संपादकीय

प्रोफेसर जीएन साईंबाबा
बॉम्बे हाईकोर्ट ने कथित माओवादी लिंक मामले में प्रोफेसर जीएन साईंबाबा और 5 अन्य को बरी किया

बॉम्बे हाईकोर्ट (नागपुर बेंच) ने कथित माओवादी लिंक मामले में दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर जीएन साईंबाबा और पांच अन्य को बरी कर दिया है। अदालत ने आतंकवाद विरोधी कानून यूएपीए के तहत दोषसिद्धि और उम्रकैद की सजा के खिलाफ उनकी अपील को स्वीकार कर लिया है। नागपुर खंडपीठ के जस्टिस रोहित देव और जस्टिस अनिल पानसरे की खंडपीठ ने फैसला सुनाया। आरोपियों में से एक, पांडु पोरा नरोटे की अगस्त 2022 में मृत्यु हो गई। महेश तिर्की, हेम केश्वदत्त मिश्रा, प्रशांत राही और विजय नान तिर्की अन्य आरोपी...

नियोक्ताओं को आयकर अधिनियम, 36(1)(वीए) और 43 बी के तहत कटौती का लाभ उठाने के लिए कर्मचारी के योगदान को ईपीएफ/ ईएसआई में जमा करना होगा : सुप्रीम कोर्ट
नियोक्ताओं को आयकर अधिनियम, 36(1)(वीए) और 43 बी के तहत कटौती का लाभ उठाने के लिए कर्मचारी के योगदान को ईपीएफ/ ईएसआई में जमा करना होगा : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नियोक्ताओं को आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 36(1)(वीए) और 43 बी के तहत कटौती का लाभ उठाने के लिए नियत तारीख को या उससे पहले कर्मचारी के योगदान को ईपीएफ/ ईएसआई में जमा करना होगा।अदालत ने कहा कि दो राशियों की प्रकृति और चरित्र के बीच एक स्पष्ट अंतर है। नियोक्ता के योगदान और कर्मचारियों के योगदान को नियोक्ता द्वारा जमा किया जाना आवश्यक है।सीजेआई यूयू ललित, जस्टिस एस रवींद्र भट और जस्टिस सुधांशु धूलिया ने कहा कि पहली है, नियोक्ता की देनदारी को उसकी आय से भुगतान किया जाना है...

हिजाब केस
क्या है बिजो इमैनुएल केस? जिसका जिक्र जस्टिस सुधांशु धूलिया ने हिजाब मामले में कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले को खारिज करते हुए किया

हिजाब मामले (Hijab Case) में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के दोनों जजों ने अलग-अलग फैसला सुनाया।जस्टिस हेमंत गुप्ता (Justice Hemant Gupta) ने कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा, वहीं दूसरे जज जस्टिस सुधांशु धूलिया (Justice Sudhanshu Dhulia) ने हाईकोर्ट के फैसले को खारिज किया।जस्टिस धूलिया ने जस्टिस गुप्ता से एक अलग विचार व्यक्त करते हुए कहा कि आक्षेपित आदेश की वैधता का परीक्षण अनुच्छेद 19(1)(ए) और 25(1) के आधार पर किया जाना चाहिए। मेरे फैसले का मुख्य जोर यह है कि आवश्यक धार्मिक प्रथाओं की...

हिजाब केस
हिजाब मामले से पहले ईदगाह मैदान में गणेश चतुर्थी मनाने के मामले में भी जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस सुधांशु धुलिया ने अलग-अलग फैसला सुनाया था

हिजाब मामले (Hijab Case) में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के दोनों जजों ने अलग-अलग फैसला सुनाया।जस्टिस हेमंत गुप्ता (Justice Hemant Gupta) ने कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा, वहीं दूसरे जज जस्टिस सुधांशु धूलिया (Justice Sudhanshu Dhulia) ने हाईकोर्ट के फैसले को खारिज किया।जानकारी के लिए बता दें, जस्टिस हेमंत गुप्ता का शुक्रवार को अंतिम कार्यदिवस है। वो रविवार यानी 16 अक्तूबर को रिटायर हो रहे हैं। बता दें, इन दोनों जजों की पीठ के बीच य़े पहला मामला नहीं है जहां दोनों जजों ने अलग-अलग...

सुप्रीम कोर्ट बेंच के दोनों जजों ने तय नहीं किया कि क्या हिजाब एक अनिवार्य धार्मिक प्रथा है?
सुप्रीम कोर्ट बेंच के दोनों जजों ने तय नहीं किया कि क्या हिजाब एक अनिवार्य धार्मिक प्रथा है?

सुप्रीम कोर्ट ने हिजाब प्रतिबंध मामले में एक विभाजित फैसला सुनाया, लेकिन बेंच के दोनों न्यायाधीशों ने इस सवाल का फैसला नहीं किया कि क्या हिजाब पहनना एक आवश्यक धार्मिक प्रथा माना जाता है। कर्नाटक हाईकोर्ट ने माना था कि हिजाब इस्लाम की एक आवश्यक धार्मिक प्रथा नहीं है और इसलिए याचिकाकर्ता संविधान के अनुच्छेद 25 के तहत सुरक्षा का दावा नहीं कर सकते। जस्टिस हेमंत गुप्ता ने कहा कि हिजाब पहनने की प्रथा एक 'धार्मिक प्रथा' या 'आवश्यक धार्मिक प्रथा' हो सकती है या यह इस्लामी आस्था की महिलाओं के लिए सामाजिक...

लड़कियों को स्कूल के गेट पर हिजाब उतारने के लिए कहना उनकी निजता और गरिमा पर हमला, धर्मनिरपेक्ष शिक्षा से इनकार : जस्टिस सुधांशु धूलिया
लड़कियों को स्कूल के गेट पर हिजाब उतारने के लिए कहना उनकी निजता और गरिमा पर हमला, धर्मनिरपेक्ष शिक्षा से इनकार : जस्टिस सुधांशु धूलिया

सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस सुधांशु धूलिया ने कर्नाटक हिजाब प्रतिबंध मामले में फैसले में कहा कि "एक प्री यूनिवर्सिटी की छात्रा को अपने स्कूल के गेट पर हिजाब उतारने के लिए कहना, उसकी निजता और गरिमा पर आक्रमण है।"जस्टिस धूलिया ने कहा कि छात्रा को स्कूल के गेट पर हिजाब हटाने के लिए कहना "स्पष्ट रूप से भारत के संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (ए) और 21 के तहत दिए गए मौलिक अधिकार का उल्लंघन है।जस्टिस धूलिया ने हाईकोर्ट के इस विचार से स्पष्ट रूप से असहमति जताते हुए कहा, "अपनी गरिमा और अपनी निजता का यह...

हिजाब पहनना पंसद की बात: जस्टिस सुधांशु धूलिया ने हिजाब बैन के कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले को खारिज करते हुए कहा (वीडियो)
'हिजाब पहनना पंसद की बात': जस्टिस सुधांशु धूलिया ने हिजाब बैन के कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले को खारिज करते हुए कहा (वीडियो)

हिजाब मामले में सुप्रीम कोर्ट के दोनों जजों ने अलग-अलग फैसला सुनाया। एक जज ने कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा, वहीं दूसरे जज ने हाईकोर्ट के फैसले को खारिज किया। मामला बड़ी बेंच को भेजा जाएगा। जस्टिस सुधांशु धूलिया ने कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा, "हाईकोर्ट ने गलत रास्ता अपनाया। अनुच्छेद 14 और 19 का मामला। यह पसंद का मामला है, न ज्यादा और न ही कम।" जस्टिस सुधांशु ने कहा कि उनके मन में सबसे बड़ा सवाल बालिकाओं की शिक्षा को लेकर है।जस्टिस सुधांशु ने कहा,"लेकिन...

पोक्सो एक्ट
लड़की का दुपट्टा खींचना, यौन इरादे से उसका हाथ पकड़ना आईपीसी की धारा 354, पोक्सो एक्ट के तहत दंडनीय अपराध: मुंबई स्पेशल कोर्ट

मुंबई स्पेशल कोर्ट (Mumbai Court) ने नाबालिग लड़की का दुपट्टा खींचने और यौन इरादे से हाथ पकड़ने के आरोप में 23 वर्षीय एक व्यक्ति को तीन साल जेल की सजा सुनाई।अदालत ने कहा कि बच्चों के खिलाफ यौन अपराध बढ़ रहे हैं और इससे पीड़िता, उसके परिवार और समाज पर बहुत प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है, जिससे उन्हें यह विश्वास हो गया है कि घर और आसपास के क्षेत्र बच्चों के लिए सुरक्षित नहीं हैं।अदालत ने कहा,"निश्चित रूप से इस तरह की घटना लोगों, पीड़िता और उसके परिवार के सदस्यों के मन में डर पैदा करती है और लंबे समय...

हिजाब केस
'हिजाब पहनना पंसद की बात, लड़कियों की शिक्षा सबसे महत्वपूर्ण': जस्टिस सुधांशु धूलिया ने हिजाब बैन के कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले को खारिज करते हुए कहा

हिजाब मामले (Hijab Case) में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के दोनों जजों ने अलग-अलग फैसला सुनाया।जस्टिस हेमंत गुप्ता ने कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा, वहीं दूसरे जज जस्टिस सुधांशु धूलिया ने हाईकोर्ट के फैसले को खारिज किया।सुप्रीम कोर्ट ने आज 10 दिनों की लंबी सुनवाई के बाद 22 सितंबर को कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं के एक बैच पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिसने शैक्षणिक संस्थानों में मुस्लिम छात्रों द्वारा हिजाब पहनने पर प्रतिबंध को बरकरार रखा था।पीठ के...

हिजाब केस
Breaking: हिजाब मामले में सुप्रीम कोर्ट के दोनों जजों का अलग-अलग फैसला, मामला सीजेआई को भेजा गया

हिजाब मामले (Hijab Case) में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के दोनों जजों ने अलग-अलग फैसला सुनाया। एक जज ने कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा, वहीं दूसरे जज ने हाईकोर्ट के फैसले को खारिज किया। मामला सीजेआई के पास भेजा जाएगा। मामला बड़ी बेंच को भेजा जाएगा।सुप्रीम कोर्ट ने आज 10 दिनों की लंबी सुनवाई के बाद 22 सितंबर को कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं के एक बैच पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिसने शैक्षणिक संस्थानों में मुस्लिम छात्रों द्वारा हिजाब पहनने पर प्रतिबंध...

आत्महत्या के लिए उकसाना - आईपीसी की धारा 306 के तहत दोषसिद्धि के लिए अभियुक्तों के कृत्य घटना के निकट होने चाहिए : सुप्रीम कोर्ट
आत्महत्या के लिए उकसाना - आईपीसी की धारा 306 के तहत दोषसिद्धि के लिए अभियुक्तों के कृत्य घटना के निकट होने चाहिए : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने दोहराया कि आरोपी की ओर से आत्महत्या के समय के करीब कार्रवाई, जिसने मृतक को आत्महत्या के लिए उकसाया या मजबूर किया, उसे भारतीय दंड संहिता की धारा 306 के तहत दोषसिद्धि के लिए स्थापित किया जाना चाहिए।जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस कृष्ण मुरारी की पीठ ने कहा कि आत्महत्या के कथित उकसावे के मामलों में आत्महत्या के लिए उकसाने वाले प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष कृत्यों का सबूत होना चाहिए।पीठ ने कहा कि आत्महत्या के लिए उकसाने के मामलों की सुनवाई करते समय अदालत को भावनाओं से नहीं बल्कि रिकॉर्ड में...

सुप्रीम कोर्ट, दिल्ली
'किसी भी व्यक्ति पर आईटी एक्ट की धारा 66 A के तहत मुकदमा नहीं चलाया जाना चाहिए': सुप्रीम कोर्ट ने श्रेया सिंघल जजमेंट को लागू करने के निर्देश जारी किए

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम (IT Act) 2000 की धारा 66 A के तहत किसी पर भी मुकदमा नहीं चलाया जाना चाहिए।बता दें, सुप्रीम कोर्ट ने साल 2015 में श्रेया सिंघल मामले में इस धारा को असंवैधानिक करार दिया था।अदालत ने सभी राज्यों के पुलिस महानिदेशकों और गृह सचिवों को यह सुनिश्चित करने के लिए कई निर्देश जारी किए कि सभी लंबित मामलों से धारा 66A का संदर्भ हटा दिया जाए।कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि प्रकाशित आईटी अधिनियम के बेयरएक्ट्स को पाठकों को पर्याप्त रूप से सूचित...

प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को 31 अक्टूबर तक प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अपना जवाब दाखिल करने को कहा

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के चीफ जस्टिस यू.यू. ललित, जस्टिस रवींद्र भट और जस्टिस अजय रस्तोगी की बेंच ने प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 के प्रावधानों की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं के एक बैच को 14 नवंबर 2022 को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया।अदालत ने भारत सरकार को 31 अक्टूबर 2022 तक अपना जवाब दाखिल करने का भी निर्देश दिया।अपनी पिछली सुनवाई में, अदालत ने भारत सरकार को दो सप्ताह में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया था।हालांकि, आज की कार्यवाही में, अधिनियम का समर्थन करने वाले जमीयत...

तजिंदर पाल सिंह बग्गा
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने कुमार विश्वास, तजिंदर पाल सिंह बग्गा के खिलाफ दर्ज एफआईआर रद्द करने का आदेश दिया

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने आम आदमी पार्टी के पूर्व नेता और कवि कुमार विश्वास (Kumar Vishwas) और भाजपा नेता तजिंदर पाल सिंह बग्गा (Tajinder Pal Singh Bagga) के खिलाफ पंजाब पुलिस द्वारा दर्ज एफआईआर रद्द करने का आदेश दिया।पंजाब पुलिस ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ गलत सूचना और सांप्रदायिक विद्वेष फैलाने और भड़काऊ बयान प्रकाशित करने का आरोप लगाया था। जस्टिस अनूप चितकारा की पीठ ने एफआईआर रद्द करने का आदेश देते हुए कहा, "बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के बिना कोई लोकतंत्र...

पीसी एक्ट धारा 19 के तहत  मंज़ूरी अनुरोध पर फैसले के लिए चार महीने की अवधि अनिवार्य, लेकिन देरी के लिए आपराधिक कार्रवाई रद्द नहीं हो सकती : सुप्रीम कोर्ट
पीसी एक्ट धारा 19 के तहत ' मंज़ूरी अनुरोध' पर फैसले के लिए चार महीने की अवधि अनिवार्य, लेकिन देरी के लिए आपराधिक कार्रवाई रद्द नहीं हो सकती : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि नियुक्ति प्राधिकारी के लिए मंज़ूरी के अनुरोध पर निर्णय लेने के लिए भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 19 के तहत तीन महीने की अवधि (जो कानूनी परामर्श के लिए एक महीने और बढ़ाई जा सकती है) अनिवार्य है।जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की पीठ ने स्पष्ट किया कि हालांकि, इस अनिवार्य आवश्यकता का पालन न करने का परिणाम, इसी कारण से आपराधिक कार्यवाही को रद्द करना नहीं होगा।अदालत ने कहा कि तीन महीने और एक महीने की अतिरिक्त अवधि की समाप्ति पर, पीड़ित पक्ष, चाहे वह...

फ्लिपकार्ड
लखनऊ कोर्ट ने एक वकील को नकली एप्पल एयरपॉड्स बेचने के आरोप में फ्लिपकार्ट के अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया

लखनऊ की अदालत ने फ्लिपकार्ट के अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया। कोर्ट ने शहर के एक वकील की शिकायत को स्वीकार किया, जिसमें आरोप लगाया गया था कि उन्हें ई-कॉमर्स दिग्गज कंपनी फ्लिपकार्ट द्वारा नकली एप्पल एयरपॉड्स बेचे गए हैं।मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट रवि कुमार गुप्ता ने यह आदेश वकील अभिमन्यु सिंह द्वारा दायर एक शिकायत पर पारित किया, जिसमें आरोप लगाया गया था कि ऑनलाइन शॉपिंग साइट फ्लिपकार्ट ने उन्हें अगस्त के महीने में 17,489 रुपये की राशि का एक नकली एप्पल एयरपॉड्स प्रो (ब्लूटूथ...

जहां कानून के मुताबिक नियुक्ति नहीं की गई है, वहां रिट ऑफ क्वो वारंटो जारी की जा सकती : सुप्रीम कोर्ट
जहां कानून के मुताबिक नियुक्ति नहीं की गई है, वहां रिट ऑफ क्वो वारंटो जारी की जा सकती : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जहां कानून के मुताबिक नियुक्ति नहीं की गई है, वहां रिट ऑफ क्वो वारंटो जारी की जा सकती है। जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ ने पश्चिम बंगाल राज्य और सोनाली चक्रवर्ती बनर्जी द्वारा कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली अपीलों को खारिज करते हुए इस प्रकार कहा, जिसने बनर्जी को कलकत्ता विश्वविद्यालय के की कुलपति (वीसी) के रूप में फिर से नियुक्त करने के राज्य के फैसले को रद्द कर दिया था। हाईकोर्ट ने कलकत्ता विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र अनिंद्य सुंदर...

 अगर वाणिज्यिक विवादों में दशक लगते रहे तो यूपी में कोई निवेश नहीं करेगा : सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार और हाईकोर्ट को लंबित मामलों के मुद्दों को हल करने को कहा
" अगर वाणिज्यिक विवादों में दशक लगते रहे तो यूपी में कोई निवेश नहीं करेगा" : सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार और हाईकोर्ट को लंबित मामलों के मुद्दों को हल करने को कहा

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश और हाईकोर्ट की बुनियादी ढांचा समिति के सदस्यों व हाईकोर्ट की नियुक्ति समिति और यूपी राज्य के मुख्य सचिव, वित्त सचिव, कानून सचिव और राजस्व सचिव के बीच एक सप्ताह की अवधि के भीतर निचली न्यायपालिका के लिए बुनियादी ढांचे और अन्य बजटीय प्रावधानों के संबंध में मुद्दों पर चर्चा करने के लिए बैठक होनी चाहिए। न्यायालय ने आगे कहा कि हाईकोर्ट को इस मामले को राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी के साथ उठाना चाहिए ताकि यह देखा जा सके कि जिला...

सुप्रीम कोर्ट, दिल्ली
यदि उधारकर्ता द्वारा किए गए आंशिक भुगतान का पृष्ठांकन किए बिना पूरी राशि के लिए चेक प्रस्तुत किया जाता है तो धारा 138 एनआई एक्ट के तहत कोई अपराध नहीं: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में मंगलवार को कहा कि नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट की धारा 138 के तहत चेक के अनादर के लिए कोई अपराध नहीं बनता है, यदि चेक जारी करने के बाद उधारकर्ता द्वारा किए गए आंशिक भुगतान का पृष्ठांकन किए बिना पूरी राशि के लिए चेक प्रस्तुत किया जाता है।कोर्ट ने माना कि चेक पर दिखाई गई राशि एनआई अधिनियम की धारा 138 के अनुसार "कानूनी रूप से लागू करने योग्य ऋण" नहीं होगी, जब इसे आंशिक भुगतान का पृष्ठांकन किए बिना नकदीकरण के लिए प्रस्तुत किया गया हो।कोर्ट ने कहा, एनआई...