पासपोर्ट में देरी यात्रा के अधिकार में बाधा: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पुलिस को 4 हफ्तों में सत्यापन पूरा करने का निर्देश दिया
Praveen Mishra
10 Nov 2025 3:12 PM IST

पासपोर्ट जारी करने की प्रक्रिया में देरी को लेकर चिंता जताते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक अहम आदेश में कहा है कि पुलिस को पासपोर्ट आवेदनों से संबंधित सत्यापन रिपोर्ट चार हफ्तों के भीतर पूरी कर के प्रस्तुत करनी होगी।
जस्टिस अजीत कुमार और जस्टिस स्वरूपमा चतुर्वेदी की खंडपीठ ने यह निर्देश एक मामले की सुनवाई के दौरान दिया, जिसमें पासपोर्ट नवीनीकरण को लेकर देरी का मुद्दा उठा था। अदालत ने कहा कि पुलिस सत्यापन में देरी, विशेष रूप से ऐसे मामलों में जहाँ किसी आरोपी को केवल एक वर्ष की अवधि के लिए पासपोर्ट पुनः जारी करना होता है, उनके यात्रा के संवैधानिक अधिकार को प्रभावित कर रही है।
“हाईकोर्ट में पासपोर्ट से जुड़े मामलों की बाढ़”
अदालत ने यह भी कहा कि वह लगातार ऐसे मामलों से “भर गई” है जहाँ पासपोर्ट आवेदक बिना किसी नोटिस या जवाब दिए सीधे कोर्ट पहुँच जाते हैं।
आदेश में कहा गया,
“पासपोर्ट आवेदक कई बार पासपोर्ट कार्यालय से नोटिस आने की प्रतीक्षा किए बिना ही कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाते हैं। कभी-कभी वे नोटिस का उत्तर भी नहीं देते और सीधे अदालत से निर्देश की मांग करते हैं।”
कोर्ट ने कहा — पहले NOC लो, फिर कोर्ट आओ
हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि यदि पासपोर्ट आवेदन लंबित है क्योंकि आवेदक किसी आपराधिक मामले में आरोपी है, तो उसे पहले संबंधित अदालत या पुलिस से आवश्यक अनुमति (NOC) प्राप्त करनी चाहिए। केवल उसके बाद ही वह कोर्ट का रुख कर सकता है।
चार हफ्तों में पुलिस सत्यापन पूरा करने का आदेश
विदेश मंत्रालय द्वारा जून 2025 में जारी नागरिक चार्टर का उल्लेख करते हुए अदालत ने कहा कि पासपोर्ट जारी करने की निर्धारित समयसीमा (30 दिन) और पुनः निर्गमन की समयसीमा (7 दिन) में पुलिस सत्यापन अवधि को शामिल नहीं किया गया है, जिससे देरी होती है।
इस पृष्ठभूमि में अदालत ने कहा,
“पुलिस विभाग को चाहिए कि पासपोर्ट आवेदनों से संबंधित सभी सत्यापन फाइलों को तत्परता से निपटाए और अधिकतम चार हफ्तों के भीतर रिपोर्ट प्रस्तुत करे। किसी भी प्रकार की प्रशासनिक देरी को सख्ती से रोका जाए, जब तक कि कोई असाधारण परिस्थिति न हो।”
प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने के लिए कोर्ट के मुख्य निर्देश
1. आवेदक पहले पासपोर्ट कार्यालय के नोटिस का उत्तर दें और तुरंत कोर्ट न जाएं।
2. यदि पासपोर्ट किसी आपराधिक मामले के कारण लंबित है, तो पहले आवश्यक अनुमति/NOC प्राप्त करें।
3. पासपोर्ट कार्यालय किसी भी मामले में अनावश्यक देरी न करे और आवेदन मिलने के एक माह के भीतर निर्णय की जानकारी दे।
4. जैसे ही NOC प्रस्तुत हो, आवेदन पर एक माह के भीतर अंतिम निर्णय लिया जाए।
5. पुलिस सत्यापन रिपोर्ट चार हफ्तों में अनिवार्य रूप से जमा की जाए।
कोर्ट ने पासपोर्ट वैधता पर भी दी स्पष्टता
हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि यदि किसी अपराधिक अदालत ने विदेश यात्रा की अनुमति या NOC तो दी है लेकिन पासपोर्ट की अवधि का उल्लेख नहीं किया, तो पासपोर्ट प्राधिकरण एक वर्ष की वैधता वाला पासपोर्ट जारी करने का अधिकार रखता है।
मामला क्या था
यह आदेश रहीमुद्दीन बनाम भारत संघ मामले में दिया गया। याचिकाकर्ता रहीमुद्दीन ने पहले हाईकोर्ट से पासपोर्ट जारी करने की मांग की थी, जबकि उन पर धारा 447 IPC और पब्लिक प्रॉपर्टी को नुकसान से रोकथाम अधिनियम, 1984 की धारा 3 के तहत मामला लंबित था।
हाईकोर्ट ने पहले निर्देश दिया था कि वे संबंधित आपराधिक अदालत से NOC लें। इसके बाद मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (CJM) ने 10 अक्टूबर 2024 को NOC जारी की, जिसके आधार पर क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय, बरेली ने एक वर्ष के लिए पासपोर्ट जारी किया।
बाद में रहीमुद्दीन ने पूरे दस वर्ष की अवधि के लिए पासपोर्ट नवीनीकरण की मांग की, यह कहते हुए कि अनुमति मिल जाने के बाद पासपोर्ट अधिनियम, 1967 में निर्धारित अवधि लागू होनी चाहिए। लेकिन पासपोर्ट विभाग ने कहा कि चूंकि अदालत के आदेश में अवधि का उल्लेख नहीं था, इसलिए विदेश मंत्रालय की 25 अगस्त 1993 की अधिसूचना के अनुसार एक वर्ष की वैधता ही दी जा सकती थी।
इसी निर्णय को चुनौती देते हुए दायर याचिका पर हाईकोर्ट ने यह व्यापक आदेश जारी किया, जिसमें पुलिस सत्यापन प्रक्रिया को समयबद्ध करने का निर्देश शामिल है।

