दिल्ली हाईकोर्ट के खंडित फैसले के बाद अब तीसरे जज सुनेंगे सांसद इंजीनियर रशीद की याचिका
Amir Ahmad
14 Nov 2025 3:40 PM IST

दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को यह स्पष्ट किया कि जम्मू-कश्मीर के सांसद इंजीनियर रशीद की उस याचिका पर 14 जनवरी को प्रारंभिक सुनवाई की जाएगी, जिसमें उन्होंने संसद में उपस्थिति के लिए दी गई कस्टडी पैरोल पर ट्रायल कोर्ट द्वारा लगाए गए भारी खर्च को चुनौती दी। जस्टिस रवींद्र दुडेज़ा के समक्ष इसलिए आया, क्योंकि याचिका पर सुनवाई कर रही दो-सदस्यीय पीठ इस मुद्दे पर विभाजित मत में थी।
जस्टिस दुडेज़ा ने कहा कि वे पहले यह तय करने के लिए प्रारंभिक सुनवाई करेंगे कि अपील पर निर्णय वे स्वयं करेंगे या इसे बड़े पीठ के समक्ष भेजा जाना चाहिए। सुनवाई के दौरान इंजीनियर रशीद की ओर से सीनियर एडवोकेट एन. हरिहरन और NIA की ओर से सीनियर एडवोकेट सिद्धार्थ लूथरा उपस्थित रहे। दोनों ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) की धारा 433 का उल्लेख किया, जिसमें यह व्यवस्था है कि यदि दो जज किसी अपील पर समान रूप से विभाजित हों तो मामला उसी अदालत के किसी अन्य जज को भेजा जाता है और नई पीठ चाहे तो मामले को बड़े पीठ के समक्ष पुनः सुनवाई के लिए भेज सकती है।
इससे पहले 7 नवंबर को आए विभाजित फैसले में जस्टिस विवेक चौधरी ने रशीद की याचिका खारिज कर दी थी। उन्होंने कहा था कि कस्टडी पैरोल केवल मृत्यु, विवाह, गंभीर बीमारी या इसी प्रकार की आकस्मिक परिस्थितियों में दी जाती है और रशीद ने ऐसी कोई आपात स्थिति नहीं दिखाई। इसके विपरीत जस्टिस अनुप जैराम भाम्भानी ने ट्रायल कोर्ट की शर्तों में संशोधन करते हुए कहा था कि रशीद से केवल इतना खर्च लिया जाना चाहिए, जितना उनके तिहाड़ जेल से संसद और वापस लाए ले जाए जाने पर सरकार का वास्तविक खर्च होगा।
इंजीनियर रशीद ने ट्रायल कोर्ट के उस आदेश में बदलाव की मांग की थी, जिसमें उन्हें संसद में उपस्थिति के लिए लगभग चार लाख रुपये जमा कराने का निर्देश दिया गया था। वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में बारामूला सीट से जीतने वाले रशीद 2019 से तिहाड़ जेल में बंद हैं, जब उन्हें NIA ने 2017 के कथित आतंकी फंडिंग मामले में UAPA के तहत गिरफ्तार किया था।

