हाईकोर्ट
केरल में जन-शिकायतों के लिए दहेज निषेध पोर्टल हुआ लागू
राज्य सरकार ने केरल हाईकोर्ट को जनता द्वारा शिकायत दर्ज कराने हेतु समर्पित दहेज निषेध पोर्टल शुरू करने की जानकारी दी।यह दलीलें लॉ ग्रेजुएट और लोक नीति पेशेवर द्वारा दायर जनहित याचिका पर राज्य द्वारा प्रस्तुत प्रति-हलफनामे के माध्यम से दी गईं। इस याचिका में केरल दहेज निषेध नियम 2004 के नियम 5 के तहत की गई शिकायतों और उन पर की गई कार्रवाई के संबंध में राज्य को जवाबदेही सुनिश्चित करने का निर्देश देने की मांग की गई थी।यह प्रति-हलफनामा चीफ जस्टिस नितिन जामदार और जस्टिस बसंत बालाजी की खंडपीठ के समक्ष...
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने समूह ग और घ के पदों की भर्ती प्रक्रियाओं में व्यवस्थागत अनियमितताओं की कड़ी आलोचना की
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने समूह ग और घ के पदों की भर्ती प्रक्रियाओं में व्यवस्थागत अनियमितताओं की कड़ी आलोचना की। हाईकोर्ट ने इस बात पर ज़ोर दिया कि इस तरह की गड़बड़ियां हाशिये पर पड़े वर्गों के विश्वास को गहराई से कम करती हैं, जो इन नौकरियों को सामाजिक-आर्थिक उत्थान का महत्वपूर्ण मार्ग मानते हैं।यह टिप्पणी हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग (HSSC) को प्रतियोगी परीक्षाओं में शामिल होने वाले उम्मीदवारों के बायोमेट्रिक सत्यापन के निर्देश देने वाले अपने आदेश का पालन न करने पर प्रथम दृष्टया अवमानना का...
चुनाव लोकतंत्र की जान हैं, निष्पक्ष और पारदर्शी होने चाहिए, हर वोट की अहमियत है: उत्तराखंड हाईकोर्ट
उत्तराखंड हाईकोर्ट ने हाल ही में यह टिप्पणी की कि चुनाव लोकतंत्र की जीवनरेखा हैं और चूँकि हर वोट मायने रखता है, इसलिए चुनाव स्वतंत्र, निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से कराए जाने चाहिए।जस्टिस रवीन्द्र मैथानी की पीठ ने यह टिप्पणी उस समय की जब वह पुष्पा नेगी द्वारा दायर रिट याचिका पर सुनवाई कर रही थी। नेगी ने यह याचिका इस मांग के साथ दाखिल की थी कि नैनीताल जिला पंचायत अध्यक्ष के आगामी चुनाव को पारदर्शी ढंग से कराए जाने के लिए आवश्यक दिशा-निर्देश दिए जाएँ।नेगी ने अदालत को बताया कि उन्हें चुनाव प्रक्रिया...
पत्नी का कभी-कभार शारीरिक संबंध बनाने से इनकार करना पति के साथ क्रूरता नहीं : मध्यप्रदेश हाईकोर्ट
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने हाल ही में यह टिप्पणी की कि पत्नी का कभी-कभार पति के साथ सहवास से इनकार करना हिंदू विवाह अधिनियम 1955 की धारा 13(1)(i-a) के तहत क्रूरता नहीं माना जा सकता, जब तक कि निरंतर रूप से दांपत्य संबंधों से इनकार न किया गया हो।जस्टिस विशाल धागट और जस्टिस रामकुमार चौबे की खंडपीठ ने यह कहते हुए पति द्वारा दायर प्रथम अपील को खारिज कर दिया कि फैमिली कोर्ट द्वारा तलाक याचिका को ठुकराना सही था।मामला संक्षेप मेंअपीलकर्ता पति ने फैमिली कोर्ट एक्ट 1984 की धारा 19 के तहत हाईकोर्ट का दरवाज़ा...
3 लाख से 1 करोड़ तक के मूल्य वाले ट्रेडमार्क उल्लंघन विवादों की सुनवाई सिविल जज (सीनियर डिवीजन) करेंगे: झारखंड हाईकोर्ट
झारखंड हाईकोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि राज्य में जहां किसी कमर्शियल विवाद का मूल्य 3 लाख रुपये से 1 करोड़ रुपये तक है, वहां सिविल जज (वरिष्ठ प्रभाग), जिसे सिविल कोर्ट के रूप में नामित किया गया है, उनको ट्रेडमार्क उल्लंघन के मामलों की सुनवाई करने का अधिकार है।चीफ जस्टिस तरलोक सिंह चौहान और जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ ने यह निर्णय खाद्य उत्पाद कंपनी खेमका फूड प्रोडक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड द्वारा दायर अपील स्वीकार करते हुए दिया। यह अपील 2024 में सिविल जज (वरिष्ठ प्रभाग)-प्रथम, जमशेदपुर द्वारा...
मुकदमा शुरू न करना पत्नी के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 21 वर्षों से लंबित क्रूरता मामले में प्रतिदिन सुनवाई का आदेश दिया
क्रूरता मामले की सुनवाई शुरू करने के लिए निचली अदालत को निर्देश देने की पत्नी की प्रार्थना पर विचार करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि यह खेदजनक है कि FIR और आरोपपत्र दाखिल करने के दो दशक से अधिक समय बाद भी मुकदमा शुरू नहीं हुआ।जस्टिस विनोद दिवाकर ने कहा कि निचली अदालत के कार्यभार के प्रति न्यायालय सचेत है।उन्होंने कहा,“FIR दर्ज होने के दो दशक से अधिक समय बीत जाने के बावजूद यह खेदजनक है कि निचली अदालत इस मामले में कोई प्रभावी कार्यवाही शुरू करने या संचालित करने में विफल रही है। निचली अदालत की...
NBFC को अधिक ब्याज लेने पर भी NI Act की धारा 139 के तहत चेक धारक के पक्ष में रहेगी धारणा: केरल हाईकोर्ट
केरल हाईकोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि यदि कोई चेक नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनी (NBFC) को जारी किया गया, जिसने केरल मनी लेंडर्स एक्ट के तहत निर्धारित सीमा से अधिक ब्याज वसूला हो तब भी नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट (NI Act) की धारा 139 के तहत चेक धारक के पक्ष में धारणा बनी रहेगी।जस्टिस एम.बी. स्नेहलता ने कहा कि NBFC का पूरा कार्य आरबीआई द्वारा नियंत्रित होता है। इसीलिए उस पर केरल मनी लेंडर्स एक्ट लागू नहीं होता। इसलिए आरोपी द्वारा यह तर्क कि लेन-देन अवैध था और चेक किसी वैध देयता के निर्वहन के लिए...
कॉन्ट्रैक्ट जॉब में मिली मातृत्व अवकाश रेगुलर नौकरी में भी जारी रहेगी: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने कहा कि अनुबंध पर काम करने के दौरान स्वीकृत मातृत्व अवकाश को केवल इसलिए कम नहीं किया जा सकता क्योंकि उसने नियमितीकरण के समय मेडिकल फिटनेस प्रमाण पत्र जमा किया था।छुट्टी रद्द करने के राज्य के आदेश को रद्द करते हुए जस्टिस संदीप शर्मा ने टिप्पणी की कि, "मेडिकल फिटनेस सर्टिफिकेट जमा करने से उत्तरदाताओं को याचिकाकर्ता को 21.8.2021 से 180 दिनों की अवधि के लिए दिए गए मातृत्व अवकाश को कम करने का कोई अधिकार नहीं मिल सकता था। याचिकाकर्ता कामिनी शर्मा ने सितंबर 2018 में अनुबंध के...
स्कूल ने स्टूडेंट का फॉर्म CBSE को नहीं भेजा, कोर्ट ने जताई नाराज़गी: राजस्थान हाईकोर्ट
राजस्थान हाईकोर्ट ने एक स्कूल को तीन बार याद दिलाने के बावजूद सुधार परीक्षा लिखने के लिए एक छात्र का परीक्षा फॉर्म सीबीएसई को नहीं भेजने पर हैरानी जताई है।इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि स्कूल ने पहले ही छात्र को 1.10 लाख रुपये का मुआवजा दिया था और छात्र को विषय के लिए रिपीट पेपर में उपस्थित होने की अनुमति दी गई थी, अदालत ने सीबीएसई को एक सप्ताह में परिणाम घोषित करने का निर्देश देते हुए याचिका का निपटारा कर दिया। जस्टिस अनूप कुमार ढांड ने अपने आदेश में कहा, बोर्ड के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा,...
ग्राम पंचायत के नए प्रतिनिधि पुराने फैसले रद्द नहीं कर सकते: बॉम्बे हाईकोर्ट
बॉम्बे हाईकोर्ट (नागपुर बेंच) ने माना है कि ग्रामपंचायत के निर्वाचित निकाय में बाद में बदलाव, अपने आप में, अपने पहले निकाय द्वारा पारित निर्णयों या प्रस्तावों को रद्द करने का औचित्य नहीं ठहराता है। ऐसा दृष्टिकोण स्थानीय प्रशासन की स्थिरता को कमजोर करेगा और पंचायती राज संस्थाओं के उद्देश्य के विपरीत है।जस्टिस श्रीमती एमएस जावलकर और जस्टिस प्रवीण एस. पाटिल की खंडपीठ सिद्धार्थ ईश्वर मोटघरे द्वारा दायर एक रिट याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें मुख्य कार्यकारी अधिकारी, जिला परिषद, वर्धा के 22 दिसंबर,...
HP Co-Operative Societies Act | किसी को भी बिना सुनवाई के दोषी नहीं ठहराया जा सकता, भले ही अधिनियम में आपत्तियां दर्ज करने का प्रावधान न हो: हाईकोर्ट
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने कहा कि भले ही हिमाचल प्रदेश सहकारी समिति अधिनियम, 1968 में निष्पादन कार्यवाही में आपत्तियां दर्ज करने के लिए विशिष्ट प्रावधान न हों, फिर भी प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत लागू होने चाहिए और ऋणी को सुनवाई का अवसर दिया जाना चाहिए।मंडी के कलेक्टर-सह-उप रजिस्ट्रार का आदेश रद्द करते हुए जस्टिस अजय मोहन गोयल ने टिप्पणी की:"प्राधिकरण द्वारा दिए गए निष्कर्ष कि चूंकि हिमाचल प्रदेश सहकारी समिति अधिनियम और नियमों में निष्पादन कार्यवाही के निर्णय के दौरान कोई आपत्ति दर्ज करने का...
रोजगार अनुबंधों में सेवा समाप्ति के बाद के प्रतिबंधात्मक अनुबंध अनुबंध अधिनियम की धारा 27 के तहत अमान्य: दिल्ली हाईकोर्ट
जस्टिस जसमीत सिंह की दिल्ली हाईकोर्ट की पीठ ने माना कि रोजगार अनुबंधों में सेवा-पश्चात के प्रतिबंधात्मक अनुबंध, जो रोजगार समाप्ति के बाद प्रभावी होते हैं, अमान्य हैं और भारतीय अनुबंध अधिनियम, 1872 (Contract Act) की धारा 27 के तहत प्रवर्तनीय नहीं हैं और संविधान के अनुच्छेद 19(1)(g) का उल्लंघन करते हैं। न्यायालय ने मध्यस्थता और सुलह अधिनियम, 1996 (Arbitration Act) की धारा 9 के तहत आवेदन में दिए गए निषेधाज्ञा रद्द की, जिसने प्रतिवादियों को उनके रोजगार अनुबंधों की समाप्ति के बाद प्रतिस्पर्धी व्यवसाय...
दिल्ली हाईकोर्ट का निर्देश: J&K में खेलो इंडिया वाटर स्पोर्ट्स फेस्टिवल में ड्रैगन बोट रेसिंग जोड़ें
दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया है कि वह केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर से कहे कि वह श्रीनगर के डल झील में 21 से 23 अगस्त तक आयोजित होने वाले खेलो इंडिया वाटर स्पोर्ट्स फेस्टिवल में प्रतिस्पर्धी खेल के रूप में 'ड्रैगन बोट रेसिंग' को शामिल करे।जस्टिस सचिन दत्ता ने कहा कि खेल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्थापित नियमों के अनुसार संहिताबद्ध है और खेलो इंडिया के दिशानिर्देश प्रतिस्पर्धी कैलेंडर में उभरते हुए खेलों को शामिल करने की संभावना को बाहर नहीं करते हैं। "प्रतिवादी नंबर 1 को उक्त...
सिर्फ रोते हुए देखने से दहेज उत्पीड़न साबित नहीं होता: दहेज मौत मामले में दिल्ली हाईकोर्ट
दहेज हत्या और क्रूरता के मामले में पति और उसके परिवार के सदस्यों को आरोपमुक्त किए जाने को बरकरार रखते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि मृतक को रोते हुए दिखाने मात्र से दहेज उत्पीड़न का कोई मामला नहीं बनता है।जस्टिस नीना बंसल कृष्णा ने कहा कि मृतक के भाई और बहन के बयानों से प्रथम दृष्टया भी स्थापित नहीं होता कि मृतक को उनकी कथित मांगों को पूरा करने के लिए ससुराल वालों द्वारा प्रताड़ित किया जा रहा था। "मृतक की बहन का बयान CrPC की धारा 161 के तहत दर्ज किया गया था, जिसमें उसने यह भी कहा था कि होली के...
दलित छात्र की मौत पर झारखंड हाईकोर्ट की BIT मेसरा को फटकार, ₹20 लाख मुआवजा और रैगिंग रोकने के निर्देश
झारखंड हाईकोर्ट ने बीआईटी मेसरा, पॉलिटेक्निक कॉलेज द्वारा तीसरे सेमेस्टर के छात्र के माता-पिता को 20 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया है, जिसे कथित तौर पर हरिजन/दलित के नाम पर जातिवादी गालियों का शिकार होना पड़ा था और कई हिंसक हमलों के कारण उसकी मौत हो गई थी।जस्टिस संजय प्रसाद ने घटना को 'नृशंस हमला' करार देते हुए कॉलेज को उनके लापरवाह रवैये और खराब प्रशासन के लिए आड़े हाथ लिया, जिसमें आवश्यक अनुशासन बनाए रखने में उनकी विफलता भी शामिल है, जिसके परिणामस्वरूप छात्र की दुखद मौत हुई। अदालत...
[Section 223 BNSS] अभियुक्तों को सुने बिना ED की शिकायत पर संज्ञान नहीं लिया जा सकता: दिल्ली हाईकोर्ट
दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि विशेष अदालत अभियुक्तों को सुनवाई का अवसर दिए बिना प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा दायर शिकायत पर संज्ञान नहीं ले सकती।जस्टिस रविंदर डुडेजा ने PMLA मामले में एक अभियुक्त की याचिका को खारिज करते हुए स्पेशल जज का आदेश रद्द कर दिया, जिसमें भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 (BNSS) की धारा 223 के प्रावधान के तहत धन शोधन मामले में संज्ञान-पूर्व सुनवाई की मांग की गई।न्यायालय ने कहा कि यह आदेश धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 (PMLA) के तहत दायर अभियोजन शिकायत पर BNSS की धारा 223 की...
जनहित में लोकस स्टैंडी पर शिथिल नियमों का इस्तेमाल समाप्त मुकदमे को अप्रत्यक्ष रूप से चुनौती देने के लिए नहीं किया जा सकता: जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट
जम्मू-कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने श्रीनगर नगर निगम (SMC) द्वारा इमारत के स्वीकृत नक्शे में मामूली विचलन के नियमितीकरण को चुनौती देने वाली एक रिट याचिका खारिज की। न्यायालय ने कहा कि याचिकाकर्ता का कोई लोकस स्टैंडी नहीं है और यह मामला प्रक्रिया का दुरुपयोग है।जस्टिस वसीम सादिक नरगल की पीठ ने कहा,"यह जनहित या प्रणालीगत अवैधता से जुड़े मामलों में लोकस स्टैंडी के उदारीकरण को स्वीकार करता है, इस तरह की शिथिलता का इस्तेमाल ऐसे लोगों द्वारा समाप्त मुकदमे को अप्रत्यक्ष रूप से चुनौती देने की अनुमति देने...
Delhi Judicial Services Rules | रिक्तियों के भरे जाने के बाद नियुक्त उम्मीदवार के त्यागपत्र देने पर भी प्रतीक्षा सूची में शामिल उम्मीदवार सेवा में शामिल नहीं हो सकता: हाईकोर्ट
दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि दिल्ली न्यायिक सेवा नियम 1970 के अनुसार, यदि न्यायिक अधिकारियों के सभी रिक्त पद शुरू में भर दिए जाते हैं। बाद में कोई नियुक्त जज त्यागपत्र दे देता है तो ऐसी रिक्तियों को नई रिक्तियां माना जाता है, जिन्हें प्रतीक्षा सूची में अगले स्थान पर मौजूद उम्मीदवार द्वारा नहीं भरा जा सकता।जस्टिस सी. हरि शंकर और जस्टिस ओम प्रकाश शुक्ला की खंडपीठ ने कहा,“नियम 18(vi) के अनुसार, नियम 18 के खंड (v) के आधार पर रिक्ति उत्पन्न होने की स्थिति में ही चयन सूची का उपयोग केवल नियुक्ति के...
आगे विचार करने का निर्देश देने वाले हानिरहित आदेशों द्वारा मामलों का 'शीघ्र' निपटारा न्याय के लिए हानिकारक: आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट
आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने कहा कि किसी दावे या अभ्यावेदन पर विचार करने का निर्देश देने वाले प्रतीततः हानिरहित आदेशों द्वारा कार्यवाही के निपटारे से अत्यधिक बोझ से दबी न्यायिक संस्थाओं में मामलों का त्वरित या आसान निपटारा हो सकता है। हालांकि, ऐसे आदेश न्याय के लिए हानिकारक होने के बजाय अधिक हानिकारक हैं।इस संबंध में जस्टिस तरलादा राजशेखर राव ने स्पष्ट किया,“यह न्यायालय इस तथ्य से अनभिज्ञ नहीं है कि किसी दावे या अभ्यावेदन पर "विचार" करने का निर्देश देने से पहले न्यायालय/अधिकारियों को यह जाँच करनी...
परिवार की जातिगत आपत्तियों के बावजूद शादी का वादा करके शारीरिक संबंध बनाना बेईमानी दर्शाता है और बलात्कार माना जाता है: दिल्ली हाईकोर्ट
दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि यह जानते हुए कि शादी असंभव है, शुरू से ही शादी करने के झूठे वादे के आधार पर किसी महिला के साथ शारीरिक संबंध बनाना बलात्कार का अपराध माना जाएगा।जस्टिस स्वर्णकांत शर्मा ने कहा,"आरोपी द्वारा यह अच्छी तरह जानते हुए कि उसके परिवार में जातिगत कारणों से शादी संभव नहीं है, लंबे समय तक शारीरिक संबंध बनाए रखना दर्शाता है कि शादी का वादा बेईमानी से किया गया, केवल यौन लाभ प्राप्त करने के लिए। ऐसा वादा, जिसे शुरू से ही पूरा करने के इरादे के बिना किया गया हो, न्यायिक उदाहरणों के...
















![[Section 223 BNSS] अभियुक्तों को सुने बिना ED की शिकायत पर संज्ञान नहीं लिया जा सकता: दिल्ली हाईकोर्ट [Section 223 BNSS] अभियुक्तों को सुने बिना ED की शिकायत पर संज्ञान नहीं लिया जा सकता: दिल्ली हाईकोर्ट](https://hindi.livelaw.in/h-upload/2024/09/27/500x300_563013-750x450463969-pmla-delhi-hc1.jpg)



