COVID-19 चुनाव स्थगित करने का आधार नहीं हो सकता : सुप्रीम कोर्ट ने बिहार विधान सभा चुनाव स्थगित करने की मांग करने वाली याचिकाएं खारिज की

LiveLaw News Network

28 Aug 2020 7:18 AM GMT

  • COVID-19 चुनाव स्थगित करने का आधार नहीं हो सकता : सुप्रीम कोर्ट ने बिहार विधान सभा चुनाव स्थगित करने की मांग करने वाली याचिकाएं खारिज की

    सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को COVID-19 महामारी और बिहार में बाढ़ से हुई तबाही के कारण राज्य में होने वाले विधानसभा चुनावों को स्थगित करने के लिए मुख्य चुनाव आयुक्त को निर्देश देने की मांग करने वाली दो याचिकाओं को खारिज कर दिया।

    न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी और न्यायमूर्ति एमआर शाह की खंडपीठ ने इस मामले को सुना और देखा कि याचिका असामयिक है, क्योंकि भारत के चुनाव आयोग ने राज्य में चुनावों की घोषणा करने के लिए अब तक कोई अधिसूचना जारी नहीं की है।

    याचिकाकर्ता ने न्यायालय के समक्ष तर्क दिया कि जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 में असाधारण परिस्थितियों के कारण चुनावों को स्थगित करने की अनुमति दी गई। उन्होंने आगे कहा, "चुनाव सर्वोपरि नहीं है; मानव जीवन सर्वोपरि है। यहां तक ​​कि विधायक भी मर रहे हैं और लोग पीड़ित हैं।"

    हालांकि, खंडपीठ ने याचिका को अनुमति देने की इच्छा नहीं दिखाई और वकील को सूचित किया कि इस तरह के आदेश पारित नहीं किए जा सकते और यह चुनाव आयोग को तय करना होगा।

    न्यायमूर्ति भूषण ने कहा कि याचिका में "मिथ्या विचार किया गया" और इसे संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत अनुमति नहीं दी जा सकती, क्योंकि चुनाव की घोषणा अभी होना शेष है और इसलिए, याचिकाकर्ता महामारी का हवाला देकर चुनाव के स्थगन की मांग नहीं कर सकते।

    न्यायमूर्ति भूषण ने टिप्पणी की,

    "COVID चुनाव स्थगित करने का आधार नहीं है। यह अदालत मुख्य चुनाव आयुक्त को नहीं बता सकती कि उन्हें क्या करना है।

    दूसरी ओर, जस्टिस शाह ने काउंसल को सूचित किया कि चुनाव आयोग जमीनी हकीकत को ध्यान में रखेगा और यह सुनिश्चित करेगा कि चुनाव कराने से पहले पर्याप्त सावधानी बरती जाए।

    तदनुसार, दोनों याचिकाओं को खारिज कर दिया गया।

    वकील-सामाजिक कार्यकर्ता राजेश जायसवाल ने इस संबंध में दायर अपनी याचिका में मांग की थी कि मुख्य चुनाव आयुक्त को निर्देश दिए जाएं कि वे बिहार राज्य विधान सभा में चुनाव की अधिसूचना आधिकारिक राजपत्र में प्रकाशित करने के लिए सरकार को तब तक सिफारिश न भेजें, जब तक कि सक्षम प्राधिकारी द्वारा बिहार राज्य को COVID 19-मुक्त और बाढ़-मुक्त राज्य घोषित न कर दिया जाए।

    दूसरे याचिकाकर्ता, अविनाश ठाकुर, एक डेयरी किसान, 12 अगस्त को टाइम्स ऑफ इंडिया में प्रकाशित खबर से व्यथित थे, जिसमें मुख्य चुनाव आयुक्त के हवाले से कहा गया था कि बिहार COVID 19 और बाढ़ से जूझ रहा है, लेकिन बिहार विधानसभा चुनाव, 2020 को समय पर करवाया जाएगा।

    याचिका में अधिवक्ता आशुतोष ठाकुर और नीरज शेखर के माध्यम से आग्रह किया गया था कि "पोलिंग बूथ पर कोरोनो वायरस फैलने का बहुत बड़ा जोखिम है।"

    बिहार विधान सभा की 243 सीटों के लिए अक्टूबर, 2020 में बिहार में चुनाव होने की उम्मीद है। याचिका में तर्क दिया गया कि इस समय चुनावों की घोषणा करना पहले से ही उलझे प्रशासन पर एक अतिरिक्त बोझ लाद देगा। प्रशासन के राजनेता अब बाढ़ और COVID 19 से जूझने के बजाय चुनावी तैयारी पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।

    यह आगे कहा गया कि एक महामारी / बाढ़ के दौरान चुनाव की घोषणा करना पूरी तरह से विनाशकारी, गलत होगा और एक तरह से बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में नागरिकों के वोट के अधिकार को छीन लेगा जो उनके जीवन के लिए संघर्ष कर रहे हैं।

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