कानून के विद्यार्थियों को जस्टिस जोसेफ की सलाहः वकालत के पेशे को हल्के में ना लें
LiveLaw News Network
12 Feb 2020 2:32 PM IST

एनयूएएलएस, कोच्चि के 13 वें वार्षिक दीक्षांत समारोह में बोलते हुए सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस केएम जोसेफ ने युवाओं के साथ कानून के अपने अनुभव साझा किया। जस्टिस जोसेफ ने कहा कि कानूनी पेशा रोजगार नहीं है, कानूनी पेशेवर के लिए 'सीखने का जुनून' बहुत जरूरी है।
उन्होंने कहा, "वकालत के पेशे को हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए। आप किसी सर्जन से कम नहीं है, जिसकी कुशलता, परिश्रम और समर्पण पर किसी मरीज़ की ज़िदगी का दारोमदार होता है।"
"एक वकील को चिंतनशील होना चाहिए। कल्पना और अंतर्ज्ञान की शक्ति की एक सफल वकील के करियर में महत्वपूर्ण भूमिका होती है।"
एक अनुभवी वकील के अधीन प्रशिक्षण पर
जो लोग कानून के पेशे में आना चाहते हैं, उन्हें अनुभवी वकील के मार्गदर्शन में अपनी प्रतिभा को निखारना चाहिए।
"मुझे यह बताने में कोई संकोच नहीं कि वकील बनने के लिए किसी मामले के कई पहलुओं की व्यापक समझ की आवश्यकता होती है। अदालत में एक मामला कैसे चलाया जाता है, यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप अपनी दलीलों को कैसे स्थापित करेंगे...
ट्रायल के अनुभव की जरूरत पर
जस्टिस जोसेफ ने कहा कि शुरुआत में सिविल और आपराधिक मामलों में ट्रायल के अनुभव के साथ परिचित होना महत्वपूर्ण है।
उन्होंने कहा कि भले ही सिविल लॉ कानून की सबसे जटिल शाखा है, लेकिन वकालत के शुरुआती वर्षों में एक वकील को सिविल लॉ और क्रिमिनल लॉ, दोनों कानूनों के साथ, समान रूप से परिचित होना चाहिए।
जस्टिस जोसेफ ने कहा कि ज्ञान और समझ का विस्तार करने के लिए एक वकील को जीवन भर "सोक्रेटिक पद्धति" का प्रयोग करते रहना चाहिए।
उन्होंने कहा, "अहंकार न करें। बेहतर होगा कि इससे पहले कि चीजें छूट जाएं, जवाब मांगना और ढूंढना बेहतर होगा।"
पढ़ने के महत्व पर
जस्टिस जोसेफ ने वकीलों के लिए पढ़ने की आदत के महत्व पर जोर दिया:
"पढ़ने के मामले में, यह समझना बेहद जरूरी है कि जैसे-जैसे साल बीतते हैं और आपको काम बढ़ता जाता है, आपको पढ़ने के लिए पर्याप्त समय नहीं मिलता। इसलिए, पढ़ने के लिए शुरुआती वर्षों का अधिक-अधिक से उपयोग करें। न केवल कानून के बारे में पढ़ें, बल्कि ज्ञान की हर शाखा का अध्ययन करें। एक वकील हरफलमौला होता है।"
जस्टिस जोसेफ ने युवा वकीलों से लाइब्रेरी का अधिक से अधिक उपयोग करने को कहा।
परोपकार पर
उन्होंने कहा कि भारत जैसे देश में, जहां एक बड़ा हिस्सा गरीबी रेखा से नीचे रहता है, वहां वकीलों को मुफ्त काम करने की भी जरूरत है।
"देशवासियों के प्रति अपने कर्तव्य को याद रखें, जो अपने संकट में अपनी समस्याओं का समाधान खोजने की उम्मीद करते हैं, लेकिन धन की कमी कारण वकीलों तक पहुंच नहीं पाते हैं।"
जीत और हार पर मानसिक संतुलन बनाए रखने पर
जस्टिस जोसेफ ने कहा कि निष्काम कर्म का वैदिक उपदेश एक वकील के लिए बेहद उपयुक्त है। वकालत के पेशे में उतार-चढ़ाव, विजय और पराजय होगी। दोनों से अप्रभावित रहना सीखें"।
अन्य वकीलों के प्रति शिष्टाचार पर
"अपने प्रतिद्वंद्वी के प्रति उतना ही विनम्र रहें जितना आपको न्यायालय में होना चाहिए। पूरी तरह से सज्जन बनें। न्यायालय में जब अपने मुवक्किल की ओर से दलीले पेश कर रहे हों, तब भी न्यायालय के अधिकारी के रूप में ही व्यवहार करें। उचित और न्यायपूर्ण निष्कर्ष तक पहुंचने में न्यायालय की मदद करना एक वकील का सच्चा कर्तव्य है।"
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