संपादकीय
[धारा 151 CrPC] जानिए संज्ञेय अपराध को रोकने के लिए पुलिस की गिरफ्तार करने की शक्ति
सामान्य अर्थ में गिरफ्तारी की शक्ति,हमेशा किसी को पुलिस हिरासत में लेने से जुड़ी रही है। हालाँकि एक मजिस्ट्रेट और एक आम व्यक्ति भी कुछ मामलों में किसी की गिरफ्तारी करने में सक्षम हैं। आपराधिक कानूनों में गिरफ्तारी एक महत्वपूर्ण उपकरण है, जिसका उद्देश्य अदालत के सामने एक अपराधी को पेश करना और उसे कानून की पकड़ से भागने से रोकना है। गिरफ्तारी का मतलब किसी ऐसे व्यक्ति को पकड़ना है, जिसने अपराध किया है या उसके द्वारा अपराध किये जाने की संभावना है। गिरफ्तारी के जरिये, इस आशंका को खत्म किया जाता है कि...
एक्सप्लेनरः कैसे मिलती है भारतीय नागरिकता, कैसी होती है खत्म
नागरिकता अधिकारों का गट्ठर है, जो व्यक्ति और राज्य के बीच संबंधों को परिभाषित करती है। भारत में मौलिक अधिकारों और कई वैधानिक अधिकारों का उपभोग भारतीय नागरिकता होने पर निर्भर हैं।जन्म और वंश से नागरिकतादुनिया भर के देश नागरिकता की दो अवधारणाओं का पालन करते हैं: 1-'jus soli' (मिट्टी का अधिकार) या जन्मसिद्ध नागरिकता 2-'jus sanguinis' (रक्त का अधिकार) या वंश द्वारा नागरिकता। पहले मॉडल में, माता-पिता की राष्ट्रीयता की परवाह किए बिना उन सभी को नागरिकता दी जाती है] जो देश की सीमा के भीतर पैदा...
अविवाहित जोड़े का होटल के कमरे में रहना नहीं है अपराध : मद्रास हाईकोर्ट
मद्रास हाईकोर्ट ने माना है कि एक अविवाहित का होटल के कमरे में रहना कोई आपराधिक कृत्य नहीं है। न्यायमूर्ति एम.एस रमेश ने याचिकाकर्ता द्वारा संचालित एक होटल की सीलिंग को रद्द करते हुए कहा कि- ''जाहिर है, कोई ऐसा कानून या नियम नहीं है, जो बतौर मेहमान के रूप में होटल के कमरे में रहने के लिए विपरीत लिंग के अविवाहित व्यक्तियों को मना करता हो। जब दो वयस्कों के लिव-इन-रिलेशनशिप को अपराध नहीं माना जाता तो ऐसे में एक अविवाहित जोड़े का होटल के कमरे में रहना किसी अपराध को आकर्षित नहीं करता। इस आधार पर...
लॉ ऑन रील्स - आक्रोश : न्याय व्यवस्था की विफलता पर करारा कमेंट
हमारे लॉ स्कूलों में एनालिटिकल पोज़िटिविस्ट सोच से प्रेरित होकर कानून मात्र केस लॉ और संसद द्वारा पारित अधिनियमों द्वारा पढ़ाया जाता है, लेकिन यह कानून और उसकी कार्यप्रणाली के सम्पूर्ण परिप्रेक्ष्य को नहीं दर्शाता है। अमेरिका के क्रिटिकल लीगल स्टडीज़ मूवमेंट ने यह दर्शाया है कि कानून मूल्य उदासीन (वैल्यू न्यूट्रल) नहीं है। कानून भी समाज के ढांचों में बंधा अपने पूर्वाग्रहों के साथ काम करता है। उदाहरण के तौर पर कानून की महिलावादी व्याख्या को अगर देखा जाये तो कुछ का मानना है कि कानून भी पितृसत्ता...
जानिए कानून के एक जैसे शब्द और उनके अलग अलग अर्थ
भारतीय विधि व्यवस्था में आम लोगों के सामने ऐसे बहुत से शब्द आते हैं, जो दो शब्द एक जैसे अर्थो के प्रतीत होते हैं, परंतु उन शब्दों के अर्थ बहुत भिन्न भिन्न होते हैं। कानूनी प्रक्रिया से दूर रहने वाले लोग या फिर ऐसे लोग जिनका न्यायालय इत्यादि से कोई काम नहीं रहा वह इन शब्दों से भ्रमित होते हैं। बहुत से लोग तो सारा जीवन उन शब्दों को पढ़ते, देखते और उपयोग करते रहते हैं, उसके पश्चात भी उन शब्दों के संबंध में उचित जानकारी नहीं रख पाते हैं। ये शब्द भ्रमित करने वाले होते हैं। आप जानकारी के अभाव में यह...
बॉम्बे हाईकोर्ट ने वकालतनामा पर अंगूठे का जाली निशान लगाने के मामले में वादियों पर दस हजार रुपए का जुर्माना लगाया
बॉम्बे हाईकोर्ट ने हाल ही में एक एडीशनल कलेक्टर (अतिक्रमण/ एविक्शन) द्वारा पारित एक आदेश को रद्द करने की मांग करते हुए दायर एक मामले में तीन याचिकाकर्ताओं पर 10,000 रुपये का जुर्माना लगाया है क्योंकि वे 'जाली' अंगूठे के निशान के बारे में बताने में असमर्थ रहे। जबकि यह अंगूठे का निशान वकालतनामा पर चौथे याचिकाकर्ता की तरफ से लगाया गया था, जिसमें उनकी रिट याचिका को वापस लेने के लिए प्रार्थना की गई थी।न्यायमूर्ति उज्जल भुयान की खंडपीठ 15 अप्रैल, 2019 को रिट याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जब प्रतिवादी...
बिना वकील के आप खुद भी लड़ सकते हैं अपना मुकदमा, यह है प्रक्रिया
जब कोई व्यक्ति समस्याओं से घिर जाता है तो उसे न्यायालय से ही उम्मीद रहती है। वकीलों की बेतहाशा फीस के कारण आदमी अपने किसी भी मामले को न्यायालय में ले जाने से डरता है, लेकिन कानून में इतनी गुंजाइश है कि आप न्यायालय की अनुमति से अपना केस खुद लड़ सकते हैं। अधिवक्ता अधिनियम के अंतर्गत आप बगैर अधिवक्ता हुए विधि व्यवसाय नहीं कर सकते परंतु स्वयं का मुकदमा लड़ सकते हैं, यह आपका नैसर्गिक अधिकार है। न्यायालय आपको अपना मुकदमा लड़ने से कतई निषिद्ध नहीं कर सकता। आप न्यायालय में वक़ील स्वयं की इच्छा से...
वकालत है चुनौतीपूर्ण पेशा, जानिए सफल वकील बनने के आवश्यक गुण
शादाब सलीम देशभर में हज़ारोंं लोग प्रतिवर्ष लॉ ग्रेजुएट होकर आते हैंं। अलग अलग राज्यों की अधिवक्ता सूची में शामिल होकर विधि व्यवसाय आरंभ करते हैंं, परन्तु वकालत नितांत चुनौतीपूर्ण पेशा है। इस पेशे में लाइम लाइट के साथ चुनौतियां भी बहुत हैं। यदि इस पेशे में थोड़ी गंभीरता रख ली जाए तो आपका भविष्य स्वर्णिम है। भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर ने सुप्रीम कोर्ट बार के एक समागम में कहा था, "वकीलों को कोई लड़की नहीं देना चाहता।" पूर्व मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर के इस बयान में तर्क तो है। समाज...
हिंदू विवाह अधिनियम : पहली पत्नी की सहमति के बावजूद दूसरा विवाह वैध नहीं होगा, पढ़िए पटना हाईकोर्ट का फैसला
पटना हाईकोर्ट में जस्टिस हेमंत कुमार श्रीवास्तव और जस्टिस प्रभात कुमार सिंह की खंडपीठ ने माना है कि पहली पत्नी की सहमति से पुरुष को पहली पत्नी के जीवनकाल में दूसरी शादी करने का अधिकार नहीं मिलता। अपीलकर्ता इम्फाल में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (C.R.P.F) में सहायक उप निरीक्षक के रूप में काम कर रहा था और उसने सुनीता उपाध्याय (जो C.R.P.F में एक कांस्टेबल के रूप में काम कर रही थी, के साथ अपनी दूसरी शादी की अपील की थी। पहली पत्नी रंजू सिंह द्वारा की गई शिकायत पर अपीलार्थी के खिलाफ विभागीय कार्यवाही...
सुप्रीम कोर्ट में कैसा रहा पिछला सप्ताह, वीकली राउंड अप में देखिए महत्वपूर्ण जजमेंट और ऑर्डर
सुप्रीम कोर्ट में दिसंबर 2019 का पहला सप्ताह कैसा रहा, यह जानने के लिए आइए देखते हैं, पिछले सप्ताह सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए महत्वपूर्ण जजमेंट और ऑर्डर। एक नज़र शीर्ष अदालत के वीकली राउंड अप पर।इस्तीफा देने वाले सरकारी कर्मचारी पेंशन के हक़दार नहीं: सुप्रीम कोर्ट सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि एक सरकारी कर्मचारी जिसने सेवा से इस्तीफा दे दिया है, वह 'स्वैच्छिक सेवानिवृत्त' लोगों के लिए उपलब्ध पेंशन लाभ का हकदार नहीं है। घनश्याम चंद शर्मा को 22 दिसंबर 1971 को चपरासी के पद पर नियमित किया गया।...
बीमा कानून, दुर्घटना मृत्यु और मुआवजा, जानिए अदालत के प्रमुख निर्णय
यद्यपि सुनने में भले ही अटपटा लगे, लेकिन 'दुर्घटना क्या है'यह हमेशा से दिलचस्प न्यायिक चर्चाओं के केंद्र में रहा है। सामान्य रूप से समझा जाता है कि दुर्घटना एक अप्रत्याशित घटना है, जो सामान्य रूप से घटित नहीं होती, बल्कि जिससे अप्रिय, दुखद या चौंकाने वाले परिणाम सामने आते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने 'श्रीमती अलका शुक्ला बनाम भारतीय जीवन बीमा निगम' मामले में अपना फैसला सुनाते हुए इस पहलू पर विस्तार से चर्चा की है। इन दिनों जीवन बीमा पॉलिसियों में 'दुर्घटना मृत्यु लाभ' की शर्त बहुत ही आम बात है।...
क्या अदालत अग्रिम जमानत के लिए नगद राशि जमा कराने का आदेश दे सकती है? जानिए सुप्रीम कोर्ट की राय
केरल हाईकोर्ट ने हाल ही में एक ही याचिकाकर्ता की चार याचिकाओं की संयुक्त सुनवाई करते हुए कहा कि दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 438 (2) के तहत अग्रिम जमानत देने की शर्त के रूप में नकदी जमा करने की अनुमति है, लेकिन इस तरह के अधिकार का इस्तेमाल पूर्ण संयम से साथ किया जाना चाहिए तथा जमा की जाने वाली राशि अत्यधिक या दुष्कर नहीं होनी चाहिए। मौजूदा मामले में महिला याचिकाकर्ता भारतीय दंड संहिता की धारा 420 के तहत अपराध की अभियुक्त थी। यह आरोप लगाया गया था कि याचिकाकर्ता ने कारोबार के...
उन्नाव बलात्कार मामला : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आरोपियों को ज़मानत क्यों दी? पढ़िए आदेश
उन्नाव बलात्कार मामले में शिकायतकर्ता को जलाए जाने से दस दिन पहले इस मामले के पांच आरोपियों को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जमानत दे दी। इसमें वो दो अभियुक्त भी शामिल थे जिन पर उससे बलात्कार के आरोप हैं। इस मामले में मुख्य अभियुक्त शिवम त्रिवेदी है। न्यायमूर्ति राजीव सिंह ने 25 नवंबर को त्रिवेदी को जमानत देने के अपने आदेश में कहा था, "आवेदक जमानत का फ़ायदा उठाते हुए गवाहों को प्रभावित करने और मामले के साक्ष्यों से छेड़छाड़ नहीं करेगा।," ज़मानत पर छूटे इन आरोपियों ने उन्नाव की इस बलात्कार-पीड़िता...
घरेलू हिंसा अधिनियम और वरिष्ठ नागरिक अधिनियमः दिल्ली हाईकोर्ट ने दोनों कानूनों के तहत दावों को संतुलित करने के लिए दिशानिर्देश जारी किए
घरेलू हिंसा से महिला संरक्षण अधिनियम, 2005 और माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरणपोषण और कल्याण अधिनियम, 2007 के तहत किए जाने वाले प्रतिस्पर्धा के दावों या विपरीत दावों को ध्यान में रखते हुए, दिल्ली उच्च न्यायालय ने इनके बीच संतुलन बनाने के लिए कुछ दिशानिर्देश जारी किए हैं। विनय वर्मा बनाम कनिका पसरीचा और एक अन्य के मामले में न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह ने कहा कि कई मामलों में साझा घर में रहने के लिए बहू का दावा ,अक्सर अपने घर के विशेष अधिकार के लिए ससुराल वालों के अधिकार का विरोधाभासी हो...
पत्नी ने अलग रह रहे पति से दूसरे बच्चे की इच्छा जताई, बॉम्बे हाईकोर्ट ने निचली अदालत के आदेश को खारिज किया
बॉम्बे हाईकोर्ट ने नानदेड़ पारिवारिक अदालत के उस आदेश को खारिज कर दिया है जिसमें उसने एक पति को इन विट्रो फ़र्टिलाइजेशन (आईवीएफ) विशेषज्ञ से मिलने का निर्देश दिया था ताकि वह अपनी पत्नी की दूसरे बच्चे की इच्छा पूरी कर सके। औरंगाबाद पीठ के न्यायमूर्ति आरवी घुगे की पीठ ने कहा कि पारिवारिक अदालत का आदेश कोर्ट के "न्यायिक विवेक के लिए चौंकाने वाला" है। पति केजीपी ने पारिवारिक अदालत के फैसले को चुनौती दी थी जिस पर हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए यह फैसला दिया। पारिवारिक अदालत ने दाम्पत्य संबंध की...
जानिए पुलिस मुठभेड़ में हुई मौत की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देश
हैदराबाद में महिला डॉक्टर से बलात्कार के बाद जलाकर हत्या करने के चार आरोपियों की मुठभेड़ को ' फर्जी' बताते हुए जांच की मांग को लेकर दो याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई हैं। पहली दो वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है। जी एस मणि और प्रदीप कुमार यादव ने अपनी याचिका में मांग की है कि इस मुठभेड़ पर पुलिस टीम के मुखिया समेत सभी अफसरों पर FIR दर्ज कर जांच कराई जानी चाहिए। याचिका में कहा गया है कि ये जांच सीबीआई, SIT, CID या किसी अन्य निष्पक्ष जांच एजेंसी से कराई जाए जो तेलंगाना...
बच्चों का बलात्कार करने वालों को दया याचिका दायर करने का अधिकार नहीं होना चाहिए : राष्ट्रपति
भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने महिलाओं और बच्चों के खिलाफ होने वाले यौन अपराधों में अप्रत्याशित वृद्धि को लेकर समाज में चल रही नाराजगी की पृष्ठभूमि में शुक्रवार को कहा कि बच्चों के साथ बलात्कार करने के दोषियों को दया याचिका दायर करने का अधिकार नहीं होना चाहिए। राष्ट्रपति ने कहा, "महिला सुरक्षा एक गंभीर मुद्दा है। बेटियों पर हो रहे हमलों ने देश की आत्मा को हिला दिया है। POCSO अधिनियम के तहत बलात्कार के दोषियों को दया याचिका दायर करने का अधिकार नहीं होना चाहिए। उन्हें किसी भी अधिकार की...
जानिए वकीलों को अपनी सेवाओं का विज्ञापन देने की अनुमति क्यों नहीं है? समझिये प्रतिबंध से जुड़ी अन्य महत्वपूर्ण बातें
भारत में हर साल बड़ी संख्या में लोग, बार काउंसिल में वकील के तौर पर नामांकित होने के लिए आवेदन करते हैं। इसके पश्च्यात, इस पेशे में अपना नाम बनाने की आकांक्षा के साथ वे वकालत शुरू करते हैं। लेकिन न तो कानून पेशा अपनाने वाले लोगों को और न ही लॉ फर्मों को अपने पेशे का विज्ञापन करने का अधिकार प्राप्त है। दरअसल वकीलों को ऐसा कुछ भी करने से प्रतिबंधित किया जाता है, जो भावी मुवक्किलों को प्रभावित कर सकता है। भारत में अधिवक्ताओं को बार काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा तैयार किए गए नियमों के तहत उनकी सेवाओं या...
बिना वारंट तलाशी लेना निजता के अधिकार का उल्लंघन, बॉम्बे हाईकोर्ट ने राज्य पर लगाया जुर्माना
बॉम्बे हाईकोर्ट ने पिछले सप्ताह फैसला सुनाते हुए कहा है कि बिना वारंट के तलाशी करना राइट टू प्राइवेसी यानि निजता के अधिकार का उल्लंघन है। अदालत ने राज्य सरकार पर 25,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया है जो इस तरह की अवैध तलाशी के लिए पीड़ित याचिकाकर्ता को दिया जाएगा। औरंगाबाद पीठ के न्यायमूर्ति टी.वी नलवडे और न्यायमूर्ति एस.एम गवने की खंडपीठ पेशे से एक ड्राइवर ज्ञानेश्वर टोडमल द्वारा दायर एक आपराधिक रिट याचिका पर सुनवाई कर रही थी। पुलिस ने की थी बिना वारंट तलाशी इस मामले में घटना 5- 6 मई,...
क्या वकील क्लाइंट द्वारा फीस न दिए जाने की स्थिति में उसके कागज़ात वापस करने से मना कर सकते हैं?
जैसा कि हम जानते हैं कि वकालत एक पेशा है, यह कोई व्यवसाय नहीं और इस पेशे का उद्देश्य, लोगों की सेवा करना है। एक पेशे की अहमियत को समझाते हुए, रोस्को पाउंड ने कहा था: "ऐतिहासिक रूप से, पेशे में 3 विचार शामिल हैं: संगठन (Organisation), सीखने और सार्वजनिक सेवा की भावना। ये आवश्यक हैं। इसके अलावा, आजीविका प्राप्त करने का विचार, इसके साथ है (पर अधिक महत्वपूर्ण नहीं)।" कानूनी पेशा अपनाने वाले व्यक्तियों पर, समाज में कानून के शासन को बनाए रखने की एक बड़ी जिम्मेदारी होती है। सत्ता के दुरुपयोग के खिलाफ...