हिंदू विवाह अधिनियम : पहली पत्नी की सहमति के बावजूद दूसरा विवाह वैध नहीं होगा, पढ़िए पटना हाईकोर्ट का फैसला
LiveLaw News Network
11 Dec 2019 11:52 AM IST
पटना हाईकोर्ट में जस्टिस हेमंत कुमार श्रीवास्तव और जस्टिस प्रभात कुमार सिंह की खंडपीठ ने माना है कि पहली पत्नी की सहमति से पुरुष को पहली पत्नी के जीवनकाल में दूसरी शादी करने का अधिकार नहीं मिलता।
अपीलकर्ता इम्फाल में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (C.R.P.F) में सहायक उप निरीक्षक के रूप में काम कर रहा था और उसने सुनीता उपाध्याय (जो C.R.P.F में एक कांस्टेबल के रूप में काम कर रही थी, के साथ अपनी दूसरी शादी की अपील की थी। पहली पत्नी रंजू सिंह द्वारा की गई शिकायत पर अपीलार्थी के खिलाफ विभागीय कार्यवाही शुरू की गई। विभागीय कार्यवाही के पूरा होने के दौरान, अपीलार्थी को दोषी साबित कर दिया गया और उसे सक्षम अधिकारी के आदेश से सेवा से बर्खास्त कर दिया गया।
प्रतिवादी की अपील करने वाले वकील ने अपीलकर्ता द्वारा किए गए प्रस्तुतिकरण का खंडन किया और प्रस्तुत किया कि अनुशासनात्मक प्राधिकरण ने मामले के सभी पहलुओं पर विचार किया था और अपीलकर्ता ने विभागीय कार्यवाही के दौरान जाली दस्तावेज दायर किए थे, जिसके लिए उसके खिलाफ एक अलग आरोप लगाया गया था।
अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद अपील को खारिज करते हुए कहा कि भले ही यह मान लिया जाए कि अपीलार्थी की पहली पत्नी ने उसे दूसरी शादी के लिए सहमति दे दी है, अपीलकर्ता की पहली पत्नी की केवल ऐसी सहमति अपीलकर्ता को अधिकार नहीं देती है कि वह हिंदू विवाह अधिनियम के तहत पहली पत्नी के जीवनकाल के दौरान दूसरी शादी करे।
हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 5 (i) कहती है कि :
5. हिंदू विवाह के लिए शर्त- यदि निम्नलिखित स्थितियां पूरी होती हैं तो किन्हीं भी दो हिंदू स्त्री पुरुष के बीच विवाह माना जा सकता है।
(i) विवाह के समय किसी भी पक्षकार का जीवनसाथी उसके साथ न रहता हो।
इस प्रावधान पर ध्यान देते हुए, पीठ ने कहा,
"अब तक अपीलार्थी की ओर से नए तथ्य पेश करने का संबंध है। भले ही, यह माना जाए कि अपीलकर्ता की पहली पत्नी ने दूसरी शादी के लिए अपनी सहमति दी थी, फिर भी, अपीलार्थी की पहली पत्नी की पूर्वोक्त सहमति अपीलकर्ता को अधिकार नहीं देती है कि वह पहली पत्नी के जीवनकाल के दौरान दूसरी शादी करे। "
मामले का विवरण:
शीर्षक: बिनोद कुमार सिंह बनाम भारत संघ
केस नं: 2007 का नागरिक अधिकार क्षेत्र संख्या 8078
कोरम: जस्टिस हेमंत कुमार श्रीवास्तव और प्रभात कुमार सिंह
सूरत: अधिवक्ता श्री अरुण कुमार, श्री निर्मल कुमार सिन्हा (अपीलार्थी के लिए)
श्री मनोज कुमार सिंह, सीजीसी (प्रतिवादी के लिए)
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