दिल्ली हाईकोर्ट: प्राइवेट स्कूलों पर भी RPwD Act के तहत दिव्यांग स्टूडेंट्स को रीज़नेबल एकॉमोडेशन देने की बाध्यता

Amir Ahmad

24 Sept 2025 12:28 PM IST

  • दिल्ली हाईकोर्ट: प्राइवेट स्कूलों पर भी RPwD Act के तहत दिव्यांग स्टूडेंट्स को रीज़नेबल एकॉमोडेशन देने की बाध्यता

    दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को अहम फैसला सुनाते हुए कहा कि प्राइवेट स्कूल भी राइट्स ऑफ पर्सन्स विथ डिसएबिलिटीज़ एक्ट (RPwD Act), 2016 की धारा 16 के तहत बाध्य हैं और उन्हें दिव्यांग बच्चों की सीखने की कठिनाइयों को दूर करने के लिए आवश्यक कदम उठाने होंगे। अदालत ने साफ किया कि समावेशी शिक्षा तभी संभव है, जब शिक्षण संस्थान दिव्यांग बच्चों को रीज़नेबल एकॉमोडेशन दें यानी उनकी ज़रूरतों के अनुरूप उचित बदलाव और सुविधाएं उपलब्ध कराएं।

    चीफ जस्टिस डी.के. उपाध्याय और जस्टिस तुषार राव गेदेला की खंडपीठ ने कहा कि यह प्रावधान केवल सरकारी सहायता प्राप्त संस्थानों पर ही नहीं बल्कि सरकार अथवा स्थानीय निकाय से मान्यता प्राप्त प्राइवेट स्कूलों पर भी लागू होता है। अदालत ने कहा कि संस्थानों का यह दायित्व है कि वे बच्चों की विशेष सीखने संबंधी अक्षमताओं की पहचान करें और उन्हें दूर करने के लिए शैक्षणिक एवं अन्य उपाय अपनाएं।

    यह आदेश जीडी गोयंका पब्लिक स्कूल की अपील खारिज करते हुए दिया गया, जिसने ऑटिज़्म से पीड़ित बच्ची को फिर से दाखिला देने के खिलाफ चुनौती दी थी। पहले एकल जज ने स्कूल को निर्देश दिया कि बच्ची को क्लास 1 या उसकी आयु के अनुसार उचित कक्षा में एडमिशन दें और उसे माता-पिता द्वारा नियुक्त शैडो टीचर की सहायता से पढ़ने की अनुमति दें।

    खंडपीठ ने सिंगल जज के आदेश को सही ठहराते हुए कहा कि स्कूल का रवैया RPwD Act के प्रावधानों के विपरीत है और यह बच्चे के शिक्षा के अधिकार का उल्लंघन करता है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि समावेशी शिक्षा का अर्थ है ऐसा माहौल, जहां दिव्यांग और सामान्य स्टूडेंट साथ पढ़ें और शिक्षण पद्धति को विभिन्न ज़रूरतों के अनुरूप ढाला जाए।

    अदालत ने यह भी कहा कि विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट और उसकी चेयरपर्सन की सिफारिशों पर कोई संदेह नहीं है। समिति ने सलाह दी थी कि बच्ची के लिए शैडो टीचर आवश्यक है ताकि वह स्कूल वातावरण में आसानी से ढल सके और अपने सहपाठियों के साथ सामंजस्य बना सके।

    कोर्ट ने स्कूल को निर्देश दिया कि दो सप्ताह के भीतर सिंगल जज के आदेश का पालन सुनिश्चित किया जाए।

    Next Story