संपादकीय
किसी वाहन के हाइपोथेकशन शुल्क के साथ एक फाइनेंसर क्या IBC के तहत ' वित्तीय लेनदार' है ? सुप्रीम कोर्ट परीक्षण करेगा
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एनसीएलएटी के उस फैसले के खिलाफ दायर एक अपील पर नोटिस जारी किया जिसमें कहा गया था कि अगर कोई वाहन के संबंध में कंपनी अधिनियम, 2013 के अनुसार हाइपोथेकशन शुल्क नहीं दर्ज करता है तो एक फाइनेंसर इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (IBC) के तहत ' वित्तीय लेनदार' के स्टेटस का दावा नहीं कर सकता है। जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस इंदिरा बनर्जी और जस्टिस संजीव खन्ना की पीठ ने वॉक्सवैगन फाइनेंस प्राइवेट लिमिटेड बनाम श्री बालाजी प्रिंटपैक प्राइवेट लिमिटेड और एक अन्य पर अपील में...
"शारीरिक रूप से अक्षम वकीलों के प्रवेश में अड़चन पैदा कर रही बीसीआई", दृष्टिबाधित AIBE उम्मीदवार ने किया दावा, 2018 PwD दिशा निर्देशों के उचित क्रियान्वयन की मांग
एक दृष्टिबाधित कानून स्नातक ने दावा किया है कि कानून के पेशे के प्रमुख नियामक संस्था 'बार काउंसिल ऑफ इंडिया' शारीरिक रूप से अक्षम वकीलों के लिए करियर की शुरुआत में ही अड़चने पैदा कर रही है। युवक का दावा है कि काउंसिल ने 24 जनवरी को आयोजित अखिल भारतीय बार परीक्षा में बैठने के लिए, उसे उचित आवास प्रदान करने से इनकार कर दिया है, जबकि वह शारीरिक रूप से स्थायी रूप से अक्षम है।भारत सरकार की ओर से शारीरिक रूप से अक्षम व्यक्तियों की परीक्षा कराने के लिए जारी दिशा निर्देशों के अनुसार, ( Guidelines...
डिफॉल्ट जमानत पर रिहा अभियुक्त को आरोप पत्र दायर किये जाने के बाद फिर से गिरफ्तार नहीं किया जा सकता: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने व्यवस्था दी है कि डिफॉल्ट जमानत पर रिहा अभियुक्त को पुलिस द्वारा आरोप पत्र दायर किये जाने के बाद फिर से गिरफ्तार नहीं किया जा सकता। इस मामले में, कमलेश के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धाराएं - 406, 409, 420, 467, 468, 471, 477 ए, 201 और 120 बी तथा प्राइज चिट्स मनी सर्कुलेशन स्कीम (बैनिंग एक्ट), 1978 की धारा - पांच तथा सूचना एवं प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 65 के तहत अपराध के आरोप थे। हाईकोर्ट ने निर्धारित अवधि के भीतर आरोप पत्र दायर नहीं करने के आधार पर आपराधिक प्रक्रिया संहिता...
अल्पसंख्यक शैक्षिक संस्थानों में नियुक्ति पर सरकार का नियंत्रण हटाने की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया
जस्टिस एल नागेश्वर राव, जस्टिस नवीन सिन्हा और जस्टिस इंदु मल्होत्रा की सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने बुधवार को जमीयत उलेमा-ए-हिंद की याचिका पर नोटिस जारी किया। याचिका में अल्पसंख्यक शैक्षिक संस्थानों के लिए राष्ट्रीय आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति पर सरकार का नियंत्रण हटाने के लिए निर्देश देने की मांग की गई है।याचिका में भारत के मुख्य न्यायाधीश द्वारा एक समिति के गठन के लिए शीर्ष न्यायालय से निर्देश भी मांगे गए हैं, जिसकी सिफारिश के आधार पर आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति की जानी...
सीजेआई बोबडे ने आंदोलन कर रहे किसानों में COVID-19 के प्रसार को लेकर चिंता जताई
भारत के मुख्य न्यायाधीश ने गुरुवार को महामारी के बीच तब्लीगी जमात मण्डली को अनुमति देने के लिए अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान किसानों के विरोध प्रदर्शन के परिणामस्वरूप COVID -19 के प्रसार के बारे में चिंता व्यक्त की। सीजेआई एस ए बोबडे ने इस मामले की सुनवाई कर रही पीठ की अध्यक्षता करते हुए सॉलिसिटर-जनरल तुषार मेहता से पूछा कि क्या प्रदर्शनकारी किसानों के बीच एहतियाती कदम उठाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह तब्लीगी जमात की घटना जैसी स्थिति को जन्म दे सकता...
लव जिहाद कानून 'व्यक्तिगत स्वतंत्रता' पर हमला है: जमीयत-उलमा-ए-हिंद ने उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के कानूनों को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की
एक आवेदन के माध्यम से जमीयत-उलमा-ए-हिंद को भी उस याचिका के पक्षकार के रूप में जोड़ा गया, जिस याचिका के माध्यम से दो राज्यों के द्वारा लाए गए लव जिहाद कानून की संवैधानिकता को लेकर सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। दरअसल, लव जिहाद पर रोक लगाने के लिए यूपी में 'उत्तर प्रदेश में गैर कानूनी तरीके से धर्मांतरण प्रतिषेध कानून' और उत्तराखंड में 'फ्रीडम ऑफ़ रिलिजन एक्ट, 2018' ( विशाल ठाकरे और अन्य बनाम यूनियन ऑफ इंडिया) बनाया गया है। जमीयत-उलमा-ए-हिंद ने दलील देते हुए कहा है कि,"विचाराधीन अध्यादेश...
'सुप्रीम कोर्ट के फैसले को प्रभावहीन बनाने का प्रयास', उत्तर प्रदेश पेंशन हेतु अर्हकारी सेवा और विधिमान्यकरण अध्यादेश 2020 के खिलाफ दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया
उत्तर प्रदेश पेंशन हेतु अर्हकारी सेवा और विधिमान्यकरण अध्यादेश 2020 के खिलाफ दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को नोटिस जारी किया। अध्यादेश को पिछले साल 21 अक्टूबर को पारित किया गया था।जस्टिस अब्दुल नज़ीर और जस्टिस केएम जोसेफ की पीठ, उत्तर प्रदेश ग्राउंड वाटर डिपार्टमेंट नॉन गजेटेड इम्प्लॉइज एसोसिएशन की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। याचिका में कहा गया है है कि अध्यादेश को कार्य-प्रभारित कर्मचारियों के खिलाफ शोषणकारी भेदभाव का उपचार किए बिना पारित किया गया है, जिसे सुप्रीम कोर्ट भी अस्वीकृत...
कॉलेज का गवर्निंग बॉडी कॉलेज के प्रशासनिक कर्मचारियों को नियुक्त करने के लिए उचित प्राधिकरण है: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा कि एक कॉलेज के गवर्निंग बाॅडी के पास कॉलेज के प्रशासनिक कर्मचारियों को नियुक्त करने का अधिकार है। न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एमआर शाह की खंडपीठ यह फैसला सुनाया। दिल्ली हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच के 2018 के आदेश को अलग रखते हुए कोर्ट ने कहा कि,"काॅलेज के प्रधान अध्यापक, जिसे कॉलेज के सभी आंतरिक प्रशासन को सौंपा गया है। वह एक ऐसा व्यक्ति है जो कॉलेज के सभी कर्मचारियों को अच्छे से जानता है। इसलिए कॉलेज हॉस्टल के वार्डेन की नियुक्ति के संबंध में उसकी...
आगे की शर्त के साथ एक सशर्त प्रस्ताव को स्वीकार करना अंतिम रूप से तय अनुबंध का परिणाम नहीं बनाता : सुप्रीम कोर्ट
जब प्रस्तावक पहले से ही अनुबंधकर्ता द्वारा हस्ताक्षरित अनुबंध को स्वीकार करते हुए नई शर्त रखता है, तो अनुबंध तब तक पूरा नहीं होता है जब तक प्रस्तावक उस शर्त को स्वीकार नहीं करता है, सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को उच्च न्यायालय के एक फैसले को रद्द करते हुए कहा। जस्टिस नवीन सिन्हा और जस्टिस इंदिरा बनर्जी की बेंच ने कहा कि हाईकोर्ट ने बयाना जमा की वापसी के लिए एक निविदाकर्ता द्वारा दायर सूट को खारिज करते हुए अनुबंध अधिनियम की धारा 7 की अनदेखी की।विशाखापत्तनम पोर्ट ट्रस्ट ने लकड़ी के स्लीपरों ( फाट) ...
लव जिहाद : सुप्रीम कोर्ट ने यूपी और उत्तराखंड द्वारा विवाह के लिए धर्म परिवर्तन के खिलाफ 'लव जिहाद 'कानूनों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर नोटिस जारी किया
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड द्वारा विवाह के लिए धर्म परिवर्तन के खिलाफ 'लव जिहाद 'के नाम पर बनाए गए कानूनों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर नोटिस जारी किया। सीजेआई एसए बोबडे, जस्टिस ए एस बोपन्ना और जस्टिस वी रामासुब्रमण्यम की एक बेंच, विशाल ठाकरे और अन्य और सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ की एनजीओ 'सिटीजन्स फॉर जस्टिस एंड पीस' (सीजेपी) द्वारा दायर याचिकाओं पर विचार कर रही थी।पीठ ने हालांकि उन कानूनों के प्रावधानों पर रोक लगाने से इनकार कर दिया जिनके लिए विवाह के लिए...
मोटर दुर्घटना क्षतिपूर्ति : अनुमानित आय से संबंधित मामलों में भी भविष्य की संभावनाएं दी जा सकती हैं : सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि अनुमानित आय से संबंधित मामलों में भी भविष्य की संभावनाएं दी जा सकती हैं। अदालत ने एक दुर्घटना में मारे गए दंपति के वारिसों द्वारा दायर किए गए मोटर दुर्घटना क्षतिपूर्ति दावे से उत्पन्न एक अपील का निपटारा करते हुए इस प्रकार कहा। इस मामले में, मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण ने दावेदारों को दोनों मृतकों के लिए कुल 40.71 लाख रुपये की राशि प्रदान की। आंशिक रूप से बीमा कंपनी द्वारा दायर अपील की अनुमति देते हुए, उच्च न्यायालय ने भविष्य की संभावनाओं को जोड़ने को पलट दिया। जस्टिस...
बैंकिंग व्यवसाय में प्रत्येक बैंक कर्मचारी के लिए पूर्ण निष्ठा, अखंडता और ईमानदारी एक अनिवार्य शर्त है : सुप्रीम कोर्ट ने बैंक क्लर्क की बर्खास्तगी को बरकरार रखा
बैंकिंग व्यवसाय में प्रत्येक बैंक कर्मचारी के लिए पूर्ण निष्ठा, अखंडता और ईमानदारी एक अनिवार्य शर्त है, जिसने बैंक कर्मचारी की बर्खास्तगी को बरकरार रखते हुए सर्वोच्च न्यायालय का अवलोकन किया। जुलाई 1999 में, कैशियर / क्लर्क के रूप में काम करने वाले अजय कुमार श्रीवास्तव को अनुशासनात्मक जांच के बाद बर्खास्त कर दिया गया, उन्हें धन के दुरुपयोग के आरोपों का दोषी पाया गया। उनके द्वारा दायर विभागीय अपील को भी खारिज कर दिया गया। उनके द्वारा दायर एक रिट याचिका को अनुमति देते हुए, इलाहाबाद उच्च न्यायालय...
"यह धारणा कि गृहणियां "काम" नहीं करतीं या वे घर में आर्थिक योगदान नहीं देती, समस्यापूर्ण विचार", मोटर दुर्घटना क्षतिपूर्ति मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा
"यह धारणा कि गृहणियां "काम" नहीं करती हैं या वे घर में आर्थिक योगदान नहीं देती हैं, समस्यापूर्ण विचार है। कई वर्षों से ऐसी समझ कायम है और इसे दूर किया जाना चाहिए।" जस्टिस एनवी रमना ने मोटर दुर्घटना क्षतिपूर्ति के दावे के एक मामले में फैसला देते हुए यह टिप्पणी की। अदालत सड़क दुर्घटना में मारे गए मृतक दंपति के वारिसों की ओर से दायर मोटर दुर्घटना क्षतिपूर्ति दावे की एक अपील का निस्तारण कर रही थी। मामले में एक मृतक गृहणी थी। इस मामले में, मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण ने दावेदारों को दोनों...
"हमें शासन करने के लिए नहीं बुलाया जा सकता, इसके लिए, हमारे पास में कोई साधन या कौशल और विशेषज्ञता नहीं है" : सेंट्रल विस्टा केस में सुप्रीम कोर्ट ने कहा
सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट मामले में अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की, "हमें शासन करने के लिए नहीं बुलाया जा सकता है। इसके लिए, हमारे पास इस संबंध में कोई साधन या कौशल और विशेषज्ञता नहीं है।" न्यायमूर्ति एएम खानविलकर ने अपने बहुमत के फैसले में कहा कि, हाल के दिनों में, सार्वजनिक / सामाजिक हित में मुकदमेबाजी के मार्ग को तेजी से लागू किया जा रहा है ताकि नीतिगत मामलों की शुद्ध चिंताओं और प्रणाली के खिलाफ सामान्यीकृत शिकायतों के प्रकार की जांच की जा सके।न्यायालय अपार जन विश्वास के भंडार...
"अधिवक्ता को जासूस की तरह जिज्ञासु, किसान की तरह दृढ़, और सर्जन की तरह सटीक होना चाहिए", चीफ जस्टिस आरएस चौहान ने अपने विदाई भाषण में कहा
चीफ जस्टिस राघवेंद्र सिंह चौहान को सोमवार को तेलंगाना हाईकोर्ट की फुल कोर्ट ने विदाई दी। हाल ही में उन्हें उत्तराखंड हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के रूप में स्थानांतरित किया गया है।अपने विदाई भाषण में जस्टिस चौहान ने कहा, "अधिवक्ता को जासूस की तरह जिज्ञासु, किसान की तरह दृढ़, और सर्जन की तरह सटीक होना चाहिए।" उन्होंने कहा, "कानूनी बिरादरी में, हमें भारत के संविधान द्वारा निर्धारित मार्ग पर चलना चाहिए। संवैधानिक मार्ग को छोड़ना अराजकता के मार्ग पर चलने जैसे और जंगल राज में प्रवेश करने जैसा...
सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट : सार्वजनिक भागीदारी की कमी, HCC की अनुमति ना लेने, पर्यावरणीय मंज़ूरी में गैर बोलने- योग्य आदेश : जस्टिस संजीव खन्ना ने असहमति में कहा
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना ने सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट मामले में अपनी अलग राय रखते हुए, सार्वजनिक भागीदारी के पहलुओं पर वैधानिक प्रावधानों की व्याख्या, विरासत संरक्षण समिति की पूर्व स्वीकृति लेने में विफलता और विशेषज्ञ मूल्यांकन समिति द्वारा पारित आदेश पर अपनी असहमति व्यक्त की। न्यायाधीश, हालांकि, टेंडर के नोटिस , कंसल्टेंसी अवार्ड और अर्बन आर्ट कमीशन के आदेश को इकलौते और स्वतंत्र आदेश के रूप में बहुमत के साथ सहमत हुए।न्यायाधीश ने देखा कि वर्तमान मामले में मुख्य मुद्दा यह है कि क्या उत्तरदाताओं ने...
जानिए 2020 के 30 फेमिनिस्ट जजमेंट
साल 2020 में महिला अधिकारों की रक्षा करने वाले निर्णय पर एक नज़र। 1.बेटियों को सहदायिक अधिकार प्राप्त होगा, भले ही उस समय उनके पिता जीवित नहीं थे जब हिंदू उत्तराधिकार (संशोधन) अधिनियम, 2005 लागू हुआ थाःसुप्रीम कोर्ट एक महत्वपूर्ण फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि एक बेटी के पास हिंदू उत्तराधिकार (संशोधन) अधिनियम, 2005 के बाद एक हिस्सा होगा, भले ही संशोधन के समय उसके पिता जीवित हो या नहीं। तीन न्यायाधीशों की पीठ ने कहा था कि संशोधन के तहत अधिकार 9-9-2005 के अनुसार जीवित हिस्सेदारों...
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट को 2:1 के बहुमत से हरी झंडी दी, जस्टिस संजीव खन्ना ने असहमति जताई
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को केंद्र सरकार की सेंट्रल विस्टा परियोजना के निर्माण की योजना और लुटियन दिल्ली में एक नई संसद के निर्माण के सरकार के प्रस्ताव को बरकरार रखा।जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस संजीव खन्ना की पीठ ने फैसला सुनाया, जस्टिस खानविलकर और जस्टिस माहेश्वरी ने बहुमत का फैसला दिया और जस्टिस खन्ना ने अलग फैसला सुनाया।बेंच ने कहा कि केंद्रीय विस्मित समिति और विरासत संरक्षण समिति द्वारा अनुमोदन प्रदान करने में कोई खामी नहीं थी।केन्द्र सरकार का डीडीए अधिनियम के तहत...
न्यायाधीशों और वकीलों को भी COVID-19 वैक्सीन की प्राथमिकता सूची में शामिल किया जाए: तमिलनाडु एडवोकेट्स एसोसिएशन
तमिलनाडु एडवोकेट्स एसोसिएशन (टीएनएए) ने केंद्रीय और राज्य स्वास्थ्य मंत्रालय को लिखे पत्र में और साथ ही मद्रास कोर्ट और हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीशों से मांग की है कि वकीलों और न्यायाधीशों को भी COVID-19 वैक्सीन की प्राथमिक सूची में शामिल किया जाये। पत्र में कहा गया है कि सरकार ने "समाज के प्राथमिकता खंड" की एक अस्थायी सूची बनाई थी, जिसे टीकाकरण के पहले चरण में टीका लगाया जाएगा। इस टीकाकरण के आगामी सप्ताह में शुरू होने की संभावना है। पत्र में लिखा गया कि इस सूची में वकीलों या न्यायाधीशों का...