अगर कारोबार ही शुरू नहीं हुआ तो लोग बिना नौकरी के कब तक रहेंगे? सुप्रीम कोर्ट ने मीडिया कंपनियों के छंटनी करने के खिलाफ दायर याचिका पर नोटिस जारी किये

LiveLaw News Network

27 April 2020 8:25 AM GMT

  • अगर कारोबार ही शुरू नहीं  हुआ तो लोग बिना नौकरी के कब तक रहेंगे? सुप्रीम कोर्ट ने मीडिया कंपनियों के छंटनी करने के खिलाफ दायर याचिका पर नोटिस जारी किये

    सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को उन सभी मीडिया संगठनों के खिलाफ दायर याचिका पर नोटिस जारी किया, जिन्होंने कर्मचारियों को देेेशव्यापी लॉकडाउन के मद्देनजर या तो उनकी छंटनी कर कर दी है या उन पर काम वेतन लेने का दबाव बनाया है।

    जस्टिस एनवी रमना, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस बी आर गवई ने कोरोना वायरस के कारण लॉकडाउन के बीच कर्मचारियों की नौकरी से छंटनी और उनकी नौकरी समाप्ति के उक्त मुद्दे पर चिंता व्यक्त की और कहा कि इस मुद्दे पर विचार की आवश्यकता है।

    वरिष्ठ अधिवक्ता कॉलिन गोंसाल्वेस ने कई मीडिया संगठनों के पत्रकारों की लगातार समाप्त हो रही नौकरियों पर पीठ का ध्यान आकर्षित किया।

    सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि नोटिस जारी किया जाए और एक प्रति केंद्र को भी दी जाए।

    पीठ ने कहा,

    "कुछ गंभीर मुद्दों को उठाया गया है। इसके लिए सुनवाई की आवश्यकता है। अन्य यूनियनों ने भी यह कहा है। सवाल यह है कि अगर कारोबार शुरू नहीं होता है, तो लोग कब तक कायम रह सकेंगे। इस मुद्दे पर सुनवाई की जरूरत है।"

    इसके प्रकाश में पीठ ने निर्देश दिया कि याचिका की एक प्रति केंद्र को दी जाए और दो सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल किया जाए, जिसके बाद इसे पीठ द्वारा फिर से सुना जाएगा।

    पत्रकारों की कुछ यूनियन ने उन सभी मीडिया संस्थानों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका (पीआईएल) दायर की है, जिन्होंने देशव्यापी लाॅकडाउन के चलते अपने यहां कर्मचारियों की छंटनी कर दी है या उन पर कम वेतन लेने के लिए दबाव बनाया है।

    अखबारों के नियोक्ताओं और मीडिया सेक्टर पर आरोप लगाया गया है कि वह अपने कर्मचारियों के प्रति अमानवीय और गैरकानूनी व्यवहार कर रहे हैं।

    इस याचिका में मांग की गई है कि लाॅकडाउन की घोषणा के बाद ,नौकरी से हटाने के लिए जारी नोटिस ,वेतन कटौती, इस्तीफे के लिए नियोक्ताओं को किए गए मौखिक या लिखित अनुरोध और बिना वेतन पर छुट्टी पर जाने के जारी किए सभी निर्देश को तुंरत प्रभाव से निलंबित या रद्द कर दिया जाए।

    नेशनल एलायंस ऑफ जर्नलिस्ट्स, दिल्ली यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स और बृहन मुंबई यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स ने मिलकर यह याचिका संयुक्त रूप से दायर की है।

    इसमें आरोप लगाया गया है कि केंद्रीय श्रम और रोजगार मंत्रालय द्वारा जारी की जा रही एडवाइजरी और प्रधानमंत्री द्वारा दो बार अपील करने के बावजूद भी मीडिया क्षेत्र में नियोक्ता अपनी मनमानी कार्यवाही कर रहे हैं।

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