हाईकोर्ट
मामले के निपटारे के बाद दायर आवेदन में निपटान शर्तों को संशोधित करने का DRT के पास कोई अधिकार नहीं: राजस्थान हाईकोर्ट
राजस्थान हाईकोर्ट ने माना कि ऋण वसूली न्यायाधिकरण (डीआरटी) को सहमति वसूली प्रमाण पत्र के आधार पर मामले के निपटारे के बाद दायर आवेदन के संबंध में एकमुश्त निपटान (ओटीएस)/निपटान के नियमों और शर्तों को फिर से लिखने/संशोधित करने का कोई अधिकार नहीं है। जस्टिस अनूप कुमार ढांड की पीठ डीआरटी के उस आदेश के विरुद्ध एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें प्रतिवादी द्वारा राशि चुकाने के लिए और समय मांगने हेतु दायर आवेदन को स्वीकार कर लिया गया था, जबकि SRFAESI अधिनियम के तहत मामले का निपटारा डीआरटी द्वारा...
नए ऑनलाइन गेमिंग कानून के तहत प्राधिकरण गठन और नियम बनाने की प्रक्रिया शुरू होगी : केंद्र ने दिल्ली हाईकोर्ट में बताया
केंद्र सरकार ने मंगलवार को दिल्ली हाईकोर्ट को आश्वस्त किया कि हाल ही में पारित ऑनलाइन गेमिंग (प्रोत्साहन एवं विनियमन) अधिनियम 2025 के तहत प्राधिकरण के गठन और आवश्यक नियम-कायदों के निर्माण की प्रक्रिया शीघ्र ही शुरू की जाएगी।सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने चीफ जस्टिस डी.के. उपाध्याय और जस्टिस तुषार राव गेडेला की खंडपीठ के समक्ष यह बयान दिया। उन्होंने कहा कि अधिनियम की धारा 1(3) के अंतर्गत अधिसूचना जारी होने के बाद प्राधिकरण का गठन और नियमावली तैयार की जाएगी।मामला बघीरा कैरम (ओपीसी) प्रा. लि. की...
विधेयक/नियमों का अंग्रेज़ी वर्ज़न ही मान्य, हिंदी अनुवाद नहीं: इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि किसी भी विधेयक आदेश या सेवा नियमावली के अंग्रेज़ी संस्करण को ही अधिकृत और प्रभावी माना जाएगा, न कि उसके हिंदी अनुवाद को।जस्टिस मनीष माथुर ने यह निर्णय यूपी औद्योगिक शिक्षण संस्थान (अनुदेशक) सेवा नियमावली, 2014 से जुड़े मामले की सुनवाई में दिया। अदालत ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 348(3), सुप्रीम कोर्ट के निर्णयों और इलाहाबाद हाईकोर्ट की फुल बेंच के फैसले (रामरती बनाम ग्राम समाज जेहवा) के अनुसार अंग्रेज़ी संस्करण को प्राथमिकता दी जाएगी।याचिकाकर्ता माया शुक्ला...
महाकालेश्वर मंदिर में 'VIP' प्रवेश को लेकर दायर जनहित याचिका खारिज
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने उस जनहित याचिका खारिज की, जिसमें आरोप लगाया गया कि उज्जैन के श्री महाकालेश्वर मंदिर में केवल वीआईपी व्यक्तियों को ही गर्भगृह में प्रवेश कर जल अर्पित करने की अनुमति दी जाती है और आम भक्तों को इस अधिकार से वंचित रखा जाता है।जस्टिस विवेक रूसिया और जस्टिस बिनोद कुमार द्विवेदी की खंडपीठ ने कहा कि न तो किसी अधिनियम या नियम में और न ही मंदिर प्रबंधन समिति के प्रोटोकॉल में 'वीआईपी' की परिभाषा दी गई। समिति की बैठक के कार्यवृत्त से स्पष्ट है कि गर्भगृह में प्रवेश पर कोई स्थायी निषेध...
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने धोखाधड़ी मामले में दायर याचिका का पता चलने पर जनहित याचिका को वापस लिया हुआ मानकर खारिज किया
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने जनहित याचिका (PIL) को वापस लिया हुआ मानकर खारिज कर दिया, क्योंकि यह पता चला कि याचिकाकर्ता धोखाधड़ी के एक मामले में भगोड़ा है।यह जनहित याचिका पंजाब सरकार द्वारा 144 टोयोटा हिलक्स वाहनों की खरीद की CBI जांच की मांग करते हुए दायर की गई, जिसमें सरकारी धन के गबन और संबंधित अधिकारी के निजी लाभ के लिए अवैध तरीकों से धन अर्जित करने का आरोप लगाया गया।सुनवाई के दौरान, पंजाब सरकार की ओर से एडवोकेट जनरल मनिंदरजीत सिंह बेदी ने दलील दी कि जनहित याचिका नियम, 2010 (नियम) के...
केंद्र सरकार को दावा करने की बजाय सैनिकों को सक्रिय रूप से पेंशन देनी चाहिए: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार को सैनिकों से दावा करने की अपेक्षा करने के बजाय युद्ध क्षति पेंशन प्रदान करने में सक्रिय दृष्टिकोण अपनाना चाहिए।न्यायालय ने केंद्र सरकार के इस तर्क को स्वीकार करने से इनकार कर दिया कि दावा 48 वर्षों की देरी के बाद किया गया।जस्टिस हरसिमरन सिंह सेठी और जस्टिस विकास सूरी की खंडपीठ ने कहा,"चूंकि यह स्वीकृत तथ्य है कि प्रतिवादी नंबर 1 (सैनिक) को वर्ष 1971 में भारत-पाक युद्ध में भाग लेते समय चोट लगी थी, जिसकी पुष्टि मेडिकल बोर्ड ने भी की है। उक्त...
दिव्यांगता पेंशन PCDA(P) मेडिकल बोर्ड के निष्कर्षों को रद्द नहीं कर सकता: जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट
जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट के जस्टिस संजीव कुमार और जस्टिस संजय परिहार की खंडपीठ ने कहा कि रक्षा लेखा प्रधान नियंत्रक PCDA (पेंशन) को विधिवत गठित मेडिकल बोर्ड द्वारा निर्धारित दिव्यांगता प्रतिशत को बदलने या कम करने का कोई अधिकार नहीं है। केवल उच्च/समीक्षा मेडिकल बोर्ड ही इसका पुनर्मूल्यांकन कर सकता है। दिव्यांगता पेंशन को पूर्णांकित करने का लाभ सामान्य रिटायरमेंट के उन मामलों में भी लागू होता है, जहां दिव्यांगता सैन्य सेवा के कारण हुई हो या उसके कारण बढ़ी हो।पृष्ठभूमि तथ्यप्रतिवादी 18.02.1976 को...
मद्रास हाईकोर्ट ने जमानत शर्त में कार्यकर्ताओं से संविधान की प्रस्तावना 10 बार लिखने को कहा
मद्रास हाईकोर्ट ने हाल ही में हिंदू मुन्नानी कार्यकर्ताओं को कथित हेट स्पीच मामले में अग्रिम जमानत दे दी है।दिलचस्प बात यह है कि जमानत इस शर्त पर दी गई है कि आरोपी संविधान की प्रस्तावना को अनुच्छेद 19 (अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता), भाग IV-A, अनुच्छेद 51A के साथ तमिल या हिंदी में 10 बार लिखें और इसे मजिस्ट्रेट अदालत के समक्ष प्रस्तुत करें। जस्टिस एम. ज्योतिरमण ने यह शर्त लगाई कि आरोपी संविधान के उद्देश्य और संवैधानिक महत्व को समझाए। कोर्ट ने कहा "भारत के संविधान के तहत उल्लिखित उद्देश्यों और...
नशे में धुत सैनिकों के बीच लड़ाई में हुई मौत उदारीकृत पारिवारिक पेंशन के दायरे में नहीं आती: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने माना कि नशे की हालत में किसी सैनिक की दूसरे सैनिक के साथ हुई मारपीट में हुई मौत, मृतक के परिवार को उदारीकृत पारिवारिक पेंशन योजना के तहत लाभ पाने का पात्र नहीं बनाती। जस्टिस हरसिमरन सिंह सेठी और जस्टिस विकास सूरी ने सैनिक की मौत को "उग्रवादियों, असामाजिक तत्वों आदि द्वारा हिंसा/हमले" के अंतर्गत शामिल करने से इनकार करते हुए कहा, "याचिकाकर्ता के पति और एक अन्य सहकर्मी के बीच शराब पीने के बाद झगड़ा हुआ था, जिसके दौरान उक्त सहकर्मी ने उसे गोली मार दी, जिससे उसकी मृत्यु...
POCSO Act| केवल पीड़िता को आघात पहुंचने के डर से आरोपी को जमानत देने से इनकार नहीं किया जा सकता: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम, 2012 के तहत एक मामले में चार आरोपियों को ज़मानत दे दी है। न्यायालय ने कहा कि सिर्फ़ इस आधार पर ज़मानत देने से इनकार नहीं किया जा सकता कि पीड़ितों को आघात पहुंचेगा। राज्य के तर्क पर गौर करते हुए, जस्टिस राकेश कैंथला ने टिप्पणी की कि, "प्रतिवादी/राज्य की ओर से दिए गए तर्क में दम है कि याचिकाकर्ताओं के कृत्यों से पीड़ितों को आघात पहुँचेगा। हालाँकि, यह याचिकाकर्ताओं को ज़मानत देने से इनकार करने के लिए पर्याप्त नहीं...
भाई के एक ही घर और रसोई साझा न करने तक जिठानी परिवार का हिस्सा नहीं: इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में एक आंगनवाड़ी कार्यकर्ता की नियुक्ति को रद्द करने को रद्द कर दिया, जिसमें कहा गया था कि एक भाभी (जेठानी) को सरकारी आदेश के तहत 'एक ही परिवार' का हिस्सा माना जाता है, अगर दोनों भाई एक ही घर और रसोई के साथ रहते हैं।जस्टिस अजीत कुमार की पीठ ने कुमारी सोनम की याचिका को स्वीकार करते हुए यह फैसला सुनाया, जिनकी नियुक्ति 13 जून, 2025 को बरेली के जिला कार्यक्रम अधिकारी ने रद्द कर दी थी। रद्द करने का आधार इस आधार पर था कि उसकी जेठानी पहले से ही उसी केंद्र में आंगनवाड़ी सहायक...
उत्तराखंड हाईकोर्ट का आदेश : मकतब अब मदरसा नाम का इस्तेमाल नहीं करेंगे, हलफनामा दाखिल करना होगा
उत्तराखंड हाईकोर्ट ने उन मकतबों को राहत दी, जिन्हें बिना विधिक आदेश के सील कर दिया गया। साथ ही सख्त निर्देश दिया कि वे अपने संस्थान के नाम में मदरसा शब्द का प्रयोग नहीं करेंगे।जस्टिस मनोज कुमार तिवारी की एकल पीठ ने याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कहा कि ऐसे संस्थानों को अपनी इमारतों को डि-सील करवाने के लिए संबंधित उप-जिलाधिकारी (SDM) के समक्ष हलफनामा देना होगा कि वे न तो मदरसा चलाएंगे और न ही अपने संस्थानों के नाम में मदरसा शब्द का प्रयोग करेंगे।राज्य सरकार ने अदालत को बताया कि केवल वही संस्थान...
पहली बार अपराध करने वालों को प्रोबेशन पर छोड़ा जा सकता है: पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने कहा है कि अदालत को पहली बार दोषी ठहराए गए अपराधियों को अपराधी परिवीक्षा अधिनियम 1958 के तहत रिहा करने का अधिकार है और यह उन्हें कलंक और कैद के नकारात्मक प्रभाव से बचाता है।अदालत ने 2016 की प्राथमिकी में एक दोषी को IPC की धारा 148 (दंगा, घातक हथियार से लैस) और 323 (स्वेच्छा से चोट पहुंचाने की सजा) के तहत रिहा करने का निर्देश दिया, जिसे 2019 में परिवीक्षा पर अधिकतम एक वर्ष के लिए कठोर कारावास की सजा सुनाई गई थी। जस्टिस मनीषा बत्रा ने कहा, "अपराधी परिवीक्षा अधिनियम,...
पटना हाईकोर्ट ने 'अस्थिर' साक्ष्य का हवाला देते हुए घर में जबरन घुसने के मामले में हत्या के प्रयास की दोषसिद्धि 22 साल बाद पलटी
पटना हाईकोर्ट ने एक व्यक्ति की दोषसिद्धि को पलट दिया है, जिसे 2003 में घर में घुसकर हत्या के प्रयास के एक मामले में निचली अदालत ने सात साल की सज़ा सुनाई थी। न्यायालय 2023 में निचली अदालत द्वारा सुनाई गई दोषसिद्धि और सज़ा के आदेश के खिलाफ दायर एक अपील पर विचार कर रहा था, जिसके तहत अपीलकर्ता को भारतीय दंड संहिता की धारा 324 (खतरनाक हथियारों से जानबूझकर चोट पहुंचाना), 307 (हत्या का प्रयास), 452 (चोट पहुंचाने, हमला करने या गलत तरीके से रोकने की तैयारी के बाद घर में घुसना) और शस्त्र अधिनियम के...
'विवादित' जल निकायों की पहचान विशेषज्ञ करें, केवल राजस्व रिकॉर्ड प्रविष्टियां सत्यापन के लिए पर्याप्त नहीं: राजस्थान हाईकोर्ट
राजस्थान हाईकोर्ट ने विवादित जल निकायों की पहचान और संरक्षण के लिए तकनीकी विशेषज्ञ मूल्यांकन की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि केवल राजस्व अभिलेख प्रविष्टियाँ ही पर्याप्त नहीं हैं, क्योंकि ज़मीनी हकीकत का सत्यापन सक्षम विशेषज्ञ प्राधिकारी द्वारा किया जाना आवश्यक है। जस्टिस अनूप कुमार ढांड एक ऐसे मामले की सुनवाई कर रहे थे जिसमें याचिकाकर्ता के आवंटित खनन क्षेत्र में जाने के अधिकार को राज्य सरकार ने इस आधार पर खारिज कर दिया था कि संबंधित भूमि चारागाह होने के साथ-साथ एक जल निकाय भी है।यह देखते हुए...
लाभकारी निजी प्रैक्टिस में बिताई गई निलंबन अवधि को अवकाश माना जाएगा; कर्मचारी वेतन पाने का हकदार नहीं: जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट
जम्मू एंड कश्मीर हाईकोर्ट के जस्टिस संजीव कुमार और जस्टिस संजय परिहार की खंडपीठ ने कहा कि जिस निलंबन अवधि के दौरान कर्मचारी निजी प्रैक्टिस में लाभप्रद रूप से लगा हुआ था, उसे अवकाश माना जाना चाहिए और कर्मचारी ऐसी अवधि के लिए वेतन पाने का पात्र नहीं है। तथ्यप्रतिवादी अनंतनाग जिला अस्पताल में सर्जरी में बी-ग्रेड विशेषज्ञ के रूप में कार्यरत था। 16.08.2006 को उसने एक महिला मरीज की पित्ताशय की थैली की सर्जरी की। दुर्भाग्य से उसी शाम उसकी मृत्यु हो गई। अधिकारियों ने 19.08.2006 के आदेश द्वारा चिकित्सीय...
राजस्थान हाईकोर्ट ने अनियमितताओं के कारण 2021 SI भर्ती रद्द की; RPSC में प्रणालीगत कदाचार का स्वतः संज्ञान लिया
राजस्थान हाईकोर्ट ने राजस्थान लोक सेवा आयोग (RPSC) द्वारा उप-निरीक्षकों के पदों पर 2021 में की गई भर्ती प्रक्रिया को रद्द कर दिया है। इस भर्ती प्रक्रिया में व्यवस्थागत अनियमितताएं - पेपर लीक, परीक्षा के दौरान नकल, फर्जी उम्मीदवारों का इस्तेमाल - सामने आई थीं। अदालत ने कहा कि ऐसी भर्ती प्रक्रिया को रद्द किया जाना चाहिए और यह रद्दीकरण "सार्वजनिक भर्ती परीक्षाओं के संचालन में राज्य की अखंडता को बनाए रखने के लिए आवश्यक है"। ऐसा करते हुए, अदालत ने राज्य में RPSC के भीतर "व्यवस्थागत कदाचार" का स्वतः...
दृष्टि से परे न्याय; दृष्टिबाधित कानून के छात्र के नज़रिए से न्यायालयों और कानूनी विद्यालयों की सुगम्यता पर आलोचनात्मक दृष्टि
न्याय के पवित्र कक्ष समानता का आश्रय स्थल माने जाते हैं, जहां कानून की निष्पक्षता का वादा सभी के लिए स्पष्ट है। फिर भी, कई दिव्यांग व्यक्तियों के लिए, यही कक्ष दृश्य और अदृश्य, दोनों तरह की बाधाओं का एक दुर्जेय घेरा हैं। एक ऐसी न्यायिक प्रणाली का विरोधाभास, जो अधिकारों की रक्षा तो करती है, लेकिन अक्सर एक वास्तविक सुलभ वातावरण प्रदान करने में विफल रहती है, एक ऐसी वास्तविकता है जिससे मैं, एक दृष्टिबाधित विधि छात्र के रूप में, प्रतिदिन जूझता हूं। मेरी व्यक्तिगत यात्रा ने यह उजागर किया है कि...
संवैधानिक नैतिकता और 130वां संशोधन
कानून और नैतिकता के बीच के संबंध पर दार्शनिकों और न्यायविदों ने लंबे समय से विचार किया है। लोन फुलर ने "कानून की नैतिकता" और "कर्तव्य की नैतिकता" के बीच अंतर किया, जबकि एच.एल.ए. हार्ट ने कानून को अति-नैतिक बनाने के प्रति आगाह किया। हालांकि, बी.आर. अंबेड़कर के लिए, लोकतांत्रिक शासन में संवैधानिक नैतिकता एक विशिष्ट आवश्यकता थी। इसके लिए न केवल औपचारिक नियमों का पालन आवश्यक था, बल्कि न्याय, स्वतंत्रता, समानता और जवाबदेही के अंतर्निहित सिद्धांतों के प्रति निष्ठा भी आवश्यक थी। संविधान सभा में,...
दिल्ली हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने CJI को लिखी चिट्ठी, जजों के बार-बार तबादले पर जताई चिंता
दिल्ली हाईकोर्ट बार एसोसिएशन (DHCBA) ने सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस (CJI) और अन्य कोलेजियम सदस्यों को पत्र लिखकर दिल्ली हाईकोर्ट के जजों के लगातार तबादलों को लेकर चिंता जाहिर की।बार एसोसिएशन ने कहा कि नियुक्ति और तबादले की प्रक्रिया में पारदर्शिता और परामर्श बढ़ाने से न केवल वकीलों का न्यायपालिका पर विश्वास मजबूत होगा बल्कि जनता का भरोसा भी बढ़ेगा।पत्र में कहा गया,“बार यह मानता है कि नियुक्ति और तबादले का अधिकार पूरी तरह से कोलेजियम के पास है, लेकिन यह भी सच है कि न्याय व्यवस्था में बार बराबर का...




















