासनात्मक ट्रायल: जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट
जम्मू-कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने कहा कि ऐसी जांच सिर्फ़ एक तथ्य खोजने का तरीका है, जिसका मकसद अधिकारियों को भविष्य की कार्रवाई तय करने में मदद करना है। यह विभागीय कार्यवाही शुरू करने जैसा नहीं है।जस्टिस संजीव कुमार और जस्टिस संजय परिहार की डिवीजन बेंच ने इस बात पर ज़ोर दिया कि जांच कोर्ट के नतीजे "शुरुआती रिपोर्ट" के रूप में होंगे। सिर्फ़ ऐसी जांच का आदेश देने या संबंधित अधिकारी को पेश होने और अपना बयान दर्ज कराने के लिए कहने से उसे किसी भी तरह से नुकसान नहीं होगा।कोर्ट ने टिप्पणी की,"...जांच...
योग्यता पूरी होने के बाद प्रवासी दर्जा पदोन्नति में बाधा नहीं बन सकता: जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट
जम्मू-कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा कि एक बार वैधानिक नियमों के तहत पदोन्नति की पात्रता पूरी हो जाने के बाद किसी कर्मचारी का प्रवासी दर्जा उसके करियर की प्रगति को कमजोर करने का आधार नहीं बन सकता। अदालत ने यह भी दोहराया कि समान परिस्थितियों में कार्यरत व्यक्तियों के साथ अलग-अलग व्यवहार नहीं किया जा सकता।चीफ जस्टिस अरुण पल्ली और जस्टिस राजनेश ओसवाल की खंडपीठ ने शेर-ए-कश्मीर कृषि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (SKUAST), कश्मीर द्वारा दायर अपील खारिज करते हुए प्रवासी...
उमादेवी फैसले को स्थायी अस्थायी रोज़गार के लिए ढाल के तौर पर इस्तेमाल नहीं किया जा सकता: जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट
जम्मू एंड कश्मीर हाईकोर्ट की चीफ जस्टिस अरुण पल्ली और जस्टिस रजनेश ओसवाल की डिवीजन बेंच ने फैसला सुनाया कि 31-03-1994 से पहले काम पर रखे गए और दशकों से लगातार काम कर रहे दिहाड़ी मज़दूर को कैज़ुअल लेबरर होने के बहाने SRO-64 के तहत रेगुलराइज़ेशन से मना नहीं किया जा सकता। इसके अलावा, स्थायी काम के लिए स्थायी अस्थायी रोज़गार को सही ठहराने के लिए उमादेवी फैसले का हवाला नहीं दिया जा सकता।पृष्ठभूमि तथ्यप्रतिवादी को पब्लिक हेल्थ इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट में दिहाड़ी मज़दूर के तौर पर काम पर रखा गया। उसने...
फेसबुक पर 'राष्ट्र-विरोधी' पोस्ट: J&K&L हाईकोर्ट ने निवारक हिरासत सही बताई, बंदी की याचिका खारिज
जम्मू और कश्मीर हाईकोर्ट ने फेसबुक पर सुरक्षा चिंताओं को बढ़ाने वाली सामग्रियाँ पोस्ट करने के आरोप में हिरासत में लिए गए व्यक्ति के खिलाफ पारित निवारक हिरासत आदेश को बरकरार रखा है। अदालत ने माना कि निरोधक प्राधिकार का यह निर्णय यांत्रिक नहीं था, बल्कि ऐसे समुचित सामग्री पर आधारित था जिससे यह संतोषजनक रूप से निष्कर्ष निकाला जा सकता था कि व्यक्ति को भविष्य में हानि पहुँचाने वाली गतिविधियों से रोकने के लिए उसकी हिरासत आवश्यक है।जस्टिस संजय धर ने दर्ज किया कि अधिकारियों ने detenue की फेसबुक...
NDPS मामलों में ट्रायल पेंडिंग रहने तक जमानत देने के 'रीजनेबल ग्राउंड्स' को BSA के तहत 'प्रूफ' नहीं माना जा सकता: जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट
जमानत आवेदन के मामले में 'रीजनेबल ग्राउंड्स' की बैलेंस्ड व्याख्या के महत्व पर ज़ोर देते हुए जम्मू-कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने इस बात पर ज़ोर दिया कि ऐसे ग्राउंड्स सिर्फ़ शक से आगे जाने चाहिए, लेकिन पक्के सबूत से कम होने चाहिए।जस्टिस मोहम्मद यूसुफ वानी की बेंच ने आगे कहा,“'रीजनेबल ग्राउंड्स' शब्दों का मतलब 'भारतीय साक्ष्य अधिनियम' में इस्तेमाल किए गए साबित होने के तौर पर नहीं पढ़ा जा सकता। मेरी राय में ऐसी व्याख्या कोर्ट को ट्रायल पेंडिंग रहने तक बेल देने की मिली शक्ति को खत्म कर देगी। 'रीजनेबल...
सिविल कोर्ट एग्रीकल्चरल रिजम्पशन केस में दखल नहीं दे सकते, सिर्फ़ रेवेन्यू अथॉरिटीज़ के पास अधिकार क्षेत्र: जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट
जम्मू-कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने कहा, “एग्रीकल्चरल रिफॉर्म्स एक्ट से जुड़े मामले, खासकर रिजम्पशन की कार्रवाई, सिर्फ़ रेवेन्यू अथॉरिटीज़ के अधिकार क्षेत्र में आते हैं। सिविल कोर्ट के पास दखल देने का अधिकार क्षेत्र नहीं है, यहां तक कि इंजंक्शन स्टेज पर भी।” यह फैसला दो केस करने वालों की याचिका खारिज करते हुए सुनाया गया, जिसमें ट्रायल कोर्ट के एक साथ दिए गए फैसलों को चुनौती दी गई।जम्मू-कश्मीर एग्रीकल्चरल रिफॉर्म्स एक्ट, 1976 की धारा 25 के तहत बनाए गए कानूनी अधिकार क्षेत्र पर रोक की पुष्टि करते...
मजिस्ट्रेट इकोनॉमिक ऑफेंस विंग को कस्टोडियल टॉर्चर के आरोपों की जांच करने का निर्देश नहीं दे सकते: जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट
जम्मू-कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने माना कि इकोनॉमिक ऑफेंस विंग, श्रीनगर के पास लागू नोटिफिकेशन के तहत कस्टोडियल टॉर्चर और हत्या से जुड़े आरोपों की जांच करने का कोई अधिकार नहीं है।कोर्ट ने कहा कि एक मजिस्ट्रेट को सिर्फ़ उस एजेंसी को जांच करने का निर्देश देने का अधिकार है, जिसके पास कथित अपराध का अधिकार क्षेत्र हो।कोर्ट, इकोनॉमिक ऑफेंस विंग, कश्मीर के सीनियर सुपरिटेंडेंट ऑफ़ पुलिस की याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें कस्टोडियल टॉर्चर और मौत के आरोपों के संबंध में FIR दर्ज करने और उक्त विंग...
जम्मू-कश्मीर के डिप्टी सीएम ने आपत्तिजनक कंटेंट हटाने के लिए दिल्ली हाईकोर्ट में दायर किया मानहानि मामला
जम्मू- कश्मीर के डिप्टी चीफ मिनिस्टर सुरिंदर कुमार चौधरी ने सोशल मीडिया पर अपने खिलाफ आपत्तिजनक कंटेंट को हटाने के लिए दिल्ली हाईकोर्ट में मानहानि का केस दायर किया।इस मामले की सुनवाई मंगलवार (2 दिसंबर) को जस्टिस अमित बंसल ने की, जिन्होंने चौधरी से कहा कि वे अपने केस में कंटेंट अपलोड करने वालों को भी डिफेंडेंट बनाएं।चौधरी के वकील ने कोर्ट को बताया कि एक महिला के साथ उनके रिश्ते के आरोपों को लेकर सोशल मीडिया पर सेक्सुअल बातें वाला आपत्तिजनक कंटेंट अपलोड किया गया।कोर्ट को बताया गया कि ज़्यादातर...
पासपोर्ट पाना संवैधानिक अधिकार, नागरिकों को विदेश यात्रा के लिए 'ज़रूरत' साबित करने की ज़रूरत नहीं: जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट
इस बात पर ज़ोर देते हुए कि पासपोर्ट रखने का अधिकार सीधे तौर पर एक नागरिक के निजी आज़ादी के बुनियादी अधिकार से आता है, जम्मू-कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने कहा कि किसी भी व्यक्ति को पासपोर्ट या नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (NOC) पाने के लिए विदेश यात्रा की कोई ज़रूरी या अर्जेंट ज़रूरत दिखाने की ज़रूरत नहीं है।जस्टिस संजय धर ने यह ज़रूरी बात एंटीकरप्शन, अनंतनाग के स्पेशल जज का आदेश रद्द करते हुए कही, जिसमें उन्होंने NOC जारी करने की एप्लीकेशन को इस आधार पर खारिज कर दिया था कि एप्लीकेंट ने विदेश यात्रा...













