हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट में फर्जी वकील और जाली दस्तख़त का मामला, FSL जांच के आदेश
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक लंबित जनहित याचिका में गंभीर अनियमितताओं के संकेत मिलने पर कई दस्तावेज़ों के हस्ताक्षरों की फोरेंसिक जांच (FSL) कराने का आदेश दिया। कोर्ट के समक्ष आए तथ्यों से प्रथमदृष्टया यह प्रतीत हुआ कि मामले में प्रतिरूपण, जालसाज़ी, दस्तावेज़ों की फर्जी तैयारी और न्यायिक प्रक्रिया के दुरुपयोग जैसी आशंकाएं मौजूद हैं।चीफ जस्टिस अरुण भंसाली और जस्टिस क्षितिज शैलेंद्र की खंडपीठ ने यह आदेश उस समय पारित किया, जब प्रतिवादी नंबर 5 ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) की धारा 379 के तहत...
पाकिस्तान की न्यायिक असहमति: एक सबक
पाकिस्तान, जो अक्सर संरचनात्मक कमज़ोरी, अस्थिर अर्थव्यवस्था और दमनकारी क़ानूनों से ग्रस्त रहा है, ने एक बार फिर एक विवादास्पद संवैधानिक परिवर्तन लागू किया है: 27वां संविधान संशोधन। यह संशोधन राज्य संस्थाओं के बीच शक्ति संतुलन को मौलिक रूप से बदल देता है, विशेष रूप से सेना की भूमिका को मज़बूत करता है। देश की न्यायपालिका से उत्पन्न असहमति भारतीय न्यायपालिका को बाहरी ताकतों के आगे कभी न झुकने के महत्व की एक सशक्त याद दिलाती है।27वां संविधान संशोधन सैन्य प्रतिष्ठान को व्यापक शक्तियां प्रदान करता है।...
कुर्सी, परवाह और सेवा की विनम्रता
हर न्यायाधीश के सफ़र में एक ऐसा मोड़ आता है जब वह रुककर सोचता है कि "कुर्सी" पर बैठने का क्या मतलब है। यह कोई साधारण फ़र्नीचर नहीं है, कोई साधारण पद नहीं है। जो लोग रोज़ाना अदालतों में जाते हैं, उन्हें अक्सर ऐसा महसूस हो सकता है जैसे कुर्सी ही उनके अस्तित्व के आयामों को बदल देती है। व्यक्तिगत रूप से, हम सामान्य कमज़ोरियों, आत्म-संदेह और हर इंसान के मन में आने वाली झिझक से घिरे हो सकते हैं। फिर भी, जब हम न्याय के उस आसन पर बैठते हैं, तो हमारे भीतर कुछ अप्रत्याशित शक्ति के साथ उभर आता है। विचार...
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नाबालिग बेटी के कल्याण की परवाह किए बिना सौतेली माँ को अनुकंपा नियुक्ति देने में 'गंभीर चूक' की ओर इशारा किया
अक्टूबर और नवंबर 2025 के बीच पारित कई आदेशों में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नगर निगम, प्रयागराज द्वारा मृतक नगरपालिका कर्मचारी की सौतेली माँ को उसकी नाबालिग बेटी की सुरक्षा और भविष्य के कल्याण को सुनिश्चित किए बिना अनुकंपा नियुक्ति देने के तरीके की सख्त जांच की।जस्टिस मंजू रानी चौहान की पीठ ने कहा कि उत्तर प्रदेश सेवाकाल में मृत सरकारी सेवकों के आश्रितों की भर्ती नियम, 1974 के तहत ऐसी नियुक्ति प्राप्त करने वाले आश्रित का दायित्व परिवार के अन्य जीवित सदस्यों, विशेषकर नाबालिगों के भरण-पोषण और कल्याण को...
क्या गंभीर आर्थिक अपराध के मामलों में गिरफ्तारी वारंट जमानती वारंट में बदला जा सकता है? राजस्थान हाईकोर्ट ने मामला बड़ी पीठ को भेजा
राजस्थान हाईकोर्ट ने इस प्रश्न को बड़ी पीठ को भेज दिया कि क्या PMLA (धन शोधन निवारण अधिनियम), Custom, CGST (केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर) के प्रावधानों के तहत गंभीर आर्थिक अपराधों के साथ-साथ भारतीय दंड संहिता(IPC)/भारतीय न्याय संहिता (BNS) के तहत दंडनीय जघन्य अपराधों में गिरफ्तारी वारंट को जमानती वारंट में बदला जा सकता है।जस्टिस अनूप कुमार ढांड ने कहा,"नकली चालानों में दिखाई गई कथित आपूर्ति के आधार पर नकली ITC देने के इरादे से नकली/अस्तित्वहीन फर्मों का निर्माण करना और इस तरह विभिन्न लाभार्थियों...
'MPDA Act के तहत प्रिवेंटिव डिटेंशन का इस्तेमाल पहले से ज़मानत पर चल रहे व्यक्ति को हिरासत में लेने के लिए नहीं किया जा सकता': बॉम्बे हाईकोर्ट
बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा कि महाराष्ट्र खतरनाक गतिविधि निवारण अधिनियम, 1981 (MPDA Act) के तहत प्रिवेंटिव डिटेंशन (Preventive Detention) तब लागू नहीं किया जा सकता, जब बंदी उसी अपराध में पहले से ही ज़मानत पर हो, जिसके लिए उसे हिरासत में लिया गया, बिना हिरासत प्राधिकारी द्वारा यह विचार किए कि ज़मानत की शर्तें कथित पूर्वाग्रही गतिविधियों को रोकने के लिए पर्याप्त हैं या नहीं। कोर्ट ने कहा कि जब किसी व्यक्ति को सक्षम आपराधिक न्यायालय द्वारा ज़मानत पर रिहा किया जाता है तो प्रिवेंटिव डिटेंशन के आदेश की...
किशोर अभियुक्त CrPC की धारा 438 के तहत अग्रिम ज़मानत की मांग कर सकता है: कलकत्ता हाईकोर्ट
कलकत्ता हाईकोर्ट ने माना कि CrPC की धारा 438 के तहत अग्रिम ज़मानत के लिए आवेदन तब भी स्वीकार्य है, जब वह कानून का उल्लंघन करने वाले किशोर/बच्चे द्वारा दायर किया गया हो।कोर्ट ने निष्कर्ष निकाला कि किशोर न्याय (बालकों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015 (JJ Act) अग्रिम ज़मानत प्रावधानों के प्रभाव को बाहर नहीं करता। इस तरह की पहुंच से इनकार करना बच्चे के व्यक्तिगत स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन होगा।यह निर्णय जस्टिस जय सेनगुप्ता, जस्टिस तीर्थंकर घोष और जस्टिस बिवास पटनायक की तीन-जजों वाली...
रेलवे की छवि खराब करने की अफवाह फैलाने के आरोप में यूट्यूबर मनीष कश्यप को हाईकोर्ट से अग्रिम जमानत
पटना हाईकोर्ट ने भारतीय रेलवे की छवि खराब करने के आरोप में दर्ज एफआईआर के मामले में यूट्यूबर मनीष कश्यप को अग्रिम जमानत दे दी।आरोप था कि कश्यप ने 'X' पर एक वीडियो पोस्ट किया था, जिसमें रेलवे ट्रैक पर फिश-प्लेट्स के बीच पत्थर डाले जाने का दावा किया गया था। जस्टिस चंद्र शेखर झा की बेंच ने कहा कि कश्यप ने वीडियो सोशल मीडिया से प्राप्त होने के बाद बिना किसी बदलाव के रेलवे मंत्रालय को टैग करते हुए केवल जानकारी देने के उद्देश्य से अपलोड किया था। कश्यप पर BNS की कई धाराओं और IT Act की धारा 66 व...
विवाह जारी हो तो लिव-इन को सुरक्षा नहीं: जीवनसाथी के अधिकार पर व्यक्तिगत स्वतंत्रता भारी नहीं — इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक कथित लिव-इन कपल की सुरक्षा याचिका खारिज करते हुए साफ़ कहा कि जब महिला अब भी कानूनन किसी और पुरुष की पत्नी है, तो वह लिव-इन संबंध के लिए अदालत से सुरक्षा नहीं मांग सकती।जस्टिस विवेक कुमार सिंह की बेंच के अनुसार, व्यक्तिगत स्वतंत्रता निरंकुश नहीं है, और किसी एक व्यक्ति की स्वतंत्रता वहीं समाप्त होती है जहाँ दूसरे व्यक्ति का वैधानिक अधिकार शुरू होता है। अदालत ने कहा कि पति/पत्नी को एक-दूसरे के साथ रहने का कानूनी अधिकार है और इसे किसी “लिव-इन संबंध” के नाम पर छीना नहीं जा...
महाराष्ट्र में सहकारी समिति के विभाजन के लिए CIDCO से पूर्व अनुमति की आवश्यकता नहीं: बॉम्बे हाईकोर्ट
बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा कि महाराष्ट्र सहकारी समिति अधिनियम, 1960 की धारा 18 के तहत किसी सहकारी समिति के विभाजन के लिए CIDCO से पूर्व अनुमति की आवश्यकता नहीं है। नवगठित समिति का पंजीकरण ही क़ानून द्वारा परिकल्पित परिसंपत्तियों और देनदारियों के आवश्यक हस्तांतरण को प्रभावित करता है। न्यायालय ने कहा कि जहां क़ानून मौन है, वहां बाहरी अनुमोदन की आवश्यकता लागू करना विधायी योजना के विपरीत होगा।जस्टिस अमित बोरकर बालाजी टावर सहकारी आवास समिति और अन्य द्वारा दायर रिट याचिकाओं पर सुनवाई कर रहे थे, जिसमें...
केवल इसलिए विभागीय कार्यवाही पर रोक नहीं लगाई जा सकती, क्योंकि आपराधिक मामला लंबित है, जब तक कि पूर्वाग्रह न दिखाया गया हो: जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट
जम्मू-कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने कहा कि केवल इसलिए विभागीय कार्यवाही नहीं रोकी जा सकती, क्योंकि उन्हीं आरोपों पर एक आपराधिक मामला लंबित है।हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि रोक तभी उचित है, जब आपराधिक मामला गंभीर प्रकृति का हो और उसमें तथ्य और कानून के जटिल प्रश्न शामिल हों, और जहां अनुशासनात्मक कार्रवाई जारी रखने से कर्मचारी के बचाव पर प्रतिकूल प्रभाव पड़े।कोर्ट सीमा सुरक्षा बल के अधिकारी द्वारा दायर दो रिट याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें BSF नियमों के नियम 173 के तहत अपने निलंबन और विभागीय...
सहयोग पोर्टल के जरिये केंद्र की ब्लॉकिंग शक्तियों को वैध ठहराने वाले फैसले के खिलाफ एक्स कॉर्प की अपील, कर्नाटक हाईकोर्ट में नई कानूनी लड़ाई शुरू
एक्स कॉर्प ने सहयोग पोर्टल के माध्यम से केंद्र सरकार द्वारा जारी की जाने वाली ब्लॉकिंग निर्देशों को वैध ठहराने वाले कर्नाटक हाईकोर्ट के सिंगल बेंच के निर्णय के खिलाफ अपील दायर की है। यह अपील 14 नवंबर को दायर की गई, जिसमें 24 सितंबर को सुनाए गए उस फैसले को चुनौती दी गई। इस फैसले में कोर्ट ने सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 79(3)(b) की व्याख्या को लेकर कंपनी की याचिका खारिज कर दी थी।मूल याचिका में एक्स कॉर्प ने तर्क दिया कि केंद्र सरकार के अधिकारी धारा 79(3)(b) के तहत स्वतंत्र रूप से...
असम में बड़े पैमाने पर लोगों का स्थानांतरण- अधिकारों से वंचित, विस्थापित जीवन
राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी), जिसका उद्देश्य बिना दस्तावेज़ वाले प्रवासियों की पहचान करना था, ने अपने लागू होने के दिन से ही भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र, विशेष रूप से असम में, तबाही मचाई है। एक अवधारणा के रूप में, एनआरसी पहली बार 1951 में लागू किया गया था, जिसमें असम पहला राज्य था। असम में एनआरसी का उद्देश्य अवैध प्रवासियों की आमद से निपटना था। यह ध्यान देने योग्य है कि अकेले असम में एनआरसी ने 2019 में प्रकाशित अंतिम सूची में 19 लाख लोगों को बाहर कर दिया है। पूरा असम आंदोलन अवैध प्रवासियों...
बॉम्बे हाईकोर्ट ने व्यवसायी की "विलासितापूर्ण जीवनशैली" पर विचार करते हुए पत्नी का गुजारा भत्ता ₹50,000 से बढ़ाकर ₹3.5 लाख किया
बॉम्बे हाईकोर्ट ने हाल ही में एक महिला के मासिक गुजारा भत्ते को 50,000 रुपये से बढ़ाकर 3.50 लाख रुपये कर दिया। कोर्ट ने पाया कि पुणे निवासी उसका व्यवसायी पति अपने दो बेटों के साथ एक आलीशान जीवन शैली जी रहा था, जबकि तलाकशुदा पत्नी, जिसने उसके साथ 16 साल बिताए, अब 1 लाख रुपये प्रति माह कमाने और अपना और अपनी बेटी का पालन-पोषण करने के लिए संघर्ष कर रही है।जस्टिस बर्गेस कोलाबावाला और जस्टिस सोमशेखर सुंदरेशन की खंडपीठ ने कहा कि रियल एस्टेट व्यवसायी पति मुकेश गड़ा ने पुणे स्थित पारिवारिक न्यायालय को...
3018 प्लॉट लॉटरी योजना में भ्रष्टाचार और सॉफ्टवेयर हेरफेर के आरोपों पर राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से मांगा जवाब
राजस्थान हाईकोर्ट ने भीलवाड़ा शहरी सुधार न्यास (UIT) की 3018 आवासीय प्लॉट आवंटन योजना में गंभीर अनियमितताओं, सॉफ़्टवेयर हेरफेर और भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर दायर जनहित याचिका पर राज्य सरकार को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया। याचिकाकर्ता का कहना है कि इस योजना में लगभग 17.6 करोड़ रुपये की आवेदन राशि जमा होने के बावजूद संपूर्ण आवंटन प्रक्रिया मनमानी, अपारदर्शी और नियम-विरुद्ध तरीके से संचालित की गई, जिससे संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 का उल्लंघन हुआ।याचिका में आरोप लगाया गया कि शुरुआत में आवेदन केवल...
40 साल तक फरार आरोपी को न पकड़ पाने पर राजस्थान हाईकोर्ट ने फटकार लगाई, भगोड़ों की तलाश के लिए विशेष सेल बनाने का आदेश
राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य में अपराध के मामलों में फरार चल रहे आरोपियों और घोषित अपराधियों को पकड़ने में पुलिस की लापरवाही पर सख्त रुख अपनाते हुए गृह विभाग के प्रधान सचिव और पुलिस महानिदेशक को निर्देश दिया कि ऐसे भगोड़ों का पता लगाने और उन्हें ट्रायल का सामना करवाने के लिए एक विशेष सेल का गठन किया जाए, ताकि पीड़ितों को समय पर न्याय मिल सके।जस्टिस अनूप कुमार ढांड की सिंगल बेंच ऐसे मामले पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें FIR वर्ष 1983 में दर्ज हुई थी और 1987 में आरोपी के जमानती बांड जब्त कर लिए गए। इसके...
कानून का गतिशील है समाजिक यथार्थों के अनुरूप बदलना आवश्यक: विवाह के बाद राजस्थान हाईकोर्ट ने दुष्कर्म मामला किया ख़ारिज
राजस्थान हाईकोर्ट ने यह महत्वपूर्ण टिप्पणी करते हुए दुष्कर्म के मामले को ख़ारिज कर दिया कि किसी भी सभ्य समाज का कानून स्थिर नहीं हो सकता और उसे समय–समय पर बदलती सामाजिक परिस्थितियों और आवश्यकताओं के अनुरूप ढलना चाहिए। न्यायालय ने कहा कि कानून का उद्देश्य केवल स्वीकार्य सामाजिक मानकों को निर्धारित करना ही नहीं, बल्कि यह भी तय करना है कि समाज को कब अपने हित में बदलाव की दिशा में कदम बढ़ाने चाहिए।जस्टिस अनूप कुमार ढांड की सिंगल बेंच उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें आरोपी ने अपने खिलाफ दर्ज...
बर्खास्तगी केवल लंबित आपराधिक मामले के आधार पर हुई हो तो कर्मचारी को बरी होने के बाद बहाल किया जाना चाहिए: राजस्थान हाईकोर्ट
राजस्थान हाईकोर्ट ने कहा कि यदि किसी कर्मचारी की बर्खास्तगी का मूल आधार उसके विरुद्ध लंबित आपराधिक मामला है। उस आपराधिक मामले के परिणामस्वरूप सक्षम आपराधिक न्यायालय द्वारा कर्मचारी को बरी कर दिया जाता है तो ऐसी बर्खास्तगी का आधार समाप्त हो जाता है और नियोक्ता को कर्मचारी को बहाल करना होगा।जस्टिस डॉ. पुष्पेंद्र सिंह भाटी और जस्टिस अनुरूप सिंघी की खंडपीठ ने श्रम न्यायालय और सिंगल जज की पीठ के उस आदेश को बरकरार रखा, जिसमें उस कर्मचारी के पक्ष में फैसला सुनाया गया था, जिसे एक लंबित आपराधिक मामले के...
पति और बेटे ने मिलकर महिला को लगाई आग, दिल्ली हाईकोर्ट ने दोषी करार देते हुए भक्ति गीता का दिया उद्धरण
दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को एक महिला को आग लगाकर उसकी हत्या करने के मामले में पति और बेटे की दोषसिद्धि बरकरार रखी और कहा कि महिला के मृत्यु पूर्व दिए गए बयान सुसंगत, स्वैच्छिक और संदेह से मुक्त हैं।जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद और जस्टिस विमल कुमार यादव की खंडपीठ ने कहा कि महिला के पास अपने वयस्क बेटे या पति का नाम लेकर उन्हें झूठा फंसाने का कोई कारण नहीं था और उसे इससे कोई लाभ नहीं होने वाला था।कोर्ट ने 2002 में पति और बेटे द्वारा दायर अपीलों को खारिज कर दिया और मामले में उनकी दोषसिद्धि और सजा...
Customs Act | दिल्ली हाईकोर्ट ने BSNL को माल की गलत घोषणा के लिए ₹12.63 करोड़ के जुर्माने को चुनौती देने की अनुमति दी
दिल्ली हाईकोर्ट ने BSNL (भारत संचार निगम लिमिटेड) को आयातित माल की गलत घोषणा के लिए सीमा शुल्क विभाग (Customs) द्वारा उस पर लगाए गए ₹12,63,01,812/- के जुर्माने को चुनौती देने की अनुमति दी।जस्टिस प्रतिभा एम. सिंह और जस्टिस शैल जैन की खंडपीठ ने कहा कि सार्वजनिक स्वायत्त सेवा प्रदाता ने CESTAT से संपर्क करने में देरी का कोई वैध औचित्य नहीं दिखाया। हालांकि, "इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि BSNL ने स्वैच्छिक घोषणा की थी, प्रथम दृष्टया BSNL के इस तर्क में कुछ दम प्रतीत होता है कि वह गुण-दोष के आधार...



















