उन्नाव बलात्कार मामला : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आरोपियों को ज़मानत क्यों दी? पढ़िए आदेश
LiveLaw News Network
9 Dec 2019 10:52 AM IST
उन्नाव बलात्कार मामले में शिकायतकर्ता को जलाए जाने से दस दिन पहले इस मामले के पांच आरोपियों को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जमानत दे दी। इसमें वो दो अभियुक्त भी शामिल थे जिन पर उससे बलात्कार के आरोप हैं। इस मामले में मुख्य अभियुक्त शिवम त्रिवेदी है।
न्यायमूर्ति राजीव सिंह ने 25 नवंबर को त्रिवेदी को जमानत देने के अपने आदेश में कहा था,
"आवेदक जमानत का फ़ायदा उठाते हुए गवाहों को प्रभावित करने और मामले के साक्ष्यों से छेड़छाड़ नहीं करेगा।,"
ज़मानत पर छूटे इन आरोपियों ने उन्नाव की इस बलात्कार-पीड़िता के शरीर में आग लगा दी और उसका शरीर 90 फ़ीसदी जल गया था। बाद में उसे इसी अवस्था में दिल्ली लाया गया जहां शनिवार को उसकी मौत हो गई।
23-वर्षीया इस महिला ने अपनी एफआईआर में कहा था कि त्रिवेदी उसे रोजगार दिलाने का भरोसा देकर राय बरेली लाया था और 2017 में उसके साथ बलात्कार किया और यह झूठा दिलासा दिया कि वह उससे शादी कर लेगा। इस महिला ने शिवम त्रिवेदी के चचेरे भाई शुभम त्रिवेदी पर भी उससे 2018 में बलात्कार करने का आरोप लगाया। इसलिए भारतीय दंड संहिता की धारा 376 डी के तहत सामूहिक बलात्कार के अपराध के लिए एफआईआर दर्ज की गई थी।
ज़मानत के लिए आवेदन में शिवम त्रिवेदी के वकील ने अदालत से कहा था कि 1 जनवरी 2019 को उसने शिकायतकर्ता से शादी कर ली। यह कहा गया कि एफ़ाईआर उस समय दर्ज की गई जब त्रिवेदी के मां-बाप ने इस रिश्ते को मानने से इनकार कर दिया, यह कहना था त्रिवेदी के वकील का।
अभियोजन ने त्रिवेदी और उसके सहयोगियों को जमानत दिए जाने का विरोध किया और कहा कि बलात्कार की पहली घटना एफ़आईआर दर्ज करने से दो साल पहले हुई।
न्यायमूर्ति राजीव सिंह ने जमानत की याचिका स्वीकार कर ली और कहा,
"...केस के रिकॉर्ड को पढ़ने और परिस्थितियों पर गौर करने के बाद इस मामले के गुण-दोषों पर कोई राय जाहिर किये बिना मेरी राय में आवेदनकर्ता को जमानत पर छोड़ा जा सकता है।"
(इत्तिफाकन, हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि सिर्फ यह कह देना कि "केस के रिकॉर्ड को पढ़ने और परिस्थितियों पर गौर करने के बाद" जमानत की याचिका पर दिए गए आदेश के लिए पर्याप्त नहीं है।)
ज़मानत देते हुए हाईकोर्ट के जज ने कहा,
"आवेदक इस मामल को शीघ्र निपटाने में सहयोग करगा और जब निर्धारित तिथि पर सुनवाई के लिए अदालत में गवाह मौजूद होंगे, वह मामले के स्थगन की मांग नहीं करेगा। आवेदक हमेशा ही मामले की सुनवाई के दिन निचली अदालत में खुद मौजूद रहेगा, जब मामले पर सुनवाई शुरू होगी। अभियोग लगाये जाएंगे और सीआरपीसी की धारा 313 के तहत बयान दर्ज किये जाएंगे।"
अदालत ने आगे कहा कि जिन शर्तों पर जमानत दी गई है उसका अगर किसी भी तरह से उल्लंघन होता है तो उसे जमानत का दुरूपयोग माना जाएगा और उस स्थिति में अदालत जमानत रद्द करने के बारे में उचित आदेश देने के लिए स्वतंत्र होगी।
ज़मानत पर छूटे शिवम और शुभम त्रिवेदी सहित तीन अन्य आरोपियों हरिंकर त्रिवेदी, राम किशोर त्रिवेदी और उमेश बाजपेयी ने इस महिला पर कथित हमला किया।
यद्यपि उत्तर प्रदेश सरकार ने इस महिला को जली हालत में एयर एम्बुलेंस से दिल्ली इलाज के लिए भेजा पर उसकी जान नहीं बचाई जा सकी और शनिवार को उसने दम तोड़ दिया।
पुलिस ने अब इस मामले में आरोपियों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया है। हालांकि, आरोपी के परिवार वाले इन आरोपों से इनकार करते हैं और इस मामले की सीबीआई जांच की मांग की है। राष्ट्रीय महिला आयोग ने भी उत्तर प्रदेश पुलिस से कार्रवाई की रिपोर्ट पेश करने को कहा है।
उन्नाव इससे पहले भी बीजेपी के पूर्व विधायक कुलदीप सेंगर पर बलात्कार के आरोपों के लिए सुर्ख़ियों में रहा है। एक लड़की ने आरोप लगाया है कि कुलदीप ने 2017 में उसके साथ उस समय बलात्कार किया जब वह मात्र 17 साल की थी। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर इस मामले की सुनवाई दिल्ली में शिफ्ट कर दी गई है।
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