जम्मू और कश्मीर और लद्दाख हाईकोर्ट
मजदूरी भुगतान अधिनियम एक स्वतंत्र कानून, इस पर परिसीमन अधिनियम लागू नहीं: जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट
जम्मू-कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए यह स्थापित किया कि मजदूरी भुगतान अधिनियम, 1936 (Payment of Wages Act) एक स्व-निहित कानून है, जिस पर परिसीमन अधिनियम (Limitation Act) लागू नहीं होता।न्यायालय ने स्पष्ट किया कि जब कोई विशेष कानून अपील दायर करने की अवधि और शर्तें निर्धारित करता है तो सामान्य परिसीमन कानून के प्रावधानों का सहारा नहीं लिया जा सकता।जस्टिस वसीम सादिक नरगल की पीठ ने भदरवाह के प्रिंसिपल डिस्ट्रिक्ट जज द्वारा पारित फैसला रद्द कर दिया, जिन्होंने परिसीमन...
बिना आधिकारिक प्रतिनियुक्ति के उच्च अध्ययन के दौरान अनधिकृत अनुपस्थिति की अवधि के लिए कोई वेतन देय नहीं: जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट
जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट के जस्टिस संजीव कुमार और जस्टिस संजय परिहार की खंडपीठ ने कहा कि बिना आधिकारिक प्रतिनियुक्ति या अनुमति के पोस्ट-ग्रेजुएट अध्ययन करने पर सरकारी कर्मचारी जम्मू-कश्मीर सिविल सेवा विनियम, 1956 के अनुच्छेद 44-ए के तहत वेतन पाने के हकदार नहीं होते।पृष्ठभूमि तथ्यप्रतिवादियों को 28.10.2011 के सरकारी आदेश संख्या 592-एचएमई, 2011 के तहत जम्मू-कश्मीर के स्वास्थ्य विभाग में सहायक शल्य चिकित्सक और चिकित्सा अधिकारी के रूप में नियुक्त किया गया था। अपनी नियुक्ति के समय दोनों प्रतिवादी पहले...
जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने 25 पुस्तकों की ज़ब्ती पर अंतरिम राहत देने से किया इनकार
जम्मू-कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने सोमवार (13 अक्टूबर) को उन याचिकाओं में अंतरिम राहत देने से इनकार किया, जिनमें कथित तौर पर अलगाववाद को बढ़ावा देने के आरोप में भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 98 के तहत 25 पुस्तकों की ज़ब्ती को चुनौती दी गई थी।चीफ जस्टिस अरुण पल्ली, जस्टिस रजनेश ओसवाल और जस्टिस शहज़ाद अज़ीम की तीन जजों की विशेष पीठ ने अंतरिम राहत देने से इनकार किया। हालांकि पीठ ने याचिकाओं पर नोटिस जारी किया।पीठ ने इस मुद्दे पर दायर एक जनहित याचिका (PIL) पर नोटिस जारी करने से इनकार करते हुए...
रिटायरमेंट के बाद अनुशासनात्मक कार्यवाही अमान्य: जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट
जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट के जस्टिस संजीव कुमार और जस्टिस संजय परिहार की खंडपीठ ने कहा कि रिटायरमेंट के बाद किसी सरकारी कर्मचारी के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही शुरू नहीं की जा सकती और पेंशन से वसूली तभी संभव है, जब लापरवाही या धोखाधड़ी के कारण सरकार को वित्तीय नुकसान पहुंचाने का कोई विशिष्ट आरोप विधिवत रूप से स्थापित और सिद्ध हो जाए।पृष्ठभूमि तथ्ययाचिकाकर्ता को 11 नवंबर, 1990 को जम्मू-कश्मीर पुलिस में उप-निरीक्षक के पद पर नियुक्त किया गया था। 31 मार्च, 2000 को उन्हें निरीक्षक के पद पर पदोन्नत...
लिव-इन पार्टनर से भरण-पोषण का हक़ नहीं, जब उसी पर लगाया हो रेप का आरोप: जम्मू-कश्मीर-लद्दाख हाईकोर्ट
जम्मू-कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने अहम फैसले में स्पष्ट किया कि कोई महिला अपने लिव-इन पार्टनर से भरण-पोषण की मांग नहीं कर सकती यदि उसने उसी पर रेप का आरोप लगाया हो और उसे दोषी ठहराया गया हो।जस्टिस विनोद चटर्जी कौल की पीठ ने प्रिंसिपल सेशन जज कठुआ का आदेश बरकरार रखा, जिसमें मजिस्ट्रेट द्वारा महिला को दी गई अंतरिम भरण-पोषण राशि को रद्द कर दिया गया था।महिला का कहना था कि वह 10 वर्षों तक प्रतिवादी के साथ रही एक बच्चा भी हुआ और विवाह का आश्वासन दिया गया लेकिन शादी नहीं हुई। उसने दलील दी कि लंबे समय...
मुकदमा लंबित होने पर भी अपराधी को अपनी जमीन बेचने का अधिकार: जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाईकोर्ट
जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाईकोर्ट ने कहा है कि किसी व्यक्ति के खिलाफ आपराधिक मामला लंबित होना, उसकी अचल संपत्ति बेचने के अधिकार से उसे वंचित करने का आधार नहीं हो सकता। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि “अपराधी को भी अपनी जमीन बेचने का अधिकार है।”जस्टिस संजय धर की पीठ ने यह टिप्पणी उस याचिका पर सुनवाई करते हुए की जिसे अरुण देव सिंह ने दायर किया था। उन्होंने यह याचिका इसलिए दाखिल की थी क्योंकि राजस्व अधिकारियों ने उनकी ज़मीन (गांव कहनाल, तहसील बिश्नाह, जिला जम्मू) के लिए फर्द इंतिखाब (राजस्व अभिलेख)...
जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट में बनेगी तीन जजों की विशेष पीठ, 25 किताबों की जब्ती के खिलाफ होगी सुनवाई
जम्मू-कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट 25 पुस्तकों की जब्ती के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुनवाई के लिए तीन जजों की विशेष पीठ गठित करेगी।ये किताबें कश्मीर के राजनीतिक और सामाजिक इतिहास पर आधारित हैं, जिन्हें सरकार ने अलगाववाद फैलाने के आरोप में धारा 98 भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) 2023 के तहत जब्त घोषित किया है।चीफ जस्टिस अरुण पाली ने मंगलवार को कहा कि क़ानून के तहत ऐसी याचिकाओं की सुनवाई विशेष पीठ द्वारा ही की जानी चाहिए और इस संबंध में आदेश जल्द पारित किए जाएंगे।सीनियर एडवोकेट वृंदा ग्रोवर ने चीफ...
राज्य अपनी वित्तीय जिम्मेदारियों से नहीं बच सकता: जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने ठेकेदार को बकाया भुगतान के साथ ब्याज देने का आदेश दिया
जम्मू-कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने अहम फैसले में कहा कि राज्य अपनी वित्तीय जिम्मेदारियों से नहीं बच सकता और अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे ठेकेदार को वर्ष 2017 से लंबित 97.87 लाख की राशि 6% ब्याज सहित अदा करें।जस्टिस वसीम सादिक नरगल ने यह आदेश मेसर्स सेंट सोल्जर इंजीनियर एंड कॉन्ट्रैक्टर प्राइवेट लिमिटेड की याचिका पर सुनवाई के दौरान पारित किया। अदालत ने टिप्पणी की कि प्रशासनिक देरी या धन की कमी का बहाना बनाकर स्वीकृत भुगतान को रोकना मनमाना और असंवैधानिक है।मामला उस समय शुरू हुआ, जब...
लोक अभियोजक द्वारा ब्रीफ तैयार करने के लिए समय मांगना 'अपमानजनक' टिप्पणी नहीं, न्यायालय को सहिष्णु होना चाहिए: जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट
जम्मू-कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने ज़ोर देकर कहा कि अदालतों से अपेक्षा की जाती है कि वे लोक सेवकों की छोटी-मोटी चूकों से निपटने में सहिष्णु और उदार हृदय वाले हों। अदालत ने कहा कि केवल इसलिए कि कोई लोक अभियोजक किसी मामले पर बहस करने में असमर्थ है या ब्रीफ तैयार करने के लिए समय मांगता है, यह आलोचना की मांग नहीं है।जस्टिस संजय धर ने यह टिप्पणी किशोर न्याय बोर्ड (JJB), सांबा द्वारा एक सहायक लोक अभियोजक (APP) के विरुद्ध दर्ज की गई अपमानजनक टिप्पणियों को खारिज करते हुए की।उन्होंने कहा,"अगर मामले की...
न्यायपालिका पर आपत्तिजनक टिप्पणी: जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने श्रीनगर SSP को लगाई फटकार
जम्मू-कश्मीर-लद्दाख हाईकोर्ट ने निरोधात्मक हिरासत आदेश रद्द करते हुए श्रीनगर के तत्कालीन SSP इम्तियाज़ हुसैन की कड़ी निंदा की। अदालत ने कहा कि SSP द्वारा तैयार किए गए डोज़ियर में न्यायपालिका के खिलाफ़ की गई टिप्पणियां अवमाननापूर्ण और लोकतांत्रिक व्यवस्था को कमजोर करने वाली हैं।जस्टिस मोक्ष खजूरिया काज़मी की सिंगल बेंच ने पाया कि SSP ने अपने डोज़ियर में लिखा था,"जब भी विषय (हिरासत में लिए गए व्यक्ति) को गिरफ़्तार किया गया, उसने अदालत से जमानत ले ली या हिरासत आदेश को चुनौती दी, क्योंकि वह प्रभाव...
जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने AAP MLA मेहराज दीन मलिक की PSA के तहत गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका पर नोटिस जारी किया
जम्मू-कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने मंगलवार को आम आदमी पार्टी (AAP) के विधायक मेहराज दीन मलिक की हिरासत को चुनौती देने वाली हेबियस कॉर्पस याचिका को स्वीकार कर सरकार को नोटिस जारी किया। यह गिरफ्तारी जम्मू-कश्मीर पब्लिक सेफ़्टी एक्ट (PSA), 1978 के तहत की गई है।जस्टिस विनोद चटर्जी कौल की पीठ ने सरकार को दो सप्ताह में जवाब दाख़िल करने का निर्देश दिया है।सीनियर एडीशनल एडवोकेट जनरल मोनिका कोहली ने प्रतिवादी नंबर 1, 2, 4 और 5 की ओर से नोटिस स्वीकार किया, जबकि प्रतिवादी नंबर 3 को दस्ती नोटिस देने की...
UAPA मामलों में सीधे हाईकोर्ट नहीं जा सकते, NIA Act का इस्तेमाल कर वैधानिक प्रक्रिया को दरकिनार नहीं किया जा सकता: जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट
जम्मू-कश्मीर एंड लद्दाख हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि यदि गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत कोई वैधानिक मंच उपलब्ध है तो कोई भी अपीलकर्ता राष्ट्रीय जांच एजेंसी अधिनियम (NIA Act) की धारा 21 का हवाला देकर सीधे हाई कोर्ट में अपील नहीं कर सकता। न्यायालय ने जोर देकर कहा कि UAPA में संपत्ति की जब्ती से लेकर संबंधित प्राधिकरण द्वारा निर्णय तक की पूरी प्रक्रिया प्रदान की गई है।जस्टिस सिंधु शर्मा और जस्टिस शहजाद अजीम की खंडपीठ ने आतंकवाद से संबंधित गतिविधियों में इस्तेमाल...
अवमानना कार्यवाही में अदालत आदेश की सीमाओं से आगे नहीं जा सकती: जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट
जम्मू-कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि अवमानना कार्यवाही में अदालत उस आदेश की सीमाओं से बाहर नहीं जा सकती, जिसकी अवहेलना का आरोप है। कोर्ट ने कहा कि केवल वही निर्देश जिनका उल्लेख आदेश या निर्णय में स्पष्ट रूप से किया गया हो, या जो स्वयं स्पष्ट हों, उन्हीं को ध्यान में रखा जा सकता है।जस्टिस शहजाद अज़ीम और जस्टिस सिंदु शर्मा की खंडपीठ ने कहा,“अवमानना कानून के क्षेत्राधिकार में काम करते समय अदालत को पहले से व्यक्त की गई बातों से आगे बढ़कर कोई पूरक आदेश या निर्देश जारी नहीं करना चाहिए।...
नाम बदलने का अधिकार मौलिक अधिकार, बोर्ड वैधानिक दस्तावेजों को अनदेखा कर अनुरोध खारिज नहीं कर सकता: जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट
जम्मू-कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि किसी व्यक्ति को अपना नाम बदलने या अपनाने का अधिकार संविधान के तहत मिले मौलिक अधिकारों का हिस्सा है। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि शिक्षा बोर्ड वैधानिक दस्तावेजों पर विचार किए बिना मनमाने ढंग से ऐसे अनुरोधों को खारिज नहीं कर सकता।जस्टिस संजय धर की पीठ मोहम्मद हसन (पहले राज वली) द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी। याचिकाकर्ता ने बोर्ड द्वारा जारी उस आदेश को चुनौती दी, जिसमें उसके हाई स्कूल और इंटरमीडिएट प्रमाणपत्रों में नाम...
आपराधिक न्यायालय को CrPC की धारा 299 लागू करने से पहले अभियुक्त की फरारी के बारे में पूरी तरह से संतुष्ट होना आवश्यक: जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट
जम्मू-कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता अभियुक्त के विरुद्ध CrPC 1973 की धारा 299 (अब BNSS की धारा 335) लागू करने के ट्रायल कोर्ट के आदेश को यह कहते हुए रद्द कर दिया कि यह प्रावधान केवल जांच अधिकारी के अनुरोध पर आकस्मिक रूप से लागू नहीं किया जा सकता।अदालत ने कहा कि ट्रायल कोर्ट ने केवल जांच अधिकारी और कांस्टेबल के बयानों के आधार पर कार्रवाई की, जबकि अभियुक्त के फरार होने के पर्याप्त प्रमाण नहीं है और उसकी तत्काल गिरफ्तारी की कोई संभावना नहीं है।जस्टिस मोहम्मद यूसुफ वानी की पीठ ने ट्रायल...
बच्चों की कस्टडी पर जेंडर के आधार पर कोई वरीयता नहीं: जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट
जम्मू-कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि बच्चों की कस्टडी के मामलों में माता-पिता में से किसी को भी केवल उनके जेंडर के आधार पर वरीयता नहीं दी जा सकती। कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 14 और 15 में निहित समानता और गैर-भेदभाव के संवैधानिक सिद्धांतों पर जोर देते हुए कहा कि ऐसे मामलों में केवल बच्चे का कल्याण ही सर्वोपरि विचार होना चाहिए।जस्टिस जावेद इकबाल वानी ने एक मां की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की, जिसने निचली अदालत के उस आदेश को चुनौती दी थी। इसमें नाबालिग बच्चों...
आतंकी खतरे का हवाला देकर ड्यूटी से गैरहाज़िर रहना सही नहीं: जम्मू-कश्मीर व लद्दाख हाईकोर्ट
जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया कि कोई पुलिसकर्मी केवल आतंकवादी खतरे का हवाला देकर 19 साल तक ड्यूटी से गायब रहने को सही नहीं ठहरा सकता। कोर्ट ने कहा कि इतने लंबे समय तक अनुपस्थिति, वह भी बिना किसी ठोस सबूत के, गंभीर कदाचार है और पुलिस बल के सदस्य के लिए अनुचित आचरण है।चीफ़ जस्टिस अरुण पाली और जस्टिस रजनेश ओसवाल की खंडपीठ ने पाया कि याचिकाकर्ता आतंकी खतरे का दावा साबित करने के लिए कोई सबूत पेश नहीं कर सका। कई नोटिस और आदेश मिलने के बावजूद उसने ड्यूटी जॉइन नहीं की। कोर्ट ने सख्त...
अपीलीय न्यायालय दावेदारों द्वारा प्रति-अपील किए बिना भी Order 41 Rule 33 CPC के तहत दुर्घटना मुआवज़ा बढ़ा सकता है: जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट
जम्मू-कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने कहा कि मोटर दुर्घटना दावा अपीलों में यदि दावा न्यायाधिकरण का निर्णय कमतर पाया जाता है तो हाईकोर्ट दावेदारों द्वारा प्रति-अपील या प्रति-आपत्ति के अभाव में भी मुआवज़े को संशोधित और बढ़ा सकता है।जस्टिस संजय धर की पीठ ने कहा कि दावा न्यायाधिकरण का कर्तव्य है कि वह निष्पक्षता, समता और सद्विवेक के सिद्धांतों के आधार पर "उचित और उचित" मुआवज़ा प्रदान करे।न्यायालय ने इस बात पर ज़ोर दिया कि सीपीसी के आदेश 41 नियम 33 (Order 41 Rule 33 CPC) के तहत अपीलीय शक्तियां व्यापक...
वॉलंटरी रिटायरमेंट के आवेदन पर निर्णय में देरी किसी कर्मचारी को पेंशन लाभों से वंचित नहीं कर सकती: जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट
जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट की जस्टिस संजीव कुमार और जस्टिस संजय परिहार की खंडपीठ ने कहा कि वॉलंटरी रिटायरमेंट के आवेदन पर निर्णय न होने से किसी कर्मचारी को रिटायरमेंट के बाद पेंशन लाभों से वंचित नहीं किया जा सकता।पृष्ठभूमि तथ्यप्रतिवादी को 31.12.1983 को कृषि विभाग में कृषि विस्तार अधिकारी के पद पर नियुक्त किया गया था। उन्होंने 17.04.2006 को अवकाश के लिए आवेदन किया, जो 15.06.2006 तक स्वीकृत था। हालांकि, अवकाश समाप्त होने के बाद उन्होंने कार्यभार ग्रहण नहीं किया। उन्होंने 20.10.2008 को ही कार्यभार...
"जम्मू-कश्मीर में कोई भी असुरक्षित खाद्य पदार्थ प्रवेश न करे": हाईकोर्ट ने सड़े हुए मांस और मिलावटी उत्पादों पर कड़ी कार्रवाई के आदेश दिए
जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने जम्मू-कश्मीर संभागों के पुलिस महानिरीक्षकों और खाद्य सुरक्षा आयुक्त तथा औषधि एवं खाद्य नियंत्रण संगठन, केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि "खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम, 2006 के अनुसार कोई भी असुरक्षित खाद्य पदार्थ केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में प्रवेश न करे।"चीफ जस्टिस अरुण पल्ली और जस्टिस राजेश ओसवाल की खंडपीठ एडवोकेट मीर उमर द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें केंद्र शासित प्रदेश में सड़े और अस्वास्थ्यकर...
















