“राज्य के वकील कोर्ट में उपस्थित हों”: सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड की गृह सचिव को निर्देश दिया
Praveen Mishra
14 Nov 2025 4:57 PM IST

झारखंड की गृह सचिव वंदना डाडेल गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेश हुईं। कोर्ट ने उनकी मौजूदगी इसलिए तलब की थी क्योंकि नोटिस की सेवा पूरी होने के बावजूद झारखंड सरकार कई मामलों में लगातार गैर-हाज़िर रही। कोर्ट ने उनसे कहा कि राज्य के वकील सभी ऐसे मामलों में अनिवार्य रूप से उपस्थित हों।
मुख्य मामले में सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड सरकार से कहा कि वह हाईकोर्ट द्वारा दो हत्या आरोपियों—अर्शद और शमशेर—को दिए गए anticipatory bail को चुनौती दे, क्योंकि हाईकोर्ट ने बिना मेरिट देखे यह राहत दी थी। अदालत ने राज्य के ढीले रवैये पर नाराजगी जताई और कहा कि “राज्य कानून-व्यवस्था कैसे बनाए रखेगा” यदि ऐसे गंभीर मामलों में समय पर कार्रवाई नहीं होती।
एडवोकेट प्रज्ञा बघेल ने कोर्ट को बताया कि वकालतनामा न मिलने के कारण वह पहले पेश नहीं हो सकीं और माफी मांगी। उन्होंने बताया कि मामले में छह आरोपी हैं—तीन जिन पर चार्जशीट है और तीन जिन्हें हाईकोर्ट ने धारा 319 CrPC के तहत जोड़ा। तीन आरोपियों के ट्रायल में दो दोषी और एक बरी हो चुका है। बाकी तीन में से दो हाईकोर्ट से अग्रिम ज़मानत पर हैं, और तीसरा सुप्रीम कोर्ट में नियमित ज़मानत मांग रहा है।
कोर्ट ने पूछा कि जब प्रत्यक्षदर्शियों ने तीनों आरोपियों पर फायरिंग का आरोप लगाया था, तो पुलिस ने उनके खिलाफ क्लोज़र रिपोर्ट क्यों दायर की। गृह सचिव ने स्वीकार किया कि राज्य को anticipatory bail आदेश पहले ही चुनौती देनी चाहिए थी।
राज्य ने बताया कि अब वह दो सप्ताह के भीतर संबंधित याचिका दायर करेगा। इसके बाद कोर्ट ने सुनवाई दो सप्ताह के लिए स्थगित कर दी और निर्देश दिया कि अगली तारीख को दोनों पक्ष प्रत्यक्षदर्शियों के बयान, पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट और धारा 319 CrPC का आदेश एक कॉमन संकलन के रूप में दाखिल करें।

