संपादकीय
केशवानंद भारती केसः जिसके बाद दुनिया ने संवैधानिक विचारों के लिए भारत की ओर देखा
कनिका हांडा, अंजलि अग्रवाल[यह आलेख केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य के मामले में दिए गए ऐतिहासिक फैसले के 47 वर्ष पूरा होने के अवसर पर आयोजित विशेष सीरीज़ का हिस्सा है। उक्त फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने 'मूल संरचना सिद्धांत' का निर्धारण किया था।]विभिन्न कानूनी प्रणालियों से कानूनी सिद्धांतों का आयात नई अवधारणा नहीं है। यह सदियों से होता रहा है। विदेशी अदालतों के फैसले बाध्यकारी नहीं होते, फिर भी प्रेरक शक्ति रूप में उनकी गिनती होती रहती है।1973 में दिया गया भारतीय फैसला, "केशवानंद भारती बनाम...
"नब्बे प्रतिशत वकील तकनीक से अंजान हैं", बीसीआई चेयरमैन ने सीजेआई से लॉकडाउन के बाद डिजिटल माध्यम से सुनवाई जारी नहीं रखने का आग्रह किया
" वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग में कभी भी पारदर्शिता पर यकीन नहीं किया जा सकता, जबकि खुली अदालत की सुनवाई में, न्याय को खुली अदालत में वितरित किया जाता है, न केवल संबंधित पक्षों और उनके वकीलों की उपस्थिति में चर्चा / तर्क दिए जाते हैं, बल्कि अन्य अधिवक्ताओं, मीडिया, जितने भी लोग और लिटिगैंट सभी मौजूद हैं, सभी के सामने यह सब होता है।"
न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता ने बॉम्बे हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली
महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता को मंगलवार शाम 5 बजे राजभवन में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की मौजूदगी में बॉम्बे उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ दिलाई। COVID 19 के मद्देनजर सामाजिक दूरी बनाते हुए शपथ ग्रहण समारोह डिप्टी सीएम अजीत पवार और उच्च न्यायालय के कुछ न्यायाधीशों जैसे बहुत कम मेहमानों की उपस्थिति में हुआ। उपस्थित सभी लोगों ने मास्क पहने हुए थे। जस्टिस दत्ता बॉम्बे हाईकोर्ट के 45 वें मुख्य न्यायाधीश हैं। उन्हें मुख्य...
COVID-19: सुप्रीम कोर्ट में 36 पुलिसकर्मियों को क्वारंटाइन किया गया, संक्रमित कर्मी के संपर्क में आए थे
कोरोना वायरस के प्रकोप का असर सुप्रीम कोर्ट पर भी पड़ रहा है। एक कर्मचारी के COVID-19 टेस्ट पॉज़िटिव आने के बाद सुप्रीम कोर्ट की सुरक्षा में लगे 36 पुलिसकर्मियों को क्वारंटाइन कर दिया गया है। सूत्रों के मुताबिक ये सभी 16 अप्रैल को उक्त कर्मचारी के संपर्क में आए थे। जानकारी के मुताबिक एक कर्मचारी के कोरोना से संक्रमित होने के बाद दिल्ली पुलिस के सुरक्षा विभाग ने उससे संपर्क में आए हुए पुलिसकर्मियों की जांच की और फिर 36 पुलिसकर्मियों को क्वारंटाइन करने के आदेश जारी किए। इसके बाद...
धारा 188 आईपीसी : जानिए कैसे और कब लिया जाता है अदालत द्वारा इस अपराध का संज्ञान?
कोरोना महामारी के बीच जैसे कि हम जानते ही हैं कि देश में तमाम जगहों पर शासन/प्रशासन द्वारा अधिसूचना जारी/प्रख्यापित करते हुए तमाम प्रकार के ऐसे आदेश जारी किये जा रहे हैं या किये जा चुके हैं, जिससे इस महामारी से लड़ने में हमे मदद मिले।ऐसे किसी आदेश, जिसे एक लोकसेवक द्वारा प्रख्यापित किया गया है और यदि ऐसे आदेश की अवज्ञा की जाती है तो अवज्ञा करने वाले व्यक्ति को भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 188 के अंतर्गत दण्डित किया जा सकता है।एक पिछले लेख में हम विस्तार से इस बारे में जान चुके हैं कि आखिर...
केरल हाईकोर्ट ने सरकारी कर्मचारियों के 6 दिन का वेतन रोकने के केरल सरकार के आदेश पर लगाई रोक
केरल हाईकोर्ट ने मंगलवार को केरल सरकार के एक निर्देश पर दो महीने के लिए रोक लगा दी। केरल सरकार ने निर्देश में COVID-19 के कारण वित्तीय संकट का हवाला देते हुए अप्रैल 2020 से पांच महीने तक के लिए सरकारी कर्मचारियों की 6 दिनों की सैलरी का भुगतान स्थगित करने को कहा था। 23 अप्रैल को जारी आदेश में वित्त विभाग ने कहा था कि 20,000 रुपये महीने से अधिक के वेतन वाले सरकारी और सरकारी स्वायत्त निकायों के सभी कर्मचारियों के मासिक वेतन के छह दिनों का भुगतान अप्रैल 2020 से अगले 5 महीने तक स्थगित किया जाता...
जस्टिस एचआर खन्नाः जिन्होंने चीफ जस्टिस का पद पाने के बजाय संविधान बचाना जरूरी समझा
स्वप्निल त्रिपाठी [यह आलेख केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य के मामले में दिए गए ऐतिहासिक फैसले के 47 वर्ष पूरा होने के अवसर पर आयोजित विशेष सीरीज़ का हिस्सा है। उक्त फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने 'मूल संरचना सिद्धांत' का निर्धारण किया था।] अप्रैल 1976 में, जब भारत में कुख्यात आपातकाल लागू हुआ, न्यूयॉर्क टाइम्स ने भारत की सुप्रीम कोर्ट के एक जज की तारीफ में एक आलेख लिखा। जज की तारीफ कारण एक फैसले में दर्ज उनकी असहमतियां थीं। 'फेडिंग होप इन इंडिया' शीर्षक से प्रकाशित आलेख में जस्टिस एचआर खन्ना...
सुप्रीम कोर्ट ने जजों के खिलाफ 'अपमानजनक और निंदनीय' आरोपों के लिए 3 लोगों को अवमानना का दोषी ठहराया
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को तीन व्यक्तियों को जजों के खिलाफ 'अपमानजनक और निंदनीय' आरोपों के लिए अवमानना का दोषी ठहराया।न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस की पीठ ने विजय कुरले (राज्य अध्यक्ष, महाराष्ट्र और गोवा, इंडियन बार एसोसिएशन), राशिद खान पठान (राष्ट्रीय सचिव, मानवाधिकार सुरक्षा परिषद) और नीलेश ओझा (राष्ट्रीय अध्यक्ष, इंडियन बार एसोसिएशन) को अवमानना का दोषी ठहराया। मार्च 2019 में वकील मैथ्यूज नेदुम्परा को अवमानना का दोषी ठहराने के आदेश पर जस्टिस आर एफ नरीमन और जस्टिस...
COVID-19 : महामारी या आपदा को कार्यपालिका द्वारा सबसे अच्छा नियंत्रित किया जा सकता है : मुख्य न्यायाधीश बोबडे
भारत के मुख्य न्यायाधीश शरद अरविंद बोबडे ने कोरोना को लेकर सोमवार को कहा कि इस संकट के समय सरकार के तीन अंगों को संकट से निपटने के लिए सामंजस्य स्थापित करना चाहिए। इससे निपटने के लिए मैन, मनी एंड मैटेरियल यानी कार्यबल, धन, सामग्री - कैसे तैनात किया जाना चाहिए, क्या प्राथमिकता हो, ये कार्यपालिका को तय करना है।मीडिया से बातचीत करते हुए मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि अदालत इस संकट के दौरान जो कर सकती है, वो कर रही है। महामारी या किसी भी आपदा को कार्यपालिका द्वारा सबसे अच्छा नियंत्रित किया जा सकता है।...
केशवानंद भारती-2: ऐसा मामला, जिसे हम नहीं जानते मगर जरूर जानना चाहिए
स्वप्निल त्रिपाठी [यह आलेख केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य के मामले में दिए गए ऐतिहासिक फैसले के 47 वर्ष पूरा होने के अवसर पर आयोजित विशेष सीरीज़ का हिस्सा है। उक्त फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने 'मूल संरचना सिद्धांत' का निर्धारण किया था।] केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य (1973) 4 SCC 225 के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मूल संरचना सिद्धांत का निर्धारण किया था, जिसके अनुसार संसद कुछ मूलभूत विशेषताओं को छोड़कर संविधान के किसी भी भाग में संशोधन कर सकती है। इस फैसले से श्रीमती इंदिरा गांधी के नेतृत्व...
अगर कारोबार ही शुरू नहीं हुआ तो लोग बिना नौकरी के कब तक रहेंगे? सुप्रीम कोर्ट ने मीडिया कंपनियों के छंटनी करने के खिलाफ दायर याचिका पर नोटिस जारी किये
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को उन सभी मीडिया संगठनों के खिलाफ दायर याचिका पर नोटिस जारी किया, जिन्होंने कर्मचारियों को देेेशव्यापी लॉकडाउन के मद्देनजर या तो उनकी छंटनी कर कर दी है या उन पर काम वेतन लेने का दबाव बनाया है। जस्टिस एनवी रमना, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस बी आर गवई ने कोरोना वायरस के कारण लॉकडाउन के बीच कर्मचारियों की नौकरी से छंटनी और उनकी नौकरी समाप्ति के उक्त मुद्दे पर चिंता व्यक्त की और कहा कि इस मुद्दे पर विचार की आवश्यकता है। वरिष्ठ अधिवक्ता कॉलिन गोंसाल्वेस ने कई मीडिया संगठनों...
जजों का अधिक्रमणः केशवानंद भारती के फैसले का भयावह अंजाम
स्वप्निल त्रिपाठी[यह आलेख केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य के मामले में दिए गए ऐतिहासिक फैसले के 47 वर्ष पूरा होने के अवसर पर आयोजित विशेष सीरीज़ का हिस्सा है। उक्त फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने 'मूल संरचना सिद्धांत' का निर्धारण किया था।] केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य [(1973) 4 SCC 225] के फैसले के तहत सुप्रीम कोर्ट ने 'मूल संरचना सिद्धांत' का निर्धारण किया। 'मूल संरचना सिद्धांत' के अनुसार संविधान की कुछ मूलभूत विशेषताओं को छोड़कर संसद किसी भी भाग में संशोधन कर सकती है।...
साक्ष्य अधिनियम: जानिए किसी मामले में साक्षियों (Witnesss) की संख्या पर क्या है कानून?
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 में साक्षियों की संख्या को लेकर प्रावधान एक अलग धारा में प्रदान किया गया है। अधिनियम की धारा 134 इस विषय में प्रावधान करती है कि आखिर किसी मामले में साक्षियों की संख्या क्या होनी चाहिए। इसी धारा को मौजूदा लेख में हम समझने का प्रयास करेंगे और यह जानेंगे कि किसी मामले में साक्षियों (Witnesss) की संख्या पर क्या कानून है। वास्तव में, यह धारा एक प्रकार का स्पष्टीकरण देती है कि किसी भी मामले में किसी तथ्य को साबित करने के लिए साक्षियों की कोई विशिष्ट संख्या अपेक्षित...
COVID-19 : महामारी से मृत हुए भारतीयों के शवों को वापस लाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका
सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल कर केंद्र सरकार को निर्देश देने की मांग की गई है कि COVID-19 के संक्रमण के कारण मौत होने पर विदेशों में रखे गए भारतीय नागरिकों के शवों को वापस लाने के लिए उचित कदम उठाए जाएं। ये याचिका एक एनजीओ, प्रवासी लीगल सेल ने दाखिल की है। याचिकाकर्ता एनजीओ ने कहा है कि इस महत्वपूर्ण स्तर पर, भारत में अधिकारियों द्वारा यहां अनापत्ति प्रमाण पत्र की मांग करने की असामान्य प्रक्रिया, पूरे प्रत्यावर्तन को एक थकाऊ प्रक्रिया बनाती है, इसके परिणामस्वरूप, कई भारतीयों के मृत शरीर...
COVID-19 : स्थिति सामान्य होने तक सभी चुनाव स्थगित करने के निर्देश देने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका
सर्वोच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका (पीआईएल) दायर कर मांग की गई है कि राष्ट्रीय कार्यकारी समिति (एनईसी) के अध्यक्ष को निर्देश दिया जाए कि वह सामान्य स्थिति होने तक देश में कहीं भी और किसी भी तरह का चुनाव होने से रोकने के लिए उचित कदम उठाएं।इस प्रकार याचिकाकर्ता ने प्रार्थना की है कि आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 (डीएमए) के प्रावधानों के तहत राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा गठित एनईसी के अध्यक्ष को केंद्रीय और सभी राज्य चुनाव आयोगों को आवश्यक निर्देश जारी करने के लिए अपनी शक्तियों का...
' नियोक्ता के अधिकारों में अनुचित और मनमाना हस्तक्षेप' : लॉकडाउन के दौरान कर्मियों को पूरा वेतन देने की अधिसूचना के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक अन्य याचिका
कर्नाटक की एक कंपनी ने सुप्रीम कोर्ट में दो सरकारी आदेशों की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी है, जिसमें नियोक्ताओं को अपने कर्मचारियों को बनाए रखने और चल रहे राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन की अवधि के दौरान पूरी मजदूरी का भुगतान करने का निर्देश दिया गया है।याचिकाकर्ता ने दलील दी है कि सचिव (श्रम और रोजगार) द्वारा 20 मार्च को अधिसूचित एडवाइज़री और 29 मार्च को गृह मंत्रालय द्वारा अधिसूचित आदेश का खंड (iii) संविधान के प्रावधानों के विपरीत हैं।याचिकाकर्ता कंपनी, जिसने लॉकडाउन से पहले 176 स्थायी...
(केशवानंद भारती केस): प्रोफेसर कॉनराड, जो मूल संरचना सिद्धांत की प्रेरणा थे
स्वप्निल त्रिपाठी[यह आलेख केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य के मामले में दिए गए ऐतिहासिक फैसले के 47 वर्ष पूरा होने के मौके पर लिखी जा रही सीरीज़ का हिस्सा है। उस फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने 'मूल संरचना सिद्धांत' निर्धारित किया था।] केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य [(1973) 4 SCC 225] मामले में दिया गया फैसला यकीनन भारत की सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिया गया सबसे महत्वपूर्ण फैसला है। उक्त फैसले में यह निर्धारित किया गया है कि यद्यपि संसद के पास संविधान के किसी भी भाग को संशोधित करने,...
सुप्रीम कोर्ट ने दर्ज FIR पर अर्नब गोस्वामी को तीन हफ्ते तक गिरफ्तारी से राहत दी
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को रिपब्लिक टीवी के एडिटर-इन-चीफ अर्नब गोस्वामी को महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, राजस्थान, तेलंगाना और जम्मू- कश्मीर में उनके खिलाफ दायर एफआईआर के आधार पर गिरफ्तारी से तीन सप्ताह की सुरक्षा प्रदान की है। जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एम आर शाह की पीठ ने कहा कि उनके खिलाफ तीन सप्ताह तक कोई कठोर कार्रवाई नहीं की जाएगी।न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा, "अदालत आज याचिकाकर्ता को तीन सप्ताह की अवधि के लिए संरक्षित करने का इरादा रखती है और उन्हें ट्रायल कोर्ट...
जानिए महामारी रोग (संशोधन) अध्यादेश 2020 के बारे में ख़ास बातें
बीते बुधवार (22 अप्रैल, 2020) को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने देश के स्वास्थ्य कर्मचारियों के खिलाफ हमलों के लिए कड़ी सजा का प्रावधान करने के लिए महामारी रोग अधिनियम, 1897 में संशोधन करने के लिए एक अध्यादेश को मंजूरी दी थी। उसी दिन (22 अप्रैल, 2020) राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने इस अध्यादेश पर हस्ताक्षर करते हुए इसे अपनी मंजूरी दी और यह कानून बन गया। गौरतलब है कि संविधान के अंतर्गत, अनुच्छेद 123 के तहत भारत के राष्ट्रपति को, संसद के सत्र में न होने की स्थिति में एक अध्यादेश जारी करने की शक्ति प्राप्त...