S.498-A IPC | वैवाहिक विवाद नैतिक पतन नहीं; इसका इस्तेमाल पति-पत्नी के शिक्षा के अधिकार को बाधित करने के लिए नहीं किया जा सकता: बॉम्बे हाईकोर्ट
Shahadat
2 Nov 2024 3:05 PM IST
बॉम्बे हाईकोर्ट की पीठ ने हाल ही में महत्वपूर्ण आदेश में कहा कि वैवाहिक विवाद या मामला 'व्यक्तिगत विवाद' है, जिसे 'नैतिक पतन' से संबंधित अपराध नहीं कहा जा सकता, जिससे पति-पत्नी में से किसी के भी अपने जीवन में आगे की शिक्षा प्राप्त करने के अधिकार पर असर पड़े।
जस्टिस विभा कंकनवाड़ी और जस्टिस संतोष चपलगांवकर की खंडपीठ ने एक पति को अखिल भारतीय आयुष स्नातकोत्तर प्रवेश परीक्षा (AIAPGET) - 2024 में शामिल होने की अनुमति दी, जिसके लिए उसे इस आधार पर 'अयोग्य' ठहराया गया कि उस पर धारा 498-ए के साथ-साथ अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम (SC/ST Act) के तहत आरोप लगाए गए।
जजों ने 25 अक्टूबर को पारित आदेश में कहा,
"प्रासंगिक रूप से याचिकाकर्ता अपनी पत्नी द्वारा की गई रिपोर्ट के आधार पर आईपीसी की धाराओं 498-ए, 494 के साथ अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम की धारा 3(1)(आर)(एस) के तहत दंडनीय अपराध के लिए आपराधिक अभियोजन का सामना कर रहा है। जाहिर है, यह याचिकाकर्ता और उसकी पत्नी के बीच वैवाहिक यानी व्यक्तिगत विवाद का मामला है। यह मानना मुश्किल है कि इस तरह के अपराध को नैतिक अधमता से संबंधित अपराध कहा जा सकता है, जिसका याचिकाकर्ता के इन-सर्विस पोस्ट ग्रेजुएट कोर्स के माध्यम से अपने शैक्षिक उत्थान को आगे बढ़ाने के अधिकार पर असर पड़ सकता है।"
याचिकाकर्ता के अनुसार, उन्हें 18 जुलाई, 2019 को नांदेड़ के तामलूर में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में मेडिकल अधिकारी - ग्रुप बी के रूप में नियुक्त किया गया। 2024 को AIAPGET-2024 के लिए ऑनलाइन आवेदन आमंत्रित करते हुए सार्वजनिक नोटिस जारी किया गया। अपेक्षित योग्यता रखने वाले याचिकाकर्ता ने अनिवार्य अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) मांगा, क्योंकि वह संबंधित समय में एक सरकारी कर्मचारी था।
28 जून, 2024 को पारित आदेश द्वारा नांदेड़ में स्वास्थ्य सेवाओं के उप निदेशक ने याचिकाकर्ता को NOC प्रदान की, जिसके बाद वह परीक्षा में शामिल हुआ। कुल 400 में से 184 अंकों के साथ उत्तीर्ण हुआ। हालांकि, स्वास्थ्य सेवाओं के उप निदेशक ने 24 सितंबर, 2024 को यह देखते हुए NOC वापस ले ली कि याचिकाकर्ता के खिलाफ आपराधिक मामला लंबित था।
प्राधिकरण ने 19 जुलाई, 2023 को जारी सरकारी संकल्प (जीआर) पर भरोसा किया, जिसमें 'सेवारत' मेडिकल अधिकारियों को स्नातकोत्तर शिक्षा प्राप्त करने के लिए अनुदान की अनुमति को विनियमित करने की सरकार की नीति का संकेत दिया गया। प्राधिकरण ने बताया कि जीआर में विशिष्ट खंड (खंड 4.5) में निर्धारित किया गया कि मेडिकल अधिकारी, जिसके खिलाफ विभागीय जांच या आपराधिक मामला लंबित है या प्रस्तावित है, उसे NEET-PG एडमिशन परीक्षा के लिए 'अयोग्य' माना जाएगा।
जजों ने अभियोजन पक्ष का तर्क खारिज करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता के पक्ष में दी गई NOC को केवल इस कारण से वापस लिया गया कि उसके खिलाफ आपराधिक मामला लंबित है।
पीठ ने कहा,
"आक्षेपित आदेश में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है कि याचिकाकर्ता ने आपराधिक मामले के लंबित होने के तथ्य को छिपाकर NOC प्राप्त की थी।"
इसलिए पीठ ने NOC वापसी का आदेश रद्द किया और याचिकाकर्ता को AIAPGET-2024 पाठ्यक्रम के लिए 'योग्य' माना और उक्त कोर्स में उसके एडमिशन का आदेश दिया।
केस टाइटल: डॉक्टर बनाम महाराष्ट्र राज्य (रिट याचिका 10599/2024)