संपादकीय

(छात्र बनाम UGC) छात्र  बिना परीक्षा के पास नहीं किए जा सकते, लेकिन राज्य परीक्षा टालने के लिए UGC से संपर्क कर सकते हैं : सुप्रीम कोर्ट 
(छात्र बनाम UGC) छात्र बिना परीक्षा के पास नहीं किए जा सकते, लेकिन राज्य परीक्षा टालने के लिए UGC से संपर्क कर सकते हैं : सुप्रीम कोर्ट 

सुप्रीम कोर्ट ने यूजीसी के निर्देश को चुनौती देते हुए याचिकाओं का निस्तारण करते हुए 30 सितंबर तक अंतिम वर्ष की परीक्षाओं को करने के लिए आगे आदेश जारी किए हैं। 1. पीठ ने परीक्षा आयोजित करने के लिए यूजीसी के दिशानिर्देशों को रद्द करने की प्रार्थना से इनकार कर दिया है। 2. विशेष राज्यों में परीक्षा रद्द करने के लिए राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के निर्देश यूजीसी के निर्देशों पर लागू होंगे। 3. हालांकि पिछले प्रदर्शन के आधार पर छात्रों को पास करने के लिए राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण का...

कमजोर वर्गों के छात्रों में भेदभाव और डिजिटल विभाजन को खत्म करने के लिए यूनिफॉर्म एजुकेशन पॉलिसी बनाने की मांग संंबंंधित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया
कमजोर वर्गों के छात्रों में भेदभाव और डिजिटल विभाजन को खत्म करने के लिए यूनिफॉर्म एजुकेशन पॉलिसी बनाने की मांग संंबंंधित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया

सुप्रीम कोर्ट ने उस याचिका पर नोटिस जारी किया है, जिसमें मांग की गई है कि केंद्र को निर्देश दिया जाए कि COVID19 महामारी के दौरान अपनाई जाने वाली भेदभावपूर्ण प्रथाओं को रोकने और प्रारंभिक शिक्षा में कमजोर वर्ग के बच्चों की भागीदारी को सुनिश्चित करने के लिए वह हर राज्य के लिए एक समान शिक्षा नीति या यूनिफाॅर्म एजुकेशन पाॅलिसी बनाए।चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस मामले को सुनने के बाद नोटिस जारी किया है। मामले में याचिकाकर्ता की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन ने...

वायरस फैलाने के लिए एक विशेष समुदाय को टारगेट किया जा सकता है : सुप्रीम कोर्ट ने मुहर्रम जुलूस की अनुमति देने से इनकार किया
"वायरस फैलाने के लिए एक विशेष समुदाय को टारगेट किया जा सकता है" : सुप्रीम कोर्ट ने मुहर्रम जुलूस की अनुमति देने से इनकार किया

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को COVID 19 महामारी के बीच मुहर्रम जुलूस को अनुमति देने से इनकार कर दिया। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) एसए बोबडे, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस वी रामासुब्रमण्यन की पीठ ने कहा कि देश भर में जुलूस निकालने के लिए सामान्य निर्देश देने से अराजकता पैदा होगी और एक विशेष समुदाय को फिर वायरस फैलाने के लिए टारगेट किया जा सकता है। याचिकाकर्ता ने शीर्ष अदालत के उदाहरणों का हवाला दिया कि पुरी की रथयात्रा जुलूस को निर्धारित मानक संचालन प्रक्रियाओं के तहत आयोजित करने की अनुमति दी...

क्या एससी-एसटी आरक्षण के भीतर उप-वर्गीकरण स्वीकार्य है? सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की बेंच ने मामला बड़ी बेंच को भेजा, कहा- ईवी चिन्नैया पर पुनर्विचार की आवश्यकता
क्या एससी-एसटी आरक्षण के भीतर उप-वर्गीकरण स्वीकार्य है? सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की बेंच ने मामला बड़ी बेंच को भेजा, कहा- 'ईवी चिन्नैया' पर पुनर्विचार की आवश्यकता

सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच ने गुरुवार को कहा कि ईवी चिन्नैया बनाम आंध्र प्रदेश राज्य में एक समन्वित पीठ के फैसले पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता है और मामले को बड़ी पीठ के समक्ष रखने के लिए मुख्य न्यायाधीश के पास भेजा जाए। पीठ ने कहा कि अगर राज्य सरकार के पास आरक्षण देने की शक्ति होती है, वह उप-वर्गीकरण बनाने की भी शक्ति रखती है और इस प्रकार के उप-वर्गीकरण आरक्षण सूची के साथ छेड़छाड़ करने के बराबर नहीं होते हैं।फैसले के संचालक हिस्‍से को पढ़ते हुए जस्टिस अरुण मिश्रा ने कहा, "संघीय ढांचे...

हिन्दू विधि भाग 8 : जानिए हिंदू मैरिज एक्ट के अधीन विवाह विच्छेद (Divorce) कैसे होता है
हिन्दू विधि भाग 8 : जानिए हिंदू मैरिज एक्ट के अधीन विवाह विच्छेद (Divorce) कैसे होता है

प्राचीन शास्त्री हिंदू विधि के अधीन हिंदू विवाह एक संस्कार है। विवाह हिंदुओं का एक धार्मिक संस्कार है, जिसके अंतर्गत प्रत्येक पुरुष को तब ही पूर्ण माना गया है, जब उसकी पत्नी और उसकी संतान हो। प्राचीन शास्त्रीय हिंदू विधि के अधीन हिंदू विवाह में संबंध विच्छेद जैसी कोई व्यवस्था नहीं थी, तलाक शब्द मुस्लिम विधि में प्राप्त होता है तथा रोमन विधि में डायवोर्स शब्द प्राप्त होता है परंतु शास्त्रीय हिंदू विधि के अधीन विवाह विच्छेद जैसी कोई उपधारणा नहीं रही है, क्योंकि हिंदुओं में विवाह एक पवित्र संस्कार...

प्रेम की कोई सीमा नहीं और अब इसके अंतर्गत सेम-सेक्स संबंध भी शामिल है: उड़ीसा हाईकोर्ट ने सेम-सेक्स लिव-इन कपल को एक साथ रहने की अनुमति दी
प्रेम की कोई सीमा नहीं और अब इसके अंतर्गत 'सेम-सेक्स संबंध' भी शामिल है: उड़ीसा हाईकोर्ट ने सेम-सेक्स लिव-इन कपल को एक साथ रहने की अनुमति दी

उड़ीसा उच्च न्यायालय ने सोमवार (24 अगस्त) को एक 24 वर्षीय महिला द्वारा दायर याचिका में अपने सेम-सेक्स पार्टनर (समान-यौन साथी) को वापस पाने की अनुमति दी, जिस पार्टनर (रश्मि) को उसके माँ और चाचा द्वारा जबरन महिला से अलग किया गया था। जस्टिस एस. के. मिश्रा और जस्टिस सावित्री राठो की खंडपीठ एक मामले की सुनवाई कर रही थी; हालाँकि, दोनों न्यायमूर्तियों ने अलग-अलग लेकिन समवर्ती निर्णय लिखा और जिसके चलते महिला को अपने समान-यौन साथी (रश्मि) के साथ रहने की अनुमति मिली। मामले की पृष्ठभूमि वर्तमान...

ये इसलिए हुआ कि आपने पूरे देश में लॉकडाउन लगा दिया था, सुप्रीम कोर्ट ने मोहलत की अवधि में ब्याज वसूलने के मुद्दे पर रुख स्‍पष्‍ट न करने पर केंद्र सरकार की खिंचाई की
"ये इसलिए हुआ कि आपने पूरे देश में लॉकडाउन लगा दिया था," सुप्रीम कोर्ट ने मोहलत की अवधि में ब्याज वसूलने के मुद्दे पर रुख स्‍पष्‍ट न करने पर केंद्र सरकार की खिंचाई की

COVID-19 के कारण बैंकों की ओर से ऋणों की ईएमआई जमा करने पर दी गई मोहलत 31 अगस्त को समाप्त हो रही है, हालांकि केंद्र सरकार ने उक्त अवधि में ईएमआई पर देय ब्याज के मुद्दे पर अपना रुख स्पष्‍ट नहीं किया, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को केंद्र सरकार को फटकार लगाई। जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस आर सुभाष रेड्डी और जस्टिस एमआर शाह की पीठ ने केंद्र सरकार को एक हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया, जिसमें एक सप्ताह के भीतर ब्याज भुगतान के मुद्दे पर स्पष्ट रूप से अपना पक्ष रखने को कहा गया और मामले को आगे...

Allahabad High Court expunges adverse remarks against Judicial Officer
[उत्तर प्रदेश में COVID-19 के बढ़ते मामले] इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा, लॉकडाउन के अलावा कोई भी कदम कारगर नहीं होगा

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मंगलवार को उत्तर प्रदेश में बढ़ते COVID-19 मामलों पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि COVID-19 का प्रसार रोकने के लिए एक बार फिर से लॉकडाउन लागू करना एकमात्र प्रशंसनीय उपाय हो सकता है। जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा और जस्टिस अजीत कुमार की बेंच ने कहा, "हमें विभिन्न जिल प्रशासनों द्वारा ठोस कदम उठाए जाने का आश्वासन बार-बार दिया जा रहा है, हालांकि प्रदेश के कई हिस्सों में महामारी ने जिस प्रकार पांव पसारे है, उससे लॉकडाउन से कम कोई भी उपाय कारगर नहीं होगा।" कोर्ट ने यह टिप्‍पणी...

हिन्दू विधि भाग 7 :  जानिए हिंदू मैरिज एक्ट के अधीन विवाह कब शून्यकरणीय  (Voidable marriage) होता है,  शून्य विवाह और शून्यकरणीय विवाह में क्या अंतर है
हिन्दू विधि भाग 7 : जानिए हिंदू मैरिज एक्ट के अधीन विवाह कब शून्यकरणीय (Voidable marriage) होता है, शून्य विवाह और शून्यकरणीय विवाह में क्या अंतर है

हिंदू विवाह अधिनियम 1955 (The Hindu Marriage Act, 1955) के अधीन हिंदू विवाह के संविदा के स्वरूप को ध्यान में रखते हुए संविदा की भांति ही इस विवाह में शून्य और शून्यकरणीय विवाह (Voidable marriage) जैसी व्याख्या की गई है। अधिनियम की धारा 12 हिंदू विवाह शून्यकरणीय के संबंध में उल्लेख करती। इसके पूर्व के लेख में किसी हिंदू विवाह के शून्य (Void) होने के संदर्भ में उल्लेख किया गया था। इस लेख में हिंदू विवाह के शून्यकरणीय होने के संदर्भ में उल्लेख किया जाएगा तथा शून्य विवाह और शून्यकरणीय विवाह...

वरिष्ठ अधिवक्ता रंजीत कुमार ने एमिकस के रूप में दी सेवाओं के बदले 50 लाख रुपये लेने से किया इनकार, सुप्रीम कोर्ट ने की सराहना
वरिष्ठ अधिवक्ता रंजीत कुमार ने एमिकस के रूप में दी सेवाओं के बदले 50 लाख रुपये लेने से किया इनकार, सुप्रीम कोर्ट ने की सराहना

एमसी मेहता मामले में पूर्व सॉलिसिटर जनरल रंजीत कुमार द्वारा एमिकस क्यूरी के रूप में दो दशक से अधिक समय तक दी सेवाओं को ध्यान में रखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को दिल्ली सरकार को आदेश दिया है कि उन्हें इन सेवाओं के बदले 50 लाख रुपये का भुगतान किया जाए।न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा के नेतृत्व वाली खंडपीठ ने न केवल कुमार द्वारा किए गए कार्यों की, बल्कि श्री एडीएन राव, श्रीमती अपराजिता सिंह और श्रीमती अनीता शेनॉय के काम की भी सराहना की। अदालत ने दिल्ली सरकार को आदेश दिया है कि वह इन सभी को भी...

मुहर्रम का  जुलूस : सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को 5 लोगों के साथ सार्वजनिक जुलूस की अनुमति के लिए 28 राज्यों को पक्षकार बनाने को कहा
मुहर्रम का जुलूस : सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को 5 लोगों के साथ सार्वजनिक जुलूस की अनुमति के लिए 28 राज्यों को पक्षकार बनाने को कहा

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को मुहर्रम का सार्वजनिक जुलूस निकालने के लिए शीर्ष अदालत की अनुमति लेने की याचिका पर सुनवाई की, जिसमें महामारी की स्थिति के मद्देनज़र केवल 5 लोगों के साथ मुहर्रम का सार्वजनिक जुलूस निकालने पर प्रकाश डाला गया। मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे, जस्टिस ए एस बोपन्ना और जस्टिस वी रामासुब्रमण्यन की पीठ ने याचिकाकर्ता के अधिवक्ता वासी हैदर से कहा कि वह अपनी याचिका में 28 राज्यों को पार्टी बनाएं और केंद्र सरकार और राज्य सरकारों को निर्देश देने की मांग करें, जिसमें जुलूस को केवल एक...

जस्टिस मिश्रा ने पूछा, हमें बताएं माफी शब्द का इस्तेमाल करने में क्या गलत है? सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत भूषण के ट्वीट पर दर्ज अवमानना मामले में फैसला सुरक्षित रखा
जस्टिस मिश्रा ने पूछा, "हमें बताएं माफी शब्द का इस्तेमाल करने में क्या गलत है?" सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत भूषण के ट्वीट पर दर्ज अवमानना मामले में फैसला सुरक्षित रखा

जस्टिस अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट बेंच ने मंगलवार को एडवोकेट प्रशांत भूषण के खिलाफ उनके ट्वीटस को लेकर कंटेम्प्ट केस 2020 में फैसला सुरक्षित रख लिया।न्यायाधीश मिश्रा ने जजमेंट देते हुए कहा, "हमें बताएं कि 'माफी' शब्द का उपयोग करने में क्या गलत है? माफी मांगने में क्या गलत है? क्या दोषी का प्रतिबिंब होगा? माफी एक जादुई शब्द है, जो कई चीजों को ठीक कर सकता है। मैं प्रशांत के बारे में नहीं बल्कि सामान्य तौर पर बात कर रहा हूं। यदि आप माफी मांगते हैं तो आप महात्मा गंगी की श्रेणी में आ...

सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत भूषण के बयान पर कहा, हमें कुछ बेहतर की उम्मीद थी : एजी ने अदालत से दया दृष्टिकोण दिखाने का अनुरोध किया
सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत भूषण के बयान पर कहा, हमें कुछ बेहतर की उम्मीद थी : एजी ने अदालत से दया दृष्टिकोण दिखाने का अनुरोध किया

सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत भूषण अवमानना ​​मामले में अपनी सुनवाई तीस मिनट के लिए स्थगित करते हुए भूषण और उनके वकील, वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन को 'सोचने के लिए समय दिया।जस्टिस मिश्रा ने शुरुआत में भारत के अटॉर्नी-जनरल (एजी) के के वेणुगोपाल से पूछा कि क्या किया जा सकता है।इस पर, एजी ने जवाब दिया, "हमारे पास पूर्व न्यायाधीशों द्वारा सर्वोच्च न्यायालय में विफल लोकतंत्र के बारे में दिए गए गंभीर कथन हैं। मेरे पास न्यायपालिका में भ्रष्टाचार के बारे में टिप्पणी करने वाले पूर्व एससी न्यायाधीशों की एक पूरी...

पुलिसकर्मियों के लिए साप्ताहिक अवकाश के साथ 8 घंटे की शिफ्ट शुरू करने की मांग पर सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया 
पुलिसकर्मियों के लिए साप्ताहिक अवकाश के साथ 8 घंटे की शिफ्ट शुरू करने की मांग पर सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया 

सुप्रीम कोर्ट ने एक विशेष अनुमति याचिका में केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़, पंजाब और हरियाणा राज्य को नोटिस जारी किया है जिसमें साप्ताहिक अवकाश के साथ सभी पुलिस स्टेशनों में आठ घंटे की शिफ्ट शुरू करने की मांग की गई है।ये याचिका पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय द्वारा पारित 09.12.2019 के आदेश के खिलाफ दाखिल की गई है जिसमें चंडीगढ़ (जगजीत सिंह बनाम केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ और अन्य, SLP (c) डायरी नंबर 1516/2020) में साप्ताहिक अवकाश के साथ सभी पुलिस स्टेशनों और पुलिस चौकियों में घंटों की पाली पद्धति...

NEET के लिए ऑनलाइन परीक्षा केंद्रों की अनुमति देने की याचिका खारिज की, केंद्र को छात्रों के लिए वंदे भारत उड़ानों में प्रबंध करने को कहा
NEET के लिए ऑनलाइन परीक्षा केंद्रों की अनुमति देने की याचिका खारिज की, केंद्र को छात्रों के लिए वंदे भारत उड़ानों में प्रबंध करने को कहा

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को मेडिकल पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (NEET) 2020 में विदेशों में छात्रों के लिए ऑनलाइन परीक्षा केंद्रों की अनुमति देने की याचिका को खारिज कर दिया। हालांकि, छात्रों की यात्रा को आसान बनाने के लिए जस्टिस नागेश्वर राव, जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस एस रवींद्र भट की बेंच ने केंद्र सरकार से वंदे भारत मिशन उड़ानों के माध्यम से विदेश से उम्मीदवारों की यात्रा की व्यवस्था करने को कहा।पीठ ने ऐसे छात्रों के लिए क्वारंटीन की स्थिति को समाप्त...

माफी की पेशकश अंतरात्मा और सुप्रीम कोर्ट की अवमानना के समान : प्रशांत भूषण ने बिना शर्त माफी मांगने से इनकार किया 
माफी की पेशकश अंतरात्मा और सुप्रीम कोर्ट की अवमानना के समान" : प्रशांत भूषण ने बिना शर्त माफी मांगने से इनकार किया 

सुप्रीम कोर्ट के साथ-साथ सीजेआई के कामकाज के संबंध में ट्विटर पर पर दिए गए बयानों के संबंध में अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष एक पूरक हलफनामा दायर किया है, जिसमें उन्होंने माफी मांगने से इनकार कर दिया गया है।भूषण ने कहा कि उनके द्वारा की गई टिप्पणी न्यायालय की "रचनात्मक आलोचना" थी और इसलिए, उसको वापस लेने की पेशकश " निष्ठाहीन माफी" के समान होगा।उन्होंने जोर देकर कहा कि अदालत के एक अधिकारी के रूप में, उनका यह कर्तव्य है कि वे "बोलें" जब उन्हें विश्वास हो कि...

 हर राज्य की अलग नीति : सुप्रीम कोर्ट ने COVID-19  मौतों पर परिजनों को पर्याप्त मुआवजा देने की याचिका पर सुनवाई से इनकार किया, याचिका वापस ली गई 
" हर राज्य की अलग नीति" : सुप्रीम कोर्ट ने COVID-19  मौतों पर परिजनों को पर्याप्त मुआवजा देने की याचिका पर सुनवाई से इनकार किया, याचिका वापस ली गई 

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें केंद्र और राज्य सरकारों को निर्देश मांगा गया था कि वो COVID-19 संबंधित मौत / हताहत हुए सभी भारतीय नागरिकों के परिजनों के लिए पर्याप्त अनुदान के रूप में मुआवजा प्रदान करने के लिए उचित दिशानिर्देश तैयार करें।जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस आर सुभाष रेड्डी और जस्टिस एमआर शाह की पीठ ने टिप्पणी की कि प्रत्येक राज्य की अलग नीति है। इस संबंध में, पीठ ने याचिकाकर्ता को इसे वापस लेने की अनुमति दी।एडवोकेट दीपक प्रकाश ने प्रस्तुत किया कि...

हिन्दू विधि भाग 5 : जानिए हिंदू मैरिज एक्ट के अधीन न्यायिक पृथक्करण ( Judicial Separation) क्या होता है
हिन्दू विधि भाग 5 : जानिए हिंदू मैरिज एक्ट के अधीन न्यायिक पृथक्करण ( Judicial Separation) क्या होता है

हिंदू विवाह अधिनियम 1955 की धारा 9 के अधीन जिस प्रकार विवाह के पक्षकारों के आपसी मतभेद होने पर पुनर्मिलन के प्रयास किए गए हैं| इसी प्रकार धारा 10 के अधीन विवाह को बचाए रखते हुए विवाह के पक्षकारों को अलग अलग रहने के उपचार प्रदान किए गए हैं। प्राचीन शास्त्री हिंदू विधि के अधीन हिंदू विवाह एक संस्कार है तथा यह जन्म जन्मांतरों का संबंध है। ऐसे प्रयास होने चाहिए कि कोई भी हिंदू विवाह के संपन्न होने के बाद पति और पत्नी जहां तक संभव हो सके विवाह को सफल बनाएं तथा साथ-साथ साहचर्य का पालन करें। इस विचार...