हाईकोर्ट
दृष्टिबाधित उम्मीदवारों (कम दृष्टि और अंधे) के लिए एक प्रतिशत आरक्षण के भीतर पद-वार पहचान सुरक्षा कारणों से मान्य: दिल्ली हाईकोर्ट
दिल्ली हाईकोर्ट की एक खंडपीठ ने कहा कि दृष्टिबाधितों के लिए 1% आरक्षण के अंतर्गत केवल अल्पदृष्टि के लिए उपयुक्त पदों की पहचान वैध है, क्योंकि आरक्षित रिक्तियों में कर्तव्यों की प्रकृति और सुरक्षा आवश्यकताओं के आधार पर पदवार पहचान स्वीकार्य है, और दृष्टिबाधित उम्मीदवार उन पदों का दावा नहीं कर सकते जो उनके लिए उपयुक्त नहीं हैं। जस्टिस सी. हरि शंकर और जस्टिस अजय दिगपॉल की खंडपीठ ने पाया कि याचिकाकर्ताओं ने केंद्रीय रोजगार सूचना (सीईएन) संख्या 01/2019 की पूरी जानकारी के साथ चयन प्रक्रिया में भाग...
स्टाम्प फीस सेल डीड के निष्पादन के समय बाजार मूल्य के आधार पर निर्धारित किया जाता है, न कि सेल एग्रीमेंट के निष्पादन के समय: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि सेल डीड पर देय स्टाम्प फीस के निर्धारण के लिए सेल डीड के निष्पादन के समय संपत्ति का बाजार मूल्य प्रासंगिक है, न कि सेल एग्रीमेंट।जस्टिस अनिल क्षेत्रपाल और जस्टिस जस्टिस रोहित कपूर की खंडपीठ ने कहा,"ट्रांसफर डीड/सेल डीड पर स्टाम्प फीस की राशि निर्धारित करने के लिए सेल डीड के निष्पादन के समय प्रचलित बाजार मूल्य प्रासंगिक होगा, न कि उस समय जब पक्षकारों ने बिक्री के लिए समझौता किया था।"न्यायालय ने कहा कि सेल डीड/ट्रांसफर डीड पर स्टाम्प फीस का भुगतान...
हत्या की जांच में पुलिस रिकॉर्ड से गायब हुई केस डायरियां, दिल्ली हाईकोर्ट ने जताई चिंता
हत्या के आरोपी की ज़मानत याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट यह देखकर हैरान रह गया कि पुलिस रिकॉर्ड से कुछ केस डायरियां गायब थीं।जस्टिस गिरीश कठपालिया ने वर्तमान मामले की केस डायरी नंबर 39 का अवलोकन करते हुए पाया कि केस डायरियां डायरी नंबर 19 (27.02.2025) तक रखी गई थीं। उसके बाद अगली केस डायरी नंबर 39 (28.02.2025) थी। उसके बाद केस डायरियों की नंबर 42 और फिर 44 हो गई।गायब केस डायरियों के बारे में पूछे जाने पर जांच अधिकारी ने कहा कि वे केस डायरियां नष्ट हो गई होंगी या हटा दी गई होंगी।अदालत...
दिल्ली हाईकोर्ट ने UPSC से गलती से पुराना OBC सर्टिफिकेट अपलोड करने वाले योग्य CAPF उम्मीदवार को बहाल करने के लिए कहा
दिल्ली हाईकोर्ट ने संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) द्वारा एक अभ्यर्थी को केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (CAPF) में भर्ती प्रक्रिया से केवल इसलिए बाहर करने पर अपनी नाखुशी व्यक्त की, क्योंकि उसने पहले की तारीख का जाति प्रमाणपत्र (OBC सर्टिफिकेट) अपलोड कर दिया था।UPSC ने गैर-क्रीमी लेयर ओबीसी श्रेणी के उम्मीदवारों से 1 अप्रैल, 2024 और 14 मई, 2024 के बीच जारी OBC-NCL सर्टिफिकेट प्रस्तुत करने को कहा था।याचिकाकर्ता के पास 30 अप्रैल, 2024 को जारी OBC सर्टिफिकेट था। उसने गलती से 16 जनवरी, 2024 को जारी किया गया...
पर्सनल लॉ के विरुद्ध होने पर बच्चे का कल्याण और आराम सर्वोपरि: बॉम्बे हाईकोर्ट ने मुस्लिम मां को 9 साल के बच्चे की कस्टडी बरकरार रखी
बॉम्बे हाईकोर्ट की औरंगाबाद पीठ ने सोमवार (21 जुलाई) को कहा कि जब पर्सनल लॉ बच्चे के कल्याण और आराम के विरुद्ध होता है तब भी बच्चे का ही दबदबा होता है।एकल जज जस्टिस शैलेश ब्रह्मे ने कहा कि मुस्लिम पर्सनल लॉ 7 साल से अधिक उम्र के नाबालिग की कस्टडी पिता को देता है। इस मामले में बच्चा 9 साल का है। बच्चे से व्यक्तिगत रूप से बात करने के बाद जज ने पाया कि बच्चे का अपनी मां के साथ बेहतर जुड़ाव है और इसलिए उन्होंने बच्चे की कस्टडी उसके पक्ष में दे दी।पीठ ने सुप्रीम कोर्ट के विभिन्न निर्णयों का हवाला...
7/11 मुंबई ट्रेन विस्फोट मामले में आरोपियों को बरी करते हुए हाईकोर्ट ने कहा- अधिकारी हताश थे, खिसियानी बिल्ली बन, उन्होंने निर्दोष लोगों को नोंचा
बॉम्बे हाईकोर्ट ने कुख्यात 7/11 मुंबई ट्रेन विस्फोट मामले में सभी 12 दोषियों को बरी करते हुए कहा कि मामले की जांच कर रहे महाराष्ट्र आतंकवाद निरोधी दस्ते (ATS) ने आरोपियों को बेहद 'अमानवीय और बर्बर' तरीके से प्रताड़ित किया, क्योंकि अधिकारी उस समय 'हताश' थे। इसलिए पुलिस द्वारा प्राप्त आरोपियों के 'स्वीकारोक्ति बयान' अस्वीकार्य है।जस्टिस अनिल किलोर और जस्टिस श्याम चांडक की स्पेशल बेंच ने रिकॉर्ड में मौजूद सबूतों पर गौर करने के बाद कहा कि आरोपी 76 दिनों तक 'लंबी' पुलिस हिरासत में थे। न्यायिक हिरासत...
महिला वकीलों को POSH Act की सुरक्षा से वंचित करना - विचलित करने वाली न्यायिक व्याख्या
7 जुलाई, 2025 को, बॉम्बे हाईकोर्ट [मुख्य न्यायाधीश आलोक अराधे और जस्टिस संदीप वी मार्ने] ने यह निर्णय दिया कि चूंकि बार काउंसिल ऑफ इंडिया और बार काउंसिल ऑफ महाराष्ट्र एंड गोवा को वकीलों का नियोक्ता नहीं कहा जा सकता, इसलिए उन्हें वकीलों के संबंध में कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम, 2013 का अनुपालन करने की आवश्यकता नहीं है। इस लेखक का मत है कि न्यायाधीशों ने अधिनियम के कुछ अंशों को अवलोकनार्थ उद्धृत किया है और इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं जो कानून द्वारा...
7/11 मुंबई ट्रेन ब्लास्ट: बॉम्बे हाईकोर्ट ने सभी 12 आरोपियों को बरी किया
बॉम्बे हाईकोर्ट ने विशेष मकोका अदालत के उस फैसले को रद्द कर दिया है, जिसमें मुम्बई की पश्चिमी रेलवे लाइन पर बम बनाने की साजिश रचने और उसे अंजाम देने के आरोप में पांच आरोपियों को मौत और सात आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी।मुंबई में लोकल लाइनों में 7 बम धमाके हुए थे। इन विस्फोटों में कुल 189 नागरिकों ने अपनी जान गंवाई और लगभग 820 निर्दोष लोग गंभीर रूप से घायल हुए, जिन्हें कुख्यात "7/11 मुंबई विस्फोट" के रूप में भी जाना जाता है। जस्टिस अनिल किलोर और जस्टिस श्याम चांडक की विशेष पीठ ...
सर्विस नियम तोड़ने और लंबा हलफनामा देकर सफाई देने पर हाईकोर्ट ने पंजाब सरकार पर ₹1 लाख जुर्माना लगाया
पंजाब सरकार को कड़ी फटकार लगाते हुए, हाईकोर्ट ने कहा कि राज्य ने सेवा नियमों का उल्लंघन करके न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग किया है और एक लंबे हलफनामे के माध्यम से अपने कार्यों को सही ठहराने का प्रयास किया है। इस आचरण पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कोर्ट ने सरकार पर 1 लाख रुपये का जुर्माना लगाया।पंजाब सरकार के अधिकारियों ने सेवानिवृत्ति की तारीख से 11 साल पहले हुई एक कथित घटना के लिए लोक निर्माण विभाग के एक अधिकारी के खिलाफ आरोप पत्र जारी किया। यह पंजाब सिविल सेवा नियमों का उल्लंघन है, जो सेवानिवृत्ति...
मां का उपनाम अपनाने की इच्छा पर कलकत्ता हाईकोर्ट ने बच्चे को नया जन्म प्रमाणपत्र जारी करने का आदेश दिया
कलकत्ता हाईकोर्ट ने नगर निगम के अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वह अपने पिता का उपनाम छोड़कर अपनी मां का उपनाम अपनाने के लिए नाबालिग को एक नया जन्म प्रमाण पत्र जारी करे।जस्टिस गौरांग कंठ ने कहा, "एक बच्चे की पहचान, उसके उपनाम सहित, उसके व्यक्तिगत विकास और स्वायत्तता का एक अभिन्न अंग है। न्यायालयों ने लगातार माना है कि जब नाम या उपनाम में परिवर्तन किसी तीसरे पक्ष के किसी भी कानूनी या वैधानिक अधिकार पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं डालता है और बच्चे के सर्वोत्तम हित को आगे बढ़ाने की मांग की जाती है, तो इस...
भर्ती के प्रत्येक चरण में शारीरिक रूप से दिव्यांग वर्ग के लिए अलग कट-ऑफ मार्क्स दिए जाने चाहिए: इलाहाबाद हाईकोर्ट
दोनों आंखों में दृष्टिदोष से पीड़ित व्यक्ति को राहत देते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि शारीरिक रूप से दिव्यांग उम्मीदवारों को सेवा में पर्याप्त प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने के लिए प्रत्येक चरण में शारीरिक रूप से दिव्यांग वर्ग के लिए अलग कट-ऑफ अंक दिए जाने चाहिए।न्यायिक सेवाओं में दृष्टिबाधितों की भर्ती मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय, रेखा शर्मा बनाम राजस्थान हाईकोर्ट एवं अन्य तथा सौरव यादव एवं अन्य बनाम उत्तर प्रदेश राज्य एवं अन्य का संदर्भ लेते हुए जस्टिस अब्दुल मोइन ने कहा,"शारीरिक रूप से...
हाईकोर्ट के सहायक रजिस्ट्रार पद पर पदोन्नति योग्यता के आधार पर उम्मीदवारों की वरिष्ठता ही एकमात्र मानदंड नहीं हो सकती: राजस्थान हाईकोर्ट
चार कोर्ट मास्टरों द्वारा सहायक रजिस्ट्रारों की वरिष्ठता सूची को चुनौती देते हुए दायर याचिका में राजस्थान हाईकोर्ट ने कहा कि इस पद पर पदोन्नति का मानदंड योग्यता पर आधारित है। इस याचिका में दावा किया गया था कि सीनियर होने के बावजूद उन्हें वरिष्ठता सूची में प्रशासनिक अधिकारी (न्यायिक) से नीचे रखा गया और उन्हें पदोन्नति से वंचित कर दिया गया।याचिकाकर्ताओं को 2013-14 की रिक्तियों के संबंध में 26.09.2015 को कोर्ट मास्टर के रूप में पदोन्नत किया गया। प्रतिवादियों को 2014-15 की रिक्तियों के विरुद्ध...
झारखंड हाईकोर्ट ने 2013 में 6 पुलिसकर्मियों की हत्या के लिए दो कथित नक्सलियों को दी गई मौत की सजा पर विभाजित फैसला सुनाया
झारखंड हाईकोर्ट की खंडपीठ ने 2013 में पुलिस दल पर हुए हमले के संबंध में, जिसमें पाकुड़ के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक और पांच अन्य पुलिसकर्मियों की मौत हो गई थी, दो कथित नक्सली व्यक्तियों को मृत्युदंड की सज़ा सुनाने वाली निचली अदालत के एक रेफरल पर विभाजित फैसला सुनाया है।जस्टिस रोंगोन मुखोपाध्याय ने यह कहते हुए अभियुक्तों को बरी कर दिया कि अभियोजन पक्ष अपना मामला साबित करने में विफल रहा है, जबकि जस्टिस संजय प्रसाद ने निचली अदालत की मृत्युदंड की सज़ा को बरकरार रखा।पीठ ने अपने 197 पृष्ठों के फैसले में,...
बॉम्बे हाईकोर्ट ने आपराधिक मामलों में गवाहों के बयानों की कॉपी-पेस्ट की फिर से निंदा की, राज्य सरकार से इस खतरे से निपटने को कहा
लगातार चिंता व्यक्त करते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट ने हाल ही में एक बार फिर जांच अधिकारियों द्वारा गवाहों के बयानों की कॉपी-पेस्ट की प्रथा पर चिंता जताई। साथ ही राज्य सरकार को इस बढ़ती खतरे से निपटने का निर्देश दिया।जस्टिस विभा कंकनवाड़ी और जस्टिस संजय देशमुख की खंडपीठ ने आपराधिक याचिका का निपटारा करते हुए ये टिप्पणियां कीं, जिसे न्यायालय द्वारा राहत देने में अनिच्छा व्यक्त करने के बाद वापस ले लिया गया था।मामले की मुख्य सुनवाई 25 जून, 2025 को हुई और CrPC की धारा 161 के तहत गवाहों के बयानों की जांच के...
"जनता की आवाज़ है चुना हुआ प्रतिनिधि": बिना प्रक्रिया अपनाए पंचायत सदस्यों को हटाने पर राजस्थान हाईकोर्ट ने जताई सख्त आपत्ति
राजस्थान हाईकोर्ट ने पंचायत सदस्यों को हटाने से जुड़े कई मामलों पर संज्ञान लेते हुए कहा है कि वर्ष 1996 के राजस्थान पंचायती राज नियमों के नियम 22 में निर्धारित अनिवार्य प्रक्रिया का पालन किए बिना हटाने के आदेश पारित किए जा रहे हैं। जस्टिस अनूप कुमार ढंड ने पाया कि जांच अधिकारी इन नियमों से भलीभांति अवगत नहीं हैं, जिससे आदेशों में गंभीर त्रुटियां हो रही हैं।कोर्ट ने पंचायती राज विभाग के प्रमुख सचिव, संभागीय आयुक्तों और जिला कलेक्टरों को निर्देश दिया कि वे सभी पंचायत समितियों के मुख्य कार्यकारी...
[CrPC की धारा 200] पुलिस के पास जाने से पहले शिकायतकर्ता के मजिस्ट्रेट के पास जाने पर कोई रोक नहीं: जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट
जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया कि संज्ञेय अपराध का आरोप लगाने वाला शिकायतकर्ता FIR दर्ज कराने के लिए पहले पुलिस के पास जाने के लिए बाध्य नहीं है। वह CrPC की धारा 200 के तहत सीधे मजिस्ट्रेट के पास जा सकता है।न्यायालय ने आगे कहा कि ऐसे मामलों में कोई अवैधता नहीं होती, जहां मजिस्ट्रेट शिकायत के आधार पर संज्ञान लेता है।जस्टिस संजय धर की पीठ ने कहा कि पुलिस के पास जाने के बजाय मजिस्ट्रेट के पास आपराधिक शिकायत के लिए जाने पर कोई रोक नहीं है, यहां तक कि उन मामलों में भी जहां संज्ञेय अपराधों का...
दिल्ली हाईकोर्ट ने यूट्यूबर मोहक मंगल की ANI के कॉपीराइट मुकदमे को आईपी डिवीजन के समक्ष ट्रांसफर करने की याचिका को सूचीबद्ध किया
दिल्ली हाईकोर्ट ने यूट्यूबर मोहक मंगल की याचिका को सोमवार को बौद्धिक संपदा प्रभाग (Intellectual Property Division) की एक समन्वय पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया। मोहक मंगल ने एशियन न्यूज़ इंटरनेशनल (ANI) की ओर से पटियाला हाउस कोर्ट्स में उनके खिलाफ दायर कॉपीराइट और ट्रेडमार्क उल्लंघन के मुकदमे को हाईकोर्ट में ट्रांसफर करने की मांग की थी। जस्टिस अनूप जयराम भंभानी ने दिल्ली हाईकोर्ट बौद्धिक संपदा अधिकार प्रभाग नियम, 2022 के नियम 26 का संज्ञान लेते हुए शुक्रवार को मामले को एक समन्वय पीठ के समक्ष...
राजस्थान हाईकोर्ट ने हत्या के मामले में किशोर को जमानत देने से इनकार किया; कहा- 'बेरहमी से हत्या' के आरोप पर सावधानी बरतने की जरूरत
राजस्थान हाईकोर्ट ने सह-अभियुक्त के साथ मिलकर एक व्यक्ति की "क्रूरतापूर्वक" हत्या करने के आरोप में आरोपित एक किशोर को अपराध की गंभीरता, उसकी प्रत्यक्ष संलिप्तता और ज़मानत देने के लिए ठोस कारणों के अभाव के आधार पर ज़मानत देने से इनकार कर दिया। किशोर न्याय अधिनियम, 2015 की धारा 12 के प्रति जागरूकता को रेखांकित करते हुए जस्टिस मनोज कुमार गर्ग की पीठ ने कहा कि किशोर न्याय अधिनियम, 2015 के प्रावधानों के तहत, अपराध की गंभीरता ज़मानत देने या न देने के न्यायालय के निर्णय को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित...
धारा 125 CrPC | भरण-पोषण अब केवल जीविका चलाने के लिए नहीं, बल्कि जीवनशैली को बनाए रखने के एक साधन के रूप में दिया जाता है: कलकत्ता हाईकोर्ट
कलकत्ता हाईकोर्ट ने माना कि भरण-पोषण देने के संबंध में न्यायशास्त्र में हुए विकास के कारण, अब इसे जीवन-यापन के लिए भुगतान के रूप में नहीं, बल्कि व्यक्ति की जीवनशैली की स्थिरता बनाए रखने के लिए दिया जाता है। जस्टिस बिभास रंजन डे की एकल पीठ ने कहा,"वर्तमान समय और युग में वैवाहिक दायित्वों के संबंध में समाज में भारी बदलाव आया है। इसलिए, यह तीव्र उतार-चढ़ाव भरण-पोषण देने के प्रति न्यायिक दृष्टिकोण में भी बदलाव की मांग करता है, क्योंकि भरण-पोषण अब केवल जीविका चलाने के लिए दिया जाने वाला अनुदान नहीं...
'केवल जानबूझकर अवज्ञा करना अवमानना के बराबर है': उत्तराखंड हाईकोर्ट ने IIM काशीपुर के अंतरिम अध्यक्ष और सीएओ के खिलाफ मामला बंद किया
उत्तराखंड हाईकोर्ट ने IIM काशीपुर के अंतरिम अध्यक्ष और मुख्य प्रशासनिक अधिकारी के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही को बंद कर दिया है। हाईकोर्ट ने फैसले में पिछले सप्ताह कहा कि हर अवज्ञा अवमानना नहीं होती, और न्यायालय के आदेश का उल्लंघन अवमानना के दायरे में लाने के लिए, यह 'जानबूझकर' अवज्ञा होनी चाहिए। जस्टिस रवींद्र मैठाणी की पीठ ने कहा कि न्यायालय के आदेश का पालन न करना अवमाननाकर्ता का एक सूचित निर्णय होना चाहिए, और यदि ऐसा है, तभी अवमानना का प्रावधान लागू होगा।पीठ मुख्यतः विनय शर्मा नामक व्यक्ति...















![[CrPC की धारा 200] पुलिस के पास जाने से पहले शिकायतकर्ता के मजिस्ट्रेट के पास जाने पर कोई रोक नहीं: जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट [CrPC की धारा 200] पुलिस के पास जाने से पहले शिकायतकर्ता के मजिस्ट्रेट के पास जाने पर कोई रोक नहीं: जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट](https://hindi.livelaw.in/h-upload/2024/03/14/500x300_528067-sanjaydhar.jpg)



