हाईकोर्ट
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ मानहानि मामला खारिज करने से किया इनकार
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान और दो अन्य की याचिका खारिज की, जिसमें उन्होंने 2021 की कुछ अदालती कार्यवाही के संबंध में सीनियर एडवोकेट और सांसद विवेक तन्खा द्वारा उनके खिलाफ दर्ज आपराधिक मानहानि शिकायत पर संज्ञान लेने के मजिस्ट्रेट अदालत के आदेश को चुनौती दी थी।ऐसा करते हुए हाईकोर्ट की जबलपुर पीठ ने कहा कि यह केवल ट्रायल कोर्ट को देखना है कि धारा 499 आईपीसी के तहत अपराध बनता है या नहीं, जो केवल ट्रायल के दौरान पेश किए गए साक्ष्यों के आधार पर ही किया जा सकता है।जस्टिस...
महाराष्ट्र के कॉलेजों में पदोन्नति के लिए UGC Ph.D की आवश्यकता को पूर्वव्यापी रूप से लागू नहीं किया जा सकता: बॉम्बे हाईकोर्ट
बॉम्बे हाईकोर्ट की जस्टिस मंगेश एस. पाटिल और जस्टिस शैलेश पी. ब्रह्मे की खंडपीठ ने फैसला सुनाया कि एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर पदोन्नति के लिए 2018 में शुरू की गई यूनिवर्सिटी अनुदान आयोग (UGC) Ph.D की आवश्यकता भविष्य में लागू होगी। इससे उन शिक्षकों पर कोई असर नहीं पड़ेगा, जो पहले के नियमों के तहत योग्य हैं। महाराष्ट्र राज्य को 2016 के नियमों के आधार पर याचिकाकर्ताओं के पदोन्नति आवेदनों की समीक्षा करने का निर्देश दिया गया।मामले की पृष्ठभूमिमहाराष्ट्र के कॉलेजों में असिस्टेंट प्रोफेसरों के समूह को...
S.498-A IPC | वैवाहिक विवाद नैतिक पतन नहीं; इसका इस्तेमाल पति-पत्नी के शिक्षा के अधिकार को बाधित करने के लिए नहीं किया जा सकता: बॉम्बे हाईकोर्ट
बॉम्बे हाईकोर्ट की पीठ ने हाल ही में महत्वपूर्ण आदेश में कहा कि वैवाहिक विवाद या मामला 'व्यक्तिगत विवाद' है, जिसे 'नैतिक पतन' से संबंधित अपराध नहीं कहा जा सकता, जिससे पति-पत्नी में से किसी के भी अपने जीवन में आगे की शिक्षा प्राप्त करने के अधिकार पर असर पड़े।जस्टिस विभा कंकनवाड़ी और जस्टिस संतोष चपलगांवकर की खंडपीठ ने एक पति को अखिल भारतीय आयुष स्नातकोत्तर प्रवेश परीक्षा (AIAPGET) - 2024 में शामिल होने की अनुमति दी, जिसके लिए उसे इस आधार पर 'अयोग्य' ठहराया गया कि उस पर धारा 498-ए के साथ-साथ...
पार्टनरशिप एक्ट की धारा 69 के तहत लगाया गया प्रतिबंध आर्बिट्रेशन कार्यवाही पर लागू नहीं होता: दिल्ली हाईकोर्ट
जस्टिस नीना बंसल कृष्णा की दिल्ली हाईकोर्ट की पीठ ने माना कि पार्टनरशिप एक्ट (Partnership Act) की धारा 69 का प्रतिबंध धारा 69(3) में प्रयुक्त “अन्य कार्यवाही” के अंतर्गत नहीं आता। इसलिए धारा 69 के तहत लगाया गया प्रतिबंध आर्बिट्रेशन कार्यवाही पर लागू नहीं होता।संक्षिप्त तथ्यमध्यस्थता और सुलह अधिनियम, 1996 की धारा 34 के तहत याचिका दावेदार, भागीदार की ओर से दिनांक 28.04.2017 के अवार्ड और दिनांक 01.07.2017 के संशोधित अवार्ड को चुनौती देने की मांग करते हुए दायर की गई है, जिसके अनुसार विद्वान मध्यस्थ...
जिला कोर्ट के इर्द-गिर्द दलालों का संगठित गिरोह फर्जी विवाह प्रमाण-पत्र जारी करते हैं: इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में दलालों के संगठित गिरोह के उभरने के बारे में चिंता जताई, जो जाली दस्तावेजों के माध्यम से फर्जी विवाह पंजीकृत कराने में शामिल हैं।जस्टिस विनोद दिवाकर की पीठ ने कहा कि धार्मिक ट्रस्टों के नाम पर जिला कोर्ट के इर्द-गिर्द दलालों और एजेंटों का संगठित गिरोह पनपा है, जिसमें पुरोहितों और दलालों के अलावा योग्य कानूनी पेशेवर भी शामिल हैं।न्यायालय ने आगे कहा कि स्थानीय पुलिस भी ऐसे 'बदमाश' तत्वों को बचाती है। वे फर्जी विवाह प्रमाण-पत्रों और बनाए गए अन्य दस्तावेजों के स्रोत का...
महिला के साथी, उसके रिश्तेदारों पर कानूनी विवाह के अभाव में क्रूरता के लिए मुकदमा नहीं चलाया जा सकता: हाईकोर्ट
शिकायतकर्ता पत्नी द्वारा धारा 498ए आईपीसी के तहत व्यक्ति के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामला खारिज करते हुए केरल हाईकोर्ट ने दोहराया कि पक्षकारों के बीच कानूनी विवाह साबित करने वाले रिकॉर्ड के अभाव में महिला के साथी या उसके रिश्तेदारों के खिलाफ क्रूरता के लिए मुकदमा नहीं चलाया जा सकता।मामले के तथ्यों में याचिकाकर्ता पति और वास्तविक शिकायतकर्ता पत्नी के बीच विवाह को फैमिली कोर्ट द्वारा 2013 में शून्य और अमान्य घोषित किया गया, यह पाते हुए कि शिकायतकर्ता पत्नी की पिछली शादी कायम थी और भंग नहीं हुई। इस...
अनुशासनात्मक कार्यवाही में बिना किसी स्पष्ट कारण के बर्खास्तगी आदेश और प्रक्रियागत चूक प्राकृतिक न्याय का उल्लंघन: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की जस्टिस संजय द्विवेदी की एकल पीठ ने प्राकृतिक न्याय सिद्धांतों का महत्वपूर्ण उल्लंघन पाते हुए भोपाल विकास प्राधिकरण (BDA) के कर्मचारी की बर्खास्तगी को अमान्य करार दिया। न्यायालय ने माना कि विजय सिंह यादव के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही गवाहों की गवाही की अनुपस्थिति, आवश्यक दस्तावेज उपलब्ध कराने में विफलता और तर्कपूर्ण आदेशों की कमी के कारण मौलिक रूप से त्रुटिपूर्ण थी। भेदभावपूर्ण व्यवहार और प्रक्रियागत चूकों को उजागर करते हुए न्यायालय ने यादव को पूर्ण वेतन और लाभ के साथ...
राजस्थान हाईकोर्ट ने 12 वर्षों तक गिरफ्तारी से बचने वाले व्यक्ति के खिलाफ चेक बाउंस मामला खारिज करने से इनकार किया
राजस्थान हाईकोर्ट की जयपुर पीठ ने चेक बाउंस मामले में पक्षकारों के बीच समझौते के आधार पर दर्ज की गई व्यक्ति की याचिका खारिज की। कोर्ट ने कहा कि यह याचिका वास्तव में एक पूर्व पुनर्विचार याचिका की "पुनर्विचार" थी, जिसे न्यायालय ने पिछले वर्ष ही खारिज कर दिया था।ऐसा करते हुए हाईकोर्ट ने उस व्यक्ति की पुनर्विचार याचिका खारिज करने वाले समन्वय पीठ के निर्णय में हस्तक्षेप करने से इनकार किया, जिसे 2011 में निचली अदालत ने एक वर्ष की जेल की सजा सुनाई थी, लेकिन उसे इस वर्ष सितंबर में ही गिरफ्तार किया गया,...
S.139 NI Act | शिकायतकर्ता के यह साबित कर देने पर कि चेक आरोपी द्वारा ऋण चुकाने के लिए जारी किया गया तो इसका भार आरोपी पर आ जाता है: जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट
नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट, 1881 (NI Act) की धारा 139 के तहत साक्ष्य भार में महत्वपूर्ण बदलाव को रेखांकित करते हुए जम्मू-कश्मीर एडं लद्दाख हाईकोर्ट ने कहा कि एक बार जब शिकायतकर्ता यह साबित कर देता है कि चेक आरोपी द्वारा ऋण चुकाने के लिए जारी किया गया था तो धारा 139 के अनुसार साक्ष्य भार आरोपी पर आ जाता है।जस्टिस जावेद इकबाल वानी की पीठ ने स्पष्ट किया,इसके बाद आरोपी को यह साबित करना होता है कि चेक किसी देनदारी के निपटान के लिए जारी नहीं किया गया और जब तक आरोपी द्वारा साक्ष्य भार का निर्वहन...
औद्योगिक न्यायालय के पास नियोक्ता-कर्मचारी के बीच स्पष्ट संबंध न होने के कारण अधिकार क्षेत्र नहीं: बॉम्बे हाईकोर्ट
बॉम्बे हाईकोर्ट की जस्टिस संदीप वी. मार्ने की एकल पीठ ने टाटा स्टील की रिट याचिका स्वीकार की। इसने माना कि औद्योगिक न्यायालय के पास कैंटीन कर्मचारियों की रोजगार स्थिति तय करने का अधिकार क्षेत्र नहीं है, क्योंकि नियोक्ता-कर्मचारी संबंध की प्रकृति ही विवादित है। न्यायालय ने फैसला सुनाया कि महाराष्ट्र ट्रेड यूनियनों की मान्यता और अनुचित श्रम व्यवहार रोकथाम (एमआरटीयू और पल्प) अधिनियम, 1971 के तहत औद्योगिक न्यायालय (Industrial Court) केवल उन मामलों की सुनवाई कर सकता है, जहां निर्विवाद रोजगार संबंध...
धारा 25F नोटिस के बिना बर्खास्तगी; कर्मचारी के समान रोजगार में पाए जाने पर मौद्रिक मुआवजा पर्याप्त: बॉम्बे हाईकोर्ट
बॉम्बे हाईकोर्ट की जस्टिस अनिल एल. पानसरे की एकल न्यायाधीश पीठ ने श्रम न्यायालय का निर्णय बरकरार रखा, जिसमें आकस्मिक मजदूर को बहाल करने के बजाय मौद्रिक मुआवजा देने का निर्णय लिया गया था, जिसकी सेवाओं को उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना समाप्त कर दिया गया। न्यायालय ने इस बात पर जोर दिया कि औद्योगिक विवाद अधिनियम, 1947 की धारा 25एफ का पालन किए बिना बर्खास्तगी अवैध है, लेकिन बहाली स्वचालित उपाय नहीं है, खासकर जब कर्मचारी को कहीं और समान रोजगार मिल गया हो।मामले की पृष्ठभूमियह मामला शरद माधवराव...
उत्तराखंड हाईकोर्ट ने IFS संजीव चतुर्वेदी के पैनल रिकॉर्ड की आपूर्ति के आदेशों का पालन न करने पर DoPT के संयुक्त सचिव को अवमानना नोटिस जारी किया
उत्तराखंड हाईकोर्ट ने केंद्र के कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (DoPT) के संयुक्त सचिव को IFS संजीव चतुर्वेदी के केंद्र में संयुक्त सचिव के पद पर पैनल में शामिल होने की प्रक्रिया और निर्णय लेने से संबंधित रिकॉर्ड की आपूर्ति करने के न्यायालय के आदेश का पालन न करने पर अवमानना नोटिस जारी किया।जस्टिस आलोक कुमार वर्मा की पीठ ने भारतीय वन सेवा अधिकारी (IFS) संजीव चतुर्वेदी द्वारा दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई की, जो व्यक्तिगत रूप से उपस्थित हुए।न्यायालय ने दर्ज किया,“संजीव चतुर्वेदी ने तर्क दिया कि...
Hindu Marriage Act के तहत विवाह के एक वर्ष के भीतर तलाक की याचिका पर रोक: इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने माना कि हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 (Hindu Marriage Act (HMA) की धारा 14 के अनुसार विवाह की तिथि से एक वर्ष की अवधि के भीतर तलाक के लिए याचिका प्रस्तुत नहीं की जा सकती। केवल पति या पत्नी को हुई असाधारण कठिनाई के मामले में ही विचार किया जा सकता है।यह माना गया कि धारा 14 के तहत पति या पत्नी द्वारा विवाह के एक वर्ष के भीतर तलाक के लिए आवेदन दायर किया जाना चाहिए। विवाह के 12 महीनों के भीतर तलाक पर विचार करने के कारणों के साथ इसे स्वीकार किया जाना चाहिए।HMA की धारा 14 में प्रावधान...
पत्नी के खिलाफ व्यभिचार के आरोपों पर धारा 125 CrPC के तहत भरण-पोषण के लिए आवेदन करने से पहले निर्णय लिया जाना चाहिए: इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने माना कि पत्नी के खिलाफ व्यभिचार के आरोपों पर धारा 125 CrPC के तहत भरण-पोषण के लिए आवेदन करने से पहले निर्णय लिया जाना चाहिए।संशोधनवादी पति ने एडिशनल प्रिंसिपल जज, फैमिली कोर्ट, फिरोजाबाद के उस आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जिसमें प्रतिवादी-पत्नी को धारा 125 CrPC के तहत 7000/- रुपये का अंतरिम भरण-पोषण देने का आदेश दिया गया। यह तर्क दिया गया कि व्यभिचारी होने के कारण पत्नी धारा 125(4) CrPC के आधार पर किसी भी राहत की हकदार नहीं थी।धारा 125(4) में प्रावधान है कि यदि...
ट्रायल कोर्ट जज हाईकोर्ट के डर से बरी होने के स्पष्ट मामले के बावजूद आरोपियों को दोषी ठहराते हैं: इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में टिप्पणी की कि ट्रायल कोर्ट के जज अक्सर हाईकोर्ट के डर से बरी होने के स्पष्ट मामले के बावजूद जघन्य अपराधों के मामलों में आरोपियों को दोषी ठहराते हैं।जस्टिस सिद्धार्थ और जस्टिस सैयद कमर हसन रिजवी की खंडपीठ ने टिप्पणी की,"वे ऐसे मामलों में हाईकोर्ट के क्रोध से डरते हैं। केवल अपनी व्यक्तिगत प्रतिष्ठा और कैरियर की संभावनाओं को बचाने के लिए ऐसे निर्णय और दोषसिद्धि के आदेश पारित करते हैं।"साथ ही खंडपीठ ने इस बात पर अफसोस जताया कि सरकार ने विधि आयोग द्वारा अपनी 277वीं...
मुख्य नियोक्ता यह दावा करके EC Act के तहत दायित्व से बच नहीं सकता कि कर्मचारी ठेकेदार के माध्यम से काम कर रहे थे: बॉम्बे हाईकोर्ट
बॉम्बे हाईकोर्ट की जस्टिस शर्मिला यू. देशमुख की एकल न्यायाधीश पीठ ने मृतक पायलट के आश्रितों को दिए गए मुआवजे के खिलाफ एयर इंडिया चार्टर्स लिमिटेड की अपील को खारिज किया। न्यायालय ने माना कि कर्मचारी मुआवजा अधिनियम, 1923 (EC Act) की धारा 12 के तहत मुख्य नियोक्ता मुआवजे के लिए प्राथमिक दायित्व वहन करता है। भले ही कर्मचारी ठेकेदारों के माध्यम से काम कर रहे हों। न्यायालय ने पुष्टि की कि मुआवजे की गणना AICL द्वारा पहले स्वीकार की गई $11,000 की उच्च वेतन राशि के आधार पर की जानी चाहिए। देरी से भुगतान के...
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 4 वर्षीय बच्ची के यौन उत्पीड़न के आरोपी व्यक्ति को जमानत देने से इनकार किया
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में 4 वर्षीय बच्ची के यौन उत्पीड़न के आरोपी व्यक्ति को जमानत देने से इनकार किया। कोर्ट ने कहा कि पीड़िता ने धारा 161 और 164 सीआरपीसी के तहत दर्ज अपने बयान में अभियोजन पक्ष की कहानी का समर्थन किया।अपने आदेश में न्यायालय ने यह भी कहा कि बलात्कार जघन्य अपराध है। इस प्रकार के मामले हमारे समाज में दिन-प्रतिदिन बढ़ रहे हैं, भले ही हमारे देश में छोटी बच्चियों की पूजा की जाती है।जस्टिस शेखर कुमार यादव की बेंच ने कहा,“न्यायालय ने बार-बार कहा कि इस प्रकार का कृत्य न केवल...
हर हिरासत और गिरफ्तारी हिरासत में यातना के बराबर नहीं: इलाहाबाद हाईकोर्ट
इस बात पर जोर देते हुए कि हर गिरफ्तारी और हिरासत हिरासत में यातना के बराबर नहीं होती, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि जब हिरासत में यातना के आरोपों का समर्थन किसी मेडिकल रिपोर्ट या अन्य पुष्टिकारी साक्ष्य द्वारा नहीं किया जाता तो न्यायालय को इस तरह की कार्यवाही पर विचार नहीं करना चाहिए।जस्टिस महेश चंद्र त्रिपाठी और जस्टिस प्रशांत कुमार की खंडपीठ ने कहा कि हिरासत में किसी भी तरह की यातना के शिकार लोगों के मौलिक अधिकारों की रक्षा करते हुए न्यायालय को समाज के हित में सभी झूठे, प्रेरित और...
मध्य प्रदेश सिविल सेवा नियमों के तहत समीक्षा की शक्ति का प्रयोग छह महीने के भीतर किया जाना चाहिए: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की जस्टिस संजय द्विवेदी की एकल पीठ ने विभागीय जांच में रिटायर उप मंडल मजिस्ट्रेट की दोषमुक्ति की राज्य द्वारा की गई देरी से समीक्षा को अमान्य करार दिया। न्यायालय ने माना कि मध्य प्रदेश सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण और अपील) नियम, 1966 के नियम 29(1) के तहत समीक्षा की शक्ति का प्रयोग छह महीने के भीतर किया जाना चाहिए। इस अवधि से परे कोई भी समीक्षा अवैध है। न्यायालय ने रोके गए रिटायरमेंट लाभों को 8% ब्याज के साथ जारी करने का आदेश दिया।मामले की पृष्ठभूमिकामेश्वर चौबे 38 साल की...
गुजरात हाईकोर्ट ने बिना NOC के पासपोर्ट नवीनीकरण करने के लिए सरकारी अधिकारी के खिलाफ आरोपपत्र खारिज किया
गुजरात हाईकोर्ट की जज जस्टिस ए.एस. सुपेहिया और जस्टिस गीता गोपी की खंडपीठ ने लेखा और कोषागार निदेशक के रूप में कार्यरत चारु भट्ट के खिलाफ जारी आरोपपत्र खारिज किया, जिन पर राज्य सरकार से अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) प्राप्त किए बिना 2013 में अपना पासपोर्ट नवीनीकृत करने का आरोप था।पासपोर्ट खरीद और अनधिकृत विदेश यात्रा से संबंधित दो अन्य आरोपों को खारिज कर दिया गया, न्यायालय ने माना कि NOC के बिना नवीनीकरण गुजरात सिविल सेवा (आचरण) नियम, 1971 के तहत "कदाचार" नहीं माना जाता है, क्योंकि यह केवल एक...