हाईकोर्ट
'सजा के सुधारात्मक उद्देश्य को नज़रअंदाज़ नहीं कर सकते': दिल्ली हाईकोर्ट ने पॉक्सो दोषी की 3 महीने की सजा घटाई
दिल्ली हाईकोर्ट ने पॉक्सो के एक दोषी को 10 साल तक चले मुकदमे के बाद सुनाई गई तीन महीने की कैद की सजा कम करते हुए कहा कि वह एक दशक बाद उसे समाज से 'उजाड़' नहीं सकता।जस्टिस अमित महाजन ने कहा कि हालांकि न्यायालय अपराधों की गंभीरता से अवगत है, लेकिन वह कारावास के सुधारात्मक और पुनर्वास उद्देश्य के प्रति आंखें नहीं मूंद सकता है। पीठ ने कहा, ''जैसा कि कहा गया है, अपीलकर्ता पहले ही समाज में एकीकृत हो चुका है और कथित घटना के बाद वह इस तरह के व्यवहार में शामिल नहीं हुआ है। अभियोजन पक्ष के अनुसार,...
ट्रायल जज रिश्वत मामले में पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने रियल्टर रूप बंसल की याचिका वापस लेने के अनुरोध पर ईडी से जवाब मांगा
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने रियल एस्टेट डेवलपर रूप बंसल की याचिका पर प्रवर्तन निदेशालय (ED) और हरियाणा सरकार से जवाब मांगा है, जिसमें इस साल अप्रैल में दायर याचिका को वापस लेने की मांग की गई थी, जिसमें ट्रायल कोर्ट के न्यायाधीश को रिश्वत देने की साजिश रचने के लिए उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने की मांग की गई थी।बंसल पर भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के प्रावधानों और IPC की धारा 120B के तहत आपराधिक साजिश रचने का मामला दर्ज किया गया है। प्राथमिकी रद्द करने की उनकी पहली याचिका फरवरी में वापस...
अन्य आरोपी न पकड़े जाएं तो भी एक आरोपी को गैंगरेप के लिए दोषी ठहराया जा सकता है: दिल्ली हाईकोर्ट
दिल्ली हाईकोर्ट ने माना है कि एक व्यक्ति को IPC की धारा 376DA (BNS की धारा 70) के तहत दंडनीय सामूहिक बलात्कार के अपराध के लिए दोषी ठहराया जा सकता है, भले ही सह-अपराधी मुकदमे से बचने का प्रबंधन करता हो।जस्टिस प्रतिभा एम. सिंह और जस्टिस रजनीश कुमार गुप्ता की खंडपीठ ने दोषसिद्धि के खिलाफ अपील पर सुनवाई करते हुए कहा, "अपीलकर्ता की एक दलील यह भी है कि चूंकि कथित सह-आरोपी कालू को गिरफ्तार नहीं किया गया है और केवल अपीलकर्ता को कथित अपराधों के लिए दोषी ठहराया गया है, इसलिए, यह सामूहिक बलात्कार का मामला...
जाली दस्तावेजों पर प्राप्त नियुक्तियां शुरू से ही अमान्य, अनुशासनात्मक कार्यवाही के बिना भी रद्द की जा सकती हैं: इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने व्यवस्था दी है कि जाली और धोखाधड़ी वाले दस्तावेज़ों के आधार पर प्राप्त नियुक्तियां शुरू से ही अमान्य हैं और इसलिए सेवा में बने रहने या वेतन का दावा करने का कोई अधिकार नहीं देतीं। जस्टिस मंजू रानी चौहान की पीठ ने कहा कि ऐसे मामलों में, नियुक्ति रद्द करने से पहले, भारत के संविधान के अनुच्छेद 311 या किसी अनुशासनात्मक नियम के तहत अनुशासनात्मक कार्यवाही नहीं की जाएगी।इसके साथ ही, एकल न्यायाधीश ने एक प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक की रिट याचिका खारिज कर दी, जिसमें सहायक शिक्षक के पद...
दिल्ली हाईकोर्ट ने 9 साल की बेटी से बार-बार बलात्कार करने के मामले में पिता की दोषसिद्धि बरकरार रखी, कहा- गवाहों की विश्वसनीयता अटूट
दिल्ली हाईकोर्ट ने 2017 में अपनी 9 साल की नाबालिग बेटी से हर रात बार-बार बलात्कार करने के मामले में एक पिता की दोषसिद्धि और 10 साल की सज़ा को बरकरार रखा है। जस्टिस मनोज कुमार ओहरी ने कहा कि पिता उन किसी भी गवाह की विश्वसनीयता को नहीं हिला पाया, जिन्होंने गहन जांच करके अभियोजन पक्ष के मामले का समर्थन किया था और अभियोजन पक्ष के मामले में कोई गंभीर खामी नहीं बताई या एमएलसी या एफएसएल रिपोर्ट के निष्कर्षों की व्याख्या नहीं की।अदालत ने कहा, "अभियोजन पक्ष तथ्यों की नींव रखने में सक्षम रहा है और इस...
मामूली अपराध में संलिप्तता का खुलासा न करने पर सेवा से हटाना कठोर सजा, बॉम्बे हाईकोर्ट ने सेवा समाप्ति को रद्द किया
बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा कि किसी मामूली अपराध के लिए पूर्व में दोषसिद्धि का खुलासा न करना, अपने आप में, अनुकंपा के आधार पर नियुक्त चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी की बर्खास्तगी को उचित नहीं ठहरा सकता। न्यायालय ने कहा कि सेवा से बर्खास्तगी का कठोर दंड देने से पहले अधिकारियों को अपराध की प्रकृति, पद के कर्तव्यों और कर्मचारी की पारिवारिक परिस्थितियों पर विचार करना आवश्यक है। जस्टिस प्रवीण एस पाटिल और जस्टिस श्रीमती एमएस जावलकर की खंडपीठ नितिन सदाशिव खापने द्वारा दायर एक रिट याचिका पर सुनवाई कर रही थी,...
दिल्ली हाईकोर्ट ने निजी स्कूलों द्वारा आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के छात्रों को महंगी किताबें खरीदने के लिए मजबूर करने के खिलाफ जनहित याचिका पर नोटिस जारी किया
दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार (27 अगस्त) को एक जनहित याचिका पर नोटिस जारी किया, जिसमें राष्ट्रीय राजधानी के निजी स्कूलों से आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के छात्रों को महंगी निजी प्रकाशकों की किताबें और अत्यधिक स्कूली सामग्री "जबरन खरीद" के ज़रिए "व्यवस्थित रूप से बाहर" करने का आरोप लगाया गया है। चीफ जस्टिस डीके उपाध्याय और जस्टिस तुषार राव गेडेला की खंडपीठ ने दिल्ली सरकार, सीबीएसई और एनसीईआरटी से जवाब मांगा है।यह याचिका दून स्कूल के निदेशक जसमीत सिंह साहनी ने अधिवक्ता सत्यम सिंह राजपूत के...
बिहार शराबबंदी अधिनियम के तहत दोषी ठहराने के लिए केवल ब्रेथलाइज़र परीक्षण अपर्याप्त: पटना हाईकोर्ट
पटना हाईकोर्ट ने बिहार शराबबंदी अधिनियम के तहत एक दोषसिद्धि को खारिज कर दिया है। न्यायालय ने कहा है कि रक्त या मूत्र के साक्ष्य के बिना श्वास विश्लेषक परीक्षण (Breathalyser Test) अपने आप में अपर्याप्त है और निष्पक्ष जांच में खामियों की ओर इशारा किया है।अदालत ने एक अपील को स्वीकार करते हुए एक व्यक्ति को बिहार के सख्त शराबबंदी कानून का उल्लंघन करते हुए कथित तौर पर शराब पीने के लिए एक वर्ष की साधारण कारावास की सजा सुनाई गई थी, जिसे रद्द कर दिया गया।अदालत ने प्रक्रियात्मक खामियों की ओर इशारा किया,...
NEET-UG 2025: OBC-NCL उम्मीदवार को राहत, राजस्थान हाईकोर्ट ने कहा- राज्य सीटों पर मिलेगा आरक्षण लाभ
राजस्थान हाईकोर्ट ने NEET-UG 2025 में महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए ऐसे अभ्यर्थी को राहत दी, जिसे राज्य सूची में OBC-NCL (अन्य पिछड़ा वर्ग-गैर क्रीमी लेयर) श्रेणी का होने के बावजूद पहले चरण की काउंसलिंग में सामान्य वर्ग (जनरल कैटेगरी) में माना गया।जस्टिस संजीव प्रकाश शर्मा और जस्टिस संजीत पुरोहित की खंडपीठ ने आदेश दिया कि उक्त अभ्यर्थी को राज्य कोटे की सीटों के लिए OBC-NCL श्रेणी में ही माना जाएगा। अदालत ने राज्य सरकार को यह भी निर्देश दिया कि वह इसी प्रकार की स्थिति वाले अन्य अभ्यर्थियों के लिए...
पाकिस्तानी नागरिकता का औपचारिक त्याग किए बिना भारतीय नागरिकता नहीं, केवल पासपोर्ट जमा करना अपर्याप्त: केरल हाईकोर्ट
केरल हाईकोर्ट ने हाल ही में व्यवस्था दी है कि किसी विदेशी नागरिक को, उसके मूल देश (इस मामले में पाकिस्तान) द्वारा जारी पासपोर्ट जमा करने मात्र से, त्याग प्रमाण पत्र के अभाव में भारत की नागरिकता नहीं दी जा सकती। अदालत केंद्र सरकार की उस अपील पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें एकल न्यायाधीश के उस आदेश के खिलाफ अपील की गई थी, जिसमें दो पाकिस्तानी नाबालिगों (प्रतिवादी 2 और 3) को त्याग प्रमाण पत्र पर ज़ोर दिए बिना भारतीय नागरिकता प्रदान करने की अनुमति दी गई थी।चूंकि पाकिस्तान नागरिकता अधिनियम की धारा 14A...
दिल्ली हाईकोर्ट ने दोहराया कि आरोपपत्र दाखिल करते समय केवल FSL रिपोर्ट दाखिल न होने से NDPS आरोपी को डिफ़ॉल्ट जमानत का अधिकार नहीं मिल जाता
दिल्ली हाईकोर्ट ने दोहराया कि ड्रग्स मामले में फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला रिपोर्ट दाखिल न करने से आरोपपत्र अमान्य नहीं होता और अभियुक्त इसे डिफ़ॉल्ट ज़मानत का आधार नहीं बना सकता। संदर्भ के लिए, CrPC की धारा 167(2) और नारकोटिक्स ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट 1985 की धारा 36ए(4) के संयुक्त अध्ययन से यह प्रावधान है कि यदि 180 दिनों की निर्धारित अवधि बीत जाने के बाद भी किसी विशेष NDPS एक्ट मामले में जांच अधूरी रहती है तो अभियुक्त के पक्ष में ज़मानत का एक अपूरणीय अधिकार प्राप्त होता...
DV Act| S. 468, CrPC के तहत परिसीमा सुरक्षा आदेश की मांगने पर लागू नहीं होतीं, केवल धारा 31 के तहत दंडात्मक कार्यवाही पर लागू होती हैं: J&K हाईकोर्ट
जम्मू एंड कश्मीर हाईकोर्ट ने कहा कि दंड प्रक्रिया संहिता (अब BNSS, 2023 की धारा 514) की धारा 468 के तहत परिसीमा का प्रतिबंध, घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम, 2005 (घरेलू हिंसा अधिनियम) की धारा 12 और 23 के तहत दायर आवेदनों पर लागू नहीं होता है। घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत ये धाराएं पीड़ित महिलाओं को सुरक्षा आदेश, निवास आदेश आदि या अंतरिम या एकपक्षीय राहत जैसी राहत का दावा करने का अधिकार देती हैं। हालांकि, न्यायालय ने स्पष्ट किया कि परिसीमा प्रावधान केवल घरेलू हिंसा अधिनियम की धारा 31 के...
भगवान प्रतिद्वंद्विता का साधन नहीं, आस्था जिम्मेदारी से निभाएं: गणेश प्रतिमा स्थापना याचिकाओं पर मद्रास हाईकोर्ट
विनायक चतुर्थी के अवसर पर भगवान गणेश की प्रतिमाएं स्थापित करने की अनुमति से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए मद्रास हाईकोर्ट ने कड़ी टिप्पणियां कीं। अदालत ने कहा कि कई याचिकाएं वास्तविक धार्मिक भावना से अधिक अहंकार, सामाजिक वर्चस्व और व्यक्तिगत प्रतिद्वंद्विता के प्रदर्शन के उद्देश्य से दायर की जा रही हैं।जस्टिस बी. पुगालेंधि ने कहा कि ईश्वर का इस्तेमाल व्यक्तिगत झगड़े सुलझाने या प्रभाव जमाने के लिए नहीं किया जा सकता। जज ने टिप्पणी करते हुए कहा,“ईश्वर एकता, शांति और आध्यात्मिक उत्थान का...
दिल्ली हाईकोर्ट ने 'बंबिहा' गिरोह को हथियार आपूर्ति करने के आरोप में UAPA के तहत आरोपी व्यक्ति की ज़मानत खारिज की, कहा- गिरफ्तारी अवैध नहीं
दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार (25 अगस्त) को देश, खासकर राष्ट्रीय राजधानी में आतंकवादी गतिविधियों की कथित साजिश को आगे बढ़ाने के लिए बंबिहा गिरोह को हथियार और गोला-बारूद की आपूर्ति करने के आरोप में UAPA के तहत गिरफ्तार एक आरोपी को ज़मानत देने से इनकार किया।जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद और जस्टिस हरीश वैद्यनाथन शंकर की खंडपीठ ने पाया कि आरोपी के घर से भारी मात्रा में हथियार और गोला-बारूद बरामद किया गया।अदालत सेशन कोर्ट द्वारा उसकी ज़मानत खारिज किए जाने के खिलाफ लखवीर सिंह द्वारा दायर अपील पर विचार कर रही...
'केवल पुनर्विचार याचिका दायर करने की संभावना जब्त सामान रोके रखने का आधार नहीं': दिल्ली हाईकोर्ट ने सोने के आभूषण वापस करने का आदेश दिया
दिल्ली हाईकोर्ट ने मुस्लिम महिला को राहत प्रदान की, जिसकी मक्का से लौटने पर सोने की चूड़ियां कस्टम विभाग द्वारा जब्त कर ली गई थीं। इन चूड़ियों को निर्णायक प्राधिकारी के आदेश के बावजूद उन्हें रोक लिया गया, जिसमें रिहाई का निर्देश दिया गया।जस्टिस प्रतिभा एम. सिंह और जस्टिस शैल जैन की खंडपीठ ने कहा कि केवल इसलिए कि विभाग वापसी के आदेश की पुनर्विचार करने की योजना बना रहा है, जैसा कि अपीलीय प्राधिकारी ने बरकरार रखा है, जब्त वस्तुओं की वापसी को रोकने का आधार नहीं है।याचिकाकर्ता के मक्का से दिल्ली...
'गिरफ्तारी से पहले नोटिस देने का कोई भी व्यापक आदेश पारित नहीं किया जा सकता': पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने पूर्व अकाली दल सदस्य रंजीत गिल की याचिका खारिज की
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने कहा कि किसी आरोपी को पूर्ण सुरक्षा प्रदान नहीं की जा सकती, क्योंकि जांच एजेंसी को गिरफ्तारी से पहले पूर्व नोटिस देने की आवश्यकता होती है, क्योंकि ऐसा करना गैर-जमानती अपराध करने के कथित आरोपी के विरुद्ध उसके अधिकार को कम करने के समान होगा।यह टिप्पणी शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के पूर्व सदस्य रंजीत सिंह गिल द्वारा दायर एक याचिका को खारिज करते हुए की गई। गिल ने राज्य सरकार को निर्देश देने की मांग की थी कि यदि उन्हें किसी आपराधिक मामले में गिरफ्तार किया जाना आवश्यक हो तो...
क्लबों में शराब बिक्री 'परेशानी का कारण', सरकार प्रभावशाली/राजनीतिज्ञ मालिकों के दबाव में अनुमति दे रही: मद्रास हाईकोर्ट
मद्रास हाईकोर्ट ने कहा कि कई मनोरंजन क्लब केवल शराब बेचने में लगे हुए हैं और यह सुनिश्चित करने के लिए निर्देश जारी किए हैं कि लाइसेंस सत्यापन के बाद ही जारी किए जाएं और उचित कार्रवाई की जाए।जस्टिस एसएम सुब्रमण्यम और जस्टिस जी अरुल मुरुगन की खंडपीठ ने कहा कि ये क्लब उनके आसपास रहने वाले लोगों के लिए परेशानी का सबब बन रहे हैं। खंडपीठ ने यह भी कहा कि सरकार क्लबों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर रही है क्योंकि कई मामलों में क्लब प्रभावशाली व्यक्तियों के मालिक हैं। "ये मनोरंजन क्लब आस-पास के...
गैस आपूर्ति के अनुबंधों में उपयोग पर प्रतिबंध लगाने वाली सरकारी अधिसूचनाएं अनुच्छेद 12 के तहत कानून हैं, इनका पालन किया जाना चाहिए: दिल्ली हाईकोर्ट
दिल्ली हाईकोर्ट ने धारा 34 के तहत एक याचिका को खारिज करते हुए कहा कि पक्षों के बीच हुए पांच अनुबंध सरकार द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों के अधीन थे। सब्सिडी वाले मूल्य पर गैस उपलब्ध कराकर, सरकार को ऐसी गैस के उपयोग को विनियमित करने का अधिकार प्राप्त है। न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने माना कि पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय ("एमओपीएनजी") ने याचिकाकर्ता को एपीएम गैस के उपयोग से संबंधित सरकार की नीति से अवगत करा दिया था। विद्वान एकमात्र मध्यस्थ का यह मानना सही था कि गैस का खरीदार अनुबंध...
दिल्ली हाईकोर्ट ने GST डिपार्टमेंट की खिंचाई की; पंजीकरण रद्द करने की याचिका खारिज करने पर, रेट्रोस्पेक्टिव रद्दीकरण पर सवाल उठाया
दिल्ली हाईकोर्ट ने हाल ही में जीएसटी विभाग द्वारा एक व्यापारी के जीएसटी पंजीकरण को चिकित्सा आधार पर पूर्वव्यापी प्रभाव से रद्द करने के आवेदन को खारिज करने और बाद में पूर्वव्यापी प्रभाव से उसका पंजीकरण रद्द करने पर अपनी असहमति व्यक्त की। जस्टिस प्रतिभा एम. सिंह और जस्टिस शैल जैन की खंडपीठ ने कहा कि यह दृष्टिकोण "पूरी तरह से विवेक का प्रयोग न करने" को दर्शाता है, और विभाग को दोनों मुद्दों पर नए सिरे से निर्णय लेने का निर्देश दिया।पीठ ने कहा, "स्पष्ट रूप से, याचिकाकर्ता स्वयं अपना पंजीकरण रद्द...
'समर्थन वाले हलफनामे के बिना दस्तावेजों का पता न लग पाना द्वितीयक साक्ष्य की अनुमति देने का आधार नहीं': बॉम्बे हाईकोर्ट
बॉम्बे हाईकोर्ट ने माना कि बिना किसी सहायक हलफनामे के, केवल दस्तावेजों की अनुपलब्धता या अनुपलब्धता का दावा, भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 के तहत द्वितीयक साक्ष्य प्रस्तुत करने की अनुमति देने के लिए पर्याप्त आधार नहीं बन सकता। न्यायालय ने केंद्र सरकार औद्योगिक न्यायाधिकरण (CGIT) के उस फैसले को बरकरार रखा जिसमें हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड को द्वितीयक साक्ष्य प्रस्तुत करने की अनुमति देने से इनकार कर दिया गया था। जस्टिस प्रफुल्ल एस खुबालकर, हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड...




















