संपादकीय

डॉ कफील खान का भाषण घृणा या हिंसा को बढ़ावा नहीं देता, यह राष्ट्रीय अखंडता और नागरिकों की एकता का आह्वान करता है: इलाहाबाद हाईकोर्ट
'डॉ कफील खान का भाषण घृणा या हिंसा को बढ़ावा नहीं देता, यह राष्ट्रीय अखंडता और नागरिकों की एकता का आह्वान करता है': इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने डॉ कफील खान पर लगाए गए राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के आरोपों को रद्द कर दिया है और उन्हें तुरंत रिहा करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि 13 दिसंबर, 2019 को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में दिया गया डॉ कफील खान का भाषण, जिसके कारण उन्हें गिरफ्तार किया गया और बाद में उन्हें राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के कड़े प्रावधानों के तहत हिरासत में लिया गया, "नफरत या हिंसा को बढ़ावा देने के किसी भी प्रयास का खुलासा नहीं करता है।"डॉ. कफील खान के खिलाफ एनएसए के तहत लगाए गए आरोप रद्द...

सुप्रीम कोर्ट ने AGR बकाया भुगतान के लिए टेलीकॉम कंपनियों को 10 साल का समय दिया, दस फीसदी 31 मार्च, 2021 तक देने को कहा
सुप्रीम कोर्ट ने AGR बकाया भुगतान के लिए टेलीकॉम कंपनियों को 10 साल का समय दिया, दस फीसदी 31 मार्च, 2021 तक देने को कहा

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जो टेलीकॉम कंपनियां AGR बकाया का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी हैं, वे 31 मार्च, 2021 तक बकाया का 10% भुगतान करेंगी। जस्टिस अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने दूरसंचार विभाग की 20 साल की अवधि में दूरसंचार कंपनियों द्वारा भुगतान की प्रार्थना को खारिज कर दिया और इसके बजाय 10 साल की अवधि में टेलीकॉम को भुगतान करने की अनुमति दी। अदालत ने भुगतान के लिए निर्देश पारित किए हैं जो निम्नानुसार हैं: - AGR बकाया के संबंध में, कोई पुनर्मूल्यांकन नहीं होगा। - टेलीकॉम...

 लोन पर मोहलत की अवधि दो साल तक बढ़ाई जा सकती है : केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया
" लोन पर मोहलत की अवधि दो साल तक बढ़ाई जा सकती है" : केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया

 केंद्र सरकार ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि लोन पर मोहलत की अवधि दो साल तक बढ़ाई जा सकती है। पिछली सुनवाई में अदालत ने केंद्र को एक सप्ताह के भीतर ब्याज भुगतान के मुद्दे पर अपना पक्ष रखते हुए एक हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया था और मामले को 1 सितंबर को आगे विचार के लिए सूचीबद्ध किया था। इसके प्रकाश में, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस आर सुभाष रेड्डी और जस्टिस एमआर शाह की पीठ को बताया कि एक हलफनामा रिकॉर्ड पर रखा गया है। उन्होंने यह भी कहा कि अधिस्थगन अवधि...

सिर्फ इसलिए कि NDPS मामले में शिकायतकर्ता और जांच अधिकारी एक ही है, ट्रायल भंग नहीं होगा और आरोपी को बरी करने का आधार नहीं बनेगा : सुप्रीम कोर्ट संविधान पीठ
सिर्फ इसलिए कि NDPS मामले में शिकायतकर्ता और जांच अधिकारी एक ही है, ट्रायल भंग नहीं होगा और आरोपी को बरी करने का आधार नहीं बनेगा : सुप्रीम कोर्ट संविधान पीठ

सुप्रीम कोर्ट की एक संविधान पीठ ने माना है कि इसे सामान्य नियम के रूप में नहीं रखा जा सकता है कि NDPS अधिनियम के तहत एक अभियुक्त केवल इसलिए बरी करने का हकदार है क्योंकि शिकायतकर्ता जांच अधिकारी एक ही है। "केवल इसलिए कि मुखबिर और जांच अधिकारी एक ही है, यह नहीं कहा जा सकता है कि जांच पक्षपातपूर्ण है और मुकदमा भंग हो गया है।" संविधान पीठ ने स्पष्ट किया कि यह प्रत्येक मामले के तथ्यों और परिस्थितियों पर निर्भर करता है कि जांच दागी हो गई है क्योंकि मुखबिर और जांच अधिकारी एक ही है। इसे एक...

हिन्दू विधि भाग  10 :  विवाह विच्छेद (Divorce) के बाद पुनः विवाह कब किया जा सकता है?  हिंदू विवाह अधिनियम के अंतर्गत क्या दाण्डिक प्रावधान है
हिन्दू विधि भाग 10 : विवाह विच्छेद (Divorce) के बाद पुनः विवाह कब किया जा सकता है? हिंदू विवाह अधिनियम के अंतर्गत क्या दाण्डिक प्रावधान है

हिंदू विवाह अधिनियम 1955 तलाक की संपूर्ण व्यवस्था करता है। धारा 13 के अंतर्गत उन आधारों का उल्लेख किया गया है, जिनके आधार पर तलाक की डिक्री पारित की जाती है और धारा 13b के अंतर्गत पारस्परिक तलाक का उल्लेख किया गया है। अब प्रश्न आता है कि न्यायालय से किसी विवाह विच्छेद की डिक्री पारित हो जाने के बाद विवाह कब किया जा सकता है? लेखक इस लेख के माध्यम से पुनर्विवाह के संबंध में और हिंदू विवाह अधिनियम 1955 के अंतर्गत जो दाण्डिक प्रावधान है उनका उल्लेख कर रहा है। पुनर्विवाह विवाह एक पवित्र...

न्यायपालिका की आलोचना करना आसान है, एक बदलाव के लिए हम सकारात्मकता पर बात करें: ज‌स्टिस चंद्रचूड़
न्यायपालिका की आलोचना करना आसान है, एक बदलाव के लिए हम सकारात्मकता पर बात करें: ज‌स्टिस चंद्रचूड़

लॉकडाउन के दरमियान न्यायपालिका द्वारा निस्तार‌ित मामलों के आंकड़ों को साझा करते हुए, सुप्रीम कोर्ट के जज, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा है कि महामारी के दौर में भारत की अदालतों में वर्चुअल कामकाज एक "अद्वितीय उपलब्धि" रहा। 24 मार्च से 28 अगस्त के बीच जिला अदालतों में 28.66 लाख मामले दर्ज किए गए और 12.69 लाख मामलों को निस्तार‌ित किया गया। उन्होंने कहा, "जब अंतरराष्ट्रीय अदालतें एकल अंकों में आंकड़ों की बात कर रही हैं, तब हमने सैकड़ों हजारों मामलों निस्तारण किया है।" सुप्रीम कोर्ट की ई-कमेटी के...

गृह मंत्रालय ने अनलॉक 4 गाइडलाइन जारी की : स्कूल, कॉलेज, सिनेमा, 30 सितंबर तक बंद रहेंगे, मेट्रो रेल 7 सितंबर से चलाई जाएगी, राज्यों में आवाजाही पर रोक नहीं
गृह मंत्रालय ने अनलॉक 4 गाइडलाइन जारी की : स्कूल, कॉलेज, सिनेमा, 30 सितंबर तक बंद रहेंगे, मेट्रो रेल 7 सितंबर से चलाई जाएगी, राज्यों में आवाजाही पर रोक नहीं

केंद्रीय गृह मंत्रालय (एमएचए) ने कंटेंमेंट ज़ोन के बाहर के क्षेत्रों में अधिक गतिविधियों को खोलने के लिए अनलॉक 4.0 के दिशानिर्देश जारी किए हैं। कंटेंमेंट ज़ोन में लॉकडाउन 30 सितंबर 2020 तक बढ़ाया गया है। हालांकि, 30 सितंबर 2020 तक छात्रों और नियमित कक्षा गतिविधि के लिए स्कूल, कॉलेज, शैक्षिक और कोचिंग संस्थान बंद रहेंगे। दिशानिर्देश यह स्पष्ट करते हैं कि व्यक्तियों और वस्तुओं के एक ही राज्य और एक राज्य से दूसरे राज्य आने जाने पर कोई प्रतिबंध नहीं होगा। यह कहा गया है कि इस तरह की आवाजाही के...

सुप्रीम कोर्ट ने चार सप्ताह बाद याचिका सूचीबद्ध करने संबंधी सितम्बर 2019 के आदेश पर अमल नहीं किये जाने को लेकर रजिस्ट्री से मांगा स्पष्टीकरण
सुप्रीम कोर्ट ने चार सप्ताह बाद याचिका सूचीबद्ध करने संबंधी सितम्बर 2019 के आदेश पर अमल नहीं किये जाने को लेकर रजिस्ट्री से मांगा स्पष्टीकरण

सुप्रीम कोर्ट ने एक प्रार्थी की अग्रिम जमानत याचिका चार सप्ताह के भीतर सूचीबद्ध करने के अपने सितंबर 2019 के आदेश पर अमल न किये जाने को लेकर रजिस्ट्री से स्पष्टीकरण मांगा है। कोर्ट ने यह स्पष्टीकरण उस वक्त मांगा जब उसे पता चला कि याचिका को चार सप्ताह के भीतर सूचीबद्ध करने के उसके सितम्बर 2019 के आदेश पर रजिस्ट्री द्वारा अमल नहीं किया गया। अर्जी लंबित रहने के कारण याचिकाकर्ता की गिरफ्तारी भी हो गयी और इस प्रकार सुप्रीम कोर्ट के समक्ष उसकी अग्रिम जमानत याचिका निष्प्रभावी हो गयी। न्यायमूर्ति...

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नहीं दी मुहर्रम के जुलूसों की अनुमति, कहा-आवश्यक धार्मिक प्रथाओं पर पूर्ण प्रतिबंध, महामारी के अभूतपूर्व संकट के अनुपात में है
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नहीं दी मुहर्रम के जुलूसों की अनुमति, कहा-आवश्यक धार्मिक प्रथाओं पर पूर्ण प्रतिबंध, महामारी के अभूतपूर्व संकट के अनुपात में है'

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मुहर्रम में ताजियों की अनुमति देने से इनकार कर दिया है। ज‌स्टिस एसके गुप्ता और ज‌स्टिस शमीम अहमद की खंडपीठ ने शनिवार को याचिकाओं के एक बैच को खारिज़ करते हुए कहा, "भारी मन के साथ कहना पड़ रहा रहा है कि इन कठिन समयों में, मोहर्रम के 10 वें दिन से जुड़े शोक अनुष्ठानों / परंपराओं को विनियमित करने के लिए कोई दिशानिर्देश प्रदान कर पाना और निषेध उठाना संभव नहीं है।" कोर्ट ने कहा कि हम जिस अभूतपूर्व स्थिति का सामना कर रहे हैं, धर्म के लिए आवश्यक प्रथाओं का पूर्ण निषेध, उसी...

सुप्रीम कोर्ट ने विधि सदस्य की नियुक्ति न होने तक सीईआरसी के दो सदस्यों को छुट्टी पर जाने का आदेश दिया
सुप्रीम कोर्ट ने विधि सदस्य की नियुक्ति न होने तक सीईआरसी के दो सदस्यों को छुट्टी पर जाने का आदेश दिया

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को केंद्रीय विद्युत विनियामक आयोग (सीईआरसी) के दो सदस्यों को तब तक छुट्टी पर जाने का आदेश दिया जब तक कि आयोग में एक विधि सदस्य की नियुक्ति नहीं हो जाती। न्यायमूर्ति संजय किशन कौल, न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस की खंडपीठ ने यह आदेश आयोग में विधि क्षेत्र के एक सदस्य की नियुक्ति न होने को लेकर के. के. अग्रवाल द्वारा दायर अवमानना याचिका पर जारी किया। यह याचिका सुप्रीम कोर्ट के 2018 के उस फैसले पर अमल की मांग को लेकर दायर की गयी थी, जिसके तहत आयोग...

(सीआरपीसी की धारा 372) पीड़ित की तरफ से सजा बढ़ाने के लिए दायर अपील सुनवाई योग्य नहीं :सुप्रीम कोर्ट
(सीआरपीसी की धारा 372) पीड़ित की तरफ से सजा बढ़ाने के लिए दायर अपील सुनवाई योग्य नहीं :सुप्रीम कोर्ट

सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि अपर्याप्त सजा के आधार पर दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 372 के तहत पीड़ित की तरफ से दायर अपील सुनवाई योग्य नहीं है।न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी की खंडपीठ ने इस मामले में यह टिप्पणी करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट के एक फैसले को बरकरार रखा है। हाईकोर्ट ने एक पीड़ित की तरफ से सीआरपीसी की धारा 372 के तहत दायर अपील को खारिज कर दिया था। इस अपील के तहत पीड़ित ने मांग की थी कि ट्रायल कोर्ट द्वारा दोषी को दी गई सजा को बढ़ाया जाए। इस मामले में आरोपी को...

सुप्रीम कोर्ट ने सुदर्शन टीवी के कथित सांप्रदायिक कार्यक्रम पर प्रसारण-पूर्व निषेधाज्ञा आदेश देने से मना किया, कार्यक्रम में मुसलमानों के यूपीएससी पास करने को बताया गया है जिहादी एजेंडा
सुप्रीम कोर्ट ने सुदर्शन टीवी के कथित सांप्रदायिक कार्यक्रम पर प्रसारण-पूर्व निषेधाज्ञा आदेश देने से मना किया, कार्यक्रम में मुसलमानों के यूपीएससी पास करने को बताया गया है जिहादी एजेंडा

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सुदर्शन टीवी के एक शो के प्रसारण को रोकने के लिए प्रसारण-पूर्व निषेधाज्ञा आदेश पारित करने से इनकार कर दिया। शो में कथित रूप से यूपीएससी में मुसलमानों के चयन को सांप्रदायिक रूप दिया जा रहा था। जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और केएम जोसेफ की पीठ ने फिरोज इकबाल खान द्वारा दायर एक याचिका में कहा कि कोर्ट को "49 सेकंड की क्लिप के असत्यापित प्रतिलेख" के आधार पर प्रसारण-पूर्व निषेधाज्ञा लागू करने से बचना होगा। पीठ ने कहा, "इस स्तर पर, हम 49 सेकंड की एक क्लिप के असत्यापित...

क्या निजी कार्यक्रम PoSH एक्ट के तहत कार्यस्थल की परिभाषा के अंतर्गत आएगा? सिक्किम हाईकोर्ट जांच करेगा
क्या "निजी कार्यक्रम" PoSH एक्ट के तहत "कार्यस्थल" की परिभाषा के अंतर्गत आएगा? सिक्किम हाईकोर्ट जांच करेगा

सिक्किम हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा है कि वह, जांच करेगा कि क्या "निजी होटल में निजी विवाह समारोह" में हुई यौन उत्पीड़न की घटना "कार्यस्थल" की परिभाषा के अंतर्गत आएगी, जैसा कि यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) कार्यस्थल अधिनियम, 2013 (PoSH अधिनियम) की धारा 2 (ओ) के तहत निर्धारित है। सिक्किम हाईकोर्ट ने कहा, "उक्त अधिनियम में" कार्यस्थल "शब्द की परिभाषा की जांच करने के बाद, ऐसा लगता है कि याचिकाकर्ता के पास अधिकार क्षेत्र पर एक मजबूत तर्कपूर्ण बिंदु है या इसकी कमी है। क्या" कार्यस्थल "की...

दिल्ली हाईकोर्ट ने सुदर्शन टीवी के शो पर रोक लगाई, यूपीएससी में मुस्लिमों की भर्ती को बताया है जिहादी एजेंडा
दिल्ली हाईकोर्ट ने सुदर्शन टीवी के शो पर रोक लगाई, यूपीएससी में मुस्लिमों की भर्ती को बताया है जिहादी एजेंडा

दिल्ली हाईकोर्ट ने जामिया मिल्लिया इस्लामिया के छात्रों द्वारा दायर याचिका पर सिविल सर्विसेज में कथित रूप से "मुस्लिमों की घुसपैठ" पर आधारित सुदर्शन न्यूज चैनल के ट्रेलर के प्रसारण पर रोक लगा दी है। जस्टिस नवीन चावला की एकल पीठ ने तत्काल सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया है। याचिकाकर्ताओं ने सुदर्शन न्यूज पर "बिंदास बोल" नामक कार्यक्रम के प्रस्तावित प्रसारण को प्रतिबंधित करने की मांग की थी, जिसे आज रात 8 बजे प्रसारित किया जाना है, जिसमें कथित तौर पर जामिया मिल्लिया इस्लामिया, इसके पूर्व...

COVID-19 चुनाव स्थगित करने का आधार नहीं हो सकता : सुप्रीम कोर्ट ने बिहार विधान सभा चुनाव स्थगित करने की मांग करने वाली याचिकाएं खारिज की
COVID-19 चुनाव स्थगित करने का आधार नहीं हो सकता : सुप्रीम कोर्ट ने बिहार विधान सभा चुनाव स्थगित करने की मांग करने वाली याचिकाएं खारिज की

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को COVID-19 महामारी और बिहार में बाढ़ से हुई तबाही के कारण राज्य में होने वाले विधानसभा चुनावों को स्थगित करने के लिए मुख्य चुनाव आयुक्त को निर्देश देने की मांग करने वाली दो याचिकाओं को खारिज कर दिया।न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी और न्यायमूर्ति एमआर शाह की खंडपीठ ने इस मामले को सुना और देखा कि याचिका असामयिक है, क्योंकि भारत के चुनाव आयोग ने राज्य में चुनावों की घोषणा करने के लिए अब तक कोई अधिसूचना जारी नहीं की है। याचिकाकर्ता ने न्यायालय के समक्ष...

प्रशांत भूषण के खिलाफ अवमानना मामले से नागर‌ि‌कों को जजों को आईना दिखने से रुकना नहीं चाहिएःसीनियर एडवोकेट दुष्यंत दवे
प्रशांत भूषण के खिलाफ अवमानना मामले से नागर‌ि‌कों को जजों को आईना दिखने से रुकना नहीं चाहिएःसीनियर एडवोकेट दुष्यंत दवे

सीनियर एडवोकेट दुष्यंत दवे बुधवार को मंथन इंडिया द्वारा आयोजित एक वेबिनार में शामिल हुए, जिसका विषय था-"द कॉन्स्टीट्यूशन, रूल ऑफ लॉ एंड गवर्नेंस इन COVID19"। सत्र के आरंभ में एतिफ़ेत याहयागा को उद्धृत करते हुए उन्होंने कहा, "लोकतंत्र को खुले समाजों के माध्यम से निर्मित किया जाना चाहिए जो जानकारी साझा करते हैं। जब जानकारी होती है, तो ज्ञान होता है। जब बहस होती है, तो समाधान होते हैं। जब सत्ता का कोई साझाकरण नहीं होता है, कोई नियम कानून नहीं होता है, कोई जवाबदेही नहीं होती है, तो दुर्व्यवहार,...

राज्य स्तर पर अल्पसंख्यकों की पहचान, राष्ट्रीय अल्पसंख्यक शिक्षा संस्थान अधिनियम की धारा 2 ( F ) को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया
'राज्य स्तर' पर अल्पसंख्यकों की पहचान, राष्ट्रीय अल्पसंख्यक शिक्षा संस्थान अधिनियम की धारा 2 ( F ) को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को राज्य स्तर पर" अल्पसंख्यकों की पहचान के लिए दिशा-निर्देश देने के लिए केंद्र सरकार को निर्देश देने वाली याचिका पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस अनिरुद्ध बोस की पीठ ने इस मामले में 6 सप्ताह में जवाब मांगा है। याचिका में अल्पसंख्यक शिक्षा संस्थान अधिनियम, 2004 के लिए राष्ट्रीय आयोग की धारा 2 (एफ) को भी चुनौती दी गई है कि यह अल्पसंख्यकों की घोषणा करने के लिए "बेलगाम शक्ति" प्रदान करता है और इसे संविधान...