हिजाब मामले से पहले ईदगाह मैदान में गणेश चतुर्थी मनाने के मामले में भी जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस सुधांशु धुलिया ने अलग-अलग फैसला सुनाया था

Brij Nandan

13 Oct 2022 3:56 PM GMT

  • हिजाब केस

    हिजाब केस

    हिजाब मामले (Hijab Case) में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के दोनों जजों ने अलग-अलग फैसला सुनाया।

    जस्टिस हेमंत गुप्ता (Justice Hemant Gupta) ने कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा, वहीं दूसरे जज जस्टिस सुधांशु धूलिया (Justice Sudhanshu Dhulia) ने हाईकोर्ट के फैसले को खारिज किया।

    जानकारी के लिए बता दें, जस्टिस हेमंत गुप्ता का शुक्रवार को अंतिम कार्यदिवस है। वो रविवार यानी 16 अक्तूबर को रिटायर हो रहे हैं।

    बता दें, इन दोनों जजों की पीठ के बीच य़े पहला मामला नहीं है जहां दोनों जजों ने अलग-अलग फैसला सुनाया है। इससे पहले भी एक मामले में दोनों जजों ने अलग-अलग फैसला सुनाया था।

    हिजाब मामले में अलग-अलग फैसला सुनाने वाले दोनों जजों ने इससे पहले गणपति उत्सव के आयोजन स्थल को लेकर अलग-अलग फैसला सुनाया था।

    दरअसल, बेंगलुरु के चामराजपेट के ईदगाह मैदान में गणेश चतुर्थी मनाने की परमिशन देने पर मुस्लिम संगठनों ने आपत्ति जताई थी।

    गौरतलब है कि कर्नाटक हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने कर्नाटक सरकार को चामराजपेट में ईदगाह मैदान के उपयोग की मांग करने वाले आवेदनों को मंजूर कर लिया था। हालांकि, इसके खिलाफ वक्फ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। सीनियर वकील कपिल सिब्बल ने तत्काल सुनवाई के लिए मामले का उल्लेख किया था। उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट के आदेश से अनावश्यक तनाव पैदा होगा। पूरे विवाद के बीच मामले को संभालने के लिए ईदगाह मैदान के चारों ओर चप्पे-चप्पे पर भारी संख्या में पुलिस की तैनाती की गई थी।

    सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस सुधांशु धूलिया की बेंच ने की थी। 30 अगस्त, 2022 को वक्फ बोर्ड द्वारा दायर याचिका के मामले में इन दोनों जजों की राय विभाजित रही थी।

    जस्टिस हेमंत गुप्ता हाईकोर्ट के आदेश को बनाए रखने के इच्छुक थे, लेकिन जस्टिस धूलिया इसके खिलाफ थे। इसके बाद मामले को तीन जजों की बेंच के पास भेजा गया था।

    जहां कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु के ईदगाह मैदान में गणेश चतुर्थी मनाने की अनुमति देने से बेंच ने इनकार कर दिया था।

    कोर्ट ने आदेश दिया था कि जमीन पर यथास्थिति बरकरार रखी जाए।

    सुप्रीम कोर्ट ने मामले में दोनों पक्षों को सुनवाई के लिए कर्नाटक हाईकोर्ट जाने का निर्देश दिया था।

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